राज्य उपभोक्ता विवाद प्रतितोष आयोग, उ0प्र0, लखनऊ
(मौखिक)
परिवाद संख्या-78/2020
सुमन शुक्ला पत्नी श्री अशोक कुमार शुक्ला
बनाम
मै0 डी0एस0 इन्फ्राहाईट्स प्रा0लि0 व एक अन्य
समक्ष:-
माननीय न्यायमूर्ति श्री अशोक कुमार, अध्यक्ष।
दिनांक: 05.06.2024
माननीय न्यायमूर्ति श्री अशोक कुमार, अध्यक्ष द्वारा उदघोषित
निर्णय
पुकार हुई। परिवादिनी की ओर से उपस्थित विद्वान अधिवक्ता द्वय श्री अरविन्द मिश्रा एवं श्री बी0बी0 सिंह तथा विपक्षीगण की ओर से उपस्थित विद्वान अधिवक्ता द्वय श्री ध्रुव कुमार एवं श्री आर0डी0 पाल को विस्तार से सुना।
प्रस्तुत परिवाद में पूर्व में इस न्यायालय द्वारा अधिवक्ता कमिश्नर वास्ते मध्यस्थता नियुक्त किया गया था। मध्यस्थता असफल होने के कारण सुनवाई हेतु परिवाद पूर्व में सूचीबद्ध हुआ था। दिनांक 13.05.2024 को प्रस्तुत परिवाद में निम्न आदेश पारित किया गया था:-
''दिनांक : 13-05-2024
वाद पुकारा गया।
परिवादी के विद्धान अधिवक्ता श्री बी0 बी0 सिंह उपस्थित। विपक्षी के विद्धान अधिवक्ता श्री ध्रुव कुमार उपस्थित।
उभयपक्ष के विद्धान अधिवक्तागण को सुना गया। विपक्षी के विद्धान अधिवक्ता द्वारा अवगत कराया गया कि परिवादी को रू0 दस लाख की धनराशि प्राप्त करायी जा चुकी है।
पूर्व आदेश के अनुपालन में इस न्यायालय द्वारा नियुक्त मध्यस्थ द्वारा अपेक्षित कार्यवाही सुनिश्चित किये जाने का अथक प्रयास किया गया परन्तु पक्षकारों के मध्य विवाद मध्यस्थता के स्तर पर सुनिश्चित नहीं किया जा सका।
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तदनुसार प्रस्तुत वाद को दिनांक 05-06-2024 को सुनवाई हेतु सूचीबद्ध किया जावे।''
उपरोक्त आदेश में विपक्षी कम्पनी द्वारा 10,00,000/-रू0 (दस लाख रूपये) की धनराशि परिवादिनी को प्राप्त कराया जाना पाया जाता है। बाकी की परिवादिनी द्वारा जमा धनराशि अर्थात् लगभग 6,38,600/-रू0 (छ: लाख अड़तीस हजार छ: सौ रूपये) विपक्षीगण के विद्वान अधिवक्ता के कथनानुसार विपक्षीगण द्वारा परिवादिनी को दो सप्ताह की अवधि में प्राप्त करायी जावेगी।
परिवादिनी के विद्वान अधिवक्ता द्वारा जमा धनराशि पर देय ब्याज की मांग हेतु कथन किया, जिसके उत्तर में विपक्षीगण की ओर से उपस्थित विद्वान अधिवक्ता श्री ध्रुव कुमार द्वारा कथन किया गया कि वास्तव में प्रस्तावित योजना के अन्तर्गत विपक्षी कम्पनी द्वारा परिवादिनी को आवंटित फ्लैट का कब्जा माह अगस्त 2020 को प्राप्त कराया जाना था, परन्तु चूँकि परिवादिनी द्वारा मार्च 2020 में ही परिवाद प्रस्तुत किया गया, तदोपरान्त कोविड महामारी के कारण जो विलम्ब हुआ, वह क्षमा किये जाने योग्य था।
समस्त तथ्यों को दृष्टिगत रखते हुए मेरे विचार से विपक्षीगण द्वारा जमा धनराशि का उपयोग निर्माण में किया गया, जिस हेतु आर्थिक रूप से परिवादिनी को हुए नुकसान को दृष्टिगत रखते हुए परिवादिनी को उपरोक्त जमा धनराशि के अलावा 50,000/-रू0 (पचास हजार रूपये) की धनराशि क्षतिपूर्ति के अन्तर्गत भी विपक्षीगण द्वारा देय होगी, जो दो सप्ताह की अवधि में मूल बाकी की देय धनराशि 6,38,600/-रू0 (छ: लाख अड़तीस हजार छ: सौ रूपये) के साथ परिवादिनी को प्राप्त करायी जावेगी।
तदनुसार प्रस्तुत परिवाद अंतिम रूप से निस्तारित किया जाता है।
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आशुलिपिक से अपेक्षा की जाती है कि वह इस निर्णय/आदेश को आयोग की वेबसाइट पर नियमानुसार यथाशीघ्र अपलोड कर दें।
(न्यायमूर्ति अशोक कुमार)
अध्यक्ष
जितेन्द्र आशु0
कोर्ट नं0-1