राज्य उपभोक्ता विवाद प्रतितोष आयोग, उ0प्र0, लखनऊ।
सुरक्षित
अपील संख्या-२९०८/१९९९
(जिला मंच, मेरठ द्वारा परिवाद सं0-१८५/१९९५ में पारित प्रश्नगत निर्णय/आदेश दिनांक २०-०९-१९९९ के विरूद्ध)
दी ओरियण्टल इंश्योरेंस कं0लि0 द्वारा रीजनल मैनेजर, रीजनल आफिस, एल0आई0सी0 इन्वेस्टमेण्ट बिल्डिंग, तृतीय तल, हजरतगंज, लखनऊ।
................ अपीलार्थी/विपक्षी।
बनाम
मै0 कैसर फूड प्रोडक्ट्स (प्रा.) लि. द्वारा डायरेक्टर श्री किशन लाल कपूर, २८८/२, आनन्दपुरी, मेरठ।
.................... प्रत्यर्थी/परिवादी।
समक्ष:-
१.मा0 श्री उदय शंकर अवस्थी, पीठासीन सदस्य ।
२.मा0 श्री गोवर्द्धन यादव, सदस्य।
अपीलार्थी की ओर से उपस्थित :- श्री आशुतोष कुमार सिंह विद्वान अधिवक्ता।
प्रत्यर्थी की ओर से उपस्थित :- कोई नहीं।
दिनांक : ३०-१०-२०१८.
मा0 श्री उदय शंकर अवस्थी, पीठासीन सदस्य द्वारा उदघोषित
निर्णय
प्रस्तुत अपील, जिला मंच, मेरठ द्वारा परिवाद सं0-१८५/१९९५ में पारित प्रश्नगत निर्णय/आदेश दिनांक २०-०९-१९९९ के विरूद्ध योजित की गयी है।
संक्षेप में तथ्य इस प्रकार हैं कि प्रत्यर्थी/परिवादी के कथनानुसार प्रत्यर्थी/परिवादी फैक्ट्री के डायरेक्टर ने फैक्ट्री का बीमा अपीलार्थी बीमा कम्पनी से कराया था। यह बीमा दिनांक ०५-१०-१९९३ से ०४-१०-१९९३ तक प्रभावी था। दिनांक १९/२०-११-१९९३ की रात्रि में फैक्ट्री में चोरी हुई जिसकी जानकारी होने पर प्रत्यर्थी फैक्ट्री के डायरेक्टर ने उसी दिन अर्थात् दिनांक २०-११-१९९३ को ही पुलिस में शिकायत दर्ज कराई तथा इसकी सूचना अपीलार्थी बीमा कम्पनी को भी प्रेषित की। प्रत्यर्थी/परिवादी के कथनानुसार उक्त चोरी में टेलीविजन सेट, बिजली की मोटर, स्टील के बर्तन, दीवाल घड़ी, बिस्कुट काफी मात्रा में, कपड़े व बिस्तर, कैमरा, क्लैम्प टैस्टर, टेपरिकार्डर, घी के टीन, गैस सिलेण्डर, कागजात
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इत्यादि सामान की चोरी हुई जिसकी कुल कीमत ९९,४१५/- रू० थी। प्रत्यर्थी/परिवादी ने विपक्षी बीमा कम्पनी को चोरी गये सामान की सूची प्रेषित की। अपीलार्थी बीमा कम्पनी ने अपने पत्र दिनांकित १९-०१-१९९४ एवं २३-०३-१९९४ द्वारा परिवादी को सूचित किया कि परिवादी अपना क्लेम निश्चित प्रपत्र पर अपीलार्थी बीमा कम्पनी के समक्ष प्रस्तुत करे। परिवादी ने दिनांक १६-०५-१९९४ को अपीलार्थी बीमा कम्पनी के समक्ष समस्त औपचारिकताऐं पूर्ण करते हुए बीमा दावा ९९,४१५/- रू० की अदायगी हेतु प्रस्तुत किया किन्तु अपीलार्थी बीमा कम्पनी द्वारा कोई सुनवाई नहीं की गई। तदोपरान्त परिवादी ने अपीलार्थी बीमा कम्पनी को दिनांक २१-०२-१९९५ को सूचना प्रेषित की जिसकी तामील के बाबजूद बीमा दावे का भुगतान बीमा कम्पनी द्वारा न किए जाने पर परिवाद जिला मंच के समक्ष योजित किया गया।
अपीलार्थी बीमा कम्पनी के कथनानुसार कथित चोरी की सूचना प्राप्त होने पर अपीलार्थी बीमा कम्पनी द्वारा सर्वेयर की नियुक्ति की गई। प्रत्यर्थी/परिवादी ने सर्वेयर द्वारा मांगे गये कागजात सर्वेयर को उपलब्ध नहीं कराए। कागजात के अभाव में अपीलार्थी बीमा कम्पनी को बीमा दावा ‘’ नो क्लेम ‘’ करना पड़ा। अपीलार्थी का यह भी कथन है कि परिवादी ने बीमा दावा अत्यधिक विलम्ब से प्रेषित किया।
विद्वान जिला मंच ने परिवादी का परिवाद स्वीकार करते हुए विपक्षीगण को निर्देशित किया कि वे परिवादी को क्लेम की राशि ९९,४१५/- रू० का भुगतान एक माह के अन्दर करें अन्यथा इस राशि पर निर्णय की तिथि से भुगतान की तथि तक १२ प्रतिशत ब्याज भी देय होगा। विपक्षीगण को यह भी आदेशित किया गया कि वे परिवादी को परिवाद का खर्चा १,०००/- रू० भी अदा करें।
इस निर्णय से क्षुब्ध होकर यह अपील योजित की गई।
हमने अपीलार्थी की ओर से विद्वान अधिवक्ता श्री आशुतोष कुमार सिंह के तर्क सुने तथा अभिलेखों का अवलोकन किया। प्रत्यर्थी की ओर से नोटिस की तामील के बाबजूद कोई उपस्थित नहीं हुआ।
अपीलार्थी की ओर से विद्वान अधिवक्ता द्वारा यह तर्क प्रस्तुत किया गया कि प्रश्नगत बीमा पालिसी के अन्तर्गत प्रत्यर्थी फैक्ट्री की मशीन का बीमा ३,२५,०००/- रू०
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का तथा फैक्ट्री में मौजूद सामान का बीमा ०२.०० लाख रू० का, इस प्रकार कुल ५,२५,०००/- रू० का बीमा किया गया। दिनांक १९/२०-११-१९९३ की रात्रि में परिवादी फैक्ट्री में चोरी होना अभिकथित किया गया। अपीलार्थी की ओर से यह तर्क प्रस्तुत किया गया कि चोरी की उक्त घटना में प्रत्यर्थी/परिवादी द्वारा टी0वी0, कैमरा, बर्तन, टेपरिकार्डर, बैडिंग एवं गैस सिलेण्डर आदि की चोरी भी अभिकथित की गई जबकि यह सामान बीमा पालिसी के अन्तर्गत आच्छादित नहीं था, क्योंकि यह समान प्रत्यर्थी/परिवादी के व्यवसाय से सम्बन्धित नहीं था। अपीलार्थी की ओर से यह तर्क प्रस्तुत किया गया कि चोरी की कथित घटना की सूचना के उपरान्त अपीलार्थी बीमा कम्पनी द्वारा सर्वेयर की नियुक्ति की गई। सर्वेयर ने घटना स्थल के निरीक्षण में यह पाया कि प्रत्यर्थी फैक्ट्री लम्बे समय से बन्द थी। अत: स्वाभाविक रूप से कथित रूप से फैक्ट्री में रखी गई कथित खाद्य सामग्री अनुपयोगी हो चुकी थी। अपीलार्थी की ओर से यह तर्क भी प्रस्तुत किया गया कि सर्वेयर द्वारा मांगे जाने के बाबजूद प्रत्यर्थी/परिवादी ने सम्बन्धित अभिलेख सर्वेयर श्री एफ0सी0 बक्शी को उपलब्ध नहीं कराये। अत: अभिलेखों के अभाव में बीमा दावा समाप्त कर दिया गया।
अपील मेमो के साथ सर्वेयर रिपोर्ट की फोटोप्रति दाखिल की गई है जिसके अवलोकन से यह विदित होता है कि प्रत्यर्थी/परिवादी द्वारा सर्वेयर को अभिलेख उपलब्ध न कराए जाने के कारण क्षति आंकलन किया जाना सम्भव नहीं हो सका।
प्रश्नगत निर्णय के अवलोकन से यह विदित होता है कि सम्भवत: जिला मंच के समक्ष भी प्रत्यर्थी/परिवादी द्वारा कोई सम्बन्धित अभिलेखीय साक्ष्य दाखिल नहीं की गई। विद्वान जिला मंच ने बिना किसी अभिलेखीय साक्ष्य का अवलोकन किए प्रत्यर्थी/परिवादी के अभिकथनों को स्वीकार करते हुए प्रश्नगत निर्णय पारित किया है। यह भी उल्लेखनीय है कि प्रत्यर्थी/परिवादी ने बीमा दावा ९९,४१५/- रू० का प्रस्तुत किया था। जिला मंच ने प्रश्नगत निर्णय द्वारा सम्पूर्ण धनराशि की अदायगी का आदेश पारित किया है जबकि यह तथ्य निर्विवाद है कि कथित चोरी की घटना में टी0वी0, दीवाल घड़ी, बिस्तर, कैमरा, क्लैम्प टैस्टर एवं टेपरिकार्डर आदि की चोरी भी अभिकथित की गई। निश्चित रूप से यह सामान प्रत्यर्थी/परिवादी के व्यवसाय में उपयोगी नहीं माना जा
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सकता। अपीलीय स्तर पर प्रत्यर्थी/परिवादी की ओर से सुनवाई हेतु कोई उपस्थित नहीं हुआ। हमारे विचार से जिला मंच ने बिना साक्ष्य का अवलोकन किए प्रश्नगत निर्णय पारित किया है। प्रश्नगत निर्णय के अवलोकन से यह विदित नहीं होता कि वास्तव में प्रत्यर्थी/परिवादी ने सर्वेयर को सर्वे कार्य के मध्य क्या अभिलेख सर्वेयर को प्राप्त कराए। सर्वेयर को क्षति आंकलन हेतु अभिलेख उपलब्ध न कराए जाने के कारण बीमा दावा स्वीकार न किया जाना सेवा में त्रुटि नहीं माना जा सकता। प्रश्नगत निर्णय हमारे विचार से त्रुटिपूर्ण होने के कारण अपास्त किए जाने योग्य है। अपील तद्नुसार स्वीकार किए जाने योग्य है।
आदेश
अपील स्वीकार की जाती है। जिला मंच, मेरठ द्वारा परिवाद सं0-१८५/१९९५ में पारित प्रश्नगत निर्णय/आदेश दिनांक २०-०९-१९९९ अपास्त करते हुए परिवाद निरस्त किया जाता है।
इस अपील का व्यय-भार उभय पक्ष अपना-अपना वहन करेंगे।
पक्षकारों को इस निर्णय की प्रमाणित प्रति नियमानुसार उपलब्ध करायी जाय।
(उदय शंकर अवस्थी) (गोवर्द्धन यादव)
पीठासीन सदस्य सदस्य
प्रमोद कुमार,
वैय0सहा0ग्रेड-१,
कोर्ट-२.