न्यायालय-जिला उपभोक्ता विवाद प्रतितोषण फोरम, रायपुर (छ.ग.)
समक्ष
सदस्य - श्रीमती अंजू अग्रवाल
सदस्य - श्रीमती प्रिया अग्रवाल
प्रकरण क्रमांक 147/2014
संस्थित दिनांक 01.04.2014
विनीत गोलछा, उम्र 36 वर्ष,
वल्द श्री शांतिलाल गोलछा,
पता-प्लाट नं.7, क्वार्टर नं.सी-2/10,
न्यू राजेन्द्र नगर, रायपुर (छ.ग.) परिवादी
विरूद्ध
1. मैनेजर, बिरला सन लाईफ इंश्योरेंस वन इंडिया,
वूल्स टॉवर-01, 15जी एवं 16जी फ्लोर,
जूपिटर मिल कम्पाउन्ड, 841 सेनापति बापत मार्ग,
एलफिन्सटन रोड, मुम्बई-400 013
2. ब्रांच मैनेजर,
बिरला सन लाईफ इंश्योरेंस वन इंडिया,
शॉप नंबर-437, 4जी फ्लोर, लालगंगा शॉपिंग
माल, जी.ई.रोड, रायपुर (छ.ग.) अनावेदकगण
परिवादी की ओर से श्री महेश मिश्रा अधिवक्ता।
अनावेदकगण की ओर से श्री डी.एल.राठौर अधिवक्ता ।
आदेश
आज दिनांक:- 25 फरवरी 2015 को पारित
श्रीमती अंजू अग्रवाल - सदस्य
1. परिवादी, अनावेदकगण से इलाज में आये कुल खर्च की राशि रू 130000/-मय ब्याज के दिलाने, मानसिक संताप के एवज में रू 100000/-, वादव्यय व अन्य अनुतोष दिलाने हेतु यह परिवाद धारा-12 उपभोक्ता संरक्षण अधिनियम 1986 के अंतर्गत प्रस्तुत किया है ।
2. प्रकरण में स्वीकृत/निर्विवादित तथ्य यह है कि परिवादी ने दि0 29.09.2012 को अनावेदकगण से मेडीक्लेम से संबंधित एक बीमा पॉलिसी रू 500000/-की कराई थी जिसकी पॉलिसी नंबर-505754314 है, जो कि दि0 29.09.2013 तक के लिये वैध था । परिवादी के द्वारा उक्त पॉलिसी के तहत् प्रथम किश्त रू 10488.81 अदा किया गया था । उक्त पालिसी के तहत् परिवादी स्वयं, उसकी पत्नी व बच्चे बीमित थे।
परिवाद:-
3. परिवादी का परिवाद संक्षेप में इस प्रकार है कि उसे दि0 27.05.2013 को पेशाब करने से काफी कठिनाई हो रही थी तथा पेशाब नहीं उतरने से पेट में असहनीय दर्द चालू हो गया जिसके बाद परिवादी तत्काल डॉ.निर्मल बागरेचा नर्सिंग होम, कटोरा तालाब रोड, शैलेन्द्र नगर में भर्ती हुआ। डॉ.निर्मल बागरेचा द्वारा सोनोग्राफी व अन्य टेस्ट करवाने के लिये कहा गया जिससे यह पता चला कि यूरीनल में स्टोन अटका हुआ है । परिवादी की स्थिति ज्यादा खराब होने से डॉ.बागरेचा द्वारा परिवादी को तत्काल डॉ.प्रशांत एम.भागवत, चैबे कॉलोनी, रायपुर भेजा गया जहां पर परिवादी का दि0 28.05.2013 को प्रथम बार लेजर ऑपरेशन किया गया जिसमें कुल खर्च रू 60000/-आया । प्रथम आपरेशन के बाद कुछ स्टोन के कण रह जाने से दूसरा ऑपरेशन दि0 09.07.2013 को किया गया तथा दि0 12.07.2013 को डिस्चार्ज किया गया जिसमें कुल रू0 55000/-का खर्च आया। परिवादी के द्वारा तीसरी बार डॉ.भागवत को चेकअप हेतु कुल 5000/-अदा की गई। इस तरह से परिवादी द्वारा कुल रू 120000/-एवं दूध व फल आदि में रू 10000/- कुल रू 130000/-का खर्च किया गया । परिवादी के द्वारा अपनी बीमारी के संबंध में अधिकृत एजेंट वैभव को दि0 28.05.2013 को मोबाईल के माध्यम से सूचित कर दिया गया था । इसके उपरांत परिवादी द्वारा दि0 17.06.2013 को अनावेदक क्र.2 के ऑफिस में समस्त मूल चिकित्सकीय दस्तावेज व मूल बिल जमा कर दिया गया था जहां पर परिवादी को कहा गया कि एक माह के अंदर हेड ऑफिस में भेजकर समस्त कार्यवाही कर क्लेम राशि दी जायेगी । परिवादी के द्वारा अनावेदकगण को सूचित करने के उपरांत भी आज दिनांक तक कोई क्लेम की राशि नहीं दी गई । परिवादी ने अपने अधिवक्ता के माध्यम से दि0 07.12.2013 को लिखित सूचना अनावेदकगण को प्रेषित किया जो अनावेदकगण को प्राप्त होने के बाद भी अनावेदकगण द्वारा कोई भी जवाब नहीं दिया गया जिससे परिवादी लगातार आर्थिक व मानसिक रूप से पीडि़त हो रहा है । इस तरह अनावेदकगण के द्वारा सेवा में कमी की गई है । अतः परिवादी ने यह परिवाद पेश कर अनावेदकगण से अपने इलाज में आये कुल खर्च की राशि रू 130000/-मय ब्याज के दिलाने तथा मानसिक संताप के एवज में रू 100000/- दिलाये जाने की याचना कर परिवादी वीनित गोलछा ने परिवाद पत्र में किये अभिकथन के समर्थन में स्वयं का शपथपत्र तथा सूची अनुसार दस्तावेजों की फोटोप्रति पेश किया है ।
जवाबदावा (अनावेदकगण):-
4. अनावेदकगण द्वारा अपने जवाबदावा एवं प्रारंभिक आपत्ति में कथन किया गया है कि परिवादी द्वारा आवश्यक दस्तावेज पेश नहीं किये जाने के कारण परिवादी का दावा निराकृत नहीं किया गया है । (i.e. MD India Healthcare Services (TPA) Pvt.Ltd. द्वारा परिवादी को सूचित किया गया था कि- First Consultation paper with finding showing the nature/duration/history of illness alongwith fererral letter for investigation or specialist's consultation paper, all subsequent consultation paper and all investigation reports pertaining to diagnosis and treatment of Hypertension. किन्तु परिवादी द्वारा उक्त के संबंध में कोई दस्तावेज प्रदान नहीं किया गया । परिवादी द्वारा भेजे गये नोटिस के जवाब में भी उक्त दस्तावेजों की मांग की गई किन्तु परिवादी द्वारा आज तक दस्तावेज प्रदान नहीं किये गये । इस प्रकार परिवादी द्वारा पेश परिवाद अपरिपक्व होने के कारण पोषणीय नहीं है । चॅूकि परिवादी का दावा अनावेदक के समक्ष अभी भी विचाराधीन है, इसलिये अनावेदकगण के विरूद्ध फोरम के समक्ष लगाये गये आरोप को सव्यय निरस्त किये जाने की प्रार्थना कर हर्षिता डेरे, अधिकृत प्रतिनिधि ने जवाब के समर्थन में स्वयं का शपथपत्र तथा सूची अनुसार दस्तावेजों की फोटोप्रति पेश किया है ।
5. उभयपक्ष के अभिकथनों के आधार पर प्रकरण में निम्न विचारणीय प्रश्न उत्पन्न होते हैं कि
(1) क्या परिवादी, अनावेदकगण से ईलाज में आये ‘‘हां''
कुल खर्च की राशि रू 130000/-मय ब्याज प्राप्त
करने का अधिकारी है ?
(2) क्या परिवादी, अनावेदकगण से मानसिक संताप के रू 10000/-प्राप्त करने का
एवज में रू 100000/-प्राप्त करने का अधिकारी है ? अधिकारी है ।
(3) अन्य सहायता एवं वादव्यय ? परिवाद अंशतः स्वीकृत।
विचारणीय बिन्दुओं के निष्कर्ष के आधार
6. प्रकरण का अवलोकन कर सभी विचारणीय प्रश्नों का निराकरण एक साथ किया जा रहा है ।
फोरम का निष्कर्ष:-
7. परिवादी का तर्क है कि उसके द्वारा अनावेदकगण से मेडीक्लेम से संबंधित एक बीमा पालिसी ली गई थी । उक्त पॉलिसी के अनुसार परिवादी व उसकी पत्नी व बच्चे बीमारी से ग्रसित होते हैं, तो रू 500000/-तक का पूरा खर्च इंश्योरेंस कंपनी द्वारा वहन करेगी। दि0 27.05.2013 को परिवादी की तबीयत खराब होने पर उपचार हेतु अस्पताल में भर्ती कराया गया एवं विभिन्न टेस्ट किये गये । टेस्ट उपरांत यह पता चला कि यूरीनल में स्टोन अटका हुआ है जिसका लेजर ऑपरेशन किया गया एवं आॅपरेशन में कुल खर्च रू 130000/-आया । परिवादी द्वारा दि0 28.05.2013 को बीमा कंपनी के अधिकृत एजेंट को मोबाइल के माध्यम से सूचित कर दिया गया था एवं दि0 17.06.2013 एवं दि0 16.08.2013 को समस्त दस्तावेज अनावेदकगण के कार्यालय में जमा कर दिया गया । दि0 07.12.2013 को अनावेदकगण को अधिवक्ता के माध्यम से नोटिस भेजी गई किन्तु अनावेदकगण ने आज दिनांक तक दावे का निराकरण न कर सेवा में कमी की है । अनावेदक का तर्क है कि टीपीए द्वारा परिवादी को अतिरिक्त दस्तावेज प्रदान करने हेतु सूचित किया गया था किन्तु परिवादी द्वारा कोई दस्तावेज की आपूर्ति नहीं की गई जिस कारण परिवादी के दावे का निराकरण नहीं हो सका है । परिवादी का दावा उनके समक्ष आज भी लंबित है एवं दावा लंबन के दौरान परिवादी द्वारा फोरम के समक्ष परिवाद पेश किया है जो कि अपरिपक्व है । अतः प्रकरण को अपरिपक्व मानते हुए निरस्त किये जाने की प्रार्थना की है ।
8. अनावेदकगण द्वारा की गई आपत्ति (दस्तावेज प्रदान नहीं किया गया एवं प्रकरण अपरिपक्व है) के संबंध में परिवादी का तर्क है कि उसके द्वारा दि0 17.06.2013 एवं दि0 16.08.2013 को अनावेदकगण के समक्ष समस्त दस्तावेज जमा कर दिये गये थे । समस्त दस्तावेज प्राप्त करने के पश्चात् भी अनावेदक द्वारा दावे के संबंध में निराकरण नहीं किया जाना सेवा में निम्नता की श्रेणी में आता है । उक्त के संबंध में प्रकरण के अवलोकन से भी यही निष्कर्ष निकलता है कि परिवादी द्वारा उपचार से संबंधित सभी दस्तावेज अनावेदकगण को प्रदान कर दिये गये थे क्योंकि परिवादी को किसी दस्तावेज को रोककर रखने से लाभ प्राप्ति तो होगी नहीं । निश्चय ही कोई व्यक्ति यही चाहेगा कि उसके दावे का निराकरण शीघ्रताशीघ्र हो जिसके लिये वह किसी भी दस्तावेज को रोकने की भूल नहीं करेगा । अतः फोरम अनावेदकगण द्वारा की गई आपत्ति को कोई औचित्य नहीं पाती एवं प्रकरण को अपरिपक्व नहीं मानती है । निश्चय ही अनावेदकगण द्वारा परिवादी को दावा राशि प्रदान न कर सेवा में कमी की गई है जिसके लिये अनावेदकगण उपचार में खर्च हुई राशि प्रदान करने हेतु उत्तरदायी है । साथ ही शारीरिक मानसिक कष्ट के लिये रू 10000/-दिलाया जाना उचित पाती है क्योंकि मेडीक्लेम पॉलिसी या अन्य पालिसी को पूरे विश्वास व आशा के साथ इसलिये लिया जाता है कि उसे एवं उसके परिवार को अचानक बीमारी या विपत्ति के समय होने वाले खर्च की राशि में सहायता मिल सके । अनावेदकगण को चाहिये था कि परिवादी के दावे को हीलाहवाला न करते हुए शीघ्रता से निराकरण किया जाना था।
9. फलस्वरूप हम उपरोक्त परिस्थितियों में परिवादी का दावा स्वीकार करते हैं और यह निष्कर्षित करते हैं कि अनावेदकगण संयुक्त एवं अलग-अलग रूप से परिवादी के संबंध में सेवा में निम्नता एवं व्यवसायिक कदाचरण के दोषी हैं । अतः परिवादी, अनावेदकगण से संयुक्त एवं अलग-अलग रूप से ईलाज में आये कुल खर्च की राशि रू 130000/-मय ब्याज के प्राप्त करने का अधिकारी है । परिवादी, अनावेदकगण से संयुक्त एवं अलग-अलग रूप से मानसिक क्षतिपूर्ति के रूप में रू 10000/-तथा वादव्यय के रूप में रू 2000/-भी प्राप्त करने का अधिकारी है ।
10. अतः उपरोक्त संपूर्ण विवेचना के आधार पर हम परिवादी द्वारा प्रस्तुत परिवाद आंशिक रूप से स्वीकार करते हैं और आदेशित करते हैं कि आदेश दिनांक से एक माह के अवधि के भीतर:-
(अ) अनावेदकगण, परिवादी को आये कुल खर्च की राशि रू 130000/-(एक लाख तीस हजार रूपये) परिवाद दिनांक-01.04.2014 से अदायगी दिनांक तक 9 प्रतिशत साधारण वार्षिक ब्याज सहित अदा करेंगे ।
(ब) अनावेदकगण, परिवादी को उपरोक्त कृत्य के कारण हुई मानसिक कष्ट के लिए रू 10000/- (दस हजार रूपये) अदा करेंगे।
(स) अनावेदकगण, परिवादी को अधिवक्ता शुल्क तथा वादव्यय के रूप में रू 2000/- (दो हजार रूपये) भी अदा करेंगे ।
(श्रीमती अंजू अग्रवाल) (श्रीमती प्रिया अग्रवाल)
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