Rajasthan

Kota

CC/249/2008

Nandkishor lakshkar - Complainant(s)

Versus

M/S Kamal Auto Finance ltd. - Opp.Party(s)

Manglesh tripathi

10 Feb 2016

ORDER

जिला उपभोक्ता विवाद प्रतितोश मंच, झालावाड,केम्प कोटा (राज)।
पीठासीन अधिकारी:-श्री नन्दलाल षर्मा,अध्यक्ष व श्री महावीर तंवर सदस्य।

प्रकरण संख्या-249/2008
    
नन्द किषोर लक्षकार पुत्र श्री भैरू लाल जाति परिहार निवासी-इटावा,तहसील पीपल्दा कोटा (राज0)।
                                                                -परिवादी।
                  बनाम  

1    मे0 कमल आॅटो फाईनेन्स लि0
झालावाड रोड, कोटा (राज0)।
2    निमेष षर्मा पु़त्र श्री घनष्याम षर्मा
एजेण्ट कमल आॅटो फाईनेन्स लि0, निवासी-इटावा,तहसील पीपल्दा कोटा (राज0)।
3    मे0 सोनी मोटर्स, खातौली रोड, इटावा जिला कोटा (राज0) जर्ये प्रबन्धक।

                                                               -विपक्षीगण।
     परिवाद अन्तर्गत धारा 12 उपभोक्ता संरक्षण अधिनियम 1986

उपस्थिति-

1    श्री मंगलेष त्रिपाठी,अधिवक्ता ओर से परिवादी।
2    श्री दीपक बबलानी,अधिवक्ता विपक्षी-1 की ओर से।
3    श्री राकेष श्रृंगी,अधिवक्ता विपक्षी-2 की ओर से।
4    श्री मुकुट बिहारी पारेता,अधिवक्ता विपक्षी-3 की ओर से।
                 
                     निर्णय                     दिनांक 10.02.2016    

यह पत्रावली जिला उपभोक्ता विवाद प्रतितोश मंच, कोटा में पेष की गई तथा निस्तारण हेतु जिला मंच झालावाड केम्प कोटा को प्राप्त हुई है।

      प्रस्तुत परिवाद ब्वदेनउमत च्तवजमबजपवद ।बज 1986 की धारा 12 के तहत दिनांक 29-03-2007 को परिवादी ने इन अभिवचनों के साथ प्रस्तुत किया है कि परिवादी ने विपक्षी-3 के षोरूम से जरिये संख्या 916 दिनांक 12-05-2004 को हीरो होण्डा स्पेलेण्ड प्लास मोटर साईकिल क्रय की जिस पर विपक्षी-1 ने 40,000/-रूपये फायनेंस किया 
                               2

था। फायनेंस करते समय विपक्षी-2 के समक्ष विपक्षी-3 ने 26,200/-रूपये नकद प्राप्त किये जिसकी कोई रसीद भी नहीं दी गई थी। परिवादी को यह बताया गया था कि इन 26,200/-रूपये में से 20,000/-रूपये की थ्क् विपक्षी-1 परिवादी के पक्ष में तीन वर्श के लिए करेगा तथा षेश राषि 6,200/-रूपये वाहन के बीमा,रजिस्टेªषन एवं कम्पनी के फाइल चार्ज के रूप में जमा होंगे और फाईनेंस राषि 1,311/-रूपये प्रतिमाह से तीन वर्श की किष्तों में जमा होंगे। अदा की गई रकम की रसीद, थ्क्त् के कागज,रजिस्टेªषन सर्टिफिकेट,बीमा की प्रति बाद में देने के लिए कहा गया लेकिन कम्पनी द्वारा परिवादी को नहीं दिये गये। दिनंाक 27-10-2004 को परिवादी मोटरसाईकिल के समस्त कागजात लेने के लिए विपक्षी-1 के यहाँ कोटा आ रहा था कि मोटरसाईकिल दुर्घटनाग्रस्त हो गई और परिवादी अस्पताल में भर्ती हो गया। परिवादी ने मोटरसाईकिल की क्षतिपूर्ति के लिए बीमा के कागजात की माँग की तो कोई जवाब नहीं दिया गया। परिवादी 7-8 माह तक दुर्घटना के कारण बिस्तर पर रहा, मोटरसाईकिल को भी सही नहीं करवा सका। थोडा ठीक होने पर परिवादी ने जब विपक्षी-1 लगायत 3 से संपर्क किया तो उन्होंने कागजात देने से इन्कार कर दिया। तदुपरान्त परिवादी ने एक विधिक नोटिस जरिये अधिवक्ता दिनंाक 24-11-2005 को दिलाया और पुनः संपर्क करने पर कागजात देने से स्पश्ट इंकार कर दिया। परिवादी ने एक फौजदारी प्रकरण विपक्षीगण के विरूद्ध न्यायालय में इटावा में दर्ज करवा रखा है। विपक्षीगण का यह कृत्य सेवामें कमी की श्रेणी में आता है। परिवादी ने विपक्षीगण से समस्त कागजात मय क्षतिपूर्ति व ईलाज के खर्चे सहित दिलायेे जाने का अनुतोश चाहा है। 

     विपक्षी-1 की ओर से परिवाद का यह जवाब दिया गया है कि परिवादी मंच के समक्ष स्वच्छ हाथों से नहीं आया है तथा झूठे तथ्यों पर परिवाद प्रस्तुत किया है। परिवादी को दुपहिया वाहन क्रय करने के लिए वित्तीय सुविधा प्रदान की गई थी। परिवादी ने मासिक किष्तों में राषि अदाएगी हेतु चैक्स अदा किये थे। एक चैक अनादृत होने पर परिवादी को नोटिस दिया गया उसके उपरान्त भी राषि अदा नहीं की गई। तदुपरान्त 
                                 3

परिवादी के विरूद्ध धारा 138 छप् ।बज के तहत सक्षम न्यायालय में परिवाद प्रस्तुत किया था। परिवादी ने जानबूझकर अपने परिवाद में इन तथ्यों को उजागर नहीं किया है। तकनीकी कारणों से परिवादी के विरूद्ध परिवाद खारिज हो गया जिसके बाद परिवादी ने विपक्षी-1 की फायनेंस राषि हड़पने के आषय से न्यायालय में इस्तगासा प्रस्तुत कर दिया। क्रय की गई मोटरसाईकिल की कुल कीमत 40,415/-रूपये में न तो बीमे की राषि षामिल थी और न ही कथित थ्क्त् राषि षामिल थी। परिवाद चार वर्श विलम्ब से प्रस्तुत किया गया है। विपक्षी-1 ने कोई सेवामें कमी नहीं की है। परिवादी कोई अनुतोश प्राप्त करने का अधिकारी नहीं है। परिवाद सव्यय निरस्त किये जाने की प्रार्थना की है। 

     विपक्षी-2 की ओर से परिवाद का जवाब प्रस्तुत नहीं करने पर दिनंाक 02-03-2012 को बन्द कर दिया गया।

       विपक्षी-3 की ओर से परिवाद का यह जवाब दिया गया है कि परिवादी ने मोटरसाईकिल क्रय की थी और तत्समय 23,430/-रूपये अदा किये और षेश विपक्षी-1 फायनेंसर ने विपक्षी-3 के एकाउण्ट में जमा करा दी थी। विपक्षी-3 ने निराधार तथ्यों पर यह परिवाद प्रस्तुत किया है। विपक्षी-3 ने कोई सेवामें कमी नहीं की है। परिवादी कोई अनुतोश प्राप्त करने का अधिकारी नहीं है। परिवाद सव्यय निरस्त किये जाने की प्रार्थना की है। 

     परिवाद के समर्थन में परिवादी ने स्वयं के अलावा नरेष कुमार व महावीर धाकड के षपथ पत्र तथा प्रलेखीय साक्ष्य में म्ग.1 लगायत म्ग.28 दस्तावेज तथा विपक्षी-1 की ओर से श्री रमेष सोबती,प्रबन्धक, विपक्षी-3 की ओर से श्री सुरेष चन्द सोनी का षपथ पत्र तथा प्रलेखीय साक्ष्य में म्गक.1 लगायत म्गक.8 दस्तावेज प्रस्तुत किये हंै।
  
    उपरोक्त अभिवचनों के आधार पर बिन्दुवार निर्णय निम्न प्रकार है:-
                                 4

1    क्या परिवादी विपक्षीगण का उपभोक्ता है ?

    परिवादी का परिवाद,षपथ-पत्र तथा प्रस्तुत दस्तावेजात के आधार पर परिवादी विपक्षीगण का उपभोक्ता होना प्रमाणित पाया जाता है। 
2    आया परिवाद अवधि बाधित है?

  उभयपक्षों को सुना गया, पत्रावली का अवलोकन किया गया तो स्पश्ट हुआ कि परिवादी ने विपक्षी-3 से दिनंाक 12-05-2004 को मोटरसाईकिल खरीदी ओर दिनंाक 27-10-2004 को मोटरसाईकिल का एक्टिडेण्ट हुआ। जब परिवादी को क्लेम के लिए आवष्यकता पड़ी तो विपक्षीगण से त्ब् व बीमा पाॅलिसी चाही लेकिन उन्होंने नहीं दी। जहाँ तक पैसा ज्यादा लेने का प्रष्न है, इस सन्दर्भ में परिवादी ने न्यायिक मजिस्टेªट, इटावा के यहाँ थ्त् के खिलाफ प्रोटेस्ट पिटीषन पेष की और दिनंाक 23-01-2007 को न्यायिक मजिस्टेªट,इटावा ने विपक्षीगण के खिलाफ प्रसंज्ञान लिया। यद्यपि इसकी निगरानी करने के बाद दिनंाक 23-01-2007 का आॅर्डर निरस्त कर दिया गया। इसी प्रकार परिवादी द्वारा प्रस्तुत किया गया चैक डिस्ओनर के मामले में भी प्रकरण अभी उच्च न्यायालय की खण्ड पीठ जयपुर में लम्बित है। इसका अर्थ हुआ कि परिवादी अपने अधिकारों के प्रति पूर्णतया जागरूक था और उसने संबंधित थाने में थ्प्त् दर्ज करवायी। संबंधित न्यायालय द्वारा दिनंाक 23-01-2007 को प्रसंज्ञान भी लिया गया लेकिन जब आपराधिक दुर्विनियोग तथा चैक के डिस्ओनर के मामले में कार्यवाहियाँ लम्बित रही हैं तो उसी दौरान परिवादी ने दिनंाक 29-03-2007 को यह परिवाद मंच के समक्ष पेष कर दिया। इसका अर्थ हुआ कि 2004 के मामले का परिवाद दिनंाक 29-03-2007 को मंच में पेष किया है जो करीब ढाई वर्श बाद पेष किया है और मंच में परिवाद पेष करने की अवधि दो वर्श के अन्दर की है। परिवादी अपने अधिकारों और हितों के लिए पूर्णतया जागरूक था। उसे समस्त तथ्यों का पता था उसके बाद भी दो वर्श के अन्दर अन्दर मंच में परिवाद पेष न कर दो वर्श बाद परिवाद पेष किया है जो कि अवधि बाधित है।
3    सेवादोश ?
इस बिन्दु पर विवेचन और विष्लेशण की आवष्यकता नहीं है।
                                  5

4    अनुतोश ?
परिवादी का परिवाद विपक्षीगण के खिलाफ खारिज योग्य पाया जाता है।

                               आदेष  
       परिणामतः परिवादी नन्दकिषोर लक्षकार का परिवाद खिलाफ विपक्षीगण खारिज किया जाता है। प्रकरण के तथ्यों एवं परिस्थितियों को दृश्टिगत रखते हुए उभय पक्ष अपना अपना परिवाद का खर्चा वहन करेंगे। 

         (महावीर तंवर)                                       (नन्द लाल षर्मा)
      सदस्य                                   अध्यक्ष
   जिला उपभोक्ता विवाद प्रतितोश मंच                          जिला उपभोक्ता विवाद प्रतितोश मंच
      झालावाड केम्प,कोटा (राज0)                                झालावाड केम्प,कोटा (राज0)


  निर्णय आज दिनंाक 10.02.2016 को लिखाया जाकर खुले मंच में सुनाया गया। 

         (महावीर तंवर)                                       (नन्द लाल षर्मा)
      सदस्य                                   अध्यक्ष
   जिला उपभोक्ता विवाद प्रतितोश मंच                          जिला उपभोक्ता विवाद प्रतितोश मंच
      झालावाड केम्प,कोटा (राज0)                                झालावाड केम्प,कोटा (राज0)

 

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