/जिला उपभोक्ता विवाद प्रतितोषण फोरम, बिलासपुर छ.ग./
प्रकरण क्रमांक :- CC/261/2014
प्रस्तुति दिनांक :- 17/12/2014
मो0मुश्ताक वल्द अब्दुल हकीम, उम्र 33 वर्ष
निवासी-ईमलीभाठा, बंधवापारा, सरकण्डा
बिलासपुर, तह व जिला बिलासपुर छ.ग. ..........आवेदक/परिवादी
(विरूद्ध)
मेसर्स ग्रेण्ड मोटर्स बिलासपुर
द्वारा-जनरल मैनेजर, ग्रेण्ड मोटर्स बिलासपुर
एन.एच.200, बिलासपुर-रायपुर मेनरोड,
सिरगिट्टी, बिलासपुर (छ.ग.) ............अनावेदक/विरोधी पक्षकार
///आदेश///
(आज दिनांक 20/04/2015 को पारित)
1 . आवेदक मो. मुश्ताक ने उपभोक्ता संरक्षण अधिनियम 1986 की धारा 12 के अंतर्गत यह परिवाद अनावेदक मेसर्स ग्रेण्ड मोटर्स के विरूद्ध कदाचरण का व्यवसाय कर सेवा में कमी के आधार पर पेश किया है और अनावेदक मेसर्स ग्रेण्ड मोटर्स से क्रय किए गए वाहन के संबंध में बैंक ऑफ इंडिया का एन.ओ.सी. तथा आर.सी.बुक में नाम ट्रांसफर कराकर दिलाए जाने का निवेदन किया है ।
2. परिवाद के तथ्य संक्षेप में इस प्रकार है कि अनावेदक पुरानी वाहन रिसेल करने का व्यवसाय करता है । आवेदक उसके पास से दिनांक 10/01/2014 को 1,20,000/-रू. में शवरोले स्पार्क एल.टी. क्रमांक सी.जी.-10 एफ. 9257 क्रय किया, जिसका आर.सी.बुक में वाहन स्वामी के रूप में शरद रावल का नाम दर्ज था, साथ ही उस पर बैंक ऑफ इंडिया से लोन लिए जाने का इंद्राज था, जिसके बारे में आवेदक को अनावेदक द्वारा आश्वासन दिया गया था कि लोन का भुगतान कर एन.ओ.सी. प्राप्त करते हुए तथा आर.सी.बुक में आवेदक का नाम ट्रांसफर कराकर दस्तावेज उसे प्रदान कर दिया जाएगा, किंतु अनावेदक उक्त दस्तावेज आवेदक को प्रदना नहीं किया । आवेदक बार-बार अनावेदक के पास चक्कर लगाता रहा, किंतु अनावेदक द्वारा केवल आज कल करा देने का आश्वासन दिया जाता रहा, जिसके कारण आवेदक अपने द्वारा क्रय किए गए वाहन का उपयोग नहीं कर पाया और जब 10-12 माह हो गया एवं अनावेदक द्वारा दस्तावेज आवेदक को प्रदान नहीं किया गया तो आवेदक दिनांक 29.11.2014 को अपने अधिवक्ता जरिए अनावेदक को नोटिस प्रेषित किया, जिसके बाद भी अनावेदक द्वारा शिकायत का निराकरण नहीं किया गया, अत: उसने अनावेदक के इस सेवा में कमी के लिए यह परिवाद पेश करते हुए अनावेदक से वांछित अनुतोष दिलाए जाने का निवेदन किया है ।
3. अनावेदक सूचना तामिली पश्चात भी अनुपस्थित रहे । अत: उनके विरूद्ध एकपक्षीय कार्यवाही की गई ।
4. आवेदक अधिवक्ता का एकपक्षीय तर्क सुना गया । प्रकरण का अवलोकन किया गया।
5. देखना यह है कि क्या आवेदक, अनावेदक से वांछित अनुतोष प्राप्त करने का अधिकारी है ।
सकारण निष्कर्ष
6. आवेदक अपने परिवाद के समर्थन में स्वयं के शपथ पत्र के साथ वाहन क्रय करने की रसीद, पूर्व वाहन स्वामी के नाम का आर.सी.बुक तथा अनावेदक को भेजी गई पंजीकृत सूचनापत्र एवं पावती की कॉपी पेश किया है, जिनका खंडन करने के लिए अनावेदक प्रकरण में उपस्थित नहीं हुआ । फलस्वरूप आवेदक द्वारा प्रस्तुत शपथ पत्र एवं दस्तावेजों के अवलोकन से यह स्पष्ट होता है कि वह अनावेदक से 1,20,000/-रू. प्रदान कर पुरानी वाहन शेवरोले स्पार्क एल.टी. क्रय किया, किंतु अनावेदक द्वारा आवेदक को वाहन क्रय किये जाते समय आश्वासन दिये जाने के पश्चात भी प्रश्नाधीन वाहन के संबंध में बैंक का एन.ओ.सी. एवं आर.सी.बुक नामान्तरण उपरांत प्रदान नहीं किया, जो स्पष्ट रूप से उसके व्यवसायिक कदाचरण को प्रकट करता है ।
7. उपरोक्त कारणों से हम इस निष्कर्ष पर पहुचते हैं कि अनावेदक द्वारा मामले में आवेदक के साथ व्यवसायिक कदाचरण कर सेवा में कमी की गई है । अत: हम आवेदक के पक्ष में अनावेदक के विरूद्ध निम्न आदेश पारित करते है:-
अ. अनावेदक, आवेदक को आदेश दिनांक के एक माह के भीतर वाहन के संबंध में बैंक का एन.ओ.सी. तथा रजिस्ट्रेशन बुक आवेदक के नाम पर अंतरण कर प्रदान करेगा ।
ब. अनावेदक, आवेदक को क्षतिपूर्ति के रूप में 20,000/-रू. (बीस हजार रूपये) की राशि भी अदा करेगा।
स. अनावेदक, आवेदक को वादव्यय के रूप में 2,000/-रू. ( दो हजार रूपये) की राशि अदा करेगा।
आदेश पारित
(अशोक कुमार पाठक) ( प्रमोद वर्मा)
अध्यक्ष सदस्य