Uttar Pradesh

StateCommission

RA/2/2024

Smt. Kiran Sharma and another - Complainant(s)

Versus

M/s L.A. Infraventure Pvt. Ltd. - Opp.Party(s)

Piyush Mani Tripathi

14 Aug 2024

ORDER

STATE CONSUMER DISPUTES REDRESSAL COMMISSION, UP
C-1 Vikrant Khand 1 (Near Shaheed Path), Gomti Nagar Lucknow-226010
 
Review Application No. RA/2/2024
( Date of Filing : 16 Jan 2024 )
In
First Appeal No. A/138/2023
 
1. Smt. Kiran Sharma and another
W/o Sri Surya Prakash Sharma R/o 132/08 Civil Lines Bareilly
...........Appellant(s)
Versus
1. M/s L.A. Infraventure Pvt. Ltd.
Harish Aneja Group 98 Civil Lines Near A.D.M. Compound Through Director Sunil Kumar Tiwari S/o Sri Kailash Chandra Tiwari R/o 97 Basant Vihar Colony Dist. Bareilly
...........Respondent(s)
 
BEFORE: 
 HON'BLE MR. JUSTICE ASHOK KUMAR PRESIDENT
 HON'BLE MR. SUSHIL KUMAR JUDICIAL MEMBER
 
PRESENT:
 
Dated : 14 Aug 2024
Final Order / Judgement

(मौखिक)

राज्‍य उपभोक्‍ता विवाद प्रतितोष आयोग, उ0प्र0, लखनऊ

पुनर्विलोकन संख्‍या-02/2024

श्रीमती किरन शर्मा पत्‍नी श्री सूर्य प्रकाश शर्मा तथा एक अन्‍य

बनाम

मैसर्स एल.ए. इन्‍फ्रास्‍ट्रक्‍चर प्रा0लि0 तथा एक अन्‍य

समक्ष:-                                                  

1. माननीय न्‍यायमूर्ति श्री अशोक कुमार, अध्‍यक्ष

2. माननीय श्री सुशील कुमार, सदस्‍य।

पुनर्विलोकनकर्तागण की ओर से उपस्थित   : श्री पीयूष मणि त्रिपाठी।

विपक्षीगण की ओर से उपस्थित          : श्री अखिलेश त्रिवेदी।

दिनांक : 14.08.2024 

माननीय श्री सुशील कुमार, सदस्‍य द्वारा उदघोषित

निर्णय

1.        अपील संख्‍या-138/2023, मैसर्स एल.ए. इन्‍फ्राबेंचर्स प्रा0लि0 तथा एक अन्‍य बनाम श्रीमती किरन शर्मा तथा एक अन्‍य में पारित निर्णय/आदेश दिनांक 07.12.2023 को पुनर्विलोकित कराने के लिए प्रस्‍तुत किए गए पुनर्विलोकन आवेदन पर पुनर्विलोकनकर्ता के विद्वान अधिवक्‍ता श्री पीयूष मणि त्रिपाठी तथा विपक्षीगण के विद्वान अधिवक्‍ता श्री अखिलेश त्रिवेदी को सुना गया तथा प्रश्‍नगत निर्णय/आदेश एवं पत्रावली का अवलोकन किया गया।

2.        प्रस्‍तुत पुनर्विलोकन आवेदन में यह आधार लिया गया है कि विवादास्‍पद समझौते पर हस्‍ताक्षर परिवादिनी के मानते हुए अपील को स्‍वीकार किया गया है, जबकि यथार्थ में इस समझौते नामे पर परिवादिनी के हस्‍ताक्षर मौजूद नहीं हैं। बहस के दौरान यह कथन किया गया कि निर्णय के पृष्‍ठ संख्‍या-3 पर यह उल्‍लेख कर दिया गया है कि

 

-2-

परिवादिनी द्वारा समझौते नामे पर अपने हस्‍ताक्षर स्‍वीकार किए गए हैं और इसी को आधार मानते हुए अपील स्‍वीकार कर ली गई, जबकि यथार्थ में कभी भी परिवादिनी ने समझौते नामे पर अपने हस्‍ताक्षर स्‍वीकार नहीं किए हैं। बैंक द्वारा पुष्टित हस्‍ताक्षर पत्रावली में द‍ाखिल किए गए हैं, जो विवादित समझौते नामे के हस्‍ताक्षर से पूर्णत: भिन्‍न हैं। यह भी कथन किया गया कि विद्वान जिला आयोग के समक्ष विवादित हस्‍ताक्षरों से संबंधित दस्‍तावेज कभी भी प्रस्‍तुत नहीं किए गए। यह दस्‍तावेज फर्जी और बनावटी है, जिस पर विद्वान जिला आयोग ने विचार किया है और इससे प्रभावित होकर अपना निष्‍कर्ष पारित किया है, जबकि निर्णय के पृष्‍ठ संख्‍या-3 का उल्‍लेख सरासर त्रुटिपूर्ण है कि परिवादिनी द्वारा इस समझौते नामे पर अपने हस्‍ताक्षर स्‍वीकार किए गए हैं। चूंकि परिवादिनी द्वारा समझौते नामे पर अपने हस्‍ताक्षर स्‍वीकार नहीं किए गए हैं और निर्णय में इस कथन का उल्‍लेख कि परिवादिनी द्वारा समझौते नामे पर अपने हस्‍ताक्षर स्‍वीकार किए गए हैं, त्रुटिपूर्ण है। अत: यह त्रुटि पत्रावली पर मौजूद प्रथमदृष्‍टया श्रेणी की त्रुटि है, जिसे दुरूस्‍त किया जाना आवश्‍यक है और चूंकि परिवादिनी द्वारा समझौते नामे पर अपने हस्‍ताक्षर स्‍वीकार नहीं किए गए हैं। विशेषज्ञ रिपोर्ट प्रस्‍तुत कर साबित नहीं किया गया है। विद्वान जिला आयोग के समक्ष इन हस्‍ताक्षरों को साबित करने के लिए दस्‍तावेज प्रस्‍तुत नहीं किया गया है, इसलिए समझौते नामे पर परिवादिनी के हस्‍ताक्षर पर विचार करने का कोई औचित्‍य नहीं है।

3.        विपक्षीगण/अपीलार्थीगण के विद्वान अधिवक्‍ता द्वारा यह बहस  की  गई  है  कि विद्वान जिला आयोग के समक्ष कभी भी मूल

 

-3-

दस्‍तावेज, जिस पर परिवादिनी के हस्‍ताक्षर मौजूद हैं, की मांग नहीं की गई, इसलिए विद्वान जिला आयोग के समक्ष मूल दस्‍तावेज प्रस्‍तुत नहीं किया गया, परन्‍तु जैसा कि ऊपर निष्‍कर्ष दिया गया है कि पत्रावली पर हस्‍ताक्षर स्‍वीकृति के संबंध में निष्‍कर्ष पत्रावली पर उपलब्‍ध साक्ष्‍य के विपरीत है। अत: यह निष्‍कर्ष हर दृष्टि से अपास्‍त होने योग्‍य है।  तदनुसार विद्वान जिला आयोग द्वारा पारित निर्णय/आदेश में हस्‍तक्षेप करने का आधार नहीं है और अपील संख्‍या-138/2023 खारिज होने योग्‍य है। तदनुसार प्रस्‍तुत पुनर्विलोकन आवेदन स्‍वीकार होने योग्‍य है।

आदेश

4.        प्रस्‍तुत पुनर्विलोकन आवेदन स्‍वीकार किया जाता है। विद्वान जिला आयोग, प्रथम बरेली द्वारा परिवाद संख्‍या-181/2021 में पारित निर्णय/ओदश दिनांक 22.12.2022 के विरूद्ध प्रस्‍तुत की गई अपील संख्‍या-138/2023 खारिज की जाती है।

          आशुलिपिक से अपेक्षा की जाती है कि वह इस निर्णय को आयोग की वेबसाइट पर नियमानुसार यथाशीघ्र अपलोड कर दे।

 

 

(न्‍यायमूर्ति अशोक कुमार)                          (सुशील कुमार)

    अध्‍यक्ष                            सदस्‍य

 

 लक्ष्‍मन, आशु0,

    कोर्ट-1

 
 
[HON'BLE MR. JUSTICE ASHOK KUMAR]
PRESIDENT
 
 
[HON'BLE MR. SUSHIL KUMAR]
JUDICIAL MEMBER
 

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