Uttar Pradesh

StateCommission

A/2009/455

Alok Singh - Complainant(s)

Versus

M/s Gaurav Enterpraises - Opp.Party(s)

A K Srivastav

21 Oct 2024

ORDER

STATE CONSUMER DISPUTES REDRESSAL COMMISSION, UP
C-1 Vikrant Khand 1 (Near Shaheed Path), Gomti Nagar Lucknow-226010
 
First Appeal No. A/2009/455
( Date of Filing : 19 Mar 2009 )
(Arisen out of Order Dated in Case No. of District State Commission)
 
1. Alok Singh
a
...........Appellant(s)
Versus
1. M/s Gaurav Enterpraises
a
...........Respondent(s)
 
BEFORE: 
 HON'BLE MR. SUSHIL KUMAR PRESIDING MEMBER
 HON'BLE MRS. SUDHA UPADHYAY MEMBER
 
PRESENT:
 
Dated : 21 Oct 2024
Final Order / Judgement

(मौखिक)

राज्‍य उपभोक्‍ता विवाद प्रतितोष आयोग, उ0प्र0, लखनऊ

अपील संख्‍या-455/2009

Alok Singh Son of Sri Singhasan Singh

Versus  

M/S Gaurav Enterprises, Tara Mandal Road & others

समक्ष:-                                                            

1. माननीय श्री सुशील कुमार, सदस्‍य।

2. माननीय श्रीमती सुधा उपाध्‍याय, सदस्‍य।

उपस्थिति:-

अपीलार्थी की ओर से उपस्थित: श्री आदित्‍य कुमार श्रीवास्‍तव, विद्धान

                          अधिवक्‍ता

प्रत्‍यर्थी सं0 2 से 4 की ओर से उपस्थित: श्री प्रशांत चौधरी, विद्धान

                                  अधिवक्‍ता

प्रत्‍यर्थी सं0 1 की ओर से उपस्थित:- कोई नहीं

दिनांक :21.10.2024 

माननीय श्री सुशील कुमार, सदस्‍य द्वारा उदघोषित

निर्णय

  1.          परिवाद संख्‍या-293/2006, आलोक सिंह बनाम मै0 गौरव इन्‍टर प्राइजेज तारामण्‍डल व अन्‍य में विद्वान जिला आयोग, गोरखपुर द्वारा पारित प्रश्‍नगत निर्णय/आदेश दिनांक 06.02.2009 के विरूद्ध प्रस्‍तुत की गयी अपील पर अपीलार्थी एवं प्रत्‍यर्थी सं0 2 लगायत 4 के विद्धान अधिवक्‍ता के तर्क को सुना गया। पत्रावली एवं निर्णय/आदेश का अवलोकन किया गया।
  2.      जिला उपभोक्‍ता आयोग ने परिवाद इस आधार पर खारिज किया है कि शीतल पेय की वस्‍तु अपमिश्रित होना साबित नहीं है।
  3.      परिवाद के तथ्‍यों के अनुसार दिनांक 15.05.2006 को विपक्षी सं0 1 से विपक्षी सं0 3 एवं 4 द्वारा निर्मित उत्‍पाद मिरिंडा एक कैरेट व स्‍लाइस 250 एम0एल0 के पैक में 2 कैरेट अंकन 588/-रू0 में क्रय किया तथा उसी दिन प्रीतभोज में मेहमानों को शीतल पेय पीने के लिए दिया गया, जिसको पीने के बाद 2-3 बच्‍चों को उल्‍टी होने लगी। उन्‍हें डॉक्‍टर के पास ले जाया गया, डॉक्‍टर द्वारा बताया गया कि कोल्‍ड ड्रिंक में कोई जहरीला तत्‍व मौजूद है। घर आकर देखा तो पेप्‍सी उत्‍पाद के कुछ बोतलों में कीड़े व गंदगी मिली, जिसमें से 4 बोतलों को सुरक्षित रख लिया गया और विपक्षी सं0 1 को दी गयी, जिन्‍होंने बताया कि सीलबंद बोतल बेचते हैं, उनका कोई दायित्‍व नहीं है। इसके लिए विपक्षी सं0 4 जिम्‍मेदार है।
  4.         विपक्षी सं0 1 ने दिनांक 15.05.2006 को परिवाद पत्र मे वर्णित उत्‍पाद विक्रय करना स्‍वीकार किया है।
  5.         विपक्षी सं0 2 लगायत 4 ने लिखित कथन में कहा गया कि उनके द्वारा पूर्ण गुणवत्‍ता का उत्‍पाद बेचा जाता है और नकली उत्‍पाद परिवादी द्वारा क्रय किया गया है, इसलिए वे इस सूत्रपात में किसी प्रकार की मिलावट के लिए उत्‍तरदायी नहीं है।
  6.       पक्षकारों के साक्ष्‍य पर विचार करने के पश्‍चात जिला उपभोक्‍ता आयोग द्वारा यह निष्‍कर्ष दिया गया है कि अपमिश्रित होने का तथ्‍य साबित नहीं है।
  7.      इस निर्णय एवं आदेशके विरूद्ध अपील इन आधारों पर प्रस्‍तुत की गयी है कि जिला उपभोक्‍ता आयोग ने साक्ष्‍य के विपरीत निर्णय पारित किया है। जिला उपभोक्‍ता आयोग ने जनविश्‍लेषक की रिपोर्ट को विचार में नहीं लिया, जिसमें फफूंदी पायी गयी थी। विपक्षीगण के विद्धान अधिवक्‍ता का तर्क है कि उनके द्वारा उत्‍पाद पूर्ण गुणवत्‍ता के साथ तैयार किया जाता है और उनके उत्‍पाद में कोई फफूंदी नहीं थी तथा विपक्षी सं0 1 उनका वैध डीलर नहीं है।
  8.        जिला उपभोक्‍ता आयोग द्वारा पारित निर्णय के अवलोकन से ज्ञात होता है कि परिवादी ने 4 बोतलों को सुरक्षित रखा था, जिसमें फफूंदी जाहिर होती थी और उपभोक्‍ता आयोग के समक्ष प्रस्‍तुत किया था। अवशेष बोतलों में से एक स्‍लाइस एवं मिरिंडा की बोतल जनविश्‍लेषक को जांच हेतु भेजी गयी। परीक्षण के पश्‍चात यह रिपोर्ट दी गयी कि दोनों बोतलों में फफूंदी मौजूद है, परंतु इस रिपोर्ट को इस आधार पर स्‍वीकार नहीं किया गया कि स्‍लाइस की पैकिंग दिनांक 21.03.2006 को हुई है और विश्‍लेषण की तिथि को 06 माह बीत चुका है, इसलिए फफूंदी पाना एक निश्‍चायक सबूत नहीं है। जिला उपभोक्‍ता आयोग का यह निष्‍कर्ष विधिसम्‍मत नहीं कहा जा सकता। जनविश्‍लेषक की रिपोर्ट को नकारने का जो आधार जाहिर किया गया है वह पूर्णता अवैज्ञानिक है क्‍योंकि परिवादी द्वारा क्रय करने के तुरंत पश्‍चात पेय पदार्थ को उपभोग अपने मेहमानों को कराया गया है, जिसके प्रयोग के पश्‍चात 3-4 बच्‍चे बीमार हो गये तथा 4 बोतलों को सुरक्षित रखा गया, जिसे आयोग के समक्ष भी प्रस्‍तुत किया गया और जिनको निरीक्षण के लिए विधि विज्ञान प्रयोगशाला प्रेषित किया गया तथा जनविश्‍लेषक द्वारा बोतलों में फफूंदी होने के तथ्‍य को साबित किया गया, इसलिए जिला उपभोक्‍ता आयोग द्वारा पारित निर्णय/आदेश अपास्‍त होने योग्‍य है तथा परिवाद स्‍वीकार होने योग्‍य है।
  9.          अब इस बिन्‍दु पर विचार किया जाता है कि परिवादी को क्षतिपूर्ति की दर राशि कितनी देय होनी चाहिए?  
  10.                   परिवादी द्वारा अपने परिवाद पत्र में 19,00,000/-रू0 की क्षति की मांग की गयी है, परंतु इस राशि की क्षति का कोई विश्‍लेषण नहीं किया गया। इस राशि की क्षतिपूर्ति को अदा करने के लिए कोई आंकलन परिवाद पत्र में वर्णित नहीं किया गया। परिवादी द्वारा जो सामान क्रय किया गया, उसमें अंकन 588/-रू0 का खर्च किये गये। अत: निश्चित रूप में परिवादी अंकन 588/-रू0 की राशि वापस प्राप्‍त करने के लिए अधिकृत है। परिवादी द्वारा इलाज में खर्च के रूप में अंकन 1,000/-रू0 का उल्‍लेख किया तथा सशपथ साबित भी किया है, इसलिए परिवादी अंकन 1,000/-रू0 प्राप्‍त करने के लिए अधिकृत है। परिवाद व्‍यय के रूप में अंकन 5,000/-रू0 तथा मानसिक प्रताड़ना के मद में अंकन 10,000/-रू0 प्राप्‍त करने के लिए अधिकृत है। इस प्रकार परिवादी कुल राशि अंकन 16,588/-रू0 विपक्षीगण से एकल एवं संयुक्‍त दायित्‍व के तहत प्राप्‍त करने के लिए अधिकृत है।

आदेश

           अपील स्‍वीकार की जाती है। जिला उपभोक्‍ता आयोग द्वारा पारित निर्णय/आदेश अपास्‍त किया जाता है। परिवाद इस प्रकार स्‍वीकार किया जाता है कि प्रत्‍यर्थीगण/विपक्षीगण एकल एवं     संयुक्‍त दायित्‍व के तहत अपीलार्थी/परिवादी को अंकन 16,588/-रू0 अदा करे।  

               उभय पक्ष अपना-अपना व्‍यय भार स्‍वंय वहन करेंगे।

प्रस्‍तुत अपील में अपीलार्थी द्वारा यदि कोई धनराशि जमा की गई हो तो उक्‍त जमा धनराशि मय अर्जित ब्‍याज सहित अपीलार्थी को यथाशीघ्र विधि के अनुसार वापस की जाए।

 आशुलिपिक से अपेक्षा की जाती है कि वह इस निर्णय एवं आदेश को आयोग की वेबसाइट पर नियमानुसार यथाशीघ्र अपलोड कर दे।

         

(सुधा उपाध्‍याय)(सुशील कुमार)

सदस्‍य सदस्‍य

 

 

 

   संदीप सिंह, आशु0 कोर्ट 2

 

 

 

 

 

         

 

 

 

 

 

 

 
 
[HON'BLE MR. SUSHIL KUMAR]
PRESIDING MEMBER
 
 
[HON'BLE MRS. SUDHA UPADHYAY]
MEMBER
 

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