मैसर्स हंशिका इलैक्ट्रोनिक्स श्री कान्त हॉस्पीटल के सामने गुलाबनगर थाना-प्रेमनगर, तह0 व जिला बरेली।
.........विपक्षीगण
निर्णय
वादी ने यह परिवाद विपक्षीगण के विरुद्ध वैटरी व इन्वर्टर के पैसा वापसी व मानसिक व शारिक क्षतिपूर्ति के संबंध में प्रस्तुत किया है।
1. वादी का कहना है कि उसने विपक्षी सं. 2 के यहाँ से 36 माह वारंटी का एक वैटरी व इन्वर्टर खरीदा जो दो माह पूर्व काम करना बन्द कर दिया। वैटरी वारंटी अवधि में है लेकिन विपक्षी ने इसे बदलने से मना कर दिया। जिसे वादी को शारारिक व मानसिक रुप से आर्थिक क्षति हुई। इसलिए यह वाद प्रस्तुत किया गया।
2. वादी ने अपने समर्थन में सूची में अधिवक्ता द्वारा भेजे गये नोटिस, वैटरी की रसीद, वारंटी कार्ड की फोटो प्रति व शपथ पत्र साक्ष्य प्रस्तुत किया है।
3. विपक्षी ने अपना उत्तर पत्र का. सं. 10 प्रस्तुत किया । जिसमें यह कहा है कि वादी के कथन गलत हैं।
4. विपक्षी ने यह कहा है कि यह मामला उपभोक्ता न्यायालय में पोषणीय नहीं है।
5. विपक्षी की ओर से यह कहा गया है कि कोई वारंटी नहीं है। वादी ने गलता दावा प्रस्तुत किया है , कानून का दुरुप्रयोग किया गया है। विपक्षी ने परिवादी खारिज करने का अनुरोध किया। अपने समर्थन में विपक्षी ने शपथ पत्र कं. स. 25 साक्ष्य प्रस्तुत किया है।
6. दोनो पक्षों के विद्धान अधिवक्तागण को सुना गया।
7. इस मामले में निष्कर्ष के लिए निम्नलिखित अवधारण बिन्दु बनाये गये हैः-
(1) क्या विपक्षीगण परिवादी की वैटरी न बदलकर उपभोक्ता सेवा प्रदत्त करने में त्रुटि किया है।
(2) क्या वादी कोई अनुतोष पाने का अधिकारी है।
निष्कर्ष
अवधारण बिन्दु सं. 1
8. इस बिन्दु में यह देखा जाना है कि विपक्षीगण ने वैटरी की वारंटी अवधि में न बदलकर उपभोक्ता सेवा प्रदत्त करने में कोई त्रुटि किया है।
9. वादी का कहना है कि विपक्षी स. 2 एक वैटरी व इन्वर्टर रुपये 15700/- में दिनांक 10-08-2013 को खरीदा,जिसकी वारंटी 36 माह थी। दावे के 2 महीने पहले वैटरी ने काम करना बंद करने पर विपक्षी को शिकायत किया, विपक्षी द्वारा वैटरी न बदलने पर तब यह दावा किया।
10. विपक्षी ने यह कहा कि परिवाद गलत तथ्यों पर लाया गया है।
11. परिवादी ने पत्रावली में मूल रसीद कं. सं. 28 में वारंटी कार्ड दाखिल किया है। जिससे यह प्रतीत होता है कि वैटरी व इन्वर्टर विपक्षी सं. 2 ने रुपये 15700/- में दिनांक 10-08-2016 को वादी को बेचा ।
12. अब यह देखा जाना है कि वारंटी की क्या अवधि थी। वादी द्वारा यह कहा गया है कि 36 माह की वारंटी थी, जबकि विपक्षी का कहना है कि 30 माह की वारंटी थी। मूल पत्रावली में कां. सं. 28 लगा है जिसका अवलोकन किया गया है। इसमें टी.टी 3050 में 30 माह के वारंटी लिखा है, जबकि ई.टी 648 में 36 माह की वारंटी लिखा है। रसीद पर टी.टी. 3050 लिखा है।
14. वादी ने अपनी वैटरी की फोटो प्रति का. स. 29 दाखिल किया है। जिसमें ई.टी. 648 अंकित है।
15. वादी का कहना है कि वारंटी ई.टी. 648 की दिया, लेकिन रसीद में गलती से टी.टी. 3050 लिख दिया । इस संबंध में विपक्षी के उत्तर पत्र का. स. 10 में पैरा नं. 5 का अवलोकन किया गया। इसमें विपक्षी ने निम्न कथन किया हैः-
“It is pertinent to mention here that respondent no 2 has offered the battery in replacement to the complainant but complainant has refused to accept the same with malafide intentions to grab the unearned money from respondents.”
16. इसका तात्पर्य यह हुआ कि विपक्षी ने वादी को नई वैटरी देने का आफर दिया और वादी ने वैटरी लेने से मना कर दिया।
17. अब प्रश्न यह उठता है कि यदि वारंटी की अबधि समाप्त हो गयी थी तो विपक्षी ने नई वैटरी देने का ऑफर क्यों किया।
18 विपक्षी की तरफ से यह कहा गया है कि यह मामला उपभोक्ता की परिभाषा के अंतर्गत नहीं आता और व्यवसायिक मामला है।
19 पत्रावली के अवलोकन से स्पष्ट है कि इस मामले में परिवादी ने विपक्षी से यह वैटरी व इन्वर्टर अपने दैनिक उपयोग के लिए लिया।
20. उपभोक्ता संरक्षण अधिनियम 1986 की धारा 2 में यह कहा गया है कि
“Consumer” means any person who,-
Buys any goods for a consideration which has been paid or promised or partly paid and partly promised, or under any system of deferred payment and include any use of such goods other than the person who bys such goods for consideration paid or promised or partly paid or partly promised, or under any system of deferred payment, when such use is made with the approval of such person, but does not include a person who obtains such goods for resale or for any commercial purpose
इस मामले में बैटरी बेचा गया जिसके खराब होने पर बदलने का विवाद है जो सर्वथा उपभोक्ता फोरम के क्षेत्राधिकार में आता है। इसलिए विपक्षी का यह कहना कि यह वाद उपभोक्ता फोरम में पोषणीय नहीं है , गलत है।
21. परिवादी द्वारा वैटरी की फोटोप्रति तथ्य व साक्ष्यों का अवलोकन किया गया । हमारी राय में वैटरी का फोटोचित्र व विपक्षी की अप्रत्यक्ष स्वीकृति के अनुसार बैटरी वारंटी अवधि में थी। जिसे उसे समय से बदल देना चाहिए था, जिससे वादी को शारारिक व मानसिक कष्ट एवं आर्थिक क्षति से नहीं गुजरना पड़ता। इस प्रकार विपक्षी ने समय पर वैटरी न बदलकर उपभोक्ता सेवा प्रदत्त करने में त्रुटि किया है।
22. फलस्वरुप वादी विपक्षी से वैटरी का मूल्य व शारारिक व मानसिक क्षतिपूर्ति एवं उचित आर्थिक क्षतिपूर्ति पाने का अधिकारी है।
23. तदनुसार अवधारण बिन्दु सं. 1 निस्तारित किया जाता है।
24. अवधारण बिन्दु सं. 2 इस बिन्दु में यह देखा जाना है कि क्या वादी कोई अनुतोष पाने का अधिकारी है। ऊपर के विवेचनों से यह पाया गया है कि वादी वैटरी का मूल्य, आर्थिक, मानसिक व शारारिक क्षति पाने का अधिकारी है। इस संबंध में वैटरी का मूल्य रसीद के अनुसार रुपये 12500/- वादी प्राप्त करने का अधिकारी है। इसके अलावा शारारिक व मानसिक कष्ट के मद में 5000/- व खर्चा मुकदमा के मद में 5000/- कुल 22500/- विपक्षीगण से पाने का अधिकारी है, जिसको एक माह में विपक्षी द्वारा वादी को दिया जायेगा।
26. तदनुसार अवधारण बिन्दु सं. 2 निस्तारित किया जाता है।
25. तदनुसार वादी का वाद डिक्री किये जाने योग्य है।
आदेश
परिवादी का यह परिवाद रुपये 12500/- वैटरी के मूल्य वापसी के संबंध में विपक्षीगण के विरुद्ध डिक्री किया जाता है। विपक्षीगण वादी से एक माह में पुरानी वैटरी लेकर यह धनराशि अदा करेगें। पुनः परिवादी का यह वाद रुपये 5000/- शारारिक व मानसिक क्षतिपूर्ति के मद में व 5000/- रुपये खर्चा मकुदमा के मद में भी डिक्री किया जाता है। विपक्षीगण सम्पूर्ण धनराशि 1 माह में वादी को अदा करगें अन्यथा सम्पूर्ण धनराशि पर निर्णय कि तिथि से वसूली की तिथि तक 7 प्रतिशत साधारण वार्षिक ब्याज भी वादी विपक्षीगण से प्राप्त करने का अधिकारी होगा।
(मोहम्मद कमर अहमद) (घनश्याम पाठक)
सदस्य अध्यक्ष
जिला उप0वि0प्रति0फोरम जिला उप0वि0प्रति0फोरम
प्रथम बरेली। प्रथम बरेली।
यह निर्णय आज दिनांक 07-05-2018 हमारे द्वारा हस्ताक्षरित करके खुले मंच पर उदघोषित किया गया।
(मोहम्मद कमर अहमद) (घनश्याम पाठक)
सदस्य अध्यक्ष
जिला उप0वि0प्रति0फोरम जिला उप0वि0प्रति0फोरम
प्रथम बरेली। प्रथम बरेली।
दिनांक 07-05-2018