राज्य उपभोक्ता विवाद प्रतितोष आयोग, उ0प्र0, लखनऊ
परिवाद संख्या-154/2019
(सुरक्षित)
Tabish Ahson Ansari son of Mr. Maqsood Alam Ansari;
resident of 134; Nai Bazar, Bhadohi,
Police Station – Bhadohi, District S.R. Nagar – Bhadohi.
....................परिवादी
बनाम
1. M/S. Holidays Care;
Through The Proprietor;
Deluxe Market,
Railway Station road,
Bhadohi. (U.P.) 221401.
2. Obaid Ahmad Ansari,
The Proprietor, M/S. Holidays Care.
S/o. (Late) Ilyas Ahmad Ansari,
Abbas Nagar, Nai Bazar,
Bhadohi. (U.P.) 221409
...................विपक्षीगण
समक्ष:-
1. माननीय न्यायमूर्ति श्री अख्तर हुसैन खान, अध्यक्ष।
2. माननीय श्री विकास सक्सेना, सदस्य।
परिवादी की ओर से उपस्थित : श्री दीवान असलम,
विद्वान अधिवक्ता।
विपक्षीगण की ओर से उपस्थित : कोई नहीं।
दिनांक: 31.08.2020
मा0 न्यायमूर्ति श्री अख्तर हुसैन खान, अध्यक्ष द्वारा उदघोषित
निर्णय
यह परिवाद परिवादी Tabish Ahson Ansari ने धारा-17 उपभोक्ता संरक्षण अधिनियम 1986 के अन्तर्गत विपक्षीगण M/S. Holidays Care और Obaid Ahmad Ansari के विरूद्ध
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राज्य आयोग के समक्ष प्रस्तुत किया है और निम्न अनुतोष चाहा है:-
A) An order or direction for the compensating complainant along with other expenses with sum of Rs. 40,86,050/= + 24% interest, addition to the cost of this legal proceeding from Opp. Parties.
B) Award the cost of this legal proceeding to be paid to the complainant.
C) Any other order or direction which this learned state commission may deem fit and proper under the circumstances of the present case.
परिवाद पत्र के अनुसार परिवादी का कथन है कि परिवादी पार्टनरशिप फर्म M/s. ZOHA FLOOR COVERING का साझीदार है और विपक्षी संख्या-1 प्रोप्राइटरशिप फर्म है, जिसका प्रोप्राइटर विपक्षी संख्या-2 है।
परिवाद पत्र के अनुसार परिवादी का कथन है कि अपनी फर्म की सेल को प्रमोट करने व अपनी वस्तुओं को दर्शित करने के लिए उसे विदेश यात्रा करनी पड़ती है। उसे अपने पर्सनल होलीडेज वेकेशन में भी विदेश यात्रा करनी पड़ती है। इसी क्रम में विपक्षी संख्या-2 उसके यहॉं फ्लाइट टिकट की बुकिंग और होटल बुकिंग की सेवा प्रदान करने के लिए अपनी कम्पनी मै0 होलीडेज केयर के आकर्षक पैकेज के साथ आया था और परिवादी उसकी सेवायें करीब 05 वर्षों से ले रहा था, परन्तु उसकी सेवायें पूर्ण रूप से सन्तोषजनक नहीं थी।
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परिवाद पत्र के अनुसार परिवादी का कथन है कि उसने 85,050/-रू0 चेक नम्बर 044291 दिनांकित 27.06.2018 के द्वारा विपक्षी संख्या-2 को अग्रिम धनराशि 06 महीने पहले Hannover; Germany में दिनांक 09.01.2019 से दिनांक 15.01.2019 तक की अवधि के लिए होटल बुकिंग हेतु दिया क्योंकि परिवादी Hannover; Germany जहॉं पर DOMOTEX- GERMANY carpet fare होने वाला था वहॉं जाने की सोच रहा था, परन्तु विपक्षी संख्या-2 ने होटल बुक नहीं किया और उसके साथ धोखा किया तथा अपनी सेवा में कमी की, जिससे परिवादी को मानसिक आघात पहुँचा है।
परिवाद पत्र के अनुसार परिवादी ने विपक्षी संख्या-2 को 05 प्रतिशत जी0एस0टी0 की धनराशि भी अदा की है। फिर भी विपक्षी संख्या-2 ने उसे कोई सेवा नहीं दी है।
परिवाद पत्र के अनुसार परिवादी का कथन है कि दिनांक 06.09.2018 को भी उसने 4,32,000/-रू0 चेक नम्बर 047756 दिनांकित 06.09.2018 के द्वारा 120 VARANASI –DELHI – VARANASI के हवाई टिकट के लिए विपक्षी संख्या-2 को दिया है, परन्तु विपक्षी संख्या-2 ने उसे कोई टिकट नहीं दिया है।
परिवाद पत्र के अनुसार परिवादी का कथन है कि उसने अपने चाचा श्री शमीम अहमद अंसारी के टिकट के लिए भी विपक्षी संख्या-2 को दिनांक 20.07.2018 को 5,34,000/-रू0 चेक के
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माध्यम से अदा किया, परन्तु विपक्षी संख्या-2 ने न तो टिकट दिया और न ही पैसा वापस किया।
परिवाद पत्र के अनुसार परिवादी ने विपक्षी संख्या-2 से अनेकों बार अपना एकाउण्ट क्लीयर करने व प्राप्त धनराशि वापस करने को कहा, परन्तु उसने कोई धनराशि वापस नहीं किया और कोई ध्यान नहीं दिया। अत: विपक्षीगण की सेवा में कमी से क्षुब्ध होकर परिवादी ने परिवाद राज्य आयोग के समक्ष प्रस्तुत कर उपरोक्त अनुतोष चाहा है।
विपक्षीगण को रजिस्टर्ड डाक से नोटिस दिनांक 31.05.2019 को भेजी गयी है, जो अदम तामील वापस नहीं आयी है। अत: 30 दिन की अवधि पूरी होने पर आदेश दिनांक 08.07.2019 के द्वारा विपक्षीगण पर नोटिस का तामीला पर्याप्त माना गया है। फिर भी विपक्षीगण की ओर से कोई उपस्थित नहीं हुआ है और न ही लिखित कथन प्रस्तुत किया गया है। अत: विपक्षीगण के विरूद्ध परिवाद की कार्यवाही एकपक्षीय रूप से की गयी है।
परिवादी ने परिवाद पत्र के कथन के समर्थन में अपना शपथ पत्र संलग्नकों सहित प्रस्तुत किया है।
परिवाद की अन्तिम सुनवाई की तिथि पर परिवादी की ओर से विद्वान अधिवक्ता श्री दीवान असलम उपस्थित आये हैं। विपक्षीगण की ओर से कोई उपस्थित नहीं हुआ है।
हमने परिवादी के विद्वान अधिवक्ता के तर्क को सुना है और पत्रावली का अवलोकन किया है।
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परिवाद पत्र के कथन से यह स्पष्ट है कि परिवादी ने अपने चाचा श्री शमीम अहमद अंसारी के टिकट के लिए दिनांक 20.07.2018 को चेक द्वारा विपक्षी संख्या-2 को 5,34,000/-रू0 अदा किया है। यह टिकट परिवादी के चाचा श्री शमीम अहमद अंसारी का है। श्री शमीम अहमद अंसारी ही इस संव्यवहार के उपभोक्ता हैं, परन्तु परिवादी के चाचा श्री शमीम अहमद अंसारी वर्तमान परिवाद में पक्षकार नहीं हैं और न ही उनका कोई अधिकार पत्र परिवादी ने प्रस्तुत किया है। श्री शमीम अहमद अंसारी के टिकट के संव्यवहार के सम्बन्ध में विधि के अनुसार उपभोक्ता संरक्षण अधिनियम के अन्तर्गत परिवाद श्री शमीम अहमद अंसारी प्रस्तुत कर सकते हैं। अत: परिवादी द्वारा प्रस्तुत इस परिवाद में श्री शमीम अहमद अंसारी के टिकट के संव्यवहार के सम्बन्ध में कोई आदेश पारित किया जाना उचित नहीं है।
परिवाद पत्र के कथन एवं परिवाद पत्र के संलग्नक-1 व 2 से यह स्पष्ट है कि दिनांक 25.06.2018 को परिवादी ने विपक्षी संख्या-2 को 85,050/-रू0 SUITE NOVOTEL बुकिंग हेतु अदा किया है और पुन: दिनांक 06.09.2018 को 4,32,000/-रू0 एयर टिकट के लिए अदा किया है, परन्तु परिवाद पत्र के अनुसार विपक्षी संख्या-2 ने परिवादी को न तो होटल बुक कराया है और न टिकट दिया है और न उपरोक्त धनराशि उसे वापस किया है।
परिवाद पत्र के अनुसार विपक्षी संख्या-1 प्रोप्राइटरशिप फर्म है और विपक्षी संख्या-2 उसका प्रोप्राइटर है। अत: सम्पूर्ण तथ्यों पर
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विचार करते हुए उचित प्रतीत होता है कि विपक्षीगण से परिवादी को उसकी जमा धनराशि 85,050/-रू0 और 4,32,000/-रू0 जमा की तिथि से अदायगी की तिथि तक 09 प्रतिशत वार्षिक की दर से ब्याज के साथ वापस दिलायी जाये। परिवाद पत्र में याचित अन्य अनुतोष प्रदान करने हेतु उचित आधार नहीं दिखता है।
उपरोक्त निष्कर्ष के आधार पर परिवाद आंशिक रूप से स्वीकार किया जाता है और विपक्षीगण को आदेशित किया जाता है कि वे परिवादी की जमा धनराशि 85,050/-रू0 और 4,32,000/-रू0 जमा की तिथि से अदायगी की तिथि तक 09 प्रतिशत वार्षिक की दर से ब्याज के साथ उसे वापस करें। साथ ही परिवादी को 5,000/-रू0 वाद व्यय भी प्रदान करें।
(न्यायमूर्ति अख्तर हुसैन खान) (विकास सक्सेना)
अध्यक्ष सदस्य
जितेन्द्र आशु0,
कोर्ट नं0-1