Uttar Pradesh

StateCommission

C/1998/17

N Palriwal - Complainant(s)

Versus

M/s D C M Daewoo Motors Ltd - Opp.Party(s)

A K Srivastav

10 Sep 2015

ORDER

STATE CONSUMER DISPUTES REDRESSAL COMMISSION, UP
C-1 Vikrant Khand 1 (Near Shaheed Path), Gomti Nagar Lucknow-226010
 
Complaint Case No. C/1998/17
( Date of Filing : 25 May 1998 )
 
1. N Palriwal
a
...........Complainant(s)
Versus
1. M/s D C M Daewoo Motors Ltd
a
............Opp.Party(s)
 
BEFORE: 
 HON'ABLE MR. JUSTICE PRESIDENT PRESIDENT
 HON'BLE MR. Chandra Bhal Srivastava MEMBER
 HON'BLE MR. Raj Kamal Gupta MEMBER
 
PRESENT:
 
Dated : 10 Sep 2015
Final Order / Judgement

सुरक्षित

राज्‍य उपभोक्‍ता विवाद प्रतितोष आयोग, उ0प्र0 लखनऊ

 

परिवाद संख्‍या 17/1998 

श्री एन पालरीवाल                                ............परिवादी

बनाम

       

मै0डी0सी0एम0 देवू मोटर्स लि0 एवं अन्‍य        . .............विपक्षीगण

 

समक्ष:-

1    मा0   श्री चन्‍द्र भाल श्रीवास्‍तव,  पीठासीन  सदस्‍य।

2    मा0   श्री राजकमल गुप्‍ता , सदस्‍य।

 

परिवादी की ओर से विद्वान अधिवक्‍ता  -  श्री अम्‍बरीश कौशल ।

विपक्षी  की ओर से विद्वान अधिवक्‍ता  -  कोई नहीं ।

 

दिनांक:   06-10-15

    

श्री चन्‍द्रभाल श्रीवास्‍तव, सदस्‍य (न्‍यायिक) द्वारा उदघोषित ।

निर्णय

      परिवादी ने यह परिवाद कुल 19,53,750.00 रू0 क्षतिपूर्ति पाने हेतु प्रस्‍तुत किया है।

संक्षेप में, इस प्रकरण के आवश्‍यक तथ्‍य इस प्रकार हैं कि परिवादी ने एक सेलो कार, मार्च 1996 में 05,40,000.00 रू0 में विपक्षी संख्‍या-1 के डीलर विपक्षी संख्‍या-2, मै0 जुगुल किशोर मोटर लखनऊ के यहां से खरीदी। कार की‍ डिलीवरी के उपरांत कई बार कार को मरम्‍मत हेतु विपक्षीगण के अधिकृत वर्कशाप भेजा गया किन्‍तु कार पूर्णत: ठीक नहीं की गयी। दिनांक 14.1.1997 को परिवादी की कार खड़ी थी और जब परिवादी ने उसे स्‍टार्ट करना चाहा तो इंजन से एकाएक धुँआ निकला और कार में आग लग गयी। किसी तरह से लोगों के द्वारा आग बुझाई गयी और गाड़ी को पुन: मरम्‍मत हेतु भेजा गया। वर्कशाप द्वारा यह बताया गया कि गाड़ी में आग इसलिए लगी है कि फ्यूल रिटर्न पाइप में लीकेज है और यह एक निर्माणात्‍मक दोष है, जिसे कम्‍पनी द्वारा ही ठीक किया जा सकता है। स्‍वयं वर्कशाप द्वारा गाड़ी के रि-प्‍लेसमेंट के संबंध में कम्‍पनी को लिखा गया किन्‍तु परिवादी की कार न तो ठीक की गयी और न ही उसे रि-प्‍लेस किया गया बल्कि मरम्‍मत का दो लाख रू0 का बिल परिवादी को अलग से भेज दिया गया।

विपक्षी सं0-1 पर नोटिस की तामीला पर्याप्‍त मानी गयी है, इसके बावजूद विपक्षी संख्‍या-1 की ओर से कोई उपस्थित नहीं हुआ है।

विपक्षी सं0-2 की ओर से लिखित कथन प्रस्‍तुत किया गया है जिसमें यह कहा गया है कि गाड़ी में जब-जब मरम्‍मत की जरूरत हुयी, गाड़ी सही की गयी है। चूंकि गाड़ी में निर्माणात्‍मक दोष है, अत: गाड़ी का रि-प्‍लेसमेंट कम्‍पनी द्वारा ही किया जा सकता है। विपक्षी संख्‍या-2 द्वारा सेवा में कोई कमी नहीं की गयी है।

उभय पक्ष द्वारा साक्ष्‍य प्रस्‍तुत किए गए हैं।

हमने परिवादी के विद्वान अधिवक्‍ता की बहस सुन ली है एवं उभय पक्षों की लिखित बहस, साक्ष्‍य तथा अभिलेख का अनुशीलन कर लिया है।

अभिलेख के अनुशीलन से स्‍पष्‍ट है कि कम्‍पनी द्वारा परिवादी को दोषपूर्ण कार की डिलीवरी दी गयी थी, यद्यपि समय-समय पर कार में आयी खराबी को दूर किया गया है, किन्‍तु दोष पूर्ण कार होने के कारण ही कार में एकाएक आग लग गयी। विपक्षी सं0-2 डीलर है एवं विपक्षी संख्‍या-1 कार की स्‍वामिनी कम्‍पनी  है ऐसी स्थिति में गाड़ी के रि-प्‍लेसमेंट का उत्‍तरदायित्‍व विपक्षी संख्‍या-1 पर ही है। यहां यह भी उल्‍लेखनीय है कि विवादित कार का बीमा नेशनल इंश्‍योरेंस कं0 द्वारा किया गया था। अग्निकांड में बीमा कम्‍पनी के सर्वेयर द्वारा जो जांच की गयी है, उसमें यह कहा गया है कि कार में मैनुफैक्‍चरिंग डिफेक्‍ट है और इसी कारण परिवादी के क्‍लेम को भी निरस्‍त कर दिया गया है, ऐसी स्थिति में हम इस निष्‍कर्ष पर पहुंचते हैं कि विपक्षी सं0-1 द्वारा परिवादी को दोष-पूर्ण कार की डिलीवरी देकर सेवा में कमी की गयी है। तर्क के दौरान हमे यह बताया गया कि विपक्षी सं0-1 अब अस्तित्‍व में नहीं है, ऐसी स्थिति में कार के रि-प्‍लेसमेंट का कोई औचित्‍य नहीं बनता है, यद्यपि परिवादी अपनी कार का मूल्‍य विपक्षी संख्‍या-1 से पाने का अधिकारी है।

परिवादी ने अपने अनुतोष में कार के मूल्‍य 06,50,000.00 रू0 की याचना की है जबकि परिवादी ने अपने परिवाद की धारा-1 में यह स्‍वीकार किया है कि कार का मूल्‍य 05,40,000.00 रू0 है। बीमा पालिसी में भी यही धनराशि अंकित है, अत: परिवादी अपनी कार के मूल्‍य के रूप में 05,40,000.00 रू0 ही पाने का अधिकारी है। परिवादी ने व्‍यवसायिक हानि के मद में 09 लाख रू0 की याचना की है, जबकि कार उसके व्‍यक्तिगत प्रयोग में थी। इसके अतिरिक्‍त कार को बार-बार वर्कशाप भेजने के मद में भी 05 हजार रू0 की याचना की गयी है साथ ही साथ परिवाद दाखिल होने तक 250.00 रू0 प्रतिदिन के हिसाब से क्षतिपूर्ति चाही गयी है एवं दोषपूर्ण सेवा के मद में 03 लाख रू0 अलग से याचित किए गए हैं। हमारे विचार से इन मदों में याचित क्षतिपूर्ति की धनराशि अत्‍यधिक है और परिवादी को हुयी कठिनाई को देखते हुए हमारे विचार से 50,000.00 रू0 समग्र क्षतिपूर्ति स्‍वीकार किया जाना न्‍याय के उद्देश्‍यों में सहायक होगा।

परिणामत:, यह अपील अंशत: स्‍वीकार किए जाने योग्‍य है ।

 

आदेश

 

            यह परिवाद, परिवादी के हित में विपक्षी संख्‍या-1, के विरूद्ध कुल 05,90,000.00 (पांच लाख नब्‍बे हजार) रू0 क्षतिपूर्ति पाने हेतु एक पक्षीय रूप में स्‍वीकार किया जाता है। परिवादी उक्‍त धनराशि पर परिवाद दाखिल करने की तिथि 19.2.1998 से भुगतान होने तक 10 (दस) प्रतिशत वार्षिक की दर से ब्‍याज भी पाने का अधिकारी होगा।

      यह परिवाद विपक्षी संख्‍या-2 के विरूद्ध निरस्‍त किया जाता है।

      परिवाद के व्‍यय के संबंध में कोई आदेश पारित नहीं किया जा रहा है।

      इस निर्णय की प्रमाणित प्रतिलिपि पक्षकारों को नियमानुसार नि:शुल्‍क उपलब्‍ध करा दी जाए।

 

 

(चन्‍द्र भाल श्रीवास्‍तव)                           (राज कमल गुप्‍ता)

पीठा0 सदस्‍य (न्‍यायिक)                                                         सदस्‍य

      कोर्ट-2

(S.K.Srivastav,PA)

 

 

 

 
 
[HON'ABLE MR. JUSTICE PRESIDENT]
PRESIDENT
 
 
[HON'BLE MR. Chandra Bhal Srivastava]
MEMBER
 
 
[HON'BLE MR. Raj Kamal Gupta]
MEMBER
 

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