Uttar Pradesh

StateCommission

A/1365/2019

The New India Assurance Co. Ltd - Complainant(s)

Versus

M/S Kanak Cement Int Uddyog - Opp.Party(s)

Neeraj Paliwal

10 Aug 2020

ORDER

STATE CONSUMER DISPUTES REDRESSAL COMMISSION, UP
C-1 Vikrant Khand 1 (Near Shaheed Path), Gomti Nagar Lucknow-226010
 
First Appeal No. A/1365/2019
( Date of Filing : 28 Nov 2019 )
(Arisen out of Order Dated 08/11/2019 in Case No. C/25/2017 of District Faizabad)
 
1. The New India Assurance Co. Ltd
To Prabandhak Vidhi Prakosth 94 M.G. Marg Lucknow
...........Appellant(s)
Versus
1. M/S Kanak Cement Int Uddyog
Darshan Nagar Distt. Faizabad Prop. Kanikaram Yadav S/O Sri Sitaram Yadav Niwasi Gram Kudha Keshavpur Mazare Pujari Ka Prwa Dershan nagar Par. Haweli Avadh Tehsil SAdar Distt. Faizabad
...........Respondent(s)
 
BEFORE: 
 HON'BLE MR. JUSTICE AKHTAR HUSAIN KHAN PRESIDENT
 HON'BLE MR. Vikas Saxena JUDICIAL MEMBER
 
For the Appellant:
For the Respondent:
Dated : 10 Aug 2020
Final Order / Judgement

सुरक्षित

 

राज्‍य उपभोक्‍ता विवाद प्रतितोष आयोग, उ0प्र0, लखनऊ।

अपील संख्‍या-1365/2019

(जिला मंच, अयोध्‍या द्वारा परिवाद संख्‍या-25/2017 में पारित प्रश्‍नगत निर्णय एवं आदेश दिनांक 08.11.2019 के विरूद्ध)

 

1. दि न्‍यू इण्डिया एश्‍योरेंस कम्‍पनी लि0 द्वारा प्रबंधक दि न्‍यू इण्डिया एश्‍योरेंस कम्‍पनी लि0 विधि प्रकोष्‍ट-94 एम0जी0 मार्ग लखनऊ।

2. दि न्‍यू इण्डिया एश्‍योरेंस कम्‍पनी लि0 द्वारा शाखा प्रबंधक दि न्‍यू इण्डिया एश्‍योरेंस कम्‍पनी लि0 159 मोहल्‍ला-रिकाबगंज पर0-हवेली, अवध तहसील व पो0-सदर जिला-फैजाबाद।

                                   अपीलार्थीगण/विपक्षीगण

 

बनाम

 

मेसर्स कनक सीमेंट ईट उद्योग, दर्शन नगर जनपद-फैजाबाद प्रो0 कनिकराम यादव पुत्र श्री सीताराम यादव निवासी ग्राम-कुढ़ा केशवपुर मजरे-पुजारी का पुरवा दर्शन नगर, पर0-हवेली अवध तहसील सदर जिला-फैजाबाद।

प्रत्‍यर्थी/परिवादी

 

समक्ष:-

1. माननीय न्‍यायमूर्ति श्री अख्‍तर हुसैन खान, अध्‍यक्ष।

2. माननीय श्री विकास सक्‍सेना, सदस्‍य।

 

अपीलार्थीगण की ओर से : श्री नीरज पालीवाल, विद्वान अधिवक्‍ता।

प्रत्‍यर्थी की ओर से      : श्री अनिल कुमार मिश्रा, विद्वान अधिवक्‍ता।

 

दिनांक : 26.08.2020

 

मा0 श्री विकास सक्‍सेना, सदस्‍य द्वारा उदघोषित

निर्णय

 

1. यह अपील, मूल परिवाद संख्‍या-25 सन् 2017 मेसर्स कनक सीमेंट ईंट उद्योग फैजाबाद बनाम न्‍यू इण्डिया इन्‍श्‍योरेंस कम्‍पनी लि0 में पारित निर्णय दिनांकित 08.11.2019 से व्‍यथित होकर परिवाद के विपक्षी दि न्‍यू इण्डिया एश्‍योरेंस कम्‍पनी लि0 की ओर से योजित की गयी है, जिसमें विद्वान जिला उपभोक्‍ता विवाद प्रतितोष फोरम, अयोध्‍या द्वारा परिवादी का परिवाद अंशत: स्‍वीकार करते हुए रूपये 6,00,000/- की धनराशि 09 प्रतिशत साधारण वार्षिक ब्‍याज एवं रूपये 3,000/- वाद व्‍यय एवं रूपये 5,000/- मानसिक क्षतिपूर्ति हेतु एवार्ड किया गया है।

2. परिवाद मेसर्स कनक सीमेन्‍ट एवं ईंट उद्योग फैजाबाद ने इन कथनों के साथ योजित किया है कि परिवादी फर्म का सीमेन्‍ट रखने का गोदाम ग्राम कुढ़ा केशवपुर, परगना हवेली अवध, तहसील सदर, जिला फैजाबद में स्थित है, जिसमें रखी हुई सीमेन्‍ट एवं अन्‍य सम्‍पत्ति का बीमा दिनांक 19.10.2012 की मध्‍य रात्रि से दिनांक 18.10.2013 तक के लिए विपक्षी बीमा कम्‍पनी से बीमित था। इस अवधि के दौरान दिनांक 06.07.2013 को अत्‍यधिक बारिश होने के कारण गोदाम में पानी भर गया और इसमें रखी हुई समस्‍त दो हजार बोरी सीमेन्‍ट मूल्‍य लगभग 6,22,000/- रूपये नष्‍ट हो गया, जिसका सर्वे होने एवं क्‍लेम फार्म आदि प्रस्‍तुत करने के बावजूद विपक्षी बीमा कम्‍पनी ने क्‍लेम नहीं दिया, जिस कारण यह परिवाद योजित किया गया।  

3. विपक्षी, बीमा कम्‍पनी ने अपने प्रतिवाद पत्र में मुख्‍य रूप से यह आपत्‍ति‍ की है कि परिवादी के पक्ष में बीमा अग्नि तथा बाढ़ से होने वाली हानि के संबंध में था तथा यह शर्त भी थी कि बीमित सम्‍पत्ति का रख-रखाव परिवादी द्वारा उचित प्रकार से किया जाएगा, किंतु परिवादी ने रख-रखाव ठीक प्रकार से नहीं किया। गोदाम में उचित प्रकार से प्‍लास्‍टर भी नहीं था, जिस कारण दीवार से पानी के रिसाव से हानि हुई न कि बाढ़ के कारण। पानी के रिसाव से बीमा कवर नहीं है। इस आधार पर बीमे का क्‍लेम निरस्‍त किया गया है। विपक्षी की ओर से यह तर्क भी दिया गया है कि परिवाद कालबाधित है, क्‍योंकि बीमा क्‍लेम को दिनांक 30.10.2013 को Repudiate किया गया है, किंतु दिनांक 10.05.2016 को यह परिवाद प्रस्‍तुत किया गया है। प्रत्‍यर्थी के द्वारा जिला फोरम के समक्ष इस संबंध में साक्ष्‍य प्रस्‍तुत नहीं किया गया है। कुल 2000 सीमेन्‍ट बोरियां नष्‍ट हो गई थीं। प्रत्‍यर्थी स्‍वयं 600 बोरी सीमेन्‍ट की क्षति की बात कहता है। परिवादी के द्वारा वैट रिटर्न दिनांकित 30.06.2013 में हाथ की राइटिंग से 2000 बोरी सीमेन्‍ट बेकार हो जाने का उल्‍लेख किया है,  जबकि पानी भरने की घटना दिनांक 06.07.2013 की बताई गई है, अत: यह संदेहपूर्ण है कि पानी भरने की घटना के पूर्व ही 2000 बोरी सीमेन्‍ट का नष्‍ट हो जाने का उल्‍लेख कर दिया गया है, इन आधारों पर यह अपील प्रस्‍तुत की गई है।

4. अपीलार्थी की ओर से निम्‍नलिखित विधि निर्णय प्रस्‍तुत किए गए हैं:-

1. न्‍यू इंडिया एश्‍यारेंस कंपनी लि0 बनाम श्री श्‍याम काट्सपिन लि0 2009 एन.सी.जी. पृष्‍ठ 335(एन.सी.)

2. न्‍यू इंडिया एश्‍योरेंस कंपनी लि0 बनाम यूनियन आफ इंडिया 2010(5) टैक्‍स मैन.......... पृष्‍ठ 51 उच्‍च न्‍यायालय दिल्‍ली

5. हमने अपीलकर्ता के विद्वान अधिवक्‍ता श्री नीरज पालीवाल एवं प्रत्‍यर्थी के विद्वान अधिवक्‍ता श्री अनिल कुमार मिश्रा की बहस को सुना तथा पत्रावली पर उपलब्‍घ समस्‍त सामग्री का अवलोकन किया।

6. प्रत्‍यर्थी/परिवादी ने बीमाशुदा 2000 बोरी सीमेन्‍ट की क्षति हो जाने के आधार पर रू0 6,22,000/- रूपये की क्षतिपूर्ति हेतु परिवाद योजित किया है, जिसमें प्रश्‍नगत निर्णय दिनांकित 08.11.2019 पारित करते हुए विद्वान जिला उपभोक्‍ता विवाद प्रतितोष फोरम, अयोध्‍या ने 2000 बोरी सीमेन्‍ट की कीमत 300/- रूपये प्रति बोरी के हिसाब से 6 लाख रूपये क्षतिपूर्ति 09 प्रतिशत साधारण वार्षिक ब्‍याज, 3000/- रूपये वाद व्‍यय एवं 5,000/- रूपये मानसिक क्षतिपूर्ति हेतु वाद आज्ञप्‍त किया है।

7. पत्रावली के अवलोकन से स्‍पष्‍ट होता है कि बीमित सीमेन्‍ट की क्षतिपूर्ति के आंकलन हेतु सर्वेयर इंजीनियर श्री अनिल कुमार पाण्‍डेय नियुक्‍त किये गये, जिनकी रिपोर्ट दिनांकित 25.07.2013 अभिलेख पर है, जिसके निष्‍कर्ष में 'समरी आफ लॉस' (Summary of Loss) में सर्वेयर महोदय ने 600 बोरी सीमेन्‍ट की क्षति रू0 250/- प्रति बोरी की दर से हानि का आंकलन किया है, जिसमें से अन्‍य कटौतियां करते हुए कुल क्षति 1,25,000/- रूपये का आंकलन किया है।

8. बीमाकर्ता की ओर से नियुक्‍त किये गये एक अन्‍य अन्‍वेषक, श्री नवीन कुमार सावंत की रिपोर्ट दिनांकित 06.09.2013 भी अभिलेख पर है। इस रिपार्ट के अवलोकन से भी स्‍पष्‍ट होता है कि अन्‍वेषक ने गोदाम में स्थित 2000 सीमेन्‍ट की बोरियों में से 600 बोरियों की क्षति हो जाने का निष्‍कर्ष दिया है। सर्वेयर की रिपोर्ट दिनांकित 25.07.2013 के पृष्‍ठ संख्‍या-3 पर सर्वेयर द्वारा अंकित किया गया है कि बीमित ने 600 बोरी सीमेन्‍ट की क्षति का क्‍लेम किया था। इसी प्रकार अन्‍वेषक की रिपोर्ट दिनांकित 06.09.2013 के पृष्‍ठ संख्‍या-4 पर यह अंकित है कि बीमित कम्‍पनी के मालिक के सूपरवाइजर पुत्र ने अन्‍वेषक को यही सूचित किया था कि गोदाम में उपलब्‍ध 2000 सीमेन्‍ट की बोरियों में से 600 बोरी सीमेन्‍ट विनष्‍ट हो गयी हैं एवं अन्‍वेषक ने भी 600 बोरी सीमेन्‍ट की क्षति का निष्‍कर्ष दिया है। इस प्रकार पत्रावली पर जो भी साक्ष्‍य उपलब्‍ध हैं, उससे 600 बोरियां सीमेन्‍ट की क्षति होने का निष्‍कर्ष ही हमारे समक्ष परि‍लक्षित होता है।

9. प्रश्‍नगत निर्णय के पृष्‍ठ संख्‍या-3 पर सर्वे रिपोर्ट को न मानने का यह कारण दिया गया है कि सर्वे रिपोर्ट में '' विपक्षी के सर्वेकर्ता ने यह नहीं लिखा है कि परिवादी के गोदाम में कितनी लेयर सीमेन्‍ट का स्‍टाक था और कितने लेयर तक की सीमेन्‍ट पानी से खराब हुई है। यह भी स्‍पष्‍ट नहीं किया है कि किस आधार पर 600 बोरी सीमेन्‍ट खराब होने की रिपोर्ट दिया है, क्‍योंकि परिवादी ने 2000 बोरी सीमेन्‍ट स्‍टाक में होने की बात कही और और सीमेन्‍ट पानी भरने के कारण खराब हुई है। इस प्रकार सर्वे रिपोर्ट से यह स्‍पष्‍ट नहीं है कि परिवादी की कितनी बोरी सीमेन्‍ट खराब हुई सिर्फ अनुमान के आधार पर सर्वेकर्ता ने 600 बोरी सीमेन्‍ट खराब होने की बात कही है। '' निर्णय के पृष्‍ठ संख्‍या-4 में विद्वान जिला फोरम ने यह कहा है कि परिवादी ने अपने कथन के समर्थन में सीमेन्‍ट क्रय करने की रसीदें दाखिल की हैं, इस आधार पर समस्‍त 2000 बोरी सीमेन्‍ट विनष्‍ट हो जाने का निर्णय दिया गया है, जबकि इसके विपरीत सर्वे रिपोर्ट दिनांकित 25.07.2013 एवं अन्‍वेषक रिपोर्ट दिनांकित 06.09.2013 दोनों में ही स्‍पष्‍ट रूप से 600 बोरी सीमेन्‍ट विनष्‍ट हो जाने का निष्‍कर्ष दिया गया है। उल्‍लेखनीय है कि दोनों रिपोर्टों से स्‍पष्‍ट है कि सर्वेयर एवं अन्‍वेषक ने कुल 600 बोरी सीमेन्‍ट की हानि होने का निष्‍कर्ष दिया है। विपक्षी एवं परिवादी के प्रतिनिधि के समक्ष बीमित गोदाम का निरीक्षण किया है। यदि 600 बोरियों से अधिक सीमेन्‍ट की क्षति हुई है तो विपक्षी परिवादी के पास पूरा अवसर था कि वह सर्वेयर तथा अन्‍वेषक को इस क्षति को प्रदर्शित कर सकते थे। यद्यपि परिवादी/प्रत्‍यर्थी ने कुल 2000 बोरी सीमेन्‍ट की क्षति हो जाने का दावा किया है तथा विद्वान जिला फोरम ने इस दावे को मानते हुए कुल 2000 बोरी सीमेन्‍ट की क्षतिपूर्ति प्रदान की है, किंतु सर्वेयर रिपोर्ट एवं अपीलकर्ता की ओर से नियुक्‍त किये गये अन्‍वेषक की रिपोर्ट दोनों रिपोर्टों में 600 बोरी सीमेन्‍ट के विनष्‍ट हो जाने का निष्‍कर्ष एवं साक्ष्‍य ही सामने आया, जिसके विपरीत कोई अन्‍य साक्ष्‍य परिवादी/प्रत्‍यर्थी ने अभिलेख पर नहीं दिया है। सर्वेयर आख्‍या में गोदाम में पानी के भराव व क्षतिग्रस्‍त सीमेन्‍ट का पूरा विवरण दिया गया है। सर्वेयर आख्‍या पर विश्‍वास न करने का कोई उचित एवं युक्तिसंगत आधार नहीं है।

10. इस संबंध में माननीय सर्वोच्‍च न्‍यायालय द्वारा सिविल अपील संख्‍या-2339/1992 यूनाइटेड इण्डिया इंश्‍योरेंस कम्‍पनी प्रति मेसर्स रोशन लाल आयल मिल्‍स में पारित निर्णय दिनांकित 27.07.1999, यहां पर उद्धरणीय है। इस निर्णय में बीमा क्‍लेम के एक मामलें में धारा        64-UM(2) बीमा अधिनियम 1968 के अन्‍तर्गत सर्वेयर की नियुक्ति की गयी, जिन्‍होंने निरीक्षण करके यह निष्‍कर्ष दिया कि बीमित को कोई भी हानि नहीं हुई थी, किंतु माननीय राष्‍ट्रीय उपभोक्‍ता विवाद प्रतितोष आयोग द्वारा इसके विपरीत बीमित को हानि के आधार पर क्षतिपूर्ति प्रदान की। माननीय सर्वोच्‍च न्‍यायालय द्वारा उपरोक्‍त निर्णय में यह निर्णीत किया गया है कि माननीय राष्‍ट्रीय आयोग द्वारा सर्वेयर की रिपोर्ट को नजरंदाज करने का कोई समुचित आधार नहीं है। इस आधार पर माननीय सर्वोच्‍च न्‍यायालय द्वारा एवार्ड एवं निर्णय को अपास्‍त किया गया।

11. इस संबंध में माननीय सर्वोच्‍च न्‍यायालय द्वारा पारित एक अन्‍य निर्णय श्री वेकेंटेश्‍वर सिण्‍डीकेट प्रति ओरियण्‍टल इंश्‍योरेंस कंपनी लिमिटेड तथा अन्‍य 2010 (1) ALJ 698 भी उल्‍लेखनीय है, जिसके प्रस्‍तर 23 की अंतिम पंक्तियों में माननीय सर्वोच्‍च न्‍यायालय द्वारा यह मत व्‍यक्‍त किया गया है कि बीमाकर्ता के पास यह विकल्‍प रहता है कि वह सर्वेयर की रिपोर्ट को स्‍वीकार करे अथवा न स्‍वीकार करे, किंतु यदि रिपोर्ट को मनमाने ढंग से और बिना किसी युक्तियुक्‍त कारण के अस्‍वीकार किया जाता है तो न्‍यायालय तथा अन्‍य फोरम हस्‍तक्षेप कर सकती है और यदि रिपोर्ट सद्भावी (Bona-fide) दी गयी है और कोई प्रत्‍यक्ष गलती सर्वे रिपोर्ट में नहीं है तो बीमा कम्‍पनी से यह अपेक्षित नहीं है कि वह बिना किसी कारण के रिपोर्ट को अस्‍वीकार करे। सर्वेयर आख्‍या को देखते हुए बीमा कम्‍पनी द्वारा प्रत्‍यर्थी/परिवादी का बीमा दावा (Repudiate) किया जाना उचित नहीं है।

12. जिला फोरम ने सर्वेयर की रिपोर्ट में आंकलित क्षतिपूर्ति को नजरंदाज करने का कोई समुचित कारण नहीं दिया है और ऐसे किसी साक्ष्‍य का भी उल्‍लेख नहीं किया है, जिससे यह साबित हो कि गोदाम में उपलभग समस्‍त 2000 बोरी सीमेन्‍ट गोदाम में जलभराव के कारण विनष्‍ट हो गयी थीं, जबकि दूसरी ओर सर्वेयर और अन्‍वेषक दोनों के द्वारा गोदाम में उपलब्‍ध 600 बोरी सीमेन्‍ट के विनष्‍ट हो जाने का निष्‍कर्ष दिया है। दोनों रिपोर्टों में इस तथ्‍य का उल्‍लेख है कि बीमित की ओर से 600 बोरी सीमेन्‍ट विनष्‍ट हो जाने की दावेदारी की गयी है और बीमित व्‍यक्ति के प्रतिनिधि ने गोदाम के निरीक्षण के समय 600 बोरियों के विनष्‍ट हो जाने का तथ्‍य ही निरीक्षणकर्ता को दर्शाया था। ऐसी दशा में हम इस निष्‍कर्ष पर पहुंचते हैं कि पत्रावली पर उपलब्‍ध साक्ष्‍यों के आधार पर बीमित 600 सीमेन्‍ट की बोरियों के स्‍टॉक का विन्‍ष्‍ट हो जाने के आधार पर प्रत्‍यर्थी/परिवादी को क्षतिपूर्ति के रूप में धनराशि दिलाया जाना उचित प्रतीत होता है। इस प्रकार प्रत्‍यर्थी/परिवादी, अपीलार्थी/विपक्षी से रू0 300/- प्रति बोरी के हिसाब से 600 बोरी की कीमत कुल 1,80,000/- रूपये अपीलार्थी/विपक्षी से प्राप्‍त करने के अधिकारी हैं। इस धनराशि पर परिवाद प्रस्‍तुत करने की तिथि से वास्‍तविक भुगतान की तिथि तक 9 प्रतिशत वार्षिक की दर से ब्‍याज दिलाया जाना उचित है। इस प्रकार अपील अंशत: स्‍वीकार किये जाने योग्‍य है।

आदेश

 

13. प्रस्‍तुत अपील अंशत: स्‍वीकार की जाती है। प्रश्‍नगत निर्णय एवं आदेश को संशोधित करते हुए आदेशित किया जाता है कि परिवादी उत्‍तरदाता अपीलार्थी/विपक्षी से 600 बोरी सीमेन्‍ट की कीमत रू0 300/- प्रति बोरी के हिसाब से मु0 1,80,000/- रूपये प्राप्‍त करने के अधिकारी हैं।

14. अपीलार्थी/विपक्षी उपरोक्‍त धनराशि वास्‍तविक अदायगी तक 09 प्रतिशत वार्षिक की दर से साधारण ब्‍याज भी प्रत्‍यर्थी/परिवादी को अदा करेगा। इसके अतिरिक्‍त अपीलार्थी/विपक्षी जिला फोरम द्वारा आदेशित वाद व्‍यय की धनराशि रू0 3000/- मानसिक कष्‍ट हेतु क्षतिपूर्ति की धनराशि रू0 5000/- भी प्रत्‍यर्थी/परिवादी को अदा करेगा।

15. अपील में उभय पक्ष अपना-अपना व्‍यय स्‍वंय वहन करेंगे।

16. अपील में धारा 15 उपभोक्‍ता संरक्षण अधिनियम 1986 के अंतर्गत जमा धनराशि अर्जित ब्‍याज के साथ जिला फोरम को इस निर्णय के अनुसार निस्‍तारण हेतु प्रेषित की जाए। इसके अतिरिक्‍त यदि कोई धनराशि जमा की गयी है तो वह अदायगी में समायोजित की जाए तथा शेष धनराशि जमाकर्ता को वापस की जाए।

17. उभय पक्ष को इस निर्णय एवं आदेश की सत्‍यप्रतिलिपि नियमानुसार उपलब्‍ध करा दी जाये।

                   

 

 

 

(न्‍यायमूर्ति अख्‍तर हुसैन खान)              (विकास सक्‍सेना)

               अध्‍यक्ष                             सदस्‍य

 

 

 

 लक्ष्‍मन, आशु0,

    कोर्ट-1 

 
 
[HON'BLE MR. JUSTICE AKHTAR HUSAIN KHAN]
PRESIDENT
 
 
[HON'BLE MR. Vikas Saxena]
JUDICIAL MEMBER
 

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