Uttar Pradesh

StateCommission

A/2006/2934

U I I Co - Complainant(s)

Versus

M/s Fashion Emporium - Opp.Party(s)

T J S Makkar

06 Mar 2018

ORDER

STATE CONSUMER DISPUTES REDRESSAL COMMISSION, UP
C-1 Vikrant Khand 1 (Near Shaheed Path), Gomti Nagar Lucknow-226010
 
First Appeal No. A/2006/2934
(Arisen out of Order Dated in Case No. of District )
 
1. U I I Co
a
...........Appellant(s)
Versus
1. M/s Fashion Emporium
a
...........Respondent(s)
 
BEFORE: 
 HON'BLE MR. Udai Shanker Awasthi PRESIDING MEMBER
 HON'BLE MR. Sanjay Kumar MEMBER
 
For the Appellant:
For the Respondent:
Dated : 06 Mar 2018
Final Order / Judgement

राज्‍य उपभोक्‍ता विवाद प्रतितोष आयोग, उ0प्र0, लखनऊ।

सुरक्षित

अपील सं0-२९३४/२००६

(जिला मंच, मैनपुरी द्वारा परिवाद संख्‍या-२९/२००५ में पारित प्रश्‍नगत निर्णय एवं आदेश दिनांक १७-१०-२००६ के विरूद्ध)

यूनाइटेड इण्डिया इंश्‍योरेंस कं0लि0 ३६७, देवी रोड, मैनपुरी द्वारा डिप्‍टी मैनेजर नीरज श्रीवास्‍तव तैनात रीजनल आफिस, अलीगंज, लखनऊ।

                                         .............         अपीलार्थी/विपक्षी। 

बनाम्

मै0 फैशन इम्‍पोरियम, यादव मार्केट, मैनपुरी द्वारा श्री संजय कुमार पुत्र श्री सुभाष बाबू सिंह निवासी नई बस्‍ती, मोहल्‍ला देवपुरा, मैनपुरी।

                                         .............        प्रत्‍यर्थी/परिवादिनी।

समक्ष:-

१. मा0 श्री उदय शंकर अवस्‍थी, पीठासीन सदस्‍य।

२. मा0 श्री संजय कुमार, सदस्‍य।

अपीलार्थी की ओर से उपस्थित  :- श्री टी0जे0एस0 मक्‍कड़ विद्वान अधिवक्‍ता।

प्रत्‍यर्थी की ओर से उपस्थित    :- श्री आर0के0 गुप्‍ता विद्वान अधिवक्‍ता।

दिनांक : १५-०३-२०१८.

मा0 श्री उदय शंकर अवस्‍थी, पीठासीन सदस्‍य द्वारा उदघोषित

निर्णय

प्रस्‍तुत अपील, जिला मंच, मैनपुरी द्वारा परिवाद संख्‍या-२९/२००५ में पारित प्रश्‍नगत निर्णय एवं आदेश दिनांक १७-१०-२००६ के विरूद्ध योजित की गयी है।

संक्षेप में तथ्‍य इस प्रकार हैं कि प्रत्‍यर्थी/परिवादी के कथनानुसार उसने अपनी कपड़े दुकान का बीमा दिनांक २५-०८२००३ से २४-०८-२००४ तक के लिए ०३.०० लाख रू० की धनराशि का कराया था। दिनांक २५-१०-२००३ को परिवादी दीपावली पूजन करके तथा दीपक बुझाकर दुकान बन्‍द करके घर चला गया था। दिनांक २६-१०-२००३ को अवकाश के कारण दुकान बन्‍द रही। दिनांक २७-१०-२००३ को जब परिवादी ने दुकान खोली तो पाया कि दुकान में आग लगकर बुझ चुकी थी और काफी कपड़े जल गये थे। यह आग बिजली के शॉर्ट सर्किट से लगी थी जिसमें परिवादी का ०२.०० लाख रू० का कपड़ा जल गया। परिवादी ने घटना की रिपोर्ट थाना कोतवाली मैनपुरी में दिनांक २७-१०-२००३ को लिखायी थी तथा बीमा कम्‍पनी को सूचना दिनांक २८-१०-२१००३ को दी तथा बीमा दावा प्रेषित किया गया। अपीलार्थी बीमा कम्‍पनी द्वारा बीमा दावा स्‍वीकार न किए जाने के कारण परिवाद जिला मंच के समक्ष क्षतिपूर्ति की मय ब्‍याज अदायगी हेतु योजित किया गया।

 

 

-२-

अपीलार्थी बीमा कम्‍पनी ने प्रश्‍नगत बीमा पालिसी निर्गत किए जाने से इन्‍कार नहीं किया है। अपीलार्थी के कथनानुसार कथित घटना की सूचना प्राप्‍त करने के उपरान्‍त सर्वेयर की नियुक्ति की गई। सर्वेयर द्वारा जांच के उपरान्‍त प्रस्‍तुत की गई आख्‍या में यह तथ्‍य प्रकाश में आया कि परिवादी द्वारा जिस प्रकार घटना घटित होनी बताई गई है उस प्रकार घटना नहीं घटी। यद्यपि सर्वेयर ने जलने के कारण परिवादी की दुकान में कपड़ों की क्षति होना स्‍वीकार किया किन्‍तु सर्वेयर आख्‍या के अनुसार कथित घटना में आग में लपटें उत्‍पन्‍न नहीं हुई। अत: कथित घटना प्रश्‍नगत बीमा पालिसी की शर्तों से आच्‍छादित न होने के कारण क्षतिपूर्ति की अदायगी का दायित्‍व अपीलार्थी बीमा कम्‍पनी का नहीं था। तद्नुसार बीमा दावा स्‍वीकार नहीं किया गया।

प्रश्‍नगत निर्णय द्वारा विद्वान जिला ने परिवाद स्‍वीकार करते हुए अपीलार्थी बीमा कम्‍पनी को निर्देशित किया वह परिवादी को ०२.०० लाख रू० मय ०९ प्रतिशत वार्षिक साधारण ब्‍याज सहित परिवाद की तिथि से अन्तिम भुगतान की तिथि तक निर्णय की तिथि से एक माह के अन्‍दर भुगतान करे तथा २,०००/- रू० वाद व्‍यय के रूप में अदा करे।  

इस निर्णय से क्षुब्‍ध होकर यह अपील योजित की गयी।

हमने अपीलार्थी की ओर से विद्वान अधिवक्‍ता श्री टी0जे0एस0 मक्‍कड़ तथा प्रत्‍यर्थी की ओर से विद्वान अधिवक्‍ता श्री आर0के0 गुप्‍ता के तर्क सुने तथा अभिलेखों का अवलोकन किया।

अपीलार्थी के विद्वान अधिवक्‍ता द्वारा यह तर्क प्रस्‍तुत किया गया कि विद्वान जिला मंच ने पत्रावली पर उपलब्‍ध साक्ष्‍य का उचित परिशीलन न करते हुए प्रश्‍नगत निर्णय पारित किया है। अपीलार्थी की ओर से यह तर्क प्रस्‍तुत किया गया कि कथित घटना की सूचना के उपरान्‍त श्री अरूण कुमार जाजू को सर्वेयर नियुक्‍त किया गया। श्री जाजू ने घटना स्‍थल का निरीक्षण के उपरान्‍त जांच में यह पाया कि कथित घटना में आग में लपटें उत्‍पन्‍न नहीं हुईं जबकि प्रश्‍नगत बीमा पालिसी के अनुसार आग में लपटों का उत्‍पन्‍न होना आवश्‍यक था। ऐसी परिस्थिति में कथित घटना बीमा पालिसी की       शर्तों से आच्‍छादित न होने के कारण अपीलार्थी बीमा कम्‍पनी क्षतिपूर्ति की अदायगी हेतु

 

 

-३-

उत्‍तरदायी नहीं है। अपीलार्थी की ओर से यह तर्क भी प्रस्‍तुत किया गया कि बीमाधारक द्वारा अपने व्‍यापार से सम्‍बन्धित खाते अवलोकनार्थ सर्वेयर को प्रस्‍तुत नहीं किये गये। क्षतिपूर्ति हेतु बिना किसी तर्कसंगत आधार के अत्‍यधिक धनराशि की मांग की गई। ऐसी परिस्थिति में बीमा दावा स्‍वीकार न करके सेवा में कोई त्रुटि नहीं की गई है।

प्रत्‍यर्थी के विद्वान अधिवक्‍ता द्वारा यह तर्क प्रस्‍तुत किया गया कि सर्वेयर ने आख्‍या कल्‍पना के आधार पर प्रस्‍तुत की है। कथित घटना दिनांक २५/२६-१०-२००३ की रात में घटित हुई। दिनांक २५-१०-२००३ को परिवादी दीपावली पूजन करके तथा दीपक बुझाकर दुकान बन्‍द करके घर चला गया था। दिनांक २६-१०-२००३ को अवकाश के कारण दुकान बन्‍द रही। दिनांक २७-१०-२००३ को जब परिवादी ने दुकान खोली तो पाया कि दुकान में आग लगकर बुझ चुकी थी और काफी कपड़े जल गये थे। सर्वेयर द्वारा दिनांक २९-१०-२००३ को घटनास्‍थल का निरीक्षण किया तथा सर्वेयर द्वारा कथित घटना के सवा साल बाद आख्‍या प्रेषित की गई। सर्वेयर ने इस तथ्‍य को अस्‍वीकार नहीं किया कि परिवादी की दुकान में कपड़ों के बण्‍डल जलने से क्षतिग्रस्‍त हुए। जब जलने से कपड़े क्षतिग्रस्‍त हुए तब दुकान का शटर बन्‍द था उसे जलते हुए किसी ने नहीं देखा। कथित घटना में दुकान की फाल सीलिंग तथा बल्‍ब तक काले पड़ गये। बिना आग की लपट उठे इतने कपड़े जलना अस्‍वाभाविक था।  

कथित घटना के सन्‍दर्भ में अपीलार्थी के सर्वेयर द्वारा प्रस्‍तुत की गई आख्‍या के अवलोकन से यह विदित होता है कि सर्वेयर ने आग कपड़ों के बण्‍डल बॉंधते समय बीड़ी अथवा सिगरेट के टुकड़ों के गिरने से अथवा दीपक की तेल से भीगी हुई जलती हुई बाती के बण्‍डलों पर गिरने से लगना सम्‍भावित माना है। प्रश्‍नगत निर्णय के अवलोकन से यह विदित होता है कि विद्वान जिला मंच द्वारा यह मत व्‍यक्‍त किया गया है कि धूँआ तभी उठेगा जब आग लगेगी और यदि तेल से भीगी हुई जलती हुई बाती कपड़े के बण्‍डल पर गिरेगी तो निश्चित रूप से आग की लपटें उठेंगीं यह आवश्‍यक नहीं है कि यह लपटें काफी ऊँची और इतनी बड़ीं हों कि पूरी दुकान जल जाये अथवा दुकान की ऊपरी मंजिल पर रहने वालों को आग का पता लगे। सर्वेयर ने जले हुए कपड़ों के बण्‍डलों के फोटोग्राफ अपनी आख्‍या के साथ जिला मंच के समक्ष दाखिल किए जिनसे यह स्‍पष्‍ट है

 

 

-४-

कि आग लगी और कपड़े जले तथा दुकान की फॉल सीलिंग तथा बल्‍ब काले पड़ गये। बिना आग लगे धूँआ इकट्ठा होना सम्‍भव सम्‍भव नहीं है। विद्वान जिला मंच का यह निष्‍कर्ष हमारे विचार से त्रुटिपूर्ण नहीं है।

यह भी उल्‍लेखनीय है कि सर्वेयर द्वारा दुर्घटनाग्रस्‍त दुकान का निरीक्षण दिनांक २९-१०-२००३ को किया तथा लगभग सवा साल बाद आख्‍या दिनांक ३१-१२-२००४ को तैयार की गई और दिनांक ०७-०१-२००५ को बीमा कम्‍पनी को प्राप्‍त कराई गई। स्‍वभाविक रूप से सर्वेयर द्वारा आख्‍या प्रस्‍तुत में बिना किसी तर्कसंगत आधार के किया गया यह अनावश्‍यक विलम्‍ब आख्‍या के निष्‍कर्षों पर सन्‍देह उत्‍पन्‍न कर सकता है। ऐसी परिस्थिति में विद्वान जिला मंच का यह निष्‍कर्ष कि दुकान की क्षति वस्‍तुत: आग लगने के कारण हुई, हमारे विचार से त्रुटिपूर्ण नहीं है।

प्रश्‍नगत निर्णय के अवलोकन से यह विदित होता है कि प्रश्‍नगत बीमा पालिसी मूल रूप से अथवा उसकी प्रतिलिपि जिला मंच के समक्ष दाखिल नहीं की गई। उल्‍लेखनीय है कि जिला मंच द्वारा निर्णय में उल्लिखित इस तथ्‍य के बाबजूद अपीलीय स्‍तर पर भी प्रश्‍नगत बीमा पालिसी की प्रति अपीलार्थी द्वारा दाखिल नहीं की गई। बीमा पालिसी दाखिल न किए जाने के कारण इस तथ्‍य पर विचार किया जाना सम्‍भव नहीं हो सका कि वस्‍तुत: बीमा पालिसी में शब्‍द आग को किस प्रकार परिभाषित किया है।

जहॉं तक क्षति के मूल्‍यांकन का प्रश्‍न है, अपीलार्थी के विद्वान अधिवक्‍ता द्वारा इस तथ्‍य से इन्‍कार नहीं किया गया कि परिवादी ने सर्वेयर के समक्ष ५,९४,२४७/- रू० के बिल दाखिल किए थे जो दिनांक ०६-०४-२००३ से १७-१०-२००३ की अवधि के थे। परिवादी द्वारा बेचे हुए माल की‍ लिस्‍ट भी दाखिल की गई जिसका मूल्‍य १,१६,७८५/- रू० बताया गया। यह तथ्‍य भी निर्विवाद है कि कथित घटना से २० दिन पूर्व दिनांक ०८-१०-२००३ को प्रत्‍यर्थी/परिवादी ने स्‍टाक लिस्‍ट बैंक को प्रेषित की जिसमें उसने ३,५७,६७५/- रू० के मूल्‍य का सामान दुकान में होना दिखाया। परिवादी द्वारा बैंक को उपलब्‍ध कराई गयी यह सूचना कथित घटना के लगभग २० दिन पूर्व उपलब्‍ध कराई गई। अत: उपलब्‍ध कराई गई इस सूचना पर विश्‍वास किया जा सकता है। इस प्रकार लगभग ०२.०० लाख रू० की क्षति होना माना जा सकता है।

 

 

-५-

प्रश्‍नगत निर्णय के अवलोकन से यह विदित होता है कि विद्वान जिला मंच द्वारा यह मत व्‍यक्‍त किया गया कि दीपावली के अवसर पर उक्‍त स्‍टाक में से परिवादी ने काफी सामान बेच दिया होगा। अत: उसका स्‍टाक ०२.०० लाख रू० से कम होगा। जिला मंच के समक्ष इस आशय की साक्ष्‍य प्रस्‍तुत की गई कि दिनांक ०८-१०-२००३ के बाद परिवादी ने १४-१०-२००३ को ३८,७३०/- रू०, दिनांक १७-१०-२००३ को ४५,६९७/- रू० एवं दिनांक २१-१०-२००३ को ३१,३८०/- रू० का और माल खरीदा। अत: जिला मंच द्वारा यह मत व्‍यक्‍त किया गया कि दीपावली की बिक्री के बाद भी परिवादी की दुकान में दुर्घटना के समय ०३.०० लाख रू० से अधिक का माल था। ऐसी परिस्थिति में जिला मंच द्वारा आग की कथित घटना में ०२.०० लाख रू० क्षति हुई माना गया है। जिला मंच का यह निष्‍कर्ष हमारे विचार से त्रुटिपूर्ण नहीं है किन्‍तु क्षति की धनराशि पर जिला मंच द्वारा ०९ प्रतिशत वार्षिक ब्‍याज भी दिलाया गया है। ब्‍याज की यह दर मामले की परिस्थितियों के आलोक में हमारे विचार से अधिक है। ०९ प्रतिशत वार्षिक साधारण ब्‍याज के स्‍थान पर क्षति की धनराशि ०२.०० लाख रू० पर ०६ प्रतिशत वार्षिक साधारण ब्‍याज की दर से ब्‍याज दिलाया जाना उचित होगा। तद्नुसार अपील आंशिक रूप से स्‍वीकार किए जाने योग्‍य है।

आदेश

      अपील आंशिक रूप से स्‍वीकार की जाती है। जिला मंच, मैनपुरी द्वारा परिवाद संख्‍या-२९/२००५ में पारित प्रश्‍नगत निर्णय एवं आदेश दिनांक १७-१०-२००६ इस सीमा तक संशोधित किया जाता है कि जिला मंच द्वारा आदेशित ब्‍याज दर ०९ प्रतिशत वार्षिक साधारण ब्‍याज के स्‍थान पर ०६ प्रतिशत वार्षिक साधारण ब्‍याज देय होगा। शेष आदेश की यथावत् पुष्टि की जाती है।

      उभय पक्ष इस अपील का व्‍यय-भार अपना-अपना स्‍वयं वहन करेंगे।

      उभय पक्ष को इस निर्णय की प्रमाणित प्रति नियमानुसार उपलब्‍ध करायी जाय।

 

                                              (उदय शंकर अवस्‍थी)

                                                पीठासीन सदस्‍य

                                           

                                                 (संजय कुमार)

                                                    सदस्‍य

प्रमोद कुमार, वैय0सहा0ग्रेड-१, कोर्ट-३.

 
 
[HON'BLE MR. Udai Shanker Awasthi]
PRESIDING MEMBER
 
[HON'BLE MR. Sanjay Kumar]
MEMBER

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