राज्य उपभोक्ता विवाद प्रतितोष आयोग उ0प्र0, लखनऊ
(मौखिक)
परिवाद सं0- 420/2017
Shri Krishna Agarwal S/o Late Sri Nand Kishore Agarwal, Resident of C-110, Sector-17, Mahanagar, Lucknow.
……Complainant
Versus
1. M/s DLF Universal Ltd. Through its Managing Director, Arjun Marg, DLF City, Phase-1, Gurgaon-122002.
2. DLF Corporate Office, DLF Ltd., DLF Center, Sansad Marg, New Delhi-110001.
3. Mr. Abhishek Srivastav DLF Universal Ltd. 1/72, Vipul Khand, Gomti Nagar, Lucknow.
……..Opp. Parties
समक्ष:-
मा0 श्री विकास सक्सेना, सदस्य।
मा0 श्रीमती सुधा उपाध्याय, सदस्य।
परिवादी की ओर से उपस्थित : सुश्री फरहत जमाल सिद्दीकी,
विद्वान अधिवक्ता।
विपक्षीगण सं0- 1 व 2 की ओर से उपस्थित : श्री टी0जे0एस0 मक्कड़,
विद्वान अधिवक्ता।
विपक्षी सं0- 3 की ओर से उपस्थित : कोई नहीं।
दिनांक:- 27.03.2023
माननीय श्री विकास सक्सेना, सदस्य द्वारा उद्घोषित
निर्णय
1. यह परिवाद, परिवादी श्री कृष्ण अग्रवाल द्वारा विपक्षीगण मै0 डी0एल0एफ0 यूनिवर्सल लि0 व दो अन्य के विरुद्ध प्रस्तुत किया गया है।
2. परिवादी द्वारा परिवाद इन अभिकथनों के साथ योजित किया गया है कि विपक्षीगण द्वारा प्रकाशित एक विज्ञापन पर परिवादी से रू0 2,00,000/- एक प्लाट 5750 स्क्वायर फिट की दर से खरीदने के लिए धनराशि ली गई। परिवादी को एक एलाटमेंट लेटर दिनांकित 25.06.2013 एक प्लाट 619 स्क्वायर फिट के लिए जारी किया गया। विपक्षी द्वारा दिए गए शिड्यूल के अनुसार परिवादी ने आरम्भ में दि0 25.04.2013 को रू0 2,00,000/- की धनराशि देने के उपरांत दि0 24.06.2013 रू0 7,57,296/- एवं दि0 04.09.2013 रू0 3,58,985/- तथा दि0 22.11.2013 रू0 1,59,000/- की धनराशि इस प्रकार कुल 14,75,281/-रू0 की धनराशि अदा की, जिसकी रसीद संलग्न है। नियम व शर्तों के अनुसार 18(a) के अनुसार विपक्षीगण ने आवेदन पत्र के 48 महीने के अन्दर सम्पत्ति पर कब्जा देने का वायदा किया था। शर्तों के अनुसार 48 महीने दि0 14.03.2017 को समाप्त हो चुके हैं। विपक्षी अपनी शर्त के अनुसार सम्पत्ति का कब्जा देने में सफल हो सके। यह प्रोजेक्ट मार्च 2017 तक समाप्त हो जाना था, किन्तु इतने वर्ष गुजरने के बाद भी कोई प्रगति नहीं हुई। परिवादी के अनुसार 18 प्रतिशत चक्रवृद्धि ब्याज पर धनराशि वापस प्राप्त करने के अधिकारी हैं। परिवादी द्वारा उक्त यूनिट परिवादी ने अपने जीविकोपार्जन के लिए स्वरोजगार के उद्देश्य से खरीदा था, किन्तु समय से कब्जा न दिए जाने पर उसे गम्भीर हानि हुई है। इस आधार पर परिवादी ने रू02875168.48पैसे की धनराशि की मांग की है।
3. विपक्षीगण सं0- 1 व 2 की ओर से वादोत्तर प्रस्तुत किया गया जिसमें उनका कथन मुख्य रूप से यह आया कि विपक्षीगण की ओर से प्रोजेक्ट को पूर्ण करने का प्रयास आरम्भ से किया गया। उभयपक्ष के मध्य तय हुई शर्तों एवं आवंटन पत्र में इस बात का उल्लेख था कि प्रोजेक्ट में देरी होने और परिवादी के द्वारा धनराशि अदा न किए जाने पर दोनों दशाओं में क्षतिपूर्ति के रूप में 107.64 प्रति स्क्वायर मी0 की दर से क्षतिपूर्ति दी जायेगी। उभयपक्ष के मध्य ऐसा कोई करार नहीं हुआ था कि प्रोजेक्ट का कार्य आरम्भ न होने के आधार पर परिवादी को क्षतिपूर्ति प्रदान की जायेगी। परिवादी की ओर से सम्पूर्ण कार्यवाही पूर्ण शीघ्रता से की जा रही है और प्रोजेक्ट को पूर्ण करने का पूरा प्रयास किया जा रहा है। विपक्षी द्वारा 107.64 प्रति स्क्वायर मी0 की दर से करार के अनुसार धनराशि वापस किए जाने हेतु वादोत्तर में शर्त का उल्लेख करते हुए धनराशि दिलाये जाने को स्वीकार किया है।
4. हमने परिवादी की विद्वान अधिवक्ता सुश्री फरहत जमाल सिद्दीकी एवं विपक्षीगण सं0- 1 व 2 के विद्वान अधिवक्ता श्री टी0जे0एस0 मक्कड़ को सुना तथा पत्रावली पर उपलब्ध अभिलेखों का सम्यक परिशीलन किया। विपक्षी सं0- 3 की ओर से कोई उपस्थित नहीं है।
5. यह तथ्य दोनों पक्षों को स्वीकार है कि परिवादी द्वारा 14,75,281/-रू0 की धनराशि प्रदान की जा चुकी है, किन्तु वाद योजन की तिथि तक प्रोजेक्ट पूरा नहीं हुआ था एवं चार वर्ष से अधिक का समय जैसा कि करार में किया गया था समाप्त हो चुका है, किन्तु शर्तों के अनुसार कब्जा नहीं दिया जा सका, जिस कारण परिवादी ने धनराशि की मांग की गई है।
6. मा0 सर्वोच्च न्यायालय द्वारा फार्चून इंडस्ट्रीज व अन्य बनाम ट्रेवेल डी लीमा व अन्य प्रकाशित II(2018)CPJ पेज 1(80) में पारित निर्णय का उल्लेख करना उचित होगा, जिसमें मा0 सर्वोच्च न्यायालय द्वारा स्पष्ट रूप से आधारित किया गया है कि सम्पत्ति का उपभोक्ता एक लम्बे समय तक प्रतीक्षा नहीं कर सकता है। फ्लैट के क्रय-विक्रय में उपभोक्ता असीमित समय तक प्रतीक्षा नहीं कर सकता है और एक युक्त-युक्त समय निकल जाने के उपरांत उसको यह अधिकार है कि जमा धनराशि को वापस ले सकता है।
7. मा0 सर्वोच्च न्यायालय द्वारा पारित एक अन्य निर्णय बंगलौर डेवलपमेंट अथारिटी बनाम सिंडीकेट बैंक प्रकाशित (2007) वाल्यूम 6 S.C.C. पृष्ठ 711 में यह निर्णीत किया गया है कि यदि करार के अनुसार प्रदान किए गए समय-सीमा में बिल्डर द्वारा सम्पत्ति प्रदान नहीं की जा सकती है तो आवंटी को यह अधिकार है कि वह धनराशि की वापसी की मांग कर सकता है।
8. मा0 सर्वोच्च न्यायालय के उपरोक्त निर्णयों को देखते हुए इस मामले में यह उचित प्रतीत होता है कि विपक्षी, परिवादी को जमा धनराशि 14,75,281/-रू0 मय 08 प्रतिशत वार्षिक साधारण ब्याज जमा की तिथि से वास्तविक अदायगी तक प्रदान करे। इसके अतिरिक्त वाद व्यय के रूप में 10,000/-रू0 भी दिलाया जाना उचित प्रतीत होता है। तदनुसार परिवाद आंशिक रूप से स्वीकार किए जाने योग्य है।
आदेश
9. परिवाद आंशिक रूप से स्वीकार किया जाता है। विपक्षीगण सं0- 1 व 2 को निर्देशित किया जाता है कि वे परिवादी द्वारा जमा धनराशि 14,75,281/-रू0 मय 08 प्रतिशत वार्षिक साधारण ब्याज जमा की तिथि से वास्तविक अदायगी तक परिवादी को अदा करें। विपक्षीगण सं0- 1 व 2 को यह भी आदेशित किया जाता है कि परिवादी को वाद व्यय के रूप में 10,000/-रू0 अदा करें।
आशुलिपिक से अपेक्षा की जाती है कि वह इस निर्णय एवं आदेश को आयोग की वेबसाइट पर नियमानुसार यथाशीघ्र अपलोड कर दें।
(सुधा उपाध्याय) (विकास सक्सेना)
सदस्य सदस्य
शेर सिंह, आशु0,
कोर्ट नं0- 2