Uttar Pradesh

StateCommission

A/466/2018

N I A Co.Ltd - Complainant(s)

Versus

M/S Kanak Cement Ent Udyog - Opp.Party(s)

Neeraj Paliwal

25 Feb 2019

ORDER

STATE CONSUMER DISPUTES REDRESSAL COMMISSION, UP
C-1 Vikrant Khand 1 (Near Shaheed Path), Gomti Nagar Lucknow-226010
 
First Appeal No. A/466/2018
( Date of Filing : 13 Mar 2018 )
(Arisen out of Order Dated 12/01/2018 in Case No. C/25/2017 of District Faizabad)
 
1. N I A Co.Ltd
To Prashashnik Adhikari Vividh Prakosth 94 Mahtma Ganghi Marg Lucknow
...........Appellant(s)
Versus
1. M/S Kanak Cement Ent Udyog
Darshan Nagar Distt. Faizabad Prop. Kanak Ram Yadav S/O Sri Sitaram Yadav Niwasi Gram Kudha Keshpur Majare Pujari Ka Purawa Dasharnagar Pargana Haveli Avadh Tahsil Sadar Distt. Faizabad
...........Respondent(s)
 
BEFORE: 
 HON'BLE MR. JUSTICE AKHTAR HUSAIN KHAN PRESIDENT
 
For the Appellant:
For the Respondent:
Dated : 25 Feb 2019
Final Order / Judgement

राज्‍य उपभोक्‍ता विवाद प्रतितोष आयोग, उ0प्र0, लखनऊ

अपील सं0- 466/2018

                                   (सुरक्षित)

(जिला उपभोक्‍ता विवाद प्रतितोष फोरम, फैजाबाद द्वारा परिवाद सं0- 25/2017 में पारित आदेश दि0 12.01.2018 के विरूद्ध)

  1. दि न्‍यू इंडिया एश्‍योरेंस कम्‍पनी लि0, द्वारा प्रशासनिक अधिकारी, विधि प्रकोष्‍ठ, दि न्‍यू इंडिया एश्‍योरेंस कम्‍पनी लिमिटेड, 94, महात्‍मा गांधी मार्ग, लखनऊ।
  2. दि न्‍यू इंडिया एश्‍योरेंस कम्‍पनी लिमिटेड द्वारा शाखा प्रबंधक, दि न्‍यू इंडिया एश्‍योरेंस कम्‍पनी लि0, 159, मोहल्‍ला रिकाबगंज, परगना-हवेली अव‍ध, तहसील व पोस्‍ट-सदर, जिला फैजाबाद। 

                                              ........अपीलार्थीगण

                      बनाम

मैसर्स कनक सीमेन्‍ट ईंट उद्योग दर्शन नगर, जनपद-फैजाबाद, प्रोपराइटर कनक राम यादव पुत्र श्री सीताराम यादव, निवासी ग्राम- कुढा, केशपुर, मजरे-पुजारी का पुरवा, दर्शनगर, परगना-हवेली अवध, तहसील सदर, जिला- फैजाबाद।  

                                              ........... प्रत्‍यर्थी

समक्ष:-                       

माननीय न्‍यायमूर्ति श्री अख्‍तर हुसैन खान, अध्‍यक्ष   

अपीलार्थीगण की ओर से उपस्थित        : श्री नीरज पालीवाल,

                                      विद्वान अधिवक्‍ता।

प्रत्‍यर्थी की ओर से उपस्थित            : श्री अनिल कुमार मिश्रा,

                                   विद्वान अधिवक्‍ता।

दिनांक:- 25.03.2019

माननीय न्‍यायमूर्ति श्री अख्‍तर हुसैन खान, अध्‍यक्ष  द्वारा उद्घोषित

                                                 

निर्णय

          परिवाद सं0- 25/2017 मेसर्स कनक सीमेंट ईंट उद्योग बनाम न्‍यू इंडिया इंश्‍योरेंस कं0लि0 में जिला फोरम, फैजाबाद द्वारा पारित निर्णय और आदेश दि0 12.01.2018 के विरूद्ध यह अपील धारा 15 उपभोक्‍ता संरक्षण अधिनियम के अंतर्गत राज्‍य आयोग के समक्ष प्रस्‍तुत की गई है।

          आक्षेपित निर्णय और आदेश के द्वारा जिला फोरम ने परिवाद अंशत: स्‍वीकार करते हुए निम्‍न आदेश पारित किया है:-

          ‘’परिवादी का परिवाद विपक्षी के विरुद्ध अंशत: खारिज किया जाता है। परिवादी विपक्षी से दो हजार प्रिज्‍म सीमेन्‍ट बोरी की कीमत 300/-रूपये प्रति बोरी के हिसाब से 6,00,000/- रूपये प्राप्‍त करने का अधिकारी है। विपक्षी परिवादी को निर्णय एवं आदेश की तिथि से 02 माह में उक्‍त धनराशि अदा करे। यदि विपक्षी परिवादी को उक्‍त धनराशि उक्‍त दिये गये समय में अदा नहीं करता है तो 09 प्रतिशत साधारण ब्‍याज परिवाद दायर करने की तिथि से तारोज वसूली परिवादी विपक्षी से पाने का अधिकारी होगा। इसके अतिरिक्‍त 3000/- रूपये वाद व्‍यय व 5000/- रूपये मानसिक क्षतिपूर्ति भी विपक्षी परिवादी को अदा करे।‘’

          जिला फोरम के निर्णय और आदेश से क्षुब्‍ध होकर परिवाद के विपक्षी न्‍यू इंडिया इंश्‍योरेंस कं0लि0 ने यह अपील प्रस्‍तुत की है।        अपील की सुनवाई के समय अपीलार्थीगण की ओर से विद्वान अधिवक्‍ता श्री नीरज पालीवाल और प्रत्‍यर्थी की ओर से विद्वान अधिवक्‍ता श्री अनिल कुमार मिश्रा उपस्थित आये हैं।

          मैंने उभयपक्ष के विद्वान अधिवक्‍तागण के तर्क को सुना है और आक्षेपित निर्णय और आदेश तथा पत्रावली का अवलोकन किया है।

                

          अपील के निर्णय हेतु संक्षिप्‍त सुसंगत तथ्‍य इस प्रकार हैं कि प्रत्‍यर्थी/परिवादी ने उपरोक्‍त परिवाद जिला फोरम के समक्ष अपीलार्थी/विपक्षी के विरुद्ध इस कथन के साथ प्रस्‍तुत किया है कि वह परिवादी फर्म कनक सीमेंट ईंट उद्योग दर्शन नगर फैजाबाद का प्रोपराइटर है और यह उद्योग उसकी जीविका का एक मात्र साधन है। उसकी जीविकोपार्जन का कोई और साधन नहीं है। परिवाद पत्र के अनुसार प्रत्‍यर्थी/परिवादी का कथन है कि परिवादी फर्म का गोदाम ग्राम कूढा केशवपुर, परगना हवेली अवध तहसील सदर, जिला फैजाबाद में स्थित है और उसके इस गोदाम में रखी सीमेंट अपीलार्थी/विपक्षी न्‍यू इंडिया इंश्‍योरेंस कं0लि0 द्वारा बीमित थी। गोदाम में कुल दो हजार बोरी प्रिज्‍म सीमेंट का स्‍टाक था जो दि0 18.01.2013 से दि0 28.05.2013 के बीच खरीदा गया था जो बीमा कम्‍पनी की पालिसी सं0- 42170111120100000386 जो दि0 19.10.2012 से दि0 18.10.2013 तक थी से बीमित था।

          परिवाद पत्र के अनुसार प्रत्‍यर्थी/परिवादी का कथन है कि दि0 06.07.2013 को अत्‍यधिक बारिश होने के कारण परिवादी फर्म के उपरोक्‍त गोदाम में पानी भर गया, जिससे गोदाम में रखी दो हजार बोरी सीमेंट जिसका मूल्‍य 6,22,000/-रू0 था नष्‍ट हो गया, जिसकी तुरंत सूचना विपक्षी/बीमा कम्‍पनी को दी गई तब अपीलार्थी/विपक्षी बीमा कम्‍पनी ने सर्वे कराया और प्रत्‍यर्थी/परिवादी ने क्‍लेम फार्म भरा। तदोपरांत अपीलार्थी/विपक्षी बीमा कम्‍पनी के कर्मचारीगण प्रत्‍यर्थी/परिवादी को जांच कर कार्यवाही का भरोसा बराबर दिलाते रहे तथा उसे आश्‍वासन दिया कि क्‍लेम स्‍वीकृति के पश्‍चात क्‍लेम धनराशि उसके यूनियन बैंक आफ इंडिया शाखा अयोध्‍या, जनपद फैजाबाद के कैश क्रेडिट एकाउंट में आर0टी0जी0एस0 के माध्‍यम से स्‍थानांतरित कर दी जायेगी।

          परिवाद पत्र के अनुसार प्रत्‍यर्थी/परिवादी का कथन है कि काफी समय बीतने पर वित्‍त पोषित बैंक यूनियन बैंक आफ इंडिया द्वारा अपनी वित्‍त पोषित धनराशि के लिए प्रत्‍यर्थी/परिवादी पर दबाव बनाया जाना शुरू किया गया और ब्‍याज सहित देय धनराशि लगभग 10,00,000/-रू0 बतायी गयी, परन्‍तु  अपीलार्थी/बीमा कम्‍पनी ने प्रत्‍यर्थी/परिवादी के बीमा दावे का निस्‍तारण नहीं किया और अंत में दि0 13.04.2016 को क्‍लेम स्‍वीकार करने से इनकार कर दिया। तब विवश होकर प्रत्‍यर्थी/परिवादी ने परिवाद जिला फोरम के समक्ष प्रस्‍तुत किया है।

          अपीलार्थी/विपक्षी ने जिला फोरम के समक्ष लिखित कथन प्रस्‍तुत कर परिवाद का विरोध किया है और कहा है कि प्रत्‍यर्थी/परिवादी ने अपने गोदाम की सुरक्षा हेतु पर्याप्‍त उपाय नहीं किये हैं और गोदाम में प्‍लास्‍टर नहीं कराया है। अत: वाटर सीपेज के कारण कथित क्षति हुई है जो बीमा पालिसी से कवर नहीं है। अपीलार्थी/विपक्षी बीमा कम्‍पनी ने लिखित कथन में यह भी कहा है कि प्रत्‍यर्थी/परिवादी का बीमा दावा रिपूडिएट कर अपीलार्थी/विपक्षी बीमा कम्‍पनी ने उसे दि0 30.10.2013 को सूचना भेजी है। परिवाद काल बाधित है।  

          जिला फोरम ने उपलब्‍ध साक्ष्‍यों के आधार पर यह निष्‍कर्ष निकाला है कि प्रत्‍यर्थी/परिवादी के गोदाम में रखी दो हजार बोरी सीमेंट पानी के रिसाव से क्षतिग्रस्‍त हुई है। अत: प्रत्‍यर्थी/परिवादी 300/-रू0 प्रति बोरी की दर से दो हजार बोरी सीमेंट का मूल्‍य 6,00,000/-रू0 अपीलार्थी/बीमा कम्‍पनी से प्राप्‍त करने का अधिकारी है। अत: जिला फोरम ने परिवाद आंशिक रूप से स्‍वीकार करते हुए आदेश उपरोक्‍त प्रकार से पारित किया है।

          जिला फोरम ने अपीलार्थी/विपक्षी द्वारा परिवाद काल बाधित होने के सम्‍बन्‍ध में लिखित कथन में किये गये कथन पर विचार नहीं किया है और कोई निष्‍कर्ष अंकित नहीं किया है।  

          अपीलार्थी के विद्वान अधिवक्‍ता का तर्क है कि जिला फोरम का निर्णय और आदेश साक्ष्‍य एवं विधि के विरुद्ध है। प्रत्‍यर्थी/परिवादी का बीमा दावा अपीलार्थी/विपक्षी बीमा कम्‍पनी ने रिपूडिएट कर उसे पत्र दि0 30.10.2013 के द्वारा सूचित किया है, परन्‍तु उसने परिवाद वर्ष 2017 में निर्धारित समय-सीमा के बाद और वास्‍तविकता को छिपाते हुए गलत कथन के साथ प्रस्‍तुत किया है। परिवादी द्वारा प्रस्‍तुत परिवाद कालबाधित है और जिला फोरम ने धारा 24A उपभोक्‍ता संरक्षण अधिनियम के अंतर्गत विलम्‍ब क्षमा का कोई आदेश पारित नहीं किया है।

          अपीलार्थी के विद्वान अधिवक्‍ता का यह भी तर्क है कि प्रत्‍यर्थी/परिवादी के गोदाम में रखी सीमेंट की कथित क्षति वाटर सीपेज के कारण हुई है जो बीमा पालिसी से कवर नहीं होती है।

          प्रत्‍यर्थी/परिवादी के विद्वान अधिवक्‍ता का तर्क है कि जिला फोरम द्वारा पारित निर्णय और आदेश साक्ष्‍य एवं विधि के अनुकूल है। प्रत्‍यर्थी/परिवादी के विद्वान अधिवक्‍ता का तर्क है कि प्रत्‍यर्थी/परिवादी के गोदाम में पानी भरने से क्षति हुई है जो पालिसी से पूर्णत: कवर है। प्रत्‍यर्थी/परिवादी के विद्वान अधिवक्‍ता का तर्क है कि परिवाद के साथ विलम्‍ब माफी प्रार्थना पत्र प्रस्‍तुत किया गया है और विलम्‍ब माफी प्रार्थना पत्र पर विचार करने के उपरांत जिला फोरम ने परिवाद ग्रहण किया है। अत: परिवाद को कालबाधित कहना उचित नहीं है।

          मैंने उभयपक्ष के तर्क पर विचार किया है।

          अपीलार्थी/बीमा कम्‍पनी ने जिला फोरम के समक्ष अपने लिखित कथन में स्‍पष्‍ट रूप से कथन किया है कि प्रत्‍यर्थी/परिवादी द्वारा प्रस्‍तुत परिवाद कालबाधित है, क्‍योंकि उसके बीमा दावा के रिपूडिएशन की सूचना उसे दि0 30.10.2013 को प्रेषित की गई है। अपीलार्थी के विद्वान अधिवक्‍ता ने प्रत्‍यर्थी/परिवादी का बीमा दावा के रिपूडिएट किये जाने का पत्र दि0 30.10.2013 अपील की पत्रावली में प्रस्‍तुत किया है और बहस के समय दिखाया है।

          जिला फोरम ने अपने आक्षेपित निर्णय में अपीलार्थी/विपक्षी बीमा कम्‍पनी द्वारा परिवाद कालबाधित होने के सम्‍बन्‍ध में लिखित कथन में किये गये कथन का उल्‍लेख नहीं किया है और न ही इस सम्‍बन्‍ध में विचार कर कोई निष्‍कर्ष अंकित किया है।

          प्रत्‍यर्थी/परिवादी के विद्वान अधिवक्‍ता का तर्क है कि अपीलार्थी/परिवादी ने परिवाद प्रस्‍तुत करने में विलम्‍ब की माफी हेतु प्रार्थना पत्र परिवाद के साथ जिला फोरम के समक्ष प्रस्‍तुत किया था और उस पर विचार करने के उपरांत जिला फोरम ने आदेश दि0 07.12.2016 के द्वारा परिवाद ग्रहण किया है और अपीलार्थी/विपक्षी बीमा कम्‍पनी को नोटिस जारी की है। अत: यह माना जायेगा कि जिला फोरम ने परिवाद प्रस्‍तुत करने में हुआ विलम्‍ब क्षमा किया है।

          प्रत्‍यर्थी/परिवादी की ओर से जिला फोरम के समक्ष परिवाद के साथ विलम्‍ब माफी हेतु प्रस्‍तुत प्रार्थना पत्र की प्रमाणित प्रतिलिपि प्रस्‍तुत की गई है जिसमें कहा गया है कि प्रत्‍यर्थी/परिवादी के गोदाम में रखी दो हजार बोरी सीमेंट दि0 06.07.2013 को क्षतिग्रस्‍त होने के पश्‍चात क्‍लेम आवेदन 6,22,000/-रू0 का तुरंत विपक्षी को सूचना देने के बाद दिया था। विपक्षी ने सर्वे कराया, जांच हेतु ऑफिस से कार्यवाही का भरोसा बराबर दिलाता रहा, परन्‍तु स्‍वीकृत नहीं किया और अंत में दि0 13.04.2016 को इंकार कर दिया तथा अदालत के बाहर बाहमी तसकिया करने से इंकार कर दिया तब वकील साहब से राय लेकर परिवाद प्रत्‍यर्थी/परिवादी ने प्रस्‍तुत किया है। परिवाद पत्र और विलम्‍ब माफी हेतु प्रस्‍तुत प्रार्थना पत्र में परिवाद प्रस्‍तुत करने हेतु वाद हेतुक दि0 13.04.2016 को तब उत्‍पन्‍न होना कहा गया है जब बीमा कम्‍पनी ने प्रत्‍यर्थी/परिवादी का क्‍लेम देने से कथित रूप से इंकार किया है। परिवाद पत्र अथवा उपरोक्‍त विलम्‍ब माफी प्रार्थना पत्र में अपीलार्थी/बीमा कम्‍पनी द्वारा प्रत्‍यर्थी/परिवादी का बीमा दावा रिपूडिएट किये जाने और पत्र दि0 13.10.2013 से इसकी सूचना प्रत्‍यर्थी/परिवादी को दिये जाने का कोई उल्‍लेख नहीं है। इसके साथ ही उल्‍लेखनीय है कि प्रत्‍यर्थी/परिवादी द्वारा जो विलम्‍ब माफी प्रार्थना पत्र प्रस्‍तुत किया गया है, उस पर अपीलार्थी/बीमा कम्‍पनी को नोटिस जारी नहीं की गई है और न ही उस पर कोई आदेश पारित किया गया है। जिला फोरम ने परिवाद पंजीकृत करने का आदेश दि0 07.12.2016 को पारित किया है, परन्‍तु इस आदेश दि0 07.12.2016 में जिला फोरम ने न तो विलम्‍ब माफी प्रार्थना पत्र का उल्‍लेख किया है, न ही विलम्‍ब माफी हेतु कोई कारण लिपिबद्ध किया है और न ही विलम्‍ब माफी प्रार्थना पत्र का इस आदेश से निस्‍तारण किया है।

          धारा 24A उपभोक्‍ता संरक्षण अधिनियम 1986 इस स्‍तर पर उदृत किया जाना संगत प्रतीत होता है जो निम्‍न है:-

          24-क. परिसीमा अवधि.-(1) जिला फोरम, राज्‍य आयोग या राष्‍ट्रीय आयोग किसी परिवाद को ग्रहण नहीं करेगा जब तक कि वह वादकरण उत्‍पन्‍न होने के दिनांक से दो वर्ष, की अवधि में प्रस्‍तुत नहीं किया जाता है।

          (2) उपधारा (1) में किसी बात के वर्णित होते हुए भी उपधारा (1) में वर्णित अवधि से परे भी परिवाद ग्रहण किया जा सकता है यदि परिवादी जिला फोरम, राज्‍य आयोग या राष्‍ट्रीय आयोग जैसी भी स्थिति हो, को संतुष्‍ट कर देता है कि उसके पास उस अवधि के अन्‍तर्गत परिवाद प्रस्‍तुत न करने का समुचित कारण था :

          परन्‍तु ऐसा कोई परिवाद ग्रहण नहीं किया जायेगा जब तक कि जिला फोरम, राज्‍य आयोग या राष्‍ट्रीय आयोग जैसी भी स्थिति हो, विलम्‍ब क्षमा किये जाने के कारणों को अभिलिखित न करे।

          धारा 24A उपभोक्‍ता संरक्षण अधिनियम के उपरोक्‍त प्राविधान से स्‍पष्‍ट है कि परिवाद प्रस्‍तुत करने में हुए विलम्‍ब को परिवाद ग्रहण करने के पूर्व क्षमा किया जाना और विलम्‍ब क्षमा करने का कारण अभिलिखित किया जाना आवश्‍यक है, परन्‍तु उपरोक्‍त विवरण से स्‍पष्‍ट है कि जिला फोरम ने अपीलार्थी/परिवादी द्वारा प्रस्‍तुत प्रार्थना पत्र का निस्‍तारण नहीं किया है और न ही उस पर कोई आदेश पारित किया है। इतना ही नहीं जिला फोरम ने परिवाद में मियाद बाधा के सम्‍बन्‍ध में अपीलार्थी/बीमा कम्‍पनी द्वारा लिखित कथन में उठायी गई आपत्ति पर भी विचार नहीं किया है और न निष्‍कर्ष अंकित किया है। अत: जिला फोरम का आक्षेपित निर्णय और आदेश धारा 24क उपभोक्‍ता संरक्षण अधिनियम के प्राविधान के विरुद्ध है। अत: उचित प्रतीत होता है कि जिला फोरम द्वारा पारित आक्षेपित निर्णय और आदेश अपास्‍त कर पत्रावली जिला फोरम को इस निर्देश के साथ प्रत्‍यावर्तित की जाए कि जिला फोरम प्रत्‍यर्थी/परिवादी द्वारा प्रस्‍तुत विलम्‍ब माफी प्रार्थना पत्र एवं अपीलार्थी/बीमा कम्‍पनी द्वारा लिखित कथन में परिवाद काल बाधित होने के सम्‍बन्‍ध में किये गये कथन पर विचार कर उभयपक्ष को साक्ष्‍य और सुनवाई का अवसर देकर पुन: विधि के अनुसार आदेश पारित करे और तदनुसार परिवाद की अग्रिम कार्यवाही विधि के अनुसार सम्‍पादित करे।

          उपरोक्‍त विवेचना एवं ऊपर निकाले गये निष्‍कर्ष के आधार पर अपील स्‍वीकार की जाती है और जिला फोरम द्वारा पारित आक्षेपित निर्णय और आदेश अपास्‍त करते हुए पत्रावली जिला फोरम को इस निर्देश के साथ प्रत्‍यावर्तित की जाती है कि जिला फोरम प्रत्‍यर्थी/परिवादी द्वारा परिवाद प्रस्‍तुत करने में हुए विलम्‍ब की माफी हेतु प्रस्‍तुत प्रार्थना पत्र का निस्‍तारण उभयपक्ष को साक्ष्‍य और सुनवाई का अवसर देकर लिखित कथन में अपीलार्थी/विपक्षी द्वारा परिवाद कालबाधि‍त होने के सम्‍बन्‍ध में किये गये कथन पर विचार करते हुए करे और यदि जिला फोरम द्वारा परिवाद प्रस्‍तुत करने में हुआ विलम्‍ब क्षमा किया जाता है तो विधि के अनुसार परिवाद की अग्रिम कार्यवाही सुनिश्चित कर पुन: परिवाद में विधि के अनुसार नि‍र्णय पारित करे।

          अपील में उभयपक्ष अपना-अपना वाद व्‍यय स्‍वयं वहन करेंगे।

          धारा 15 उपभोक्‍ता संरक्षण अधिनियम के अंतर्गत अपील में जमा धनराशि अर्जित ब्‍याज सहित अपीलार्थी को वापस की जायेगी।

          उभयपक्ष जिला फोरम के समक्ष दि0 29.04.2019 को उपस्थित होंगे।            

                                                                       

               (न्‍यायमूर्ति अख्‍तर हुसैन खान)                                               

                                     अध्‍यक्ष                                   

शेर सिंह आशु0,

कोर्ट नं0-1

 

 

 

 

 

 

 

 

 

 

 

 

 

 

 

 

 

 

 

 

 

 

 

 

 

 

 

 

 

 

 

 

 

 

 

 

 

 

 

 
 
[HON'BLE MR. JUSTICE AKHTAR HUSAIN KHAN]
PRESIDENT

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