जिला उपभोक्ता विवाद प्रतितोष आयोग, प्रथम, लखनऊ।
परिवाद संख्या:- 475/2018 उपस्थित:-श्री नीलकंठ सहाय, अध्यक्ष।
श्री अशोक कुमार सिंह, सदस्य।
श्रीमती सोनिया सिंह, सदस्य।
परिवाद प्रस्तुत करने की तारीख:-17.11.2018
परिवाद के निर्णय की तारीख:-16.05.2022
अचिन्त खण्डेलवाल पुत्र श्री अनूप खण्डेलवाल, निवासी 43 बी, कैण्ट रोड, लखनऊ। .............परिवादी।
बनाम
1. मेसर्स क्लैरियान टाउनशिप (प्रा0) लि0, 27/18, राजा राममोहन राय मार्ग, लखनऊ।
2. दीपक रस्तोगी, निदेशक, मेसर्स क्लैरियान टाउनशिप (प्रा0) लि0, फ्लैट नं0-बी-411, रोहतास पशुपति अपार्टमेंट, राजा राममोहन राय मार्ग, लखनऊ।
3. पीयूष रस्तोगी, निदेशक, मेसर्स क्लैरियान टाउनशिप (प्रा0) लि0 4/1 मदन मोहन मालवीय मार्ग, लखनऊ।
............विपक्षीगण।
आदेश द्वारा-श्री नीलकंठ सहाय, अध्यक्ष।
निर्णय
1. परिवादी ने प्रस्तुत परिवाद धारा-12 उपभोक्ता संरक्षण अधिनियम के अन्तर्गत विपक्षीगण से फ्लैट की कीमत के रूप में लिया गया धन 1031222.00 रूपये 18 प्रतिशत वार्षिक ब्याज की दर से वास्तविक भुगतान की तिथि तक, नोटिस का खर्चा 5,500.00 रूपये मानसिक कष्ट व वाद व्यय के रूप में 50,000.00 रूपये दिलाये जाने की प्रार्थना के साथ प्रस्तुत किया है।
2. संक्षेप में परिवाद के कथन इस प्रकार हैं कि परिवादी ने विपक्षीगण के आश्वासन पर उसके प्रोजेक्ट रोहतास प्लैटिना अपार्टमेंट, फैजाबाद रोड लखनऊ के ब्लाक नम्बर सी के छठे तल पर यूनिट संख्या 602 में एक तीन बेडरूम का फ्लैट दिनॉंक 07.05.2012 को बुक कराया था जिसके पंजीकरण शुल्क के तौर पर परिवादी ने 251836.00 रूपये अदा किये थे प्रोजेक्ट पॉंच साल में पूर्ण होना था।
3. परिवादी ने दिनॉंक 11.01.2013 तक विपक्षीगण द्वारा मॉंग करने पर 1021222.00 रूपये अदा किए, किन्तु अपार्टमेंट के निर्माण की गति अत्यन्त सुस्त बल्कि न के बराबर थी। जबकि विपक्षीगण के आश्वासन के हिसाब से परिवादी को 36 माह में कब्जा देना था।
4. परिवादी को फ्लैट की तत्काल आवश्यकता थी, अत: दिनॉंक 07.07.2014 को परिवादी ने अपनी बुकिंग निरस्त करके जमा धन वापस करने के लिये निवेदन किया किन्तु बार बार पत्र लिखने तथा विपक्षीगण के कार्यालय पर व्यक्तिगत रूप से जाने पर भी परिवादी की धनराशि वापस नहीं की गयी।
5. दिनॉंक 23.09.2015 को परिवादी ने एक पत्र लिखा जो दिनॉंक 24.09.2015 को विपक्षीगण को प्राप्त हुआ किन्तु उसके बाद भी विपक्षीगण ने परिवादी की धनराशि वापस नहीं किया।
6. परिवादी ने अपने अधिवक्ता के माध्यम से दिनॉंक 27.06.2018 को एक विधिक नोटिस विपक्षीगण को भेजा, जिसमें अपनी समस्त धनराशि 1031222.00 रूपये 18 प्रतिशत ब्याज के साथ नोटिस प्राप्ति के 30 दिन के अन्दर वापस करने हेतु कहा किन्तु विपक्षीगण ने आज तक परिवादी की धनराशि वापस नहीं की। विपक्षीगण ने धनराशि के बदले फ्लैट देने का वायदा किया था जो कि उन्होंने पूरा नहीं किया। विपक्षीगण ने सेवा में त्रुटि की है।
7. परिवाद का नोटिस विपक्षीगण को भेजा गया किन्तु विपक्षीगण की ओर से कोई उत्तर पत्र प्रस्तुत नहीं किया गया। अत: दिनॉंक 28.02.2021 को विपक्षीगण के विरूद्ध एकपक्षीय कार्यवाही अग्रसारित की गयी।
8. परिवादी ने अपने साक्ष्य में शपथ पत्र तथा विधिक नोटिस, जमा धनराशि की रसीद, विभाग द्वारा जारी किया गया पत्र, एलाटमेंट लेटर, जारी की गयी धनराशि की रसीद एप्लीकेशन फार्म की छायाप्रति आदि दाखिल किया है।
9. हमने परिवादी के विद्वान अधिवक्ता के कथनों को सुना तथा पत्रावली का परिशीलन किया।
10. परिवादी का कथानक है कि परिवादी ने विपक्षीगण के आश्वासन पर उसके प्रोजेक्ट रोहतास प्लैटिना अपार्टमेंट, फैजाबाद रोड लखनऊ के ब्लाक नम्बर सी के छठे तल पर यूनिट संख्या 602 में एक तीन बेडरूम का फ्लैट दिनॉंक 07.05.2012 को बुक कराया था जिसके पंजीकरण शुल्क के तौर पर परिवादी ने 251836.00 रूपये अदा किये तथा प्रोजेक्ट पॉंच साल में पूर्ण होना था। परिवादी ने दिनॉंक 11.01.2013 तक विपक्षीगण द्वारा मॉंग करने पर 1021222.00 रूपये अदा किए, जबकि विपक्षीगण के आश्वासन के हिसाब से परिवादी को 36 माह में कब्जा देना था।
11. परिवादी को फ्लैट की तत्काल आवश्यकता थी, अत: दिनॉंक 07.07.2014 को परिवादी ने अपनी बुकिंग निरस्त करके जमा धनराशि वापस करने के लिये निवेदन किया किन्तु बार बार पत्र लिखने तथा विपक्षीगण के कार्यालय पर व्यक्तिगत रूप से जाने पर भी परिवादी की धनराशि वापस नहीं की गयी। जैसा कि परिवादी का कथन है कि उन्होंने दिनॉंक 22.01.2013 को रसीद संख्या 588 से 515611.00 रूपये, रसीद संख्या 357 से 263775.00 रूपये, रसीद संख्या 196 से 251836.00 रूपये जमा किया है। एग्रीमेंट के परिशीलन से विदित है कि 60 माह में निर्माण कराकर दिया जाना था जैसा कि परिवादी ने पॉंच साल पूरा होने के संबंध में कहा है।
12. उल्लेखनीय है कि समस्त कृत्यों में विपक्षीगण द्वारा सेवा में कमी की गयी है तथा परिवादी को मानसिक एवं शारीरिक व आर्थिक कष्ट हुआ है। पत्रावली पर कोई ऐसा साक्ष्य नहीं है जिससे परिवादी के कथनों पर अविश्वास प्रकट किया जा सके। पत्रावली पर उपलब्ध तथ्यों एवं साक्ष्यों को मद्देनजर रखते हुए परिवादी का परिवाद आंशिक रूप से स्वीकार किये जाने योग्य है।
आदेश
13. परिवादी का परिवाद आंशिक रूप से विपक्षीगण के विरूद्ध स्वीकार किया जाता है, तथा विपक्षी को निर्देशित किया जाता है कि वह परिवादी द्वारा जमा धनराशि मुबलिग-10,31,222.00 (दस लाख इकतीस हजार दो सौ बाइस रूपया मात्र) वाद दायर करने की दिनॉंक से भुगतान की दिनॉंक तक 09 प्रतिशत वार्षिक ब्याज के साथ निर्णय के 45 दिन के अन्दर अदा करें। मानसिक कष्ट एवं वाद व्यय के रूप में मुबलिग 50,000.00 (पचास हजार रूपया मात्र) भी अदा करें। यदि निर्धारित अवधि में उपरोक्त आदेश का अनुपालन नहीं किया जाता है तो उपरोक्त सम्पूर्ण धनराशि पर 12 प्रतिशत वार्षिक ब्याज भुगतेय होगा।
(सोनिया सिंह) (अशोक कुमार सिंह ) (नीलकंठ सहाय)
सदस्य सदस्य अध्यक्ष
जिला उपभोक्ता विवाद प्रतितोष आयोग, प्रथम,
लखनऊ।
आज यह आदेश/निर्णय हस्ताक्षरित कर खुले आयोग में उदघोषित किया गया।
(सोनिया सिंह) (अशोक कुमार सिंह) (नीलकंठ सहाय)
सदस्य सदस्य अध्यक्ष
जिला उपभोक्ता विवाद प्रतितोष आयोग, प्रथम,
लखनऊ।
दिनॉंक-16.05.2022