Chhattisgarh

Bilaspur

CC/12/140

SHIR AKRAM KHAN - Complainant(s)

Versus

M/S KABIR CONSTRUCTION - Opp.Party(s)

SHRI SIDHARTH SHRIVASTAV

08 Apr 2015

ORDER

District Consumer Dispute Redressal Forum
Bilaspur (C.G.)
Judgement
 
Complaint Case No. CC/12/140
 
1. SHIR AKRAM KHAN
KRISNAKUNJ COLONY, LUTHARA HOSPOTAL BILASPUR
BILASPUR
CHHATTISGARH
...........Complainant(s)
Versus
1. M/S KABIR CONSTRUCTION
B-8 MINOCHA COLON BILASPUR
BILASPUR
CHHATTISGARH
2. SMT. SIMA CHADDA
B-8 MINOCHA COLONY
BILASPUR
CHHATTISGARH
............Opp.Party(s)
 
BEFORE: 
 HON'BLE MR. ASHOK KUMAR PATHAK PRESIDENT
 HON'BLE MR. PRAMOD KUMAR VARMA MEMBER
 
For the Complainant:
SHRI SIDHARTH SHRIVASTAV
 
For the Opp. Party:
NA.-1&2 SHRI B.K. PANDEY
 
ORDER

//जिला उपभोक्‍ता विवाद प्रतितोषण फोरम, बिलासपुर छ.ग.//

 

                                             प्रकरण क्रमांक cc/2012/140

                                             प्रस्‍तुति दिनांक 23/08/2012

 

अकरम खान

आयु 40 साल

पिता स्‍व0ए0एल0खान निवासी ए-2,

कृष्‍णाकुंज कालोनी, लूथरा हास्‍पीटल के पीछे, बिलासपुर

तहसील व जिला बिलासपुर छ0ग0                      ......आवेद/परिवादी

                   विरूद्ध

  1. मेसर्स कबीर कन्‍सट्रक्‍शन द्वारा पार्टनर कबीर चड्डा आयु 30 वर्ष

            पिता स्‍व. प्रशांत सागर चड्डा .

 

  1.  मेसर्स कबीर कन्‍सट्रक्‍शन द्वारा पार्टनर सीमा चड्डा आयु 50 वर्ष

       पति स्‍व0प्रशांत सागर चड्डा

       दोनों निवासी बी-8 मिनोचा कॉलोनी, बिलासपुर

     तहसील व जिला बिलासपुर छ0ग0 ......अनावेदकगण/विरोधीपक्षकार

 

                       आदेश

          (आज दिनांक 08/04/2015 को पारित)

 

१. आवेदक  अकरम खान ने उपभोक्‍ता संरक्षण अधिनियम 1986 की धारा 12 के अंतर्गत यह परिवाद  अनावेदक मेसर्स कबीर कन्‍सट्रक्‍शन के विरूद्ध सेवा में कमी के आधार पर पेश किया है और अनावेदक से अनुबंध के अनुरूप मकान का निर्माण कर दिलाए जाने अथवा अनुबंधित रा‍शि से अधिक प्राप्‍त किये गये राशि को क्षतिपूर्ति के साथ दिलाए जाने का निवेदन किया है ।

2. परिवाद के तथ्‍य संक्षेप में इस प्रकार है कि आवेदक व अनावेदकगण के मध्‍य दिनांक 11;07;2007 को निष्‍पादित अनुबंध के तहत अनावेदकगण को सागर होम्‍स कालोनी में 15,02,000/- रूपये  में 1612 वर्गफीट पर मकान क्रमांक बी-44 तैयार कर 15 माह के अंदर आवेदक को देना था । अनुबंध के तहत, आवेदक द्वारा विभिन्‍न किश्‍तों में अनावेदकगण को 15,89,770/-: रूपये प्रदान किया गया, किंतु उसके बाद भी अनावेदकगण द्वारा निर्धारित समय के भीतर मकान का निर्माण नहीं किया गया तथा संपर्क करने पर टालते रहे और मनचाहा निर्माण के लिए अतिरिक्‍त राशि की मांग किए फलस्‍वरूप आवेदक उन्‍हें दिनांक 02/04//2012 को पुन: 3,83,103/- रूपये का चेक प्रदान किया, किंतु उसके बाद भी अनावेदकगण द्वारा मकान का निर्माण पूर्ण नहीं किया गया, बल्कि जो निर्माण किया गया वह  रहने लायक नहीं था,  मकान में कोई भी कार्य सही ढंग से नहीं किया गया फलस्‍वरूप उसने यह परिवाद पेश कर अनावेदकगण से वांछित अनुतोष दिलाए जानेका निवेदन किया  है ।

3. अनावेदकगण जवाब पेश कर आवेदक के प्रश्‍नाधीन मकान निर्माण का अनुबंध करना तो स्‍वीकार किये, किंतु विरोध इस आधार पर किये कि वास्‍तव में उनके द्वारा अनुबंध अन्‍य बी.टाईप मकानों की भांति 9,97,940/.: रूपये में किया गया था, किंतु आवेदक बैंक लोन के माध्‍यम से मकान क्रय करना चाहता था जिसके कारण उसके निवेदन पर पूर्वपरिचित होने से उनके द्वारा अनुबंध में 15,02,000/. रूपये अंकित किया गया जबकि आवेदक द्वारा उन्‍हें अनुबंध में उल्‍लेखित राशि 7,50,000/. रूपये प्रदान ही नहीं किया गया था और यही कारण है कि उक्‍त राशि के संबंध में आवेदक द्वाराकोई रसीद पेश नहीं किया गया है। आगे कथन है कि आवेदक अपने मकान में  अतिरिक्‍त निर्माण कार्य करवाया, और जिसका अतिरिक्‍त लागत 2,50,000/. रूपये देने के लिए वह सहमत भी हुआ, किंतु नियत अवधि में वह राशि अदा नहीं किया जिसके कारण ही नियत समय में प्रश्‍नाधीन मकान पूर्ण नहीं किया जा सका । आगे कथन है कि आवेदक द्वारा उक्‍त राशि पहली बार अप्रेल 2012 में अदा किया गया, तदुपरांत उसे प्रश्‍नाधीन मकान का कब्‍जा पूर्ण संतुष्टि में प्रदान किया जा चुका है । आगे उन्‍होंने आवेदक के परिवाद को आर्थिक क्षति पहुंचाने एवं ख्‍याति को धूमिल करने के आशय से पेश करना कहा है तथा उक्‍त आधार पर आवेदक का परिवाद निरस्‍त किये जाने का निवेदन किया गया।

4. उभयपक्ष अधिवक्‍ता का तर्क सुन लिया गया है । प्रकरण का अवलोकन किया गया ।

5. देखना यह है कि क्‍या आवेदक सेवा में कमी के आधार पर अनावेदकगण से वांछित अनुतोष प्राप्‍त करने का अधिकारी है

                      सकारण निष्‍कर्ष

6. आवेदक एवं अनावेदकगण के मध्‍य प्रश्‍नाधीन मकान निर्माण के संबंध में दिनांक 11/07/2007 को अनुबंध निष्‍पादित होने का तथ्‍य मामले में विवादित नहीं है ।

7. आवेदक का कथन है कि उनके मध्‍य मकान निर्माण का अनुबंध 15,02,000/;रूपये में तय हुआ था, जो रकम उसके द्वारा विभिन्‍न किश्‍तों में अदा किये जाने के बाद भी अनावेदकगण द्वारा निर्धारित समय के भीतर मकान का निर्माण पूर्ण नहीं किया गया और इस प्रकार सेवा में कमी की गई ।

8. इसके विपरीत अनावेदकगण का कथन है कि उनके मध्‍य मकान निर्माण का अनुबंध  अन्‍य बी.टाईप मकानों की भांति 9,97,940/.: रूपये में तय किया गया था, किंतु बैंक लोन लेने  के लिए अनुबंध पत्र में 15,02,000/. रूपये अंकित किया गया जबकि आवेदक द्वारा उन्‍हें अनुबंध में उल्‍लेखित राशि 7,50,000/. रूपये प्रदान ही नहीं किया गया था । आगे यह कथन है कि आवेदक अपने मकान में अन्‍य बी.टाईप मकानों से भिन्‍न अतिरिक्‍त निर्माण कार्य करवाया था और इस हेतु अतिरिक्‍त लागत 2,50,000/. रूपये देने के लिए वह सहमत भी हुआ, किंतु उसके द्वारा उक्‍त राशि समय के अंदर अदा नहीं किया गया, जिसके कारण ही नियत समय में प्रश्‍नाधीन मकान पूर्ण नहीं किया जा सका, जिसके लिए आवेदक स्‍वयं जिम्‍मेदार हैं ।  आगे यह भी कहा गया है कि आवेदक द्वारा अतिरिक्‍त निर्माण की राशि पहली बार अप्रेल 2012 में दिया गया उसके उपरांत उसे प्रश्‍नाधीन मकान का आधिपत्‍य पूर्ण संतुष्टि में प्रदान किया जा चुका है और इस प्रकार उनके द्वारा सेवा में कोई कमी नहीं की गई है ।

9. उभय पक्ष के मध्‍य निष्‍पादित अनुबंध पत्र दिनांक 11.07.2017 में 1612 वर्ग फीट पर निर्मित प्रश्‍नाधीन मकान के निर्माण की लागत 15,02,000/-रू. में तय किए जाने का उल्‍लेख है, जैसा कि आवेदक का कथन है, किंतु अनावेदकगण का कथन है कि अनुबंध में उक्‍त राशि का उल्‍लेख आवेदक के निवेदन पर केवल बैंक लोन लेने के संबंध में किया गया था, जबकि वास्‍तव में उनके मध्‍य कुल लागत अन्‍य बी.टाईप मकानों की भांति 9,97,940/.: रूपये में तय किया गया था, किंतु आवेदक द्वारा उन्‍हें अनुबंध में उल्‍लेखित राशि 7,50,000/. रूपये प्रदान ही नहीं किया गया था अन्‍यथा कोई कारण नहीं कि है उक्‍त राशि के संबंध में आवेदक द्वाराकोई रसीद पेश नहीं किया गया होता, किंतु हमारे मतानुसार अनावेदकगण के इस तर्क में कोई सार नहीं, क्‍योंकि जिस राशि को पाने का उल्‍लेख अनुबंध पत्र में किया जा चुका है, उसके लिए पृथक रसीद का कोई औचित्‍य ही नहीं रह जाता ।

10. प्रश्‍नगत मामले में अनावेदकगण आवेदक से अनुबंधपत्र मुताबिक स्‍वीकृत राशियों के अलावा 7,50,000/;: रूपये प्राप्‍त न होने के संबंध में कोई सारभूत साक्ष्‍य पेश नहीं किये है, जबकि यदि वे चाहते तो इस संबंध में और न सही तो कम से कम आवेदक को बैंक से स्‍वीकृत लोन की कॉपी य‍ह दर्शित करने के लिए दाखिल कर सकते थे कि अनुबंधपत्र में उल्‍लेखित राशि का 80 प्रतिशत आवेदक को बैंक द्वारा स्‍वीकृत‍  किया गया था फलस्‍वरूप इस संबंध में अनावेदकगण का यह कथन भी सही प्रतीत नहीं होता कि उनके द्वारा अनुबंध पत्र में मकान के लागत की राशि 15,02,000/.रूपये का उल्‍लेख केवल उक्‍त रकम का 80 प्रतिशत बैंक लोन स्‍वीकृत करने के संबंधमें किया गया था ।

11. अनावेदक गण यद्यपि अपने पक्ष समर्थन में यह भी कहे हैं कि उनके द्वारा अन्‍य बी.टाईप मकानों की भांति  आवेदक के प्रश्‍नाधीन मकान की कीमत 9,97,940/.: रूपये में तय किया गया था, किंतु इस बात को भी साबित करने के लिए उनके द्वारा किसी अन्‍य बी.टाईप मकान के अनुबंधपत्र की कॉपी संलग्‍न नहीं किया गया है, बल्कि जो किया गया है वह सी.टाईप के मकान के अनुबंध पत्र की कॉपी है जिसमें 905 वर्गफीट पर मकान की लागत 8,25,000/. रूपये में तय किये जाने का उल्‍लेख है, यदि इस निर्माण लागत के आधार पर भी इस मामले में विचार किया जावे तो भी अनावेदकगण के निर्माण की लागत 1612 वर्गफीट पर वहीं बैठता है जैसा कि आवेदक का कथन है । अत: इस आधार पर भी अनावेदकगण का यह कथन सही नहीं प्रतीत होता कि उनके द्वारा आवेदक से मकान की लागत 9,97,940/.: रूपये में तय किया गया था, क्‍योंकि जहां उनके द्वारा सी.टाईप के मकान का निर्माण 912/. रूपये वर्गफीट के आधार पर किया गया वहां उनके द्वारा बी.टाईप के मकान का निर्माण 619/. रूपये के हिसाब से किया जाना संभव नहीं।

12. इसी प्रकार अनावेदकगण के अनुसार, आवेदक अपने मकान में अन्‍य बी.टाईप मकानों से भिन्‍न अतिरिक्‍त निर्माण कार्य करवाया था और इस हेतु अतिरिक्‍त लागत 2,50,000/. रूपये देने के लिए तैयार हुआ था, किंतु समय के भीतर उक्‍त राशि अदा नहीं की गई जिसके कारण मकान का निर्माण कार्य नियत समय के अंदर पूर्ण नहीं किया जा सका । आगे यह भी कथन है कि आवेदक पहली बार अप्रेल 2012 में रकम देने के लिए उपस्थित हुआ, किंतु यह स्‍पष्‍ट नहीं किया गया है कि आवेदक उन्‍हें अप्रेल 2012 में कितनी राशि अदा किया था, जबकि आवेदक के कथन से स्‍पष्‍ट होता है कि उसने दिनांक 02.04.2012 को अनावेदक्रगण को 3,83,103/-रू. अदा किया था, किंतु उक्‍त रकम से अनावेदकगण प्रश्‍नाधीन मकान में क्‍या कार्य कराए यह भी उनके द्वारा स्‍पष्‍ट नहीं किया गया है, बल्कि मात्र यह कहा गया है कि आवेदक को पूर्ण संतुष्टि में मकान का आधिपत्‍य सौंप दिया गया था ।

13. जबकि प्रकरण में संलग्‍न अविवादित फोटोग्राफ के अवलोकन से यह स्‍पष्‍ट होता है कि प्रश्‍नाधीन मकान रहने योग्‍य नहीं है । साथ ही प्रकरण में संलग्‍न बारिक ब्रदर्स एवं इंजीनियर संदीप अग्रवाल के कोटेशन से दर्शित होता है कि प्रश्‍नाधीन मकान में अभी भी मरम्‍मत की आवश्‍यकता है । इस प्रकार अनावेदकगण द्वारा आवेदक से अनुबंधित राशि से अधिक राशि प्राप्‍त करने के उपरांत भी निर्माण पूर्ण नहीं करना स्‍पष्‍ट रूप से अनावेदकगण द्वारा आवेदक को प्रदान की गई सेवा में कमी है । आवेदक द्वारा प्रस्‍तुत कोटेशन से दर्शित होता है कि वर्तमान में प्रश्‍नाधीन मकान में लगभग 1,20,000/-रू. का निर्माण कार्य शेष है, जिसके लिए आवेदक अनावेदकगण से अनुतोष प्राप्‍त करने का अधिकारी है ।

14. अत: हम आवेदक के पक्ष में अनावेदकगण के विरूद्ध निम्‍न आदेश पारित करते हैं :-

. अनावेदकगण संयुक्‍त एवं पृथक-पृथक रूप से आवेदक को आदेश दिनांक से एक माह की अवधि के भीतर प्रश्‍नाधीन मकान का निर्माण पूर्ण कराने के लिए 1,20,000/- रू.(एक लाख बीस हजार रू.) की राशि अदा करेंगे तथा चूक की दशा में उक्‍त रकम पर ताअदायगी 9 प्रतिशत वार्षिक की दर से ब्‍याज भी अदा करेंगे।

. अनावेदकगण, आवेदक को क्षतिपूर्ति के रूप में 50,000/- रू.(पचास हजार रू.) की राशि भी अदा करेंगे ।

. अनावेदकगण, आवेदक को वादव्‍यय के रूप में 3,000/- रू.(तीन हजार रू.) की राशि भी अदा करेंगे ।

                                   

 

                                                 (अशोक कुमार पाठक)                                                      (प्रमोद वर्मा)

                                                             अध्‍यक्ष                                                                    सदस्‍य

 

 

 

 

 

 

 

 

 

 

 

 
 
[HON'BLE MR. ASHOK KUMAR PATHAK]
PRESIDENT
 
[HON'BLE MR. PRAMOD KUMAR VARMA]
MEMBER

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