Uttar Pradesh

StateCommission

A/2003/1738

Central Bank of India - Complainant(s)

Versus

M/s Jagnnath Kashinath - Opp.Party(s)

C K Seth

20 Nov 2015

ORDER

STATE CONSUMER DISPUTES REDRESSAL COMMISSION, UP
C-1 Vikrant Khand 1 (Near Shaheed Path), Gomti Nagar Lucknow-226010
 
First Appeal No. A/2003/1738
(Arisen out of Order Dated in Case No. of District State Commission)
 
1. Central Bank of India
Bihar
...........Appellant(s)
Versus
1. M/s Jagnnath Kashinath
Breilly
...........Respondent(s)
 
BEFORE: 
 HON'BLE MR. Chandra Bhal Srivastava PRESIDING MEMBER
 
For the Appellant:
For the Respondent:
ORDER

राज्‍य उपभोक्‍ता विवाद प्रतितोष आयोग, उ0प्र0, लखनऊ।

सुरक्षित

अपील संख्‍या-1738/2003

(जिला उपभोक्‍ता फोरम, प्रथम बरेली द्वारा परिवाद संख्‍या-27/2002 में पारित आदेश दिनांक 23.04.2003 के विरूद्ध)

1.सेन्‍ट्रल बैंक आफ इंडिया, भागलपुर, बिहार।

2.सेन्‍ट्रल बैंक आफ इंडिया, सेन्‍ट्रल आफिस '' चंद्रमुखी'' नारीमन

प्‍वाइंट, मुम्‍बई।                                    .........अपीलार्थी@विपक्षी

बनाम्

मेसर्स जगन्‍नाथ काशी नाथ 26 दाउजी का मंदिर अपोजिट किला

सब्‍जी मंडी तहसील एण्‍ड जिला बरेली द्वारा पार्टनर श्री अमित कपूर।

                                                   ........प्रत्‍यर्थी/परिवादी

समक्ष:-

1. मा0 श्री उदय शंकर अवस्‍थी, पीठासीन सदस्‍य।

2. मा0 श्री राज कमल गुप्‍ता, सदस्‍य।

अपीलार्थी की ओर से उपस्थित    : श्री सी0के0 सेठ, विद्वान अधिवक्‍ता।

प्रत्‍यर्थी की ओर से उपस्थित     :श्री विष्‍णु कुमार मिश्रा, विद्वान अधिवक्‍ता।

दिनांक 07.04.16

मा0 श्री राज कमल गुप्‍ता, सदस्‍य द्वारा उदघोषित

निर्णय

      प्रस्‍तुत अपील जिला उपभोक्‍ता विवाद प्रतितोष फोरम प्रथम बरेली के परिवाद संख्‍या 27/2002 में पारित निर्णय एवं आदेश दि. 23.04.2003 के विरूद्ध योजित की गई है। जिला मंच द्वारा निम्‍न आदेश पारित किया गया:-

      '' परिवाद विपक्षीगण के विरूद्ध एकपक्षीय रूप से आज्ञप्‍त किया जाता है तथा विपक्षीगण को निर्देश दिया जाता है कि वह आदेश के एक महीने के अंदर परिवादी को रू. 21191/- की धनराशि तथा उस पर दिनांक 26.10.2001 से 9 प्रतिशत वार्षिक ब्‍याज भुगतान की तिथि तक अदा करें तथा रू. 1000/- मानसिक क्षति के लिए क्षतिपूर्ति के रूप में तथा रू. 1000/- वाद व्‍यय के अदा करें।''

      संक्षेप में तथ्‍य इस प्रकार है कि परिवादी के अनुसार विपक्षी हुण्‍डी के विरूद्ध धनराशि एकत्रित कराने की सेवाएं प्रदान करता है, परिवादी ने विपक्षी संख्‍या 2 को चार हुण्‍डी नं0-162/30/1, नं0- 163/31/1, नं0-164/59/1 एवं नं0-165/60/1 दिनांकित 26.09.2001 क्रमश: 5278/- रू., 5062/- रू., 5382/-रूपये तथा 5469/- रूपये कुल

 

 

-2-

21191/- रूपये के रजिस्‍टर्ड डाक से दि. 26.09.2001 को भेजी थी जो विपक्षी संख्‍या 2 को प्राप्‍त हो गई। परिवादी के अनुसार विपक्षी संख्‍या 2 को प्रा‍प्‍तकर्ता से धनराशि एकत्रित करके उक्‍त हुण्‍डी प्रापक को प्राप्‍त करानी थी और धनराशि जो बिल्‍टी की एवज में प्राप्‍त हुयी उसे परिवादी को भेजना था और कमीशन काट लेनी थी। काफी समय इंतजार करने के पश्‍चात विपक्षी संख्‍या 2 ने धनराशि परिवादी को नहीं भेजी। परिवादी को पूछताछ पर पता चला कि विपक्षी संख्‍या 2 बैंक ने उक्‍त प्रपत्र प्रापक को प्राप्‍त कराकर धनराशि प्राप्‍त कर ली है और सर्विस चार्जेस भी प्राप्‍त कर लिये हैं।  रजिस्‍ट्री पत्र भेजने पर भी विपक्षी संख्‍या 2 ने कोई जवाब नहीं दिया। विपक्षी की ओर से केवल आश्‍वासन ही दिया जाता रहा लेकिन कोई कार्यवाही नहीं की गई।  

      पीठ ने उभय पक्ष के विद्वान अधिवक्‍ताओं की बहस को सुना तथा पत्रावली पर उपलब्‍ध अभिलेखों एवं साक्ष्‍यों का भलीभांति परिशीलन किया।

      अपीलार्थी का कथन है कि परिवादी/अपीलार्थी ने अपनी हुन्डियों को सेन्‍ट्रल बैंक आफ इंडिया भागलपुर ब्रांच बिहार को धनराशि प्राप्‍त करने के लिए भेजा गया था, अत: यह प्रकरण सेन्‍ट्रल बैंक आफ इंडिया भागलपुर ब्रांच बिहार से संबंधित था, परन्‍तु परिवादी ने सेन्‍ट्रल बैंक आफ इंडिया भागलपुर ब्रांच बिहार को सीधे पक्षकार न बनाकर द्वारा प्रबंधक किला ब्रांच बरेली के माध्‍यम से पक्षकार बनाया है। सेन्‍ट्रल बैंक आफ इंडिया किला ब्रांच बरेली का कोई भी संबंध इस प्रकरण से नहीं था। उनके द्वारा कोई लिखित कथन जिला मंच के समक्ष प्रस्‍तुत नहीं किया और यह प्रकरण जिला मंच ने दि. 23.04.2003 को एकतरफा डिक्री कर दिया।  यह परिवाद जिला मंच बरेली के क्षेत्राधिकार में नहीं था, अत‍: जिला मंच का निर्णय निरस्‍त किए जाने योग्‍य है। अपीलार्थी ने अपने कथन के समर्थन में मा0 उच्‍चतम न्‍यायालय द्वारा दिए गए निर्णय सोनिक सर्जिकल बनाम नेशनल इं0 कंपनी 2010(1) सुप्रीम कोर्ट केसेस 135 को संदर्भित किया है।

      प्रत्‍यर्थी द्वारा कहा गया कि अपील 44 दिन विलम्‍ब से प्रस्‍तुत की गई है, अत: यह कालबाधित है। क्षेत्राधिकार के प्रश्‍न को अपीलीय न्‍यायालय के समक्ष नहीं उठाया जा सकता है। प्रत्‍यर्थी द्वारा अपने कथन के समर्थन में मा0 राष्‍ट्रीय आयोग के निर्णय नेशनल इं0 कंपनी लि0 बनाम अरूण कुमार एवं अन्‍य 4(2011) सी.पी.जे. 628(एन.सी) तथा सीनियर ट्रेजरी आफीसर फैजाबाद बनाम बलदेव प्रसाद मौर्या ।।(1997) सी.पी.जे. 567 को

 

-3-

संदर्भित किया है।

      पत्रावली पर उपलब्‍ध साक्ष्‍य एवं परिवादी के कथन से यह स्‍पष्‍ट है कि जिला मंच का निर्णय दि. 23.04.2003 का है और अपील दि. 07.07.2003 को प्रस्‍तुत की गई है। परिवादी द्वारा मुख्‍य अनुतोष सेन्‍ट्रल बैंक आफ इंडिया भागलपुर ब्रांच बिहार से चाहा गया था, लेकिन उसके द्वारा सेन्‍ट्रल बैंक की भागलपुर ब्रांच को ब्रांच मैनेजर किला ब्रांच बरेली के माध्‍यम से पक्षकार बनाया गया था।  जिला मंच के निर्णय से यह स्‍पष्‍ट है कि सेन्‍ट्रल बैंक आफ इंडिया मेन ब्रांच भागलपुर पक्षकार के रूप में जिला मंच के समक्ष उपस्थित नहीं हुआ। जिला मंच का निर्णय एकतरफा था अत: अपील दाखिल करने में हुए विलम्‍ब को क्षमा किया जाता है।

      सेन्‍ट्रल बैंक आफ इंडिया एक वित्‍तीय संस्‍थान है, जिसकी हजारो शाखाएं देश भर में फैली हुई हैं। प्रत्‍येक ब्रांच अपने निश्चित क्षेत्र के अंतर्गत अपने बैंकिंग कार्य को निष्‍पादित करते हैं। एक ब्रांच के कार्यों के लिए दूसरे ब्रांच का कोई उत्‍तरदायित्‍व नहीं होता है। परिवादी ने स्‍वयं कहा है कि उसके द्वारा अपनी हुन्डियां कलेक्‍शन के लिए सेन्‍ट्रल बैंक आफ इंडिया मेन ब्रांच भागलपुर को भेजी थी। इस तरह का कोई साक्ष्‍य पत्रावली पर नहीं है, जिससे सिद्ध होता हो कि उसके द्वारा यह हुन्डियां किला ब्रांच बरेली के माध्‍यम से सेन्‍ट्रल बैंक आफ इंडिया भागलपुर बिहार को भेजी गई हों। हुन्डियों की धनराशि सेन्‍ट्रल बैंक आफ भागलपुर में ही प्राप्‍त की गई, अत: परिवाद को दायर करने का क्षेत्राधिकार भागलपुर बिहार ही होता है, क्‍यों‍कि वाद का कारण बरेली के क्षेत्राधिकार में उत्‍पन्‍न नहीं हुआ। केवल सेन्‍ट्रल बैंक आफ इंडिया की एक ब्रांच बरेली में होने से इस परिवाद के प्रकरण का क्षेत्राधिकार बरेली में नहीं हो जाता है। अपीलार्थी के इस कथन में बल है कि इस प्रकरण में जिला मंच को कोई क्षेत्राधिकार प्राप्‍त नहीं था। सोनी सर्जिकल बनाम नेशनल इं0कं0 लि0 2010(1) सुप्रीम कोर्ट केसेस 135 इस प्रकरण में भी पूरी तरह से लागू होता है।

      जिला मंच का निर्णय/आदेश क्षेत्राधिकार से बाहर होने के कारण निरस्‍त किए जाने योग्‍य है। तदनुसार प्रस्‍तुत अपील स्‍वीकार किए जाने योग्‍य है।

 

 

 

 

-4-

                                    आदेश

     प्रस्‍तुत अपील स्‍वीकार की जाती है तथा जिला मंच द्वारा पारित निर्णय/आदेश दि. 23.04.2003 निरस्‍त किया जाता है।

      पक्षकार अपना-अपना अपीलीय व्‍यय स्‍वयं वहन करेंगे।

 

 

       (उदय शंकर अवस्‍थी)                               (राज कमल गुप्‍ता)

         पीठासीन सदस्‍य                                      सदस्‍य

राकेश, आशुलिपिक

कोर्ट-5  

 
 
[HON'BLE MR. Chandra Bhal Srivastava]
PRESIDING MEMBER

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