राज्य उपभोक्ता विवाद प्रतितोष आयोग, सर्किट बैंच
संख्या 2,राजस्थान जयपुर
ं
परिवाद संख्याः 860/2013
यूनाईटेड इडिया इन्ष्योरेन्स क0लि0,जरिये क्षे़त्रीय प्रबंधक, टोक रोड,जयपुर।
बनाम
मै डलास बायोटेक लि0ई-292,रीको इंण्डस्ट्रीयल एरिया,भिवाडी,जिला अलवर,जरिये नगेन्द्रसिंह बिसन।
समक्षः-
माननीय श्री विनय कुमार चावला, पीठासीन सदस्य।
माननीय श्री लियाकत अली,सदस्य ।
उपस्थितः
श्री रामसिंह भाटी, अधिवक्ता अपीलार्थी ।
श्री अभिषेक पाराषर, अधिवक्ता प्रत्यर्थी ।
दिनंाक: 22.01.2015
राज्य आयोग, सर्किट बैंच नं0 02, राज. द्वारा-
यह अपील विद्वान जिला मंच अलवर के निर्णय दिनांक 26.6.2013 के विरूद्व प्रस्तुत हुई है,जिसके द्वारा उन्होनें परिवादी का परिवाद स्वीकार कर लिया है।
प्र्रकरण के तथ्यों के अनुसार परिवादी एक दवाई निर्माता कम्पनी है जिसने दिनांक 16.12.2011 को अपने बिल सख्ंया 497 के द्वारा चार ड्रमों मे बमपिगपउम जतपीलकतंजम प्च् भरकर फयूचर सप्लाई सोल्यूषन्स लि0 ट्रांसपोर्ट कम्पनी के माध्यम से मैसर्स हिमसिल रा फार्मा अहमदाबाद को भिजवाये थे इनकी कीमत 8,49310/-रू0 थी। परिवादी कम्पनी ने अपीलार्थी कम्पनी से एक मैराईन पोलिसी संख्या 140701/21/11/02/00000181 ली हुई थी जिसमे माल का ज्तंदेपज तपेा बवअमत था जिसमें माल की चोरी, चपसमितंहम तथा छवद कमसपअमतल सम्मिलित थी । दिनांक 20.12.2011 को जब ये चारो ड्रम अहमदाबाद पहुच गये तो हिमसिल कम्पनी के अधिकारी जब उसकी डिलेवरी लेने गये तो उन्होनें देखा कि चारो ड्रमो की सील टूटी हुई थी इस कारण उन्होनें डिलेवरी लेने से मना कर दिया, परिवादी कम्पनी को सूचना दी गयी, परिवादी कम्पनी के अधिकारी अहमदाबाद पहुचे उन्होनंे ट्रांसपोर्टर की मौजुदगी मे निरीक्षण किया तो उन ड्रमो की सील टूटी हुई थी तथा ड्रमो मेे बमपिगपउम जतपीलकतंजम प्च् के स्थान पर लाइम पाउडर था, इसकी सूचना बीमा कम्पनी को भी दे दी गयी थी बीमा कम्पनी ने सर्वेयर की नियुक्ति भी की थी उसके उपरान्त भी बीमा कम्पनी ने जब क्लेम ैमजजसम नही किया तो यह परिवाद प्रस्तुत हुआ।
विद्वान जिला मंच के समक्ष यह आपत्ति ली गयी थी कि घटना की सूचना बीमा कम्पनी को 37 दिन की देरी से दी गयी है घटना की एक प्रथम सूचना परिवादी कम्पनी ने ट्रासंपोर्ट कम्पनी के विरूद्व प्रस्तुत की थी जिसमें पुलिस ने एफ0आर0 दे दी थी इस कारण क्लेम देय नही है, विद्वान जिला मंच ने इन आपत्तियों को निरस्त करते हुये परिवादी कम्पनी का परिवाद स्वीकार कर लिया ।
हमने दोनो पक्षों की बहस सुनी, पत्रावली का अवलोकन किया ।
यहां तक तथ्यों मे कोई्र विवाद नही हैे कि परिवादी कम्ॅपनी ने एक मैराइन पोलिसी ली हुई थी जो माल का ज्तंदेपज तपेा बवअमत करती थी। यह विवाद भी नही है कि परिवादी कम्पनी ने हिमसिल अहमदाबाद को चार ड्रमो मे बमपिगपउम जतपीलकतंजम प्च् भेजा था तथा मौके पर ड्रमो की सील टूटी हुई थी इस कारण इनकी डिलेवरी नही ली गयी थी, ट्रासपोर्टर के समक्ष इनका निरीक्षण भी किया गया था यह माल इस पालिसी के अन्तर्गत कवर था ।
हमने पत्रावली पर आये तथ्यों, साक्ष्य व विद्वान अधिवक्ता की बहस पर मनन किया तो हमे यह प्रतीत हुआ है कि परिवादी इस प्रकरण मे सही तथ्य लेकर नही आया है, यघपि विद्वान अधिवक्ता प्रत्यर्थी ने यह तर्क दिया है कि पुलिस द्वारा एफ आर दे दिया जाना ही क्लेम त्मचनकपंजपवद का आधार नही हो सकता है , हम इस स्थिति से यहां तक सहमत है कि पुलिस की एफ आर मंच अथवा आयोग पर बाध्य नही है परन्तु जो तथ्य पुलिस एफ आर मे आये है यदि वे सुसंगत प्रतीत होते है तो उनका स्पष्टीकरण परिवादी को देना चाहिये था। पुलिस अन्वेक्षण मे यह तथ्य आये है कि चार फाइबर के ड्रम सील मोहर स्थिति मे जिनमें बमपिगपउम जतपीलकतंजम प्च् भरा हुआ था गुलषन मेडिकल स्टोर भिवाडी के द्वारा विजय गोपाल डीजीएम बहरामपुर गुडगांवा को सुपुर्द किया गया था तथा विजय गोपाल डीजीएम ने 18.12.2011 को वाहन संख्या जी0जे01-9090 के द्वारा यह ड्रम अहमदाबाद के लिये रवाना किये थे । पूरे परिवाद व बहस मे इस बात का कोई स्पष्टीकरण नही है कि गुलषन मेडिकल स्टोर भिवाडी का इस मामले मे क्या रोल था तथा विजय गोपाल डीजीएम कौन था उसने यह ड्रम गुलषन मेडिकल स्टोर से कैसे प्राप्त किये थे जब कि परिवादी कम्पनी स्वयं को निर्माता बताते हुये माल भेजने का कथन कर रही है । दुसरा संदेह यह भी है कि पुलिस अन्वेक्षण मे यह तथ्य भी आये है कि जब यह ड्रम सील टूटी हुई हालात मे अहमदाबाद पहुचे तो क्रेता हिमसिल कम्पनी ने डिलेवरी लेने से मना कर दिया, उनके द्वारा जो रिपोर्ट परिवादी कम्पनी को भेजी गयी उसमें यह उल्लेख था कि सील टूटी हुई है और माल कम है। पुलिस अन्वेक्षण मे यह भी आया है कि फिर यह माल फयूचर सप्लाई ट्रंासपोर्ट कम्पनी के द्वारा वापस परिवादी कम्पनी को सौंप दिया गया, इस बारे मे परिवादी ने कोई तथ्य स्पष्ट नही किये है यदि हम पुलिस अन्वेक्षण पर विष्वास नहीं करे तो भी जो ड्रम अहमदाबाद पहुच गये थे उनका बाद मे क्या हुआ इसका कोई स्पष्टीकरण नही है । यघपि यह बताया गया है कि इन ड्रमो मे बमपिगपउम जतपीलकतंजम प्च् के स्थान पर लाइम पाउडर भरा हुआ था इसका भी कोई प्रमाण नही है क्योंकि कोई रासयनिक जांच नही करायी गयी है इसका नमूना लेकर किसी प्रयोगषाला मे नही भिजवाया गया मात्र परिवादी का कथन है कि इसमेें लाइम पाउडर भरा हुआ था, इसका कोई आधार या प्रमाण नही है ।
इस परिवाद मे परिवादी ने संबंधित ट्रांसपोर्ट कम्पनी को पक्षकार नही बनाया है और ट्रांसपोर्ट कम्पनी का कोई भी कथन हमारे समक्ष नही है । आष्यर्चजनक रूप से फयूचर सप्लाई चैन सोलूषन लि0 कम्पनी का एक प्रमाणपत्र पत्रावली पर उपलब्ध है जिसमें उन्होनें केवल माल की ैीवतजंहम बतायी है इस प्रमाणपत्र मे यह भी उल्लेख है कि चार पैकेट डिलेवर कर दिये गये थे जिनका वनज 112 किलोग्राम था जब कि इनवाइस के अनुसार इनका वजन 100 किलोग्राम होना चाहिये था यह भी एक विरोधाभास व विंसगति है यदि माल सील तोडकर निकाल लिया गया था तो 100 किलोग्राम के स्थान पर 112 किलोग्राम कैसे हो गया। ट्रांसपोर्ट कम्पनी को पक्षकार बनाने से यह स्थिति भी स्पष्ट हो जाती कि बकाया माल परिवादी को सौप दिया गया था और यदि अधिक से अधिक वह कोई क्लेम कर सकता था तो ैीवतजंहम माल का ही कर सकता था इन विसंगतियों की दृष्टि मे हम यह समझते है कि परिवादी अपने परिवाद मे सही तथ्य लेकर नही आया है तथा इस पूरी घटना मे संदेंह है । इसके अतिरिक्त बीमा कम्पनी को 37 दिन के बाद सूचना देना भी अपने आप मे घातक है। परिवादी जो कि एक रजिस्टर्ड कम्पनी है उनके द्वारा बीमा कम्पनी को इस घटना की सूचना एक माह तक नही देना संदेह को बल देता है । इस स्थिति में हम यह अपील स्वीकार किये जाने योग्य समझते है ।
परिणामतः मामले के समस्त तथ्यों परिस्थितियों व उक्त विवेचन के आधार पर अपीलार्थी की अपील स्वीकार की जाती है विद्वान जिला मंच अलवर का आलौच्य निर्णय दिनांकित 26.6.2013 निरस्त किया जाता है ।
(लियाकत अली)
सदस्य
(विनय कुमार चावला)
पीठासीन सदस्य