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-अप्रार्थीगण
समक्षः
1. श्री बृजलाल मीणा, अध्यक्ष।
2. श्रीमति राजलक्ष्मी आचार्य, सदस्या।
3. श्री बलवीर खुडखुडिया, सदस्य।
उपस्थितः
1. श्री विमलेश कुमार जोशी, अधिवक्ता वास्ते परिवादी
2. अप्रार्थीगण की ओर से कोई उपस्थित नहीं- कार्यवाही इकतरफा
अंतर्गत धारा 12 उपभोक्ता संरक्षण अधिनियम ,1986
आ दे श दि0 25.2.2015
1. परिवाद के संक्षेप में तथ्य इस प्रकार हैं कि परिवादी व अप्रार्थीगण के बीच करार दिनांक 08.6.2011 को निष्पादित हुआ । परिवादी ने समय समय पर कुल रूपये 4,35,200 रूपये अप्रार्थीगण को चुकाये हैं । लेकिन उन्होंने परिवादी को माल घटिया व त्रुटिपूर्ण दिया है। अप्रार्थीगण ने परिवादी को वचन दिया कि वे 5 साल तक परिवाादी को सभी सुविधा निरंतर जारी रखेंगे । परिवादी को उपलब्ध करवााये गये कम्प्यूटर्स में मेन्युफेक्चरिंग दोष था तथा परिवादी को इंजीनियर की सेवाएं समय पर उपलब्ध नहीं हुई। जिससे परिवादी को नाजायज नुकसान हुआ। जिसके लिए परिवादी इस न्यायालय के क्षैत्राधिकार के हिसाब से 19,00,000/- प्राप्त करने का अधिकारी है जो अप्रार्थीगण से दिलाये जाने का निवेदन किया है।
2. अप्रार्थीगण को रजिस्टर्ड डाक से नोटिस भेजे गए । दिनांक 05.2.14 को अप्रार्थीगण बावजूद तामील अनुपस्थित रहने से उनके विरूद्ध कार्यवाही इकतरफा है।
3. बहस उभय पक्ष सुनी गई। पत्रावली का गहनतापूर्वक अध्ययन एवं मनन किया गया। परिवादीनि के अधिवक्ता का बहस के दौरान तर्क रहा है कि अप्रार्थीगण ने परिवादी से करार के मुताबिक घटिया व त्रुटिपूर्ण माल सप्लाई किया व उसकी सेवा में भी त्रुटि रही है जिससे परिवादी को हुई क्षति के लिए अप्रार्थीगण उत्तरदायी है इसलिए परिवादी अप्रार्थीगण से वांछित क्षतिपूर्ति प्राप्त करने का अधिकारी है। अप्रार्थीगण की ओर से कोई उपस्थित नहीं उनके विरूद्ध कार्यवाही इकतरफा है।
4. प्रार्थी व अप्रार्थीगण के बीच अप्रार्थीगण द्वारा प्रार्थी को हार्डवेयर शोफ्टवेयर की सुविधा व सर्विस देने के संबंध में इकरार प्रदर्श 1 हुआ जो कि पांच साल के लिए था। परिवादी की ओर से अप्रार्थीगण को कुल इस करार के तहत उपरोक्त सुविधा के बाबत
4,35,200 चुकाये । अप्रार्थी सं0 2 ने परिवादी को 10 कम्प्यूटर सेट 5 साल के लिए उपलब्ध करवाये जिनका भुगतान 60 माह में त्रैमासिक किस्तों में चुकाना तय हुआ जिसकी किस्तें समय समय पर अप्रार्थी के यहां जमा हुई है । परिवादी को दिये गये कम्प्यूटर्स में मेकेनिकल डिफेक्ट था जिसकी शिकायत करने पर सही सर्विस नहीं दी । सिलेबस के अनुसार अप्रार्थीगण को शोफ्टवेयर देना था परंतु शोफ्टवेयर नहीं दिया व एनेक्सचर प्रदर्श 11 व 12 के अनुसार सेवाएं नहीं देने से परिवाादी को नुकसान हुआ और उनकी लापरवाही के कारण बच्चे पढाई छोड़कर चले गये ।
5. परिवादी की ओर से प्रस्तुत परिवादपत्र के तथ्यों व प्रस्तुत एनेक्सचर व उनके समर्थन में प्रस्तुत शपथ पत्र आदि का कोई खण्डन अप्रार्थीगण की ओर से मंच के समक्ष उपस्थित होकर नहीं किया गया है, न ही अप्रार्थीगण की किसी प्रकार की साक्ष्य पत्रावली पर आई है जिससे परिवादपत्र, शपथ पत्र व एनेक्सचर्स का कोई खण्डन नहीं हुआ है इसलिए उन पर अविश्वास का पत्रावली पर कोई कारण नहीं है। पत्रावली पर उपलब्ध दस्तावेजात से यह स्पष्ट है कि परिवादी ने अप्रार्थीगण को कुल 4,35,200/- रूपये चुकाए हैं। शर्तों के मुताबिक अप्रार्थीगण ने परिवादी को सेवा नहीं दी है। माल घटिया व त्रुटिपूर्ण एवं विनिर्माण दोष वाला दिया है। इस प्रकार से परिवादी ने उसके द्वारा अप्रार्थी को समय समय पर चुकाई गई राशि के साथ क्षतिपूर्ति की राशि भी दिलाई जाने बाबत अनुतोष चाहा है। हमारी राय में परिवादी को अप्रार्थीगण से निम्न अनुतोष दिलाया जाना न्यायोचित हैः-
आदेश
6. अतः परिवादी अप्रार्थीगण से उसके द्वारा भुगतान की गई राशि 4,35,200/- रूपये एवं इस रकम पर परिवाद प्रस्तुत करने की दिनांक 16.10.2014 से ता-रकम वसूली 12 प्रतिशत वार्षिक ब्याजदर से ब्याज राशि प्राप्त करने का अधिकारी होगा। अप्रार्थीगण परिवादी को उपलब्घ करवाये गये हार्डवेयर वापस प्राप्त कर सकेगा। परिवादी 20,000 रूपये मानसिक क्षतिपूर्ति के रूप में एवं 5,000 रूपये परिवाद व्यय के रूप में प्राप्त करने का अधिकारी होगा।
आदेश आज दिनांक 25.2.2015 को लिखाया जाकर खुले न्यायालय में सुनाया गया।
।बलवीर खुडखुडिया। ।बृजलाल मीणा। ।श्रीमति राजलक्ष्मी आचार्य।
सदस्य अध्यक्ष सदस्या