सुरक्षित
राज्य उपभोक्ता विवाद प्रतितोष आयोग, उ0प्र0 लखनऊ
परिवाद संख्या 40 सन 2020
Rahul Gyaneshwar S/o Shri Janardan Prasad, Resident of College More Baradari. Biharsharif, District- Nalanda- 803101 .......परिवादी
-बनाम-
1. M/s Gaursons Promoters Pvt. Ltd. registered office situated at D-25. Vivek Vihar Delhi 110095 through its Managing Director-
2- M/s Gaursons Promoters Pvt. Ltd Corporate office situated at Gaurs Biz park Plot No-1 Abhay Khand-II Indira puram, Ghaziabad through its Authorized Signatory.
3- M/s Gaursons Promoters Pvt. Ltd Progect Address- Gaur City-2 GH-03 Sector 16C Greater Noida, Uttar Pradesh- 201301.
. .........विपक्षीगण
समक्ष:-
मा0 श्री गोवर्द्धन यादव, सदस्य ।
मा0 श्री राजेन्द्र सिंह, सदस्य।
परिवादी की ओर से विद्वान अधिवक्ता - श्री नवीन कुमार तिवारी।
प्रत्यर्थी की ओर से विद्वान अधिवक्ता - श्री डी0एन0 वर्मा।
दिनांक:-09-02-21
श्री गोवर्द्धन यादव, सदस्य द्वारा उद्घोषित
निर्णय
परिवादपत्र के अनुसार संक्षेप में, परिवादी का कथन है कि उसने गौर सिटी-2, जीएच-03 सेक्टर-16 सी ग्रेटर नोएडा उ0प्र0 में दिनांक 04.03.2017 को एक फ्लैट के आवंटन हेतु 50 हजार रू0 जमा किए । विपक्षीगण द्वारा उसे Greater Noida, में यूनिट संख्या 601186 पॉचवी तल पर Gaur City-2 GH-03 Sector 16C आवंटित किया गया, जिसकी कुल कीमत 4,02,508.00 रू0 थी लेकिन विपक्षी ने वर्ष 2018 तक परिवादी को पेमेण्ट शेड्यूल उपलब्ध नहीं कराया । परिवादी का कथन है कि उसके एवं विपक्षी के बीच एग्रीमेंट वर्ष 2018 में हुआ था जिसकी भी प्रति उसे उपलब्ध नहीं करायी गयी। परिवादी ने फ्लैट के बावत बाद में 01 लाख रू0 विपक्षी के पास और जमा किए । परिवादी का कथन है कि बुकिंग धनराशि जमा करने के बाद भी दिनांक 12.02.2020 को उसका आवंटन बिना किसी कारण के निरस्त कर दिया गया और पत्राचार के बाद भी विपक्षीगण द्वारा कोई सुनवाई नहीं की गयी जिससे क्षुब्ध होकर परिवादी ने विपक्षीगण से पेमेण्ट शेड्यूल उपलब्ध कराने, 10 लाख रू0 क्षतिपूर्ति, 35 हजार रू0 वाद व्यय दिलाए जाने हेतु यह परिवाद योजित किया है।
विपक्षीगण की ओर से अपना वादोत्तर प्रस्तुत कर परिवाद पत्र के कथनों का खण्डन करते हुए उल्लिखित किया गया कि परिवादी द्वारा दिनांक 06.03.2017 को यूनिट संख्या 601186/जीसी-14 गौर सिटी 2 माधुरी देवी के नाम से बुक किया गया और परिवादी दूसरी आवंटी है। परिवादी के भाई वरूण ज्ञानेशवर द्वारा भी एक यूनिट उसी प्रोजेक्ट में बुक करायी गयी थी । परिवादी द्वारा बुक कराए गए 21,95,000.00 के फ्लैट के मूल्य के बावत कुल 1,50,000.00 रू0 जमा किए गए हैं जिसके कारण उसका आवंटन दिनांक 30.09.20 को निरस्त कर दिया गया है। डिफाल्टर होने नियमानुसार फ्लेट के कुल मूल्य का 25 प्रतिशत जब्त कर लिया जाता है। जिसके कारण परिवादी को कोई धनराशि देय नहीं है परिवादी को धनराशि जमा करने हेतु फ्लैट का निर्माण करते समय कई बार सूचित किया गया लेकिन परिवादी ने कोई ध्यान नहीं दिया है । परिवादी डिफाल्टर की श्रेणी में है अत: परिवादी द्वारा योजित परिवाद निरस्त किए जाने योग्य है।
उभय पक्ष ने अपने अपने कथन के समर्थन में साक्ष्य एवं शपथपत्र, मेल से किए गए पत्राचार की प्रतियॉं एवं फ्लैट निरस्तीकरण संबंधी पत्र की प्रति आदि प्रस्तुत की गयी है।
हमने उभय पक्ष के विद्वान अधिवक्तागण के तर्क विस्तारपूर्वक सुने एवं पत्रावली पर उपलब्ध साक्ष्यों का सम्यक अवलोकन किया।
पत्रावली का अवलोकन करने से स्पष्ट होता है कि परिवादी ने गौर सिटी-2, जीएच-03 सेक्टर-16 सी ग्रेटर नोएडा में एक फ्लैट आवंटन हेतु कुल 1,50,000.00 रू0 जमा किए, लेकिन विपक्षी ने वर्ष 2018 तक उसे पेमेण्ट शेड्यूल उपलब्ध नहीं कराया जिसके कारण वह आगे धनराशि जमा नहीं कर सका। धनराशि जमा न करने के कारण दिनांक 12.02.2020 को उसका आवंटन विपक्षी द्वारा निरस्त कर दिया गया । जबकि विपक्षीगण की ओर से उल्लिखित किया गया कि परिवादी द्वारा बुक कराए गए 21,95,000.00 मूल्य के फ्लैट के मूल्य के बावत कुल 1,50,000.00 रू0 ही जमा किए गए हैं जिसके कारण उसका आवंटन दिनांक 30.09.20 को निरस्त कर दिया गया है। डिफाल्टर होने नियमानुसार फ्लेट के कुल मूल्य का 25 प्रतिशत जब्त करने का प्राविधान है जिसके कारण परिवादी को कोई धनराशि देय नहीं है।
पत्रावली के अवलोकन से स्पष्ट है कि पेमेंण्ट शेड्यूल एवं पक्षकारों के मध्य निष्पादित इकरारनामा पत्रावली पर उपलब्ध नहीं कराया गया है । विपक्षी द्वारा परिवादी द्वारा जमा की गयी धनराशि स्वीकार की गयी है। विपक्षी द्वारा प्रश्नगत फ्लैट के संदर्भ में किए गए विकास कार्य के बावत कोई साक्ष्य प्रस्तुत नही किया है। पत्रावली पर ऐसा विश्वसनीय साक्ष्य उपलब्ध नहीं है जिससे यह स्पष्ट हो कि विपक्षी द्वारा फ्लैट निरस्त करने के पूर्व परिवादी को सूचना दी गयी है अथवा भुगतान के संबंध में ही सूचित किया गया हो । ऐसी स्थिति में निश्चित रूप से विपक्षी द्वारा सेवा में कमी कारित की गयी है। अत: परिवादी को उसके द्वारा जमा की गयी धनराशि मय ब्याज वापस दिलाया जाना न्यायोचत होगा।
मामले के तथ्यों एवं परिस्थितियों के आलोक में हमारे विचार से परिवादी को जमा की गई धनराशि पर धनराशि जमा किए जाने की तिथि से सम्पूर्ण अदायगी तक 10 प्रतिशत साधारण ब्याज दिलाया जाना न्यायोचित होगा।
तद्नुसार परिवादी का परिवाद आंशिक रूप से स्वीकार होने योग्य है।
आदेश
परिवादी का परिवाद आंशिक रूप से स्वीकार किया जाता है। विपक्षीगण को निर्देशित किया जाता है कि वह परिवादी द्वारा जमा की गयी धनराशि निर्णय की प्रतिलिपि प्राप्त करने के दिनांक से दो माह के अन्दर जमा की तिथि से परिवादी को 10 (दस) प्रतिशत ब्याज के साथ अदा कर दें। यदि उक्त अवधि में परिवादी को उसकी धनराशि अदा नहीं की जाती है तो विपक्षी द्वारा उक्त धनराशि पर 18( अटठारह) प्रतिशत ब्याज देय होगा ।
वाद व्यय के रूप में विपक्षीगण, परिवादी को 10,,000.00 (दस हजार) रू0 अलग से अदा करेंगे।
(राजेन्द्र सिंह) (गोवर्धन यादव)
सदस्य सदस्य
कोर्ट-1
(Subol)