(मौखिक)
राज्य उपभोक्ता विवाद प्रतितोष आयोग, उ0प्र0, लखनऊ
अपील संख्या-971/2007
मैसर्स गती लिमिटेड
बनाम
मैसर्स बंसल एण्ड कंपनी
समक्ष:-
1. माननीय श्री सुशील कुमार, सदस्य।
2. माननीय श्रीमती सुधा उपाध्याय, सदस्य।
अपीलार्थी की ओर से उपस्थित : श्री मनीष सिंह की सहायक
सुश्री देविका सिंह।
प्रत्यर्थी की ओर से उपस्थित : श्री आशुतोष कुमार सिंह।
दिनांक : 06.08.2024
माननीय श्री सुशील कुमार, सदस्य द्वारा उदघोषित
निर्णय
1. परिवाद संख्या-12/2005, मैसर्स बंसल एण्ड कंपनी बनाम गती लिमिटेड तथा एक अन्य में विद्वान जिला आयोग, द्वितीय आगरा द्वारा पारित निर्णय/आदेश दिनांक 9.4.2007 के विरूद्ध प्रस्तुत की गई अपील पर अपीलार्थी के विद्वान अधिवक्ता श्री मनीष सिंह की सहायक सुश्री देविका सिंह तथा प्रत्यर्थी के विद्वान अधिवक्ता श्री आशुतोष कुमार सिंह को सुना गया तथा प्रश्नगत निर्णय/आदेश एवं पत्रावली का अवलोकन किया गया।
2. विद्वान जिला आयोग ने अंकन 3,32,514/-रू0 09 प्रतिशत ब्याज के साथ अदा करने का आदेश पारित किया है।
3. परिवाद के तथ्य संक्षेप में इस प्रकार हैं कि विपक्षी के माध्यम से चेन्नई ब्रांच के लिए सिल्वर चेन के पैकेट भेजे गए थे,
-2-
जिनका भार 51 किलोग्राम था तथा कीमत अंकन 3,32,514/-रू0 थी। दिनांक 09.02.2004 को परिवादी ने चालान संख्या 17 दिया था और अंकन 1635/-रू0 शुल्क अदा किया था। दिनांक 16.02.2004 तक माल पहुँचाने का वायदा किया गया था, लेकिन माल नहीं पहुँचाया गया, इसके बाद परिवादी ने दिनांक 26.02.2004 को पत्र भेजा कि दिनांक 27.02.2004 तक माल पहुँचा दिया जाए, लेकिन माल नहीं पहुँचाया गया, इसलिए अंकन 30,000/-रू0 के लाभ की हानि हुई। इस प्रकार विपक्षीगण द्वारा माल सही स्थान पर नहीं पहुँचाकर अंकन 3,32,514/-रू0 तथा अंकन 1635/-रू0 भाड़ा एवं अंकन 30,000/-रू0 लाभ की हानि कारित की गई।
4. विपक्षीगण का कथन है कि विद्वान जिला आयोग को सुनवाई का क्षेत्राधिकार नहीं है, क्योंकि व्यापारिक उद्देश्य के लिए सामान भेजा गया था। विपक्षीगण के गोदाम से माल चोरी हो गया था, जिसकी जांच चल रही है, जिसकी सूचना परिवादी को दी गई थी।
5. विद्वान जिला आयोग ने साक्ष्य पर विचार करते हुए माल की कीमत अंकन 3,32,514/-रू0 9 प्रतिशत ब्याज के साथ अदा करने का आदेश पारित किया है।
6. इस निर्णय/आदेश के विरूद्ध अपील इन आधारों पर प्रस्तुत की गई है कि विद्वान जिला आयोग ने साक्ष्य के विपरीत निर्णय/आदेश पारित किया है। मौखिक तर्क में भी यही कथन प्रस्तुत किए गए साथ ही यह भी बहस की गई कि सामान्य श्रेणी में बुकिंग कराई गई थी, इसलिए अपीलार्थी उत्तरदायी नहीं है, परन्तु विपक्षीगण/अपीलार्थी द्वारा प्रस्तुत किए गए लिखित कथन के
-3-
अवलोकन से ज्ञात होता है कि उनके द्वारा सामान गन्तव्य स्थान को नहीं पहुँचाया गया। यह भी स्वीकार किया गया कि माल गोदाम से चोरी हुआ है। अत: माल चोरी होने का उत्तरदायित्व विपक्षीगण पर है, इसलिए माल की कीमत अदा करने का जो आदेश पारित किया गया है, वह विधिसम्मत है, जिसमें कोई त्रुटि नहीं है। तदनुसार प्रस्तुत अपील निरस्त होने योग्य है।
आदेश
7. प्रस्तुत अपील निरस्त की जाती है।
प्रस्तुत अपील में अपीलार्थी द्वारा यदि कोई धनराशि जमा की गई हो तो उक्त जमा धनराशि अर्जित ब्याज सहित संबंधित जिला आयोग को यथाशीघ्र विधि के अनुसार निस्तारण हेतु प्रेषित की जाए।
आशुलिपिक से अपेक्षा की जाती है कि वह इस निर्णय को आयोग की वेबसाइट पर नियमानुसार यथाशीघ्र अपलोड कर दे।
(सुधा उपाध्याय) (सुशील कुमार(
सदस्य सदस्य
लक्ष्मन, आशु0,
कोर्ट-2