Uttar Pradesh

StateCommission

A/2530/2016

Akhilesh Kumar - Complainant(s)

Versus

M/S Lajja Kumar Cold Storage - Opp.Party(s)

Vinay Kumar Verma

17 Oct 2018

ORDER

STATE CONSUMER DISPUTES REDRESSAL COMMISSION, UP
C-1 Vikrant Khand 1 (Near Shaheed Path), Gomti Nagar Lucknow-226010
 
First Appeal No. A/2530/2016
( Date of Filing : 06 Oct 2016 )
(Arisen out of Order Dated 07/09/2016 in Case No. C/880/1997 of District Farrukhabad)
 
1. Akhilesh Kumar
Farrukhabad
...........Appellant(s)
Versus
1. M/S Lajja Kumar Cold Storage
Farrukhabad
...........Respondent(s)
 
BEFORE: 
 HON'BLE MR. JUSTICE AKHTAR HUSAIN KHAN PRESIDENT
 
For the Appellant:
For the Respondent:
Dated : 17 Oct 2018
Final Order / Judgement

राज्‍य उपभोक्‍ता विवाद प्रतितोष आयोग, उ0प्र0, लखनऊ।

(सुरक्षित)                                                                                  

अपील संख्‍या:-2530/2016

(जिला फोरम, फर्रूखाबाद द्धारा परिवाद सं0-880/1997 में पारित निर्णय/आदेश दिनांक 07.9.2016 के विरूद्ध)

1-    Akhilesh Kumar, S/o Late Tilak Singh

2-    Nirdosh Singh, S/o Late Tilak Singh

3-    Kashmir Singh, S/o Late Tilak Singh

4-    Smt. Surajmukhi, W/o Late Tilak Singh,

R/o Village-Narainpur Garhiya, Post-Kandharapur, District Farrukhabad.

                                         ........... Appellants/ Complainants

Versus    

M/s Lajja Ram Gold Storage Private Limited, Narainpur Garhiya, Post-Kandharapur, District- Farrukhabad.

……..…. Respondent/ Opp. Party

समक्ष :-

मा0 न्‍यायमूर्ति श्री अख्‍तर हुसैन खान, अध्‍यक्ष

अपीलार्थी के अधिवक्‍ता        : श्री विनय कुमार वर्मा

प्रत्‍यर्थी के अधिवक्‍ता          : श्री जय प्रकाश सक्‍सेना

दिनांक :-04-12-2018                                           

मा0 न्‍यायमूर्ति श्री अख्‍तर हुसैन खान, अध्‍यक्ष द्वारा उदघोषित

निर्णय   

परिवाद संख्‍या-880/1997 मृतक तिलक सिंह बनाम मेसर्स लज्‍जा राम कोल्‍ड स्‍टोरज प्रा0लि0 में जिला उपभोक्‍ता प्रतितोष फोरम, फर्रूखाबाद द्वारा पारित निर्णय और आदेश दिनांक 07.9.2016 के विरूद्ध यह अपील धारा-15 उपभोक्‍ता संरक्षण अधिनियम, 1986 के अन्‍तर्गत राज्‍य आयोग के समक्ष प्रस्‍तुत की गयी है।

जिला फोरम ने आक्षेपित आदेश के द्वारा परिवाद खारिज कर दिया है। जिससे क्षुब्‍ध होकर परिवादीगण ने यह अपील प्रस्‍तुत की है।

-2-

अपील की सुनवाई के समय अपीलार्थीगण के विद्वान अधिवक्‍ता श्री विनय कुमार वर्मा और प्रत्‍यर्थी की ओर से विद्वान अधिवक्‍ता श्री जय प्रकाश सक्‍सेना उपस्थित आये है।

मैंने उभय पक्ष के विद्वान अधिवक्‍तागण के तर्क को सुना है और आक्षेपित निर्णय और आदेश तथा पत्रावली का अवलोकन किया है। मैंने उभय पक्ष की ओर से प्रस्‍तुत लिखित तर्क का भी अवलोकन किया है।   

अपील के निर्णय हेतु संक्षिप्‍त सुसंगत तथ्‍य इस प्रकार है कि मृतक परिवादी तिलक सिंह ने परिवाद जिला फोरम के समक्ष प्रत्‍यर्थी/विपक्षी के विरूद्ध इस कथन के साथ प्रस्‍तुत किया है कि दिनांक 10.3.1997 से 21.3.1997 तक की अवधि में विभिन्‍न तिथियों पर अपने कुल 491 बोरा आलू वजन 438 कुन्‍तल 76 किलो का भंडारण उसने  प्रत्‍यर्थी/विपक्षी के कोल्‍ड स्‍टोरेज में किया और रसीद प्राप्‍त की, तदोपरांत दिनांक 20.8.1997 को समाचार पत्र दैनिक जागरण के माध्‍यम से विपक्षी ने सूचना प्रकाशित करायी कि कोल्‍ड स्‍टोरेज में रखा आलू किल्‍ला देने लगा है। इस सूचना पर वह प्रत्‍यर्थी/विपक्षी के कोल्‍ड स्‍टोरेज में गया और अपने आलू के सम्‍बन्‍ध में जानकारी चाही, तो प्रत्‍यर्थी/विपक्षी ने बताया कि उसका समस्‍त आलू सड़ गया है, उसने विपक्षी से आलू दिखाने को कहा तो विपक्षी ने आलू दिखाने से मना कर दिया।

परिवाद पत्र के अनुसार मृतक परिवादी का कथन है कि प्रत्‍यर्थी/विपक्षी ने समस्‍त आलू सड़ा कह कर चोरी से बगैर परिवादी की मर्जी से कोल्‍ड स्‍टोरेज से निकाल कर बिक्री कर दिया है। जिसकी सूचना मृतक परिवादी व अन्‍य काश्‍तकारों ने उच्‍च अधिकारियों को लिखित रूप से दी है। परिवाद पत्र के अनुसार  मृतक परिवादी का कथन है कि उसके 491 बोरा आलू की बाजारू कीमत बारदाना ढुलाई व अन्‍य खर्चो सहित 1,66,940.00

-3-

रू0 थी। प्रत्‍यर्थी/विपक्षी द्वारा आलू की उपरोक्‍त प्रकार से बिक्री कर देने से मृतक परिवादी को आर्थिक क्षति हुई है, जिसकी भरपाई का दायित्‍व प्रत्‍यर्थी/विपक्षी पर है। अत: उसने प्रत्‍यर्थी/विपक्षी के विरूद्ध परिवाद प्रस्‍तुत कर क्षतिपूर्ति की मॉग की है, साथ ही वाद व्‍यय व मानसिक व आर्थिक कष्‍ट हेतु क्षतिपूर्ति चाही है। परिवाद लम्बित रहते हुए परिवादी तिलक सिंह की मृत्‍यु हो गयी है। अत: उसके विधिक उत्‍तराधिकारी अपीलार्थीगण को उसके स्‍थान पर पुनर्स्‍थापित किया गया है।

जिला फोरम के समक्ष प्रत्‍यर्थी/विपक्षी ने अपना लिखित कथन प्रस्‍तुत किया है, जिसमें उसने 424 बोरा आलू मृतक परिवादी द्वारा भण्‍डारित किया जाना स्‍वीकार किया है, परन्‍तु यह कहा है कि वर्ष-1997 में आलू की पैदावार अधिक होने के कारण एवं आलू का भाव 40.00 रू0 से 50.00 रू0 प्रति कुन्‍तल होने के कारण मृतक परिवादी जानबूझकर, प्रत्‍यर्थी/विपक्षी द्वारा दैनिक जागरण समाचार पत्र में दिनांक 20.8.1997 को नोटिस प्रकाशित कराने के बाद भी आलू लेने नहीं आया। प्रत्‍यर्थी/विपक्षी ने उसके आलू को अगस्‍त माह के अंतिम दिन तक सुरक्षित रखा, फिर भी वह आलू लेने नहीं आया, आलू खराब होने व भाव कम होने के कारण मंडी में खरीदने से मना कर दिया तब प्रत्‍यर्थी/विपक्षी ने आलू विकास अधिकारी व उनके कर्मचारियों की देख रेख में आलू पूर्ण रूप से खराब होने के कारण 547 बोरा आलू 20.00 रू0 प्रति बोरे की दर से अपने खर्च पर सुरक्षित स्‍थान पर फिकवा दिया, जिसमें 10,940.00 रू0 उसका व्‍यय हुआ। लिखित कथन में प्रत्‍यर्थी/विपक्षी ने कहा है कि मृतक परिवादी आलू व बारदाना आदि की कीमत बहुत बडा चढा कर बतायी है और गलत कथन के साथ परिवाद प्रस्‍तुत किया गया है।

 

-4-

लिखित कथन में प्रत्‍यर्थी/विपक्षी ने कहा है कि मृतक परिवादी द्वारा भण्‍डारित आलू की गुणवत्‍ता उत्‍तम नहीं थी, जिससे पर्याप्‍त सावधानी के बावजूद आलू खराब होने लगा, तब मृतक परिवादी को आलू निकालने के लिए सूचित किया गया और दैनिक जागरण समाचार पत्र में आलू निकालने के लिए समाचार प्रकाशित किया गया, उसके बाद मृतक परिवादी ने न कोल्‍ड स्‍टोरेज का किराया दिया और न अपना आलू ले गया। आलू भण्‍डारण का किराया 32,771.00 रू0 बताया गया है और कहा गया है कि मृतक परिवादी ने आलू का मूल्‍य बहुत अधिक बताया है। 

जिला फोरम ने उभय पक्ष के अभिवचन और उपलब्‍ध साक्ष्‍यों पर विचार करने के उपरांत फूल चन्‍द्र बनाम मेसर्स फराज कोल्‍ड स्‍टोरेज व अन्‍य IV एन0 2008 सी.पी.जे. 150 के वाद में यह माना है कि वर्ष-1997 में जनपद फर्रूखाबाद में भण्‍डारित आलू का भाव बहुत कम था, अत: वर्तमान वाद में भी जिला फोरम ने यह माना है कि आलू का मूल्‍य कम होने के कारण अपीलार्थी/परिवादी आलू लेने नहीं आया। जिला फोरम ने अपने निर्णय में यह भी उल्‍लेख किया है विपक्षी द्वारा आलू देने से मना करने पर अपीलाथी/परिवादी ने कोल्‍ड स्‍टोरेज के मैंनेजर व प्रोपराइटर को नोटिस नहीं दिया और न किसी प्रकार की कोई शिकायत उच्‍च अधिकारियों से उनकी की और न ही एफ0आई0आर0 दर्ज करायी। उपरोक्‍त आधारों पर ही जिला फोरम ने यह माना है कि अपीलार्थी/परिवादी स्‍वयं आलू लेने, आलू की कीमत कम होने के कारण विपक्षी के पास नहीं आया। अत: जिला फोरम ने परिवाद आक्षेपित निर्णय के द्वारा खारिज कर दिया है।

अपीलार्थीगण के विद्वान अधिवक्‍ता का तर्क है कि जिला फोरम द्वारा पारित निर्णय और आदेश साक्ष्‍य और विधि के विरूद्ध

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है। प्रत्‍यर्थी/विपक्षी ने उसके आलू को सड़ा बताकर उसकी बिक्री की है। अत: वह आलू का मूल्‍य अपीलार्थी/परिवादी को अदा करने हेतु उत्‍तरदायी है। अपीलार्थीगण के विद्वान अधिवक्‍ता का तर्क है कि मृतक परिवादी प्रत्‍यर्थी/विपक्षी का उपभोक्‍ता है। प्रत्‍यर्थी/विपक्षी ने भण्‍डारित आलू के सम्‍बन्‍ध में अपनी सेवा में कमी की है और मृतक परिवादी को आलू से वंचित किया है। अपीलार्थीगण उनके विधिक उत्‍तराधिकारी हैं। अत: परिवाद स्‍वीकार कर अपीलार्थीगण को क्षतिपूर्ति दिलाया जाना आवश्‍यक है। अपीलार्थीगण के विद्वान अधिवक्‍ता का तर्क है कि जिला फोरम द्वारा पारित निर्णय अपास्‍त कर परिवाद स्‍वीकार किया जाना आवश्‍यक है।

प्रत्‍यर्थी के विद्वान अधिवक्‍ता का तर्क है कि जिला फोरम द्वारा पारित आदेश साक्ष्‍य और विधि के अनुकूल है। जिला फोरम ने परिवाद निरस्‍त कर कोई गलती नहीं की है। अपील निरस्‍त किए जाने योग्‍य है।

मैंने उभय पक्ष के तर्क पर विचार किया है।

प्रत्‍यर्थी कोल्‍ड स्‍टोरेज ने अपीलार्थी/परिवादी द्वारा आलू भण्‍डारित करना स्‍वीकार किया है और कहा है कि दिनांक 20.8.1997 को समाचार पत्र में सूचना प्रकाशित करने के बाद भी अपीलार्थी/परिवादी आलू का भाव कम होने के कारण आलू लेने नहीं आया और आलू खराब होने एवं आलू का मूल्‍य कम होने के कारण मंडी में लेने से मना कर दिया तब प्रत्‍यर्थी/विपक्षी कोल्‍ड स्‍टोरेज ने आलू विकास अधिकारी एवं उनके कर्मचारियों की देख-रेख में अपने खर्चें पर आलू फिकवा दिया। अत: उभय पक्ष के अभिकथन से स्‍पष्‍ट है कि मृतक परिवादी भण्‍डारित आलू नहीं ले गाया है। प्रत्‍यर्थी/विपक्षी के अनुसार आलू खराब होने व न बिकने पर उसने आलू विकास अधिकारी व उनके कर्मचारियों की देख-रेख में फिकवाया है, परन्‍तु आलू विकास अधिकारी का इस सम्‍बन्‍ध में

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कोई प्रमाण पत्र नहीं दिखाया जा सका है। आलू अगस्‍त मास में खराब होना बताया गया है, जबकि सामान्‍तया आलू भण्‍डारण की अवधि अक्‍टूबर मास तक होती है। अत: अगस्‍त मास में आलू खराब होने की प्रत्‍यर्थी/विपक्षी कोल्‍ड स्‍टोरेज की सेवा में कमी का परिचायक है। मृतक परिवादी द्वारा भण्‍डारित आलू की गुणवत्‍ता उत्‍तम नहीं थी। यह प्रत्‍यर्थी/विपक्षी ने साबित नहीं किया है। अत: अपीलार्थीगण विपक्षी/प्रत्‍यर्थी से भण्‍डारित आलू का मूल्‍य पाने के अधिकारी है। जिला फोरम ने परिवाद निरस्‍त करने का जो कारण उल्लिखित किया है वह उचित नहीं है। जिला फोरम ने परिवाद निरस्‍त कर गलती की है। परिवाद संख्‍या-545/1997 राजबहादुर बनाम मेसर्स लज्‍जा राम कोल्‍ड स्‍टोरेज प्राईवेट लिमिटेड, नरायनपुर, गढिया, फर्रूखाबाद में जिला फोरम ने मार्च, 1997 में आलू का मूल्‍य 181.00 रू0 प्रति कुन्‍तल माना है। जिला फोरम के निर्णय के विरूद्ध अपील संख्‍या-2012/2011 में मेसर्स लज्‍जा राम कोल्‍ड स्‍टोरेज प्रा‍0लि0 बनाम राज बहादुर, राज्‍य आयोग के समक्ष प्रस्‍तुत की गई है। जिसमें जिला फोरम द्वारा निर्धारित उपरोक्‍त मूल्‍य को स्‍वीकार किया गया है। 491 बोरा आलू अपीलार्थी द्वारा भण्‍डारित किया जाना कहा गया है, जिसका वजन उपरोक्‍त परिवाद सं0- 547/1997 राज बहादुर बनाम मेसर्स लज्‍जा राम कोल्‍ड स्‍टोरेज प्रा‍0लि0 के वाद में जिला फोरम के निर्णय के आधार पर 91.52 किलोग्राम प्रति बोरा की दर से आलू का कथित वजन 438.76 कुन्‍तल उचित है, जिसका मूल्‍य 181.00 रू0 प्रति कुन्‍तल की दर से 89,000.00 रू0 निर्धारित किया जाना उचित है। आलू के इस मूल्‍य से कोल्‍ड स्‍टोरेज का भाड़ा 32,771.00 रू0 घटाकर अवशेष धनराशि 56,229.00 रू0 प्रत्‍यर्थी/विपक्षी से अपीलार्थीगण को दिलाया जाना उचित है। अपीलार्थीगण को 5,000.00 रू0 वाद व्‍यय एवं उपरोक्‍त धनराशि 56,229.00 रू0 पर परिवाद प्रस्‍तुत

-7-

करने की तिथि से अदायगी की तिथि तक 06 प्रतिशत वार्षिक की दर से ब्‍याज दिया जाना भी उचित है।

प्रत्‍यर्थी के विद्वान अधिवक्‍ता द्वारा संदर्भित फूल चन्‍द्र बनाम फराज कोल्‍ड स्‍टोरेज (प्रा0) लि0, IV (2008) CPJ 150 के वाद में राज्‍य आयोग द्वारा पारित निर्णय का लाभ प्रत्‍यर्थी/विपक्षी को उपरोक्‍त विवेचना के आधार पर वर्तमान वाद के तथ्‍य के परिपेक्ष्‍य में नहीं मिल सकता है।

उपरोक्‍त विवेचना एवं ऊपर निकाले गये निष्‍कर्ष के आधार पर अपील स्‍वीकार की जाती है और जिला फोरम का निर्णय व आदेश अपास्‍त कर परिवाद स्‍वीकार किया जाता है तथा प्रत्‍यर्थी/ विपक्षी को आदेशित किया जाता है कि वह अपीलार्थीगण को 56,229.00 रू0 क्षतिपूर्ति परिवाद प्रस्‍तुत करने की तिथि से अदायगी की तिथि तक 06 प्रतिशत वार्षिक की दर से ब्‍याज के साथ अदा करें। इसके साथ ही अपीलार्थीगण को 5,000.00 रू0 वाद व्‍यय प्रदान करें।

अपील में उभय पक्ष अपना-अपना वाद व्‍यय स्‍वयं वहन करेंगे।

                        (न्‍यायमूर्ति अख्‍तर हुसैन खान)                

                                  अध्‍यक्ष                            

हरीश आशु.,

कोर्ट सं0-1

 

 
 
[HON'BLE MR. JUSTICE AKHTAR HUSAIN KHAN]
PRESIDENT

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