Pramod kumar filed a consumer case on 25 Jan 2016 against M/S Fatehpuria, Motors pvt. lt. in the Kota Consumer Court. The case no is CC/89/2012 and the judgment uploaded on 27 Jan 2016.
प्रमोद कुमार बनाम मैसर्स फतेहपुरिया मोटर्स प्रा.लि., कोटा
परिवाद संख्या 89/2012
25.01.2016 दोनों पक्षों को सुना जा चुका है। पत्रावली का अवलोकन किया गया।
परिवादी ने विपक्षी का संक्षेप में यह देाष बताया है कि दिनांक 14.10.10 को उससे 36590/-रूपये मंे मोटर साईकिल खरीदी थी जिसकी एक वर्ष की वारन्टी दी गई थी। उसमें जब भी सर्विस कराई गई तब बार-बार अचानक इंजन बन्द हो जाने व शोकरोें से आयल निकलने की शिकायत की गई लेकिन उसे दूर नहीं किया गया। बाद मे पीछे के ब्रेक लाईन भी खराब हो गये जिन्हें ठीक करने के 557/-रूपये दिये गये। इंजन व शोकर की खराबी को ठीक नहीं किया गया। विपक्षी को लीगल नोटिस भेजा गया इसके बावजूद खराबी ठीक नहीं की गई, वाहन को नहीं बदला गया तथा उसकी कीमत नहीं दी गई इससे आर्थिक नुकसान के साथ-साथ शारीरिक व मानसिक पीड़ा हुई।
विपक्षी ने पर्याप्त अवसर मिलने पर भी जवाब या साक्ष्य प्रस्तुत नहीं की।
परिवादी ने साक्ष्य में अपने शपथ-पत्र के अलावा वाहन खरीद बिल, आर.सी., बीमा पालिसी, सर्विस कूपन, मरम्मत चार्जेज बिल, विपक्षी को प्रेषित नोटिस एवं जवाब नोटिस आदि की प्रतियां प्रस्तुत की हैं।
हमने दोनों पक्षों को सुना, पत्रावली का अवलोकन किया।
वाहन के इंजन व शोकर में खराबी होने बाबत् कोई मेकेनिक या विशेषज्ञ की रिपोर्ट प्रस्तुत नहीं की गई है। जाॅब-शीट की प्रति भी प्रस्तुत नहीं की है। सर्विस कूपनों से स्पष्ट हेै कि प्रथम सर्विस 20.10.10 को 677 कि.मी. पर, दूसरी सर्विस 19.11.10 को 3376 कि.मी. पर, तीसरी सर्विस 7434 कि.मी. पर, 07.02.11 को चैथी सर्विस 15188 कि.मी. पर दिनांक 12.05.11 को कराई गई थी जो सभी निःशुल्क की गई। इन कूपनोें पर परिवादी की ऐसी कोई टिप्पणी नहीं है कि वह सर्विस से सन्तुष्ट नहीं है। परिवादी के नोटिस का विपक्षी ने जवाब भेजा उससे यह स्पष्ट होता है कि परिवादी ने उक्त सर्विसें निर्धारित कि.मी. चलने पर नहीं कराई अपितु बाद में कराई। उसकी छठी सर्विस शुल्क पर 20760 कि.मी. पर दिनांक 30.07.11 को हुई। जबकि जवाब नोटिस के अनुसार 12000 कि.मी. पर करानी थी। इस प्रकार विपक्षी के जवाब नोटिस से स्पष्ट हेै कि परिवादी ने नियत समय पर कभी भी मोटर साईकिल कि सर्विस नहीं कराई अपितु अधिक चला कर कराई इसलिये यदि छोटी-मोटी खराबी हुई तो उसके लिये वह स्वयं ही उत्तरदायी है। बे्रक लाईन के केवल 98/-रूपये ही उससे लिये गये थे बाकी आयल बदलने व सर्विस करने के चार्ज लिये गये जिसको वारन्टी के तहत देने का परिवादी का दायित्व था।
इस प्रकार हम पाते हैं कि परिवादी यह सिद्ध नहीं कर सका है कि विपक्षी ने दोष-पूर्ण वाहन दिया हो या नियत समय पर उसकी सही सर्विस करने में कमी की हो, इसलिये परिवाद खारिज होने योग्य है।
अतः परिवाद खारिज किया जाता है।
आदेश खुले मंच में सुनाया गया। पत्रावली फैसल शुमार होकर रिकार्ड में जमा हो।
(हेमलता भार्गव) (महावीर तॅंवर) (भगवान दास)
सदस्य सदस्य अध्यक्ष
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