(सुरक्षित)
राज्य उपभोक्ता विवाद प्रतितोष आयोग, उ0प्र0, लखनऊ
परिवाद संख्या-114/2012
मैसर्स ग्लोबल पॉलीमर्स, रजिस्टर्ड फर्म, विकास शील भारत कम्पाउण्ड, ट्रांसपोर्ट नगर, आगरा 282002, द्वारा पार्टनर्स विशाल मेहरा।
परिवादी
बनाम
1. लॉजिक ट्रांसवेयर (I) प्रा0लि0, द्वारा मैनेजिंग डायरेक्टर, 301/302, दि एवन्यू इण्टरनेशनल एयरपोर्ट रोड, लीला अंधेरी (ईस्ट) के सामने, मुम्बई 400069.
2. लॉजिक ट्रांसवेयर (I) प्रा0लि0, प्लाट नं0-आर.पी.-1918, ए ब्लॉक खसरा नं0-605, रंगपुरी एक्सटेंशन, नई दिल्ली 110037, द्वारा पर्सन इंचार्ज आफ द आफिस/प्रींसिपल आफिसर।
विपक्षीगण
समक्ष:-
1. माननीय श्री सुशील कुमार, सदस्य।
2. माननीय श्रीमती सुधा उपाध्याय, सदस्य।
परिवादी की ओर से उपस्थित : आहूति अग्रवाल।
विपक्षीगण की ओर से उपस्थित : कोई नहीं।
दिनांक: 15.07.2024
माननीय श्री सुशील कुमार, सदस्य द्वारा उद्घोषित
निर्णय
1. यह परिवाद, परिवादी द्वारा माल का मूल्य अंकन 17,49,025/-रू0 की प्राप्ति के लिए तथा इस राशि पर रू0 5,60,942.89 पैसे ब्याज के लिए, जो परिवाद दायर करने के पहले से उदभव हो चुका है तथा अंकन 20,000/-रू0 प्रकीर्ण खर्च तथा अंकन 5,00,000/-रू0 मानसिक प्रताड़ना की मद में एवं अंकन 1,50,000/-रू0 वाद खर्च प्राप्त करने के लिए प्रस्तुत किया गया है।
2. परिवाद के तथ्य संक्षेप में इस प्रकार हैं कि परिवादी को विदेशी क्रेता से दिनांक 28.05.2010 से दिनांक 28.06.2010 को क्रमश: BEE FLY SARL पैरिस, फ्रांस एवं BFK DIFFUSION फ्रांस से परिवादी द्वारा उत्पादित माल क्रय करने के लिए आदेश प्राप्त हुआ। विपक्षीगण को कैरियर/एजेंट का कार्य सौंपा गया तथा दिनांक 22.09.2010 को माल सुपुर्द कर दिया गया तथा इनवाइस उपलब्ध करा दी गई। विपक्षी सं0-2 द्वारा माल प्राप्ति की रसीद जारी की गई। दिनांक 18.12.2010 को परिवादी को Air Bills दिनांकित 25.09.2010 प्राप्त हुआ तथा यह जानकार अत्यधिक कष्ट हुआ कि विदेशी क्रेता का नाम HSBC France अंकित है, जिसमें LC नम्बर मौजूद नहीं था। विदेशी क्रेता ने माल का भुगतान नहीं किया तथा LCs का भी नकदीकरण नहीं हुआ। यह विपक्षीगण एवं विदेशी क्रेता के षड़यंत्र के कारण हुआ। उसे दिनांक 18.12.2010 को श्री सुब्रत मेहरा, एडवोकेट के माध्यम से नोटिस प्रेषित किया गया, जिसका जवाब दिनांक 07.02.2011 को भ्रामक रूप से दिया गया। इस प्रकार उपरोक्त वर्णित अनुतोषों की मांग के लिए उपभोक्ता परिवाद प्रस्तुत किया गया।
3. परिवाद पत्र के समर्थन में शपथ पत्र तथा दस्तावेजी साक्ष्य प्रस्तुत की गई।
4. विपक्षी संख्या-1 एवं 2 की ओर से संयुक्त रूप से लिखित कथन प्रस्तुत किया गया, जिसमें उल्लेख है कि परिवाद आधारहीन, असत्य, अफसोस जनक तथा असंधारणीय है। परिवादी फर्म पंजीकृत नहीं है, इसलिए दावा धारा 69 साझेदारी अधिनियम से बाधित है। परिवादी विपक्षीगण का उपभोक्ता नहीं है। Air Waybill जारी करने मात्र से विपक्षीगण सेवाप्रदाता नहीं होते। यह बिल दिल्ली में जारी किए गए हैं तथा माल फ्रांस जाना था, इसलिए कॉज आफ एक्शन इस आयोग के क्षेत्राधिकार में उत्पन्न नहीं हुआ। परिवाद पक्षकारों के असंयोजन से दूषित है। विपक्षीगण द्वारा समस्त तत्परता से अपने कार्य सम्पादित किए जाते हैं, उन्हें ख्याति प्राप्त है। इस तथ्य को स्वीकार किया गया है कि परिवादी से माल प्राप्त किया गया और परिवादी द्वारा प्रेषित सूचना के अनुसार AI 143 दिल्ली पैरिस फ्लाईट दिनांकित 29.09.2010 को माल भेज दिया गया। परिवादी द्वारा प्रेषित की गई E-mail दिनांकित 27.09.2010 EXHIBIT-D है। मूल क्रेता द्वारा माल दिनांक 30.09.2010 को प्राप्त कर लिया गया, जबकि परिवादी द्वारा दिनांक 20.10.2010 को E-mail प्रेषित की गई कि AWB बिल निरस्त किया जाए और एक फ्रेश बिल कंसाइनी दर्शाते हुए 'to order' जारी किया जाए। चूंकि क्रेताओं द्वारा माल AI 143 से प्राप्त किया जा चुका था, इसलिए इस E-mail के अनुसार नई फ्लाईट में कंसाइनी परिवर्तित करते हुए माल भेजने का कोई अवसर नहीं था। Air Waybill में स्पष्ट रूप से अंकित था कि परिवादी को तुरन्त सूचित किया जाए कि प्राप्तकर्ता ने माल प्राप्त कर लिया है। परिवादी आंशिक रूप से विपक्षीगण को आरोपित कर रहा है। कंसाइनी के रूप में HSBC (Hong Kong and Shanghai Banking Corporation) नाम का कोई अवसर नहीं था, इसलिए परिवाद खारिज होने योग्य है।
5. लिखित कथन के समर्थन में शपथ पत्र तथा दस्तावेजी साक्ष्य प्रस्तुत की गई।
6. परिवादी के विद्वान अधिवक्ता को सुना गया तथा पत्रावली पर उपलब्ध अभिलेखों का अवलोकन किया गया। विपक्षीगण की ओर से कोई उपस्थित नहीं है।
7. पक्षकारों द्वारा प्रस्तुत किए गए अभिवचनों तथा परिवादी के विद्वान अधिवक्ता को सुनने के पश्चात इस परिवाद के विनिश्चय के लिए एक मात्र विनिश्चायक बिन्दु यह उत्पन्न होता है कि क्या विपक्षीगण द्वारा वास्तविक प्राप्तकर्ता को माल प्राप्त न कराते हुए परिवादी के प्रति सेवा में कमी की गई है ?
8. परिवाद पत्र में स्पष्ट उल्लेख है कि BEE FLY SARL एवं BFK DIFFUSION के लिए विपक्षीगण के माध्यम से माल प्रेषित किया गया था। यह माल लिखित कथन के विवरण के अनुसार प्राप्तकर्तागण द्वारा प्राप्त कर लिया गया। परिवादी का आरोप है कि Air Waybill में क्रेताओं के नाम का उल्लेख है, जबकि LC जारी करने वाले बैंक HSBC का नाम प्राप्तकर्ता में होना चाहिए था, क्योंकि बैंक के माध्यम से ही भुगतान प्राप्त होना था और परिवादी द्वारा विपक्षीगण को इस संबंध में स्पष्ट निर्देश दिए गए थे। Air Waybill पत्रावली पर अनेक्जर संख्या-10 एवं 11 है। इनके अवलोकन से जाहिर होता है कि प्राप्तकर्ता पर क्रेताओं के नाम हैं। LC जारी करने वाले बैंक का नाम अंकित नहीं है, इसलिए Air Waybill के अनुसार माल क्रेता को प्राप्त करा दिया गया है न कि HSBC को।
9. अब प्रश्न यह उठता है कि क्या विपक्षीगण द्वारा परिवादी के निर्देशों का उल्लंघन किया गया है ?
10. विपक्षीगण का कथन है कि House Air waybill E-mail द्वारा दिनांक 27.09.2010 को Exhibit-D के माध्यम से परिवादी द्वारा प्रेषित किया गया था, जिसके अनुसार माल का लादान AI 143 में होना था। दस्तावेज संख्या-97 पर Exhibit-D की प्रति मौजूद है। यह E-mail परिवादी द्वारा विपक्षीगण को प्रेषित की गई है, जिसमें उल्लेख है कि उन्हें Air waybill तथा फ्लाईट का विवरण प्राप्त कराया जाए। Exhibit-J पर उपलब्ध E-mail परिवादी द्वारा दिनांक 20.10.2010 को प्रेषित किया गया है, जिसमें उल्लेख है कि आपने क्रेता को प्रत्यक्ष रूप से माल प्राप्त करने के लिए अधिकृत कर दिया है न कि बैंक को, इसलिए इस Air waybill को निरस्त किया जाए और सही Air waybill प्रेषित किया जाए, जबकि इस पत्र को प्राप्त करने से पहले क्रेता माल प्राप्त कर चुके थे, जैसा कि Exhibit-I से साबित होता है, जिसमें माल को अवमुक्त किए जाने का विवरण अंकित है। परिवाद पत्र के पैरा संख्या-5 में यह उल्लेख है कि माल का मूल्य प्राप्त करने के उद्देश्य से लेटर आफ क्रेडिट द्वारा बैंक के माध्यम से माल भेजा गया था। परिवादी का बैंक केनरा बैंक था, जबकि क्रेताओं का बैंक HSBC फ्रांस था। माल का विक्रय लेटर आफ क्रेडिट के माध्यम से ही होना था। क्रेता को माल प्राप्त करना था और पैसा बैंक में जमा करना था और बैंक द्वारा पैसा परिवादी के बैंक को प्राप्त कराना था। माल प्राप्त करते समय लेटर आफ क्रेडिट अनेक्जर सं0-3 एवं 4 विपक्षीगण को प्राप्त कराया गया था। अनेक्जर सं0-3 एवं 4 के अवलोकन से स्पष्ट होता है कि माल की कीमत HSBC द्वारा क्रेताओं से प्राप्त कर केनरा बैंक, आगरा को प्राप्त करानी थी, परन्तु विपक्षीगण द्वारा कंसाइनी के सामने HSBC का नाम अंकित नहीं किया गया और Air waybill क्रेताओं के नाम से प्रत्यक्ष रूप से बना दिया गया, जिसका परिणाम यह हुआ कि परिवादी अपने द्वारा विक्रय किए गए माल का मूल्य प्राप्त नहीं कर सका। लेटर आफ क्रेडिट के अनुसार ही माल लादान विपक्षीगण द्वारा किया जाना चाहिए था। माल लादान करते समय कंसाइनी का नाम HSBC फ्रांस होना चाहिए था न कि क्रेताओं का नाम, इसलिए विपक्षीगण के कृत्य से परिवादी को वह हानि कारित हुई है, जो माल का मूल्य प्राप्त करने के पश्चात नहीं होती, इसलिए विपक्षीगण परिवादी को माल का मूल्य इनवाइस के अनुसार अंकन 17,49,025/-रू0 प्रदत्त करने के लिए उत्तरदायी हैं साथ ही इस राशि पर परिवाद प्रस्तुत करने की तिथि से भुगतान की तिथि तक 06 प्रतिशत प्रतिवर्ष साधारण ब्याज भी अदा करने के लिए उत्तरदायी हैं। चूंकि इस राशि पर परिवादी द्वारा ब्याज की गणना कर ली गई है, जबकि ब्याज की गणना करते समय परिवाद में ब्याज की राशि अंकित नहीं की जा सकती, क्योंकि ब्याज किस दर से अदा किया जाए, यह सुनश्चित करने का क्षेत्राधिकार इस आयोग में निहित है। अत: इस मद में कोई अनुतोष जारी नहीं किया जा सकता। इसी प्रकार मानसिक प्रताड़ना की मद में अंकन 5,00,000/-रू0 की मांग की गई है, जो अत्यधिक है, इस मद में केवल 1,00,000/-रू0 की क्षतिपूर्ति का आदेश देना उचित है। परिवाद व्यय तथा अन्य प्रकीर्ण खर्च के लिए अंकन 15,000/-रू0 अदा करने का आदेश देना भी विधिसम्मत है। इसी अवसर पर यह स्पष्ट किया जाता है कि चूंकि माल आगरा से प्रेषित किया गया है, इसलिए इस उपभोक्ता आयोग को इस वाद की सुनवाई का क्षेत्राधिकार प्राप्त है, क्योंकि वादकारण अंशत: आगरा में भी उत्पन्न हुआ है। परिवाद पत्र में स्वंय स्पष्ट किया गया है कि परिवादी फर्म एक पंजीकृत फर्म है। अत: इस बिन्दु पर आपत्ति की जाती है तब इस तथ्य को साबित करने का भार विपक्षीगण पर है कि परिवादी फर्म एक पंजीकृत फर्म नहीं है। अत: इन दोनों तकनीकी बिन्दुओं पर उठाई गई आपत्ति निरस्त होने योग्य है। चूंकि विपक्षीगण द्वारा सेवा में कमी की गई है, इसलिए क्रेताओं को या बैंक को पक्षकार बनाया जाना आवश्यक नहीं था। अत: परिवाद में पक्षकारों के असंयोजन का कोई दोष नहीं है। तदनुसार प्रस्तुत परिवाद स्वीकार होने योग्य है।
आदेश
11. प्रस्तुत परिवाद स्वीकार किया जाता है। विपक्षीगण को आदेशित किया जाता है कि वह परिवादी को माल का मूल्य अंकन 17,49,025/-रू0 (सत्रह लाख उनचास हजार पच्चीस रूपये) अदा करे तथा इस राशि पर परिवाद प्रस्तुत करने की तिथि से भुगतान की तिथि तक 06 प्रतिशत प्रतिवर्ष साधारण ब्याज भी देय होगा।
मानसिक प्रताड़ना की मद में केवल 1,00,000/-रू0 (एक लाख रूपये) परिवादी को अदा किए जाए तथा परिवाद व्यय एवं अन्य प्रकीर्ण खर्च की मद में अंकन 15,000/-रू0 (पन्द्रह हजार रूपये) अदा किए जाए। इन दोनों राशियों पर कोई ब्याज देय नहीं होगा।
उपरोक्त समस्त राशि इस निर्णय/आदेश की तिथि से 45 दिन के अन्दर अदा की जाए।
आशुलिपिक से अपेक्षा की जाती है कि वह इस निर्णय/आदेश को आयोग की वेबसाइट पर नियमानुसार यथाशीघ्र अपलोड कर दे।
(सुधा उपाध्याय) (सुशील कुमार)
सदस्य सदस्य
लक्ष्मन, आशु0,
कोर्ट-2