सुरक्षित
राज्य उपभोक्ता विवाद प्रतितोष आयोग, उ0प्र0 लखनऊ
(जिला उपभोक्ता विवाद प्रतितोष फोरम, शाहजहांपुर द्वारा परिवाद संख्या 172 सन 2002 में पारित प्रश्नगत निर्णय एवं आदेश दिनांक 27.01.2004 के विरूद्ध)
अपील संख्या 481 सन 2004
1. रीजनल मैनेजर डेस्क टू डेस्क कूरियर एण्ड कार्गो लि0 रीजनल आफिस, स्वागत हाउस, 1822 डब्लूईए करोल बाग करोल बाग नार्ड, डिलही । एवं अन्य
.......अपीलार्थी/प्रत्यर्थी
-बनाम-
मै0 जीसर्जिवियर लि0 रसूलपुर जहांनगंज, शाहजहांपुर द्वारा श्री के0एम0 दीक्षित, वाइस प्रेसीडेन्ट ।
. .........प्रत्यर्थी/परिवादी
समक्ष:-
मा0 श्री उदय शंकर अवस्थी, पीठासीन सदस्य।
मा0 श्री गोवर्धन यादव, सदस्य।
अपीलार्थी की ओर से विद्वान अधिवक्ता - श्री एस0पी0 पाण्डेय ।
प्रत्यर्थी की ओर से विद्वान अधिवक्ता - कोई नहीं ।
दिनांक:-25-02-19
श्री गोवर्धन यादव, सदस्य द्वारा उद्घोषित
निर्णय
प्रस्तुत अपील, जिला उपभोक्ता विवाद प्रतितोष फोरम, शाहजहांपुर द्वारा परिवाद संख्या 172 सन 2002 में पारित प्रश्नगत निर्णय एवं आदेश दिनांक 27.01.2004 के विरूद्ध प्रस्तुत की गयी है ।
संक्षेप में, प्रकरण के आवश्यक तथ्य इस प्रकार हैं प्रत्यर्थी/परिवादी जीसर्जिवियर लि0, सर्जरी उपकरण बनाने की प्रतिष्ठित कम्पनी है। परिवादी ने 13 जुलाई, 2000 को 20 किलो सर्जरी उपकरण जिसकी कीमत 13,958.00 रू0 थी, कूरियर द्वारा मै0 आर्यन ड्रग एण्ड सर्जिकल्स मण्डी हिमाचल प्रदेश के लिए भेजे थे, जो कूरियर कम्पनी द्वारा गन्तव्य तक नहीं पहुंचाए गए । परिवादी/प्रत्यर्थी ने इस सम्बन्ध में उन्हें पत्र भी लिखे, कोई सुनवाई न करने पर जिला मंच के समक्ष परिवाद योजित किया।
जिला मंच के समक्ष अपीलकर्ता/विपक्षी ने अपना लिखित कथन प्रस्तुत कर उल्लिखित किया कि प्रश्नगत कन्साइनमेंट गन्तव्य स्थान के लिए भेजा गया था परन्तु प्राप्तकर्ता ने लेने से मना कर दिया, अत: मूल रूप में भेजने वाले को वापस कर दिया गया है। परिवाद गलत तथ्यों पर योजित किया गया है।
जिला मंच ने उभय पक्ष के साक्ष्य एवं अभिवचनों के आधार पर निम्न आदेश पारित किया :-
'' परिवाद स्वीकार किया जाता है। विपक्षी को आदेशित किया जाता है कि आज से एक माह के अन्दर प्रश्नगत माल की कीमत अंगन 13058.00 रू0 परिवाद की तिथि 30.07.2002 से भुगतान की तिथि तक नौ प्रतिशत वार्षिक साधारण ब्याज सहित अदा करे दे । परिवादी विपक्षी से 5000.00 रू0 क्षतिपूर्ति तथा वाद व्यय के रूप में वसूल करने का अधिकारी होगा। ''
उक्त आदेश से क्षुब्ध होकर प्रस्तुत अपील डेस्क टू डेस्क कूरियर एण्ड कार्गो लि0 द्वारा प्रस्तुत की गयी है।
अपील के आधारों में कहा गया है कि जिला मंच का प्रश्नगत निर्णय विधिपूर्ण नहीं है तथा सम्पूर्ण तथ्यों को संज्ञान में लिए बिना प्रश्नगत निर्णय पारित किया गया है जो अपास्त किए जाने योग्य है।
हमने अपीलार्थी के विद्वान अधिवक्ता श्री एस0पी0 पाण्डेय के तर्क विस्तारपूर्वक सुने एवं पत्रावली पर उपलब्ध साक्ष्यों का सम्यक अवलोकन किया। बहस हेतु नोटिस की पर्याप्त तामीली के बावजूद प्रत्यर्थी की ओर से कोई उपस्थित नहीं हुआ।
पत्रावली के अवलोकन से स्पष्ट है कि प्रत्यर्थी/परिवादी ने 13 जुलाई 2000 को 20 किलो सर्जरी उपकरण जिसकी कीमत 13,958.00 रू0 थी कूरियर द्वारा मै0 आर्यन ड्रग एण्ड सर्जिकल्स मण्डी हिमाचल प्रदेश के लिए भेजे थे जो अपीलार्थी कूरियर कम्पनी द्वारा गन्तव्य तक नहीं पहुंचाए गए । जबकि अपीलार्थी द्वारा उल्लिखित किया है कि प्रश्नगत कन्साइनमेंट गन्तव्य स्थान के लिए भेजा गया था परन्तु प्राप्तकर्ता ने लेने से मना कर दिया, अत: मूल रूप में भेजने वाले को वापस कर दिया गया है। अपीलकर्ता के विद्वान अधिवक्ता की ओर से यह तर्क प्रस्तुत किया गया कि प्रत्यर्थी/परिवादी ने ऐसा कोई साक्ष्य प्रस्तुत नहीं किया है कि कूरियर के अन्दर 13,958.00 रू0 की ही सर्जरी का सामान था । विद्वान अधिवक्ता का यह भी तर्क है कि जिला मंच ने बिना तथ्यों का सम्यक विश्लेषण किए प्रश्नगत निर्णय पारित किया है । अपीलार्थी के विद्वान अधिवक्ता द्वारा कम्पनी के नियम एवं शर्तों की धारा-15 की ओर हमार ध्यान आकृष्ट किया गया जिसमें यह उल्लिखित है कि – In the event of damage or loss or mis delivery of a consignment, the maximum liability assumed by D.T.D.C. on a consignment is limited to Rs. 100 unless the sender declares higher value as “declared value for carriage”. And also at the applicable Risk Surcharge there of as “carriers Risk” at the time of tendering the consignment. इस प्रकार कोई कन्साइनमेण्ट खो जाता है तो कम्पनी १००/- रू० तक की अदायगी हेतु उत्तरदायी होगी।
विद्वान अधिवक्ता अपीलार्थी द्वारा भारतीय नाइटिंग कम्पनी बनाम डी0एच0एल0 वर्ल्ड वाइड एक्सप्रेस कोरियर डिवीजन आफ एयर फ्रेट लि0, 1996 ए0आई0आर0 (एस0सी0) 2508 के मामले में विश्वास व्यक्त किया गया है जिसमें मा0 उच्चतम न्यायालय द्वारा यह निर्णीत किया गया है – ‘’ Applicability of provisions to courier service- On account of non-delivery of the cover, the State Commission of National Commission under the Act Could not give relief for damages in excess of the limits prescribed under the Contract. In appropriate case where there is an acute dispute of fact necessarily the Tribunal has to refer the parties to the original Civil Court under CPC. ‘’
मा0 उच्चतम न्यायालय के उपरोक्त निर्णय तथा पक्षकारों के मध्य निष्पादित संविदा के आलोक में हमारे विचार से अपीलार्थी १००/- रू० क्षतिपूर्ति प्राप्त करने का अधिकारी है। मामले के तथ्य एवं परिस्थितियों के आलोक में 500/- रू० वाद व्यय के रूप में प्रत्यर्थी को दिया जाना न्यायसंगत होगा।
आदेश
प्रस्तुत अपील आंशिक रूप से स्वीकार की जाती है। जिला उपभोक्ता विवाद प्रतितोष फोरम, शाहजहांपुर द्वारा परिवाद संख्या 172 सन 2002 में पारित प्रश्नगत निर्णय एवं आदेश दिनांक 27.01.20 अपास्त किया जाता है। अपीलार्थी को निर्देशित किया जाता है कि वे प्रत्यर्थी/परिवादी को १००/- (एक सौ) रू०, परिवाद योजित किए जाने की तिथि से धनराशि की अदायगी तक ०९ प्रतिशत वार्षिक साधारण ब्याज सहित निर्णय की तिथि से एक माह के अन्दर अदा किया जाना सुनिश्चित करें। इसके अतिरिक्त निर्धारित अवधि में 5००/- (पॉच सौ) रू० परिवाद व्यय के रूप में भी प्रत्यर्थी को अदा करें।
उभय पक्ष इस अपील का व्यय-भार अपना-अपना स्वयं वहन करेंगे।
(उदय शंकर अवस्थी) (गोवर्धन यादव)
पीठासीन सदस्य सदस्य
कोर्ट-2
(S.K.Srivastav,PA)