राज्य उपभोक्ता विवाद प्रतितोष आयोग, उ0प्र0, लखनऊ।
मौखिक
अपील संख्या-679/2014
मेसर्स खन्ना पालीरिब प्रा0लि0 स्थित 24/168 किरहाना रोड
कानपुर नगर। .....अपीलार्थी@परिवादी
बनाम
मेसर्स होण्डा सील कार इंडिया लि0 स्थित प्लाट नं0 ए-1 सेक्टर
40/41 सूरजपुर कासा रोड व एक अन्य। .......प्रत्यर्थीगण/विपक्षीगण
समक्ष:-
1. मा0 श्री सुशील कुमार, सदस्य।
2. मा0 श्री विकास सक्सेना, सदस्य।
अपीलार्थी की ओर से उपस्थित : श्री जफर अजीज, विद्वान
अधिवक्ता।
प्रत्यर्थी की ओर से उपस्थित : कोई नहीं।
दिनांक 01.02.2023
मा0 श्री सुशील कुमार, सदस्य द्वारा उदघोषित
निर्णय
1. परिवाद संख्या 856/05 मै0 खन्ना पालीरिब बनाम मैसर्स होन्डा सील कार व एक अन्य में पारित निर्णय व आदेश दिनांक 06.03.2014 के विरूद्ध यह अपील प्रस्तुत की गई है। जिला उपभोक्ता मंच ने परिवादी द्वारा क्रय किए गए वाहन में निर्माण संबंधी त्रुटि न मानते हुए परिवाद खारिज कर दिया गया है।
2. अपीलार्थी के विद्वान अधिवक्ता का तर्क है कि उनके द्वारा निर्माण संबंधी त्रुटि के कारण अनुतोष की मांग नहीं की गई अपितु विपक्षी द्वारा तीन महीने तक गाड़ी अपने पास रखी गई। इस अवधि में गाड़ी की प्रयोग परिवादी नहीं कर सका, जिसके कारण मानसिक शारीरिक व आर्थिक प्रताड़ना कारित हुई, अत: इस मद में चार लाख रूपये की क्षतिपूर्ति की मांग की गई है, अत: इस मांग के विपरीत अपना निर्णय पारित किया गया है।
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3. अपीलार्थी द्वारा जिला उपभोक्ता मंच के समक्ष प्रस्तुत किए गए परिवाद में यथार्थ में वाहन में निर्माण संबंधी त्रुटि के आधार पर अनुतोष की मांग नहीं की गई अपितु चूंकि विपक्षी द्वारा लंबी अवधि तक गाड़ी अपने पास रखी गई, जिसके कारण वह उसका प्रयोग नहीं कर सका, इसलिए क्षतिपूर्ति की मांग की गई है। परिवाद पत्र में उल्लेख है कि फरवरी 2006 में वाहन को प्राप्त किया गया, अत: इस मद में केवल तत्समय प्रचलित दर के अनुसार यदि परिवादी द्वारा वाहन किराए पर लिया जाता है तब एक हजार रूपये प्रतिदिन पर वाहन किराए पर आसानी से उपलब्ध हो सकता था, अत: केवल रू. 30000/- प्रतिमास 3 मास की अवधि के लिए रू. 90000/- की क्षतिपूर्ति अदा करने का उत्तरदायित्व विपक्षीगण पर निर्धारित किया जाना उचित है, तदनुसार अपील आंशिक रूप से स्वीकार होने योग्य है।
आदेश
4. अपील आंशिक रूप से स्वीकार की जाती है। जिला उपभोक्ता मंच द्वारा पारित निर्णय व आदेश अपास्त किया जाता है तथा परिवाद इस प्रकार स्वीकार किया जाता है कि विपक्षीगण द्वारा परिवादी को अंकन रू. 90000/- बतौर क्षतिपूर्ति परिवाद प्रस्तुत की करने की तिथि से भुगतान की तिथि तक इस राशि पर 06 प्रतिशत प्रतिवर्ष की दर से ब्याज देय होगा।
आशुलिपिक से अपेक्षा की जाती है कि वह इस आदेश को
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आयोग की वेबसाइड पर नियमानुसार यथाशीघ्र अपलोड कर दें।
(विकास सक्सेना) (सुशील कुमार) सदस्य सदस्य
राकेश, पी0ए0-2
कोर्ट-2