राज्य उपभोक्ता विवाद प्रतितोष आयोग, उ0प्र0, लखनऊ
परिवाद संख्या-374/2019
(सुरक्षित)
श्रीमती चारू दीक्षित, पत्नी स्व0 पीयूष दीक्षित, निवासी-116/92-ए, राधा विहार, आवास विकास रोड, रावतपुर, कानपुर नगर
....................परिवादिनी
बनाम
1. मै0 बजाज एलियांज जनरल इंश्योरेंस कम्पनी लिमिटेड, रजि0 आफिस- जी0ई0 प्लाजा, एयरपोर्ट रोड, यरवडा, पुणे 411006, द्वारा डायरेक्टर
2. श्री तपन सिंघल, मैनेजिंग डायरेक्टर मै0 बजाज एलियांज जनरल इंश्योरेंस कं0लि0, रजि0 आफिस- जी0ई0 प्लाजा, एयरपोर्ट रोड, यरवडा, पुणे 411006
...................विपक्षीगण
समक्ष:-
1. माननीय न्यायमूर्ति श्री अशोक कुमार, अध्यक्ष।
2. माननीय श्री सुशील कुमार, सदस्य।
परिवादिनी की ओर से उपस्थित : श्री पियूष मणि त्रिपाठी,
विद्वान अधिवक्ता।
विपक्षीगण की ओर से उपस्थित : श्री दिनेश कुमार,
विद्वान अधिवक्ता।
दिनांक: 09.09.2022
माननीय न्यायमूर्ति श्री अशोक कुमार, अध्यक्ष द्वारा उदघोषित
निर्णय
प्रस्तुत परिवाद परिवादिनी श्रीमती चारू दीक्षित द्वारा विपक्षीगण मै0 बजाज एलियांज जनरल इंश्योरेंस कम्पनी लिमिटेड एवं श्री तपन सिंघल, मैनेजिंग डायरेक्टर मै0 बजाज एलियांज जनरल इंश्योरेंस कं0लि0 के विरूद्ध इस आयोग के समक्ष योजित किया गया है और निम्न अनुतोष चाहा गया है:-
i. DIRECT the opposite parties to refund the amount of Rs. 15,00000/- (Rupee Fifteen Lakhs Only) carrying interest at the rate of 18% with effect from November, 2017 till the date of the refund.
ii. DIRECT the opposite parties to pay an amount of Rs.10,00000/- (Rupee Ten Lakhs Only) towards compensation and Damage.
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iii. DIRECT the opposite parties to pay appropriate Punitive Damages in view of the Unfair Trade Practice Committed by them in this complaint case.
iv. DIRECT the opposite parties to pay appropriate compensation and damages for the deficiency in service committed by them.
v. Allow the complaint and direct the opposite parties to pay a sum of Rs.1,00,000/- towards cost of the case.
vi. Any other order which this Hon’ble State Commission may deem fit and proper in the circumstances of the case may also be passed.
संक्षेप में वाद के तथ्य इस प्रकार हैं कि परिवादिनी के पति द्वारा अपने परिवार की सुरक्षा हेतु विपक्षी संख्या-1 मै0 बजाज एलियांज जनरल इंश्योरेंस कम्पनी लिमिटेड से बीमा पालिसी ली गयी, जो कि विपक्षी संख्या-1 द्वारा “Health Guard Family Floater Option” के नाम से जारी की गयी, जिसकी समय-सीमा दिनांक 16.08.2017 से दिनांक 15.08.2018 की बीमा पालिसी में अंकित की गयी।
परिवादिनी द्वारा यह कथन किया गया कि उपरोक्त बीमा पालिसी लेते समय बीमित व्यक्ति को किसी प्रकार की कोई बीमारी नहीं थी, जिसका विवरण उसके द्वारा विपक्षी संख्या-1 बीमा कम्पनी को प्राप्त कराया गया। तदोपरान्त परिवादिनी के पति को कुछ बीमारी एवं चिकित्सा सहयोग की आवश्यकता पड़ी। परिवादिनी के पति द्वारा आभा नर्सिंग होम, तिलक नगर, कानपुर में उपचार हेतु परामर्श लिया गया। प्रारम्भिक जांच में उपरोक्त नर्सिंग होम द्वारा जांचोपरान्त यह तथ्य पाये गये कि परिवादिनी के पति को विस्तृत जांच हेतु Indian Institute of Lever and Billionairy Sciences Delhi (आई0एल0बी0एस0) में परीक्षण कराया जाना उचित होगा, तद्नुसार प्रारम्भिक
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जांचकर्ता डा0 पीयूष मिश्रा द्वारा उपरोक्त आई0एल0बी0एस0 अस्पताल हेतु रेफरेंस पत्र जारी किया गया जहॉं परिवादिनी के पति पीयूष दीक्षित का चिकित्सा परीक्षण उपरोक्त चिकित्सालय में दाखिल किये जाने के पश्चात् दिनांक 15.12.2017 से दिनांक 22.12.2017 तक किया गया। उपरोक्त परीक्षण के समय परिवादिनी द्वारा अनेकों अवसरों पर विपक्षी बीमा कम्पनी के सम्बन्धित अधिकारीगण से सम्पर्क किया जाता रहा तथा उन्हें अवगत कराया गया कि परिवादिनी के पति का चिकित्सा परामर्श लगातार उपरोक्त चिकित्सालय में जारी है जहॉं वे भर्ती हैं, जिस सम्बन्ध में उपयुक्त चिकित्सा प्रपत्र भी परिवादिनी द्वारा विपक्षी बीमा कम्पनी को उपलब्ध कराये गये, जिनके द्वारा परिवादिनी को यह आश्वासन दिया गया कि शीघ्र ही उसके पति की चिकित्सा हेतु समुचित धनराशि प्राप्त करायी जायेगी, परन्तु विपक्षी बीमा कम्पनी द्वारा दिये गये आश्वासन का कदापि कोई क्रियान्वयन सुनिश्चित नहीं किया, जबकि उनका यह दायित्व बनता था कि वे तत्काल चिकित्सा हेतु परिवादिनी को यथासम्भव आवश्यक धनराशि प्राप्त कराये।
परिवादिनी द्वारा अपने परिवाद पत्र में यह तथ्य भी उल्लिखित किया कि परिवादिनी द्वारा उपरोक्त आई0एल0बी0एस0 चिकित्सालय में चिकित्सा के पश्चात् चिकित्सकों की राय के अनुसार अपने पति को ग्लेनिगल्स ग्लोबल हास्पिटल, हैदराबाद में चिकित्सा हेतु ले जाया गया जहॉं परिवादिनी के पति की चिकित्सा दिनांक 06.01.2018 से दिनांक 09.01.2018 को अस्पताल में भर्ती कर हुई तदोपरान्त अनेकों बार परिवादिनी के पति का उपरोक्त चिकित्सालय में भर्ती/दाखिल कर इलाज किया जाता रहा। अन्ततोगत्वा परिवादिनी के पति की मृत्यु दिनांक 18.02.2018 को हो गयी, जिसकी सूचना परिवादिनी द्वारा विपक्षी बीमा कम्पनी को समयानुसार प्राप्त करा दी गयी तथा विपक्षी बीमा कम्पनी द्वारा जारी बीमा पालिसी के अनुसार कुल धनराशि 15,00,000/-रू0 हेतु प्रार्थना पत्र सप्रपत्र प्रस्तुत किया। साथ ही हर्जाने की धनराशि की मांग भी की।
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परिवादिनी द्वारा अपने परिवाद पत्र में यह भी कथन किया गया कि मेडीक्लेम पालिसी बीमित व्यक्ति द्वारा अथवा बीमित परिवार द्वारा लिये जाने का तात्पर्य यह है कि यदि उपरोक्त बीमा पालिसी में वर्णित अवधि में किसी प्रकार की कोई चिकित्सीय आवश्यकता बीमित व्यक्ति अथवा परिवारीजन, जो उपरोक्त बीमा पालिसी में वर्णित हैं, को पड़ती है तब उस दशा में बीमा कम्पनी का यह दायित्व है कि वह यथासम्भव शीघ्रता से विधि अनुसार बीमा धनराशि को जारी करते हुए बीमित व्यक्ति/बीमित परिवारीजन को धनराशि प्राप्त कराये, जिससे कि चिकित्सा में किसी प्रकार का कोई व्यवधान उत्पन्न न हो सके।
विपक्षी बीमा कम्पनी द्वारा परिवादिनी की उपरोक्त मांग को यह कहते हुए अस्वीकार कर दिया कि परिवादिनी के पति को मेडीक्लेम बीमा कराने की अवधि से पूर्व ही लीवर की बीमारी थी, जिसको बीमा कम्पनी को न बताया जाना अथवा बीमा कम्पनी से छिपाया जाना परिवादिनी/बीमित व्यक्ति द्वारा किया गया अविधिक कार्य है, अतएव बीमा कम्पनी किसी प्रकार से उपरोक्त बीमा क्लेम को स्वीकार करने में विधिक रूप से उत्तरदायी नहीं है।
हमारे द्वारा परिवादिनी की ओर से उपस्थित विद्वान अधिवक्ता श्री पियूष मणि त्रिपाठी को सुना तथा विपक्षी बीमा कम्पनी की ओर से उपस्थित विद्वान अधिवक्ता श्री दिनेश कुमार को सुना।
परिवाद पत्रावली पर उपलब्ध समस्त प्रपत्रों एवं साक्ष्यों का सम्यक परिशीलन किया गया तथा यह पाया गया कि विपक्षी बीमा कम्पनी द्वारा परिवादिनी के पति एवं परिवारीजनों का बीमा किया गया। बीमित प्रपत्रों के परिशीलन से यह स्पष्ट पाया गया कि बीमित व्यक्ति/beneficiary में परिवादिनी के पति पीयूष दीक्षित, स्वयं परिवादिनी चारू दीक्षित व पुत्री कृतिका दीक्षित के नाम उल्लिखित हैं तथा नामिनी के रूप में beneficiary पीयूष दीक्षित की पत्नी के रूप में चारू दीक्षित, परिवादिनी चारू दीक्षित के पति के रूप में पीयूष दीक्षित तथा पुत्री कृतिका दीक्षित के गारेण्टर के रूप में
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परिवादिनी चारू दीक्षित का नाम अंकित है। बीमा पालिसी “Health Guard Family Floater Option” दिनांक 16.08.2017 से दिनांक 15.08.2018 तक की अवधि के लिए जारी की गयी। बीमित श्री पीयूष दीक्षित अर्थात् परिवादिनी के पति द्वारा चिकित्सा हेतु दिनांक 06.01.2018 को चिकित्सक से राय ली गयी, जिसके पश्चात् चिकित्सक द्वारा कुछ परीक्षण कराये जाने पर आगे की चिकित्सा हेतु बीमित को Indian Institute of Lever and Billionairy Sciences Delhi (आई0एल0बी0एस0) में परीक्षण हेतु परामर्श दिया गया, जिस हेतु परिवादिनी के पति द्वारा परीक्षण कराये गये साथ ही कुछ विशेष परीक्षण हेतु हैदराबाद के चिकित्सालय में भी परीक्षण कराये गये तथा उपरोक्त परीक्षणोपरान्त यह तथ्य स्पष्ट हुए कि बीमित व्यक्ति श्री पीयूष दीक्षित को लीवर सम्बन्धी बीमारी है, जिसके इलाज हेतु प्रथमत: हैदराबाद के अस्पताल में दाखिल किया गया जहॉं दिनांक 06.01.2018 से दिनांक 09.01.2018 तक चिकित्सा सेवा की गयी, तदोपरान्त पुन: अनेकों बार परीक्षण एवं चिकित्सा हेतु उपरोक्त आई0एल0बी0एस0 चिकित्सालय में दाखिल एवं भर्ती किया गया। अन्ततोगत्वा बीमारी द्रुत गति से बढ़ती गयी, जिसके कारण बीमित श्री पीयूष दीक्षित का निधन दिनांक 18.02.2018 को हो गया।
विपक्षी बीमा कम्पनी की ओर से उपस्थित विद्वान अधिवक्ता द्वारा उपरोक्त उल्लिखित तथ्यों के बारे में किसी प्रकार का विवाद नहीं किया गया मात्र यह कथन किया गया कि वास्तव में बीमित व्यक्ति श्री पीयूष दीक्षित बीमा पालिसी जारी होने के पूर्व से ही लीवर की गम्भीर बीमारी से पीडि़त थे, जिसके कारण उनकी मृत्यु हुई, अतएव बीमा कम्पनी द्वारा जो निर्णय लिया गया है, जिसके द्वारा बीमा राशि देना अस्वीकार किया गया है, वह पूर्णत: तथ्यों को दृष्टिगत रखते हुए उचित है।
हमारे द्वारा उभय पक्ष के विद्वान अधिवक्ता द्व्य को सुना, पत्रावली के परीक्षण एवं उभय पक्ष के विद्वान अधिवक्ता द्व्य के कथनों को दृष्टिगत रखते हुए हम यह तथ्य पाते हैं कि बीमित श्री पीयूष दीक्षित का बीमा विपक्षी
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बीमा कम्पनी द्वारा “Health Guard Family Floater Option” के अन्तर्गत किया गया था, जिसकी निर्विवादित रूप से अवधि दिनांक 16.08.2017 से दिनांक 15.08.2018 तक उल्लिखित थी तथा उपरोक्त अवधि के मध्य बीमित श्री पीयूष दीक्षित को चिकित्सीय परामर्श के पश्चात् व चिकित्सीय परीक्षणोपरान्त यह तथ्य ज्ञात हुआ कि उन्हें लीवर से सम्बन्धित बीमारी है, जिसका प्रथम परीक्षण कानपुर के लीवर से सम्बन्धित विशेष चिकित्सालय में हुआ, जिनकी राय पर Indian Institute of Lever and Billionairy Sciences Delhi (आई0एल0बी0एस0) में परीक्षण हुआ, अन्ततोगत्वा दौरान इलाज ‘ग्लेनिगल्स ग्लोबल हास्पिटल हैदराबाद’ में चिकित्सा उपचार लिये जाने के समय दिनांक 18.02.2018 को उनकी मृत्यु हो गयी।
समस्त तथ्यों को दृष्टिगत रखते हुए विपक्षी बीमा कम्पनी द्वारा लिये गये निर्णय को हमारे द्वारा अविधिक पाया जाता है तथा परिवाद पत्र में वर्णित एवं उल्लिखित तथ्यों को दृष्टिगत रखते हुए प्रस्तुत परिवाद स्वीकार किया जाता है तथा विपक्षी बीमा कम्पनी को आदेशित किया जाता है कि वह बीमा पालिसी के अनुसार कुल धनराशि 15,00,000/-रू0 (पन्द्रह लाख रूपया मात्र) परिवादिनी को इस निर्णय की तिथि से एक माह की अवधि में प्राप्त कराये। साथ ही हर्जाने के रूप में परिवादिनी को विपक्षी बीमा कम्पनी द्वारा कुल धनराशि 1,00,000/-रू0 (एक लाख रूपया मात्र) इस निर्णय की तिथि से एक माह की अवधि में प्राप्त कराया जावे। वाद व्यय के रूप में 25,000/-रू0 (पच्चीस हजार रूपया मात्र) भी विपक्षी बीमा कम्पनी द्वारा परिवादिनी को इस निर्णय की तिथि से एक माह की अवधि में देय है।
आशुलिपिक से अपेक्षा की जाती है कि वह इस निर्णय/आदेश को आयोग की वेबसाइट पर नियमानुसार यथाशीघ्र अपलोड कर दें।
(न्यायमूर्ति अशोक कुमार) (सुशील कुमार)
अध्यक्ष सदस्य
जितेन्द्र आशु0, कोर्ट नं0-1