(मौखिक)
राज्य उपभोक्ता विवाद प्रतितोष आयोग, उ0प्र0, लखनऊ
अपील संख्या-661/2017
दक्षिणांचल विद्युत वितरण निगम लि0, विद्युत वितरण खण्ड (ग्रामीण) II, मुन्ना लाल पावर हाऊस, ग्वालियर रोड, झांसी द्वारा अधिशासी अभियन्ता।
अपीलार्थी/विपक्षी
बनाम्
मै0 ममता होटल एण्ड रिसॉर्ट, प्रोपराईटर श्रीमती ममता सिंह पत्नी श्री महेन्द्र सिंह चौहान, निवासिनी निकट मानपुर मण्डी, ललितपुर हाईवे, बबीना, जिला झांसी।
प्रत्यर्थी/परिवादिनी
समक्ष:-
1. माननीय श्री सुशील कुमार, सदस्य।
2. माननीय श्री विकास सक्सेना, सदस्य।
अपीलार्थी की ओर से उपस्थित : श्री दीपक मेहरोत्रा, विद्वान अधिवक्ता।
प्रत्यर्थी की ओर से उपस्थित : श्री आलोक सिन्हा, विद्वान अधिवक्ता।
दिनांक: 19.01.2023
माननीय श्री सुशील कुमार, सदस्य द्वारा उदघोषित
निर्णय
1. परिवाद संख्या-23/2017, मैसर्स ममता होटल एण्ड रिसॉर्ट बनाम दक्षिणांचल विद्युत वितरण निगम लि0 में विद्वान जिला उपभोक्ता आयोग, झांसी द्वारा पारित निर्णय एवं आदेश दिनांक 06.03.2017 के विरूद्ध यह अपील प्रस्तुत की गई है। इस निर्णय एवं आदेश द्वारा विद्वान जिला उपभोक्ता आयोग ने परिवाद स्वीकार करते हुए विपक्षी को अदेशित किया गया कि दिनांक 16.01.2017 को विच्छेदित विद्युत कनेक्शन को पुन: चालू कर दिया जाए।
2. अपीलार्थी के विद्वान अधिवक्ता श्री दीपक मेहरोत्रा तथा प्रत्यर्थी के विद्वान अधिवक्ता श्री आलोक सिन्हा को सुना गया तथा प्रश्नगत निर्णय/आदेश एवं पत्रावली का अवलोकन किया गया।
3. प्रत्यर्थी के विद्वान अधिवक्ता का यह तर्क है कि प्रश्नगत निर्णय एवं आदेश का अनुपालन विद्युत विभाग द्वारा किया जा चुका है, इसलिए अपील उद्देश्य विहीन हो चुकी है। अपीलार्थी के विद्वान अधिवक्ता का यह तर्क है कि
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उन्हें इस तथ्य की कोई जानकारी नहीं है कि परिवाद में पारित निर्णय एवं आदेश का अनुपालन कर दिया गया है, परन्तु चूंकि प्रत्यर्थी के विद्वन अधिवक्ता की ओर से विद्युत कनेक्शन चालू करने से संबंधित दस्तावेज की प्रति इस पीठ के समक्ष प्रस्तुत की गई है, इसलिए इस अवसर पर इस दस्तावेज को प्रमाणिक दस्तावेज माना जा सकता है, जिससे जाहिर होता है कि परिवाद में पारित निर्णय एवं आदेश का अनुपालन करने के कारण प्रस्तुत अपील उद्देश्य विहीन हो चुकी है। अत: निरस्त होने योग्य है।
आदेश
4. प्रस्तुत अपील निरस्त की जाती है।
उभय पक्ष अपना-अपना व्यय स्वंय वहन करेंगे।
अपीलार्थी द्वारा अपील में जमा धनराशि (यदि कोई हो) मय अर्जित ब्याज सहित विधि अनुसार एक माह में संबंधित जिला उपभोक्ता आयोग को निस्तारण हेतु प्रेषित की जाए।
आशुलिपिक से अपेक्षा की जाती है कि वह इस निर्णय को आयोग की वेबसाइट पर नियमानुसार यथाशीघ्र अपलोड कर दे।
(विकास सक्सेना) (सुशील कुमार)
सदस्य सदस्य
लक्ष्मन, आशु0,
कोर्ट-2