Uttar Pradesh

Muradabad-II

cc/76/2009

Shri Deepak Kathuriya - Complainant(s)

Versus

M/S Avtar Indian Gass Agency - Opp.Party(s)

22 Aug 2015

ORDER

District Consumer Disputes Redressal Forum -II
Moradabad
 
Complaint Case No. cc/76/2009
 
1. Shri Deepak Kathuriya
In Front Of Nehru Nursury School Railway Harthala Colony Azad Nagar Moradabad
...........Complainant(s)
Versus
1. M/S Avtar Indian Gass Agency
11 Mahesh Plaza ,A12 Gandhi Nagar Rampur Road Moradabad
............Opp.Party(s)
 
BEFORE: 
 
For the Complainant:
For the Opp. Party:
ORDER

द्वारा- श्री पवन कुमार जैन - अध्‍यक्ष

  1.   इस परिवाद के माध्‍यम परिवादी ने अनुरोध किया है कि विपक्षी सं0-1  को आदेशित किया जाऐ कि वह परिवादी को गैस की आपूर्ति करे, उपभोक्‍ता  का नाम बदलने के सम्‍बन्‍ध में अपनी नियमावली विस्‍तार से बताऐ तथा अनुचित व्‍यापार प्रथा अपनाये जाने से परिवादी को पहुँची क्षति के रूप के  रूप में 20,000/- रूपया क्षतिपूर्ति अदा करें। अधिवक्‍ता फीस, परिवाद व्‍यय  एवं अन्‍य खर्चों के लिए परिवादी ने 3100/- रूपये विपक्षीगण से अतिरिक्‍त  मांगे हैं।
  2.   संक्षेप में परिवाद कथन इस प्रकार हैं कि उसके पिता स्‍व0 देश राज  कथूरिया के नाम एल0पी0जी0 का एक गैस कनेक्‍शन था। पहले गैस की सप्‍लाई मैसर्स पंचशील गैस एजेन्‍सी से होती थी। दिनांक 15 फरवरी, 1988  को परिवादी के पिता को निधन हो गया जिसकी सूचना  पंचशील गैस  एजेन्‍सी  के स्‍वामी को परिवादी ने दी। पंचशील गैस एजेन्‍सी ने परिवादी को निरन्‍तर  गैस की आपूर्ति जारी रखी। कालान्‍तर में उक्‍त गैस कनेक्‍शन मुरादाबाद गैस  एजेन्‍सी को अन्‍तरित हो गया। मुरादाबाद गैस एजेन्‍सी से परिवादी को लगातार गैस की आपूर्ति होती रही। परिवादी के अनुसार उपरोक्‍त गैस  कनेक्‍शन पुन: विपक्षी सं0-1 के यहॉं अन्‍तरित कर दिया गया जहॉं से  परिवादी को नई उपभोक्‍ता संख्‍या- ए-3358 आवंटित हुई। परिवादी को बुकलैट संख्‍या- 4151 भी दी गई। दिनांक 21-01-2009 तक परिवादी को विपक्षी सं0-1 ने गैस की आपूर्ति की। दिनांक 24 फरवरी, 2009 को परिवादी ने विपक्षी सं0-1 से गैस बुकिंग की नई बुकलैट की मांग की जिसे विपक्षी सं0-1 ने देने से मना कर दिया और कहा कि गैस का कनेक्‍शन चॅूंकि आपके पिता के नाम  से है इसलिए गैस नहीं दी जायेगी। परिवादी ने आपत्ति की जिस पर परिवादी  से 3800/- रूपये की मांग की गई। परिवादी ने विपक्षी सं0-2 के सेल्‍स मैनेजर से मोबाइल पर बात की और उन्‍हें सारी बात बताई इस पर उन्‍होंने परिवादी से कहा कि 5,000/- रूपया अदा करके नया कनेक्‍शन ले लो इसके लिए  परिवादी तैयार नहीं हुआ। परिवादी ने विपक्षी सं0-2 के बरेली स्थित कार्यालय से टेलीफोन द्वारा सम्‍पर्क करने का प्रयास किया, किन्‍तु सम्‍पर्क नहीं हो पाया। परिवादी का कथन है कि विपक्षीगण के उक्‍त कृत्‍यों से परेशान होकर उसने डाक द्वारा कानूनी नोटिस भेजा, किन्‍तु विपक्षी सं0-2 ने कोई उत्‍तर नहीं दिया। विपक्षी सं0-1 ने गोल-मोल उत्‍तर दिया। परिवादी ने आरोप  लगाया कि विपक्षीगण के कृत्‍य अनुचित व्‍यापार प्रथा की श्रेणी में आते हैं। गैस की आपूर्ति न होने से परिवादी को कठिनाईयों का सामना करना पड़ रहा  है उसने परिवाद में अनु‍रोधित अनुतोष दिलाऐ जाने की प्रार्थना की।   
  3.   परिवाद के साथ परिवादी ने अपने पिता स्‍व0 देश राज कथूरिया के नाम का कनेक्‍शन बाउचर तथा विपक्षी सं0-1 व 2 को भेजे गऐ कानूनी नोटिस दिनांकित 25/02/2009 तथा विपक्षी सं0-1 की ओर से प्राप्‍त जबाब नोटिस दिनांकित 09/03/2009 की फोटो प्रतियों को दाखिल किया।
  4.   विपक्षीगण की ओर से प्रतिवाद पत्र कागज सं0-19/1 लगायत 19/2  दाखिल हुआ जिसमें यह तो स्‍वीकार किया गया कि परिवादी के पिता स्‍व0 देश राज कथूरिया के नाम एल0पी0जी0 कनेक्‍शन था और उक्‍त कनेक्‍शन  उत्‍तरदाता विपक्षी  सं0-1 के यहॉं अन्‍तरित होकर प्राप्‍त हुआ था, परन्‍तु  ​परिवादी द्वारा लगाऐ गऐ आरोपों से इन्‍कार किया गया। अतिरिक्‍त कथनों   में कहा गया कि परिवादी को कोई वाद हेतुक उत्‍पन्‍न नहीं हुआ, समस्‍त वाद  कारण मिथ्‍या एवं  कपोल कल्पित हैं। अग्रेत्‍तर कहा गया कि वास्‍तवकिता यह है कि यह दिनांक 24/09/2002 को परिवादी उत्‍तरदाता विपक्षी सं0-1 के यहॉं आये और बुकलैट की मांग की जिस पर परिवादी को बताया गया कि कनेक्‍शन आपके पिताजी के नाम है  इसलिए कम्‍पनी के नियमों के अनुसार परिवादी नई बुकलैट बनवा ले और निर्धारित धनराशि अदा करके रसीद प्राप्‍त  कर ले, किन्‍तु परिवादी इसके लिए तैयार नहीं हुआ। प्रतिवाद पत्र में यह भी  कहा गया कि अपने पिता की मृत्‍यु को उसने छुपाऐ रखा और  कम्‍पनी के नियमों के विरूद्ध गैस की आपूर्ति लेता रहा जो गलत था।  विपक्षीगण की ओर से परिवाद को असत्‍य कथनों पर आधारित होना बताते हुऐ उसे खण्डित किऐ जाने की प्रार्थना की। 
  5.   परिवादी ने अपना साक्ष्‍य शपथ पत्र कागज सं0-20/1 लगायत 20/2  दाखिल किया। विपक्षीगण की ओर से मै0 अवतार गैस एजेन्‍सी के प्रोपराइटर श्री राम अवतार ने साक्ष्‍य में अपना साक्ष्‍य  शपथ पत्र कागज सं0-21 प्रस्‍तुत   किया। पक्षकारों ने अपना-अपना साक्ष्‍य समाप्‍त किया।
  6.  किसी भी पक्ष ने लिखित बहस दाखिल नहीं की।
  7.   बहस की तिथि पर विपक्षीगण की ओर से कोई उपस्थित नहीं हुऐ। हमने परिवादी के विद्वान अधिवक्‍ता के तर्कों को सुना और पत्रावली का अवलोकन किया।
  8.  परिवादी के विद्वान अधिवक्‍ता ने बहस के दौरान कहा कि एल0पी0जी0 गैस कनेक्‍शन पहले उसके पिता के नाम था। 15 फरवरी,1988 को उसके पिता का निधन हो गया। वर्ष 2014 में उक्‍त एल0पी0जी0 कनेक्‍शन परिवादी के नाम ट्रांसफर हो गया है और परिवादी को अब नियमानुसार विपक्षीगण से नियमित गैस की आपूर्ति हो रही है। परिवादी पक्ष की ओर से किऐ गऐ उक्‍त  कथनों के दृष्टिगत परिवाद में मांगा गया अनुतोष ‘’ अ ’’   और  अनुतोष ‘’ ब ‘’ अब सारहीन हो गया  है।
  9.  अनुतोष ‘’ स ‘’ के सन्‍दर्भ में परिवादी के विद्वान अधिवक्‍ता ने कहा  कि  वर्ष  2005 में परिवादी को गैस की आपूर्ति अवरूद्ध करके विपक्षीगण ने ​अनुचित व्‍यापार प्रथा अपनाई। गैस की नियमित आपूर्ति न होने के कारण परिवादी को अनावश्‍यक कठिनाई का सामना करना पड़ा अत: विपक्षीगण से उसे क्षतिपूर्ति के रूप में 20,000/- रूपये दिलाऐ जाऐं। हम परिवादी के विद्वान अधिवक्‍ता के इस तर्क से सहमत नहीं हैं कि विपक्षीगण ने अनुचित व्‍यापार प्रथा अपनाई और मनमाने तरीके से परिवादी को एल0पी0जी0 गैस  की आपूर्ति में अवरोध किया क्‍योंकि स्‍वयं परिवादी के अनुसार एल0पी0जी0 कनेक्‍शन उसके पिता के नाम था जिनकी दिनांक 15/02/1988 का मृत्‍यु हो गई। वर्ष 1988 से 2005 तक परिवादी अपने मृत पिता के नाम के गैस  कनेक्‍शन के सापेक्ष गैस की आपूर्ति लेता रहा जो नियमानुकूल नहीं कहा जा सकता। परिवादी ने यधपि अपने परिवाद में कथन किया है कि पिता की मृत्‍यु   की सूचना उसने पंचशील गैस एजेन्‍सी के स्‍वामी को दे दी थी, किन्‍तु उसने इस बात का कोई प्रमाण प्रस्‍तुत नहीं किया कि पिता की मृत्‍यु की सूचना उसने गैस एजेन्‍सी को दी थी। ऐसी दशा में विपक्षी के साक्ष्‍य शपथ पत्र कागज सं0-21 के पैरा सं0-3 में विपक्षी के प्रोपराइटर श्री राम अवतार के इस कथन  की अनदेखी नहीं की जा सकती कि अपने पिता की मृत्‍यु के तथ्‍य को छुपाकर कम्‍पनी के नियमों के विरूद्ध परिवादी गैस की आपूर्ति लेता रहा। हमारे अभिमत  में विपक्षीगण ने परिवादी से यह कहकर कि नियमानुसार फीस जमा करके वह अपने नाम गैस की बुकलैट जारी करवा ले, कोई अनुचित कृत्‍य नहीं  किया और न ही अनुचित व्‍यापार प्रथा अपनाई।
  10.   परिवादी के विद्वान अधिवक्‍ता ने बहस के दौरान अनुरोध किया कि  विपक्षीगण को आदेशित किया जाऐ कि वे परिवादी को नियमानुसार गैस की  आपूर्ति करते रहें। गैस की आपूर्ति विपक्षी सं0-1 द्वारा की जाती है न कि  विपक्षी सं0-2 द्वारा। हम न्‍यायोचित समझते हैं कि विपक्षी सं0-1 को आदेशित  कर दिया जाऐ  कि वह गैस के उपलब्‍धता के दृष्टिगत नियमानुसार परिवादी को गैस  की आपूर्ति करते रहें। परिवाद तदानुसार सव्‍यय खारिज होने योग्‍य है।

 

  विपक्षी सं0-1 को आदेशित किया जाता है कि वह घरेलू गैस की उपलब्‍ध के दृष्टिगत नियमानुसार परिवादी को गैस की आपूर्ति करते रहेगें। विपक्षी  सं0-1 से परिवादी 2,500/- रूपया परिवाद व्‍यय पाने का अधिकरी होगा। यह धनराशि परिवादी को दो माह में अदा की जाये। 

 

    (श्रीमती मंजू श्रीवास्‍तव)   (सुश्री अजरा खान)    (पवन कुमार जैन)

          सदस्‍य               सदस्‍य              अध्‍यक्ष

  •     0उ0फो0-।। मुरादाबाद    जि0उ0फो0-।। मुरादाबाद  जि0उ0फो0-।। मुरादाबाद

     22.08.2015           22.08.2015        22.08.2015

     हमारे द्वारा यह निर्णय एवं आदेश आज दिनांक 22.08.2015 को खुले फोरम में हस्‍ताक्षरित, दिनांकित एवं उद्घोषित किया गया।

 

     (श्रीमती मंजू श्रीवास्‍तव)   (सुश्री अजरा खान)    (पवन कुमार जैन)

          सदस्‍य               सदस्‍य              अध्‍यक्ष

  •    0उ0फो0-।। मुरादाबाद    जि0उ0फो0-।। मुरादाबाद  जि0उ0फो0-।। मुरादाबाद

     22.08.2015           22.08.2015        22.08.2015

 

 

 

 

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