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जिला उपभोक्ता विवाद प्रतितोष फोरम- आजमगढ़।
परिवाद संख्या 421 सन् 1995
प्रस्तुति दिनांक 08.12.1995
निर्णय दिनांक 06.12.2018
मृतक राम स्वरूप राय पुत्र बनवारी राय निवासी ग्राम व पोस्ट भुना बुजुर्ग परगना व तहसील- सगड़ी, जिला- आजमगढ़।
1/1. श्री गोविन्द राय पुत्र स्वo रामस्वरूप राय
½. विनोद राय पुत्र स्वo रामस्वरूप राय
1/3. प्रियंका राय पुत्री स्वo रामस्वरूप राय
¼. कलावती देवी बेवा स्वo रामस्वरूप राय
साकिन मौजा- भुवना बुजुर्ग, तहसील- सगड़ी, थाना- जीयनपुर, जिला- आजमगढ़।
................................................................................परिवादीगण।
बनाम
1. मेo भारत एग्रीकल्चरल कॉरपोरेशन, मुहल्ला- सर्फुद्दीनपुर, निकट बेलइसा रोड, आजमगढ़ जरिये पार्टनर/प्रोपराइटर।
2. मेo महेन्द्रा एण्ड महेन्द्रा लिमिटेड, ट्रैक्टर डिवीजन, वर्ली, वर्ली रोड नम्बर 13, बम्बई- 400018 जरये जनरल मैनेजर (सेवा) मेo महिन्द्रा एवं महिन्द्रा लिo।
..................................................................................विपक्षीगण।
उपस्थितिः- अध्यक्ष- कृष्ण कुमार सिंह, सदस्य- राम चन्द्र यादव
अध्यक्ष- “कृष्ण कुमार सिंह”-
परिवादीगण ने परिवाद पत्र प्रस्तुत कर यह कहा है कि वे एक कृषक हैं और कृषि कार्य हेतु उन्होंने एक महिन्द्रा एण्ड महिन्द्रा ट्रैक्टर मॉडल 225 डी.आई., 25 हॉर्सपॉवर, नं. एस.के. 3188 मय कल्टीवेटर आदि उपकरणों के साथ दिनांक 01.12.1992 को खरीदा था। जिसके लिए याची ने स्टेट बैंक ऑफ इण्डिया शाखा आजमगढ़ से 16.50% सालाना ब्याज पर ऋण प्राप्त किया था। सम्पूर्ण भुगतान करने पर विपक्षी संख्या 02 के अधिकृत विक्रेता विपक्षी संख्या 01 ने किया। ट्रैक्टर में किसी भी मैनुफैक्चरिंग डिफेक्ट को ठीक करने के लिए एक वर्ष की गारण्टी दी गयी थी तथा आश्वासन दिया गया था कि
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विपक्षीगण उपरोक्त डिफेक्ट के लिए जिम्मेदार होंगे तथा सारे डिफेक्ट को दूर करके खराब इंजन की जिम्मेदारी भी बदलने के लिए सहमत हुए। ट्रैक्टर के इस्तेमाल के बाद मालूम हुआ कि वह किसी खराबी के कारण बहुत ज्यादा मोबिल खा रहा है। पहिये के पिछले टायर में भी एक की गोटी घिस रही थी। अतः 50 घण्टे के बाद ही ट्रैक्टर को विपक्षी संख्या 01 के पास ले जाया गया तथा विपक्षी संख्या 01 से कहा कि अभी ट्रैक्टर नया है, पुराना होने पर यह खराबी समाप्त हो जाएगी, लेकिन टायर की कमी पर उसने कोई तवज्जो नहीं दिया। परिवादी 2-3 माह तक लगातार शिकायत करता रहा। जबकि दिनांक 30.03.1994, 30.08.1994, 20.10.1994 आदि तिथियों पर ट्रैक्टर विपक्षी संख्या 01 के पास ले गया और विपक्षी संख्या 01 की तरफ से कभी कुछ बदल दिया जाता, कभी कुछ मरम्मत कर दी जाती, परन्तु उपरोक्त गड़बड़ी आज तक दूर नहीं हुई। जबकि विपक्षी संख्या 01 के पास वारण्टी क्लेम संख्या 0167, 0193, 0201 आदि पर उपरोक्त कमियां दर्ज भी हैं। दिनांक 12.11.1994 को विपक्षी संख्या 02 के लखनऊ ब्रॉन्च के इंजीनियर ने ट्रैक्टर का मुआयना किया और उन्होंने भी नया सामान लगाया, जिसका विवरण वारण्टी क्लेम संख्या 0208 पर दर्ज है, परन्तु गाड़ी का मोबिल खाना बन्द नहीं हुआ न ही टायर की गोटी घिसनी बन्द हुई। परिवादी का कृषि कार्य नहीं हो पा रहा था। दिनांक 23.12.1994 को विपक्षी संख्या 01 ने ट्रैक्टर का पम्प गियर बदला, जिसका विवरण वारण्टी क्लेम संख्या 218 पर दर्ज है, मगर ट्रैक्टर का इंजन पूर्ववत मोबिल खाता रहा। दिनांक 12.08.1995 को कम्पनी के वाराणसी के एक इंजीनियर श्री श्रीवास्तव जी ने गाड़ी को चेक किया और कहा कि इसके इंजन में मैनुफैक्चरिंग डिफेक्ट है तथा एक पहिया की रिंग टेढ़ी है, जो बनावट की गड़बड़ी है जो महज ट्रैक्टर का इंजन पूरा बदलने, पहिया की नई रिंग बदलने से ही सही हो सकती है। परन्तु उन्होंने कहा कि कम्पनी के कायदे के अनुसार जिस इंजीनियर ने गाड़ी की ओवरहालिंग किया है, वही रिपोर्ट करे तो इंजन बदला जा सकता है। जिस पर विपक्षी संख्या 01 ने कहा कि वह अविलम्ब रिंग बदल देगा और इंजन
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बदलने हेतु कम्पनी को लिखेगा। परन्तु आज तक कोई कार्यवाही नहीं किया। मजबूर होकर दिनांक 17.10.1995 को परिवादी ने विपक्षीगण को नोटिस दिया। अतः परिवादी को विपक्षीगण से 3,50,000/- रुपये मय 18% ब्याज के साथ दिलवाया जाए और कुल खर्चा मुकदमा भी दिलवाया जाए।
परिवादी ने परिवाद पत्र के समर्थन में शपथ पत्र लगाया है और परिवादी द्वारा विपक्षीगण को जो नोटिस दी गयी थी उस नोटिस पर विपक्षीगण ने न्यायालय को यह जवाब भेजा कि नोटिस के प्राप्ति के एक माह के अन्दर वे अपना जवाबदावा प्रस्तुत कर देंगे। अतः इस मध्य उनके खिलाफ कोई कार्यवाही न की जाए। परिवादीगण द्वारा विपक्षी को 40,000/- रुपये, 320/- रुपये, 60/- रुपये देने की रसीद प्रस्तुत किया है। परिवादी ने ट्रैक्टर में जो गड़बड़ी कम्पनी द्वारा की गयी उसका भी विवरण प्रस्तुत किया है। महिन्द्रा ट्रैक्टर द्वारा जारी इस आशय का प्रमाण पत्र कि डीजल खपत में किफायती ट्रैक्टर रसीद रजिस्ट्री प्रस्तुत की गयी है। विपक्षीगण के विरूद्ध दिनांक 27.08.2002 को निर्णय पारित किया गया था, जिसके विरूद्ध विपक्षीगण माननीय राज्य आयोग गए थे और माननीय राज्य आयोग ने यह आदेश पारित किया था कि अपीलार्थी की अपील स्वीकार की जाती है तथा जिला उपभोक्ता फोरम आजमगढ़ द्वारा परिवाद संख्या 421 सन् 1995 में पारित निर्णय आदेश दिनांक 27.08.2002 को निरस्त करते हुए प्रकरण जिला उपभोक्ता फोरम को इस निर्देश के साथ प्रति-प्रेषित किया जाता है कि प्रतिवादीगण को प्रतिवाद पत्र दाखिल करने एवं उभय पक्षों को पुनः साक्ष्य/सुनवाई का समुचित अवसर प्रदान करते हुए प्रकरण का निस्तारण गुण-दोष के आधार पर यथाशीघ्र करना सुनिश्चित करें। उभय पक्ष दिनांक 25.04.2017 को जिला उपभोक्ता फोरम आजमगढ़ के समक्ष उपस्थित हों।
चूँकि अपील में विपक्षीगण ही गये थे। अतः उन्हें नोटिस भेजने की आवश्यकता नहीं थी। विपक्षीगण को स्वयं फोरम के समक्ष
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उपस्थित आकर अपनी बातें रखनी चाहिए थीं, लेकिन उन्होंने ऐसा नहीं किया।
सुना तथा पत्रावली का अवलोकन किया। परिवादी द्वारा परिवाद पत्र में किए गए कथन तथा उसके समर्थन में प्रस्तुत प्रलेखीय साक्ष्य में शपथ पत्र अखण्डित है। अतः परिवाद पत्र स्वीकार होने योग्य है।
आदेश
परिवाद पत्र स्वीकार किया जाता है। विपक्षीगण को संयुक्त रूप से तथा पृथक-पृथक रूप से ट्रैक्टर का मूल्य 1,50,000/- (एक लाख पचास हजार रुपये) रुपये अदा करने का निर्देश दिया जाता है। वाद दाखिला की तिथि से अदायगी की तिथि तक परिवादी उपरोक्त धनराशि पर 10% वार्षिक ब्याज पाने का हकदार होगा। विपक्षीगण द्वारा भुगतान अन्दर तीस दिन किया जाएगा। परिवादीगण विपक्षीगण से मुo 1,00,000/- (एक लाख रुपये) रुपये क्षतिपूर्ति भी पाने के लिए हकदार होंगे। सारी धनराशि तीस दिन के अन्दर अदा की जाए।
राम चन्द्र यादव कृष्ण कुमार सिंह
(सदस्य) (अध्यक्ष)