राज्य उपभोक्ता विवाद प्रतितोष आयोग, उ0प्र0, लखनऊ।
(मौखिक)
(जिला उपभोक्ता आयोग, गौतमबुद्ध नगर, द्वारा परिवाद संख्या 575 सन 2016 में पारित प्रश्नगत निर्णय एवं आदेश दिनांक 25.09.2019 के विरूद्ध)
अपील संख्या:-1352/2019
श्रीमती लता बंसल पत्नी श्री प्रेमचंद बंसल, निवासी डी-41, सेक्टर-20 नोएडा जिला गौतमबुद्ध नगर, यू0 पी0।
बनाम
मेसर्स अरेना सपर स्ट्रक्चर्स प्रा0 लि0 द्धारा निदेशक रजि0 आफिस डी-107 पंचाशील इन्क्लेव, न्यू दिल्ली 110017 एवं लोटस ग्रीन्स डेवलपर्स प्रा0 लि0, लोटस बिजिनेस पार्क, लेवल 7, टावर-बी, प्लाट नं0-8 सेक्टर-127 नोएडा एक्सप्रेस वे जिला-गौतमबुद्ध नगर, यू0 पी0 व एक अन्य।
समक्ष :-
मा0 न्यायमूर्ति श्री अशोक कुमार, अध्यक्ष
अपीलार्थी के विद्धान अधिवक्ता : कोई नहीं
प्रत्यर्थी के विद्धान अधिवक्ता : कोई नहीं
दिनांक :- 28.10.2024
मा0 न्यायमूर्ति श्री अशोक कुमार, अध्यक्ष द्वारा उदघोषित
निर्णय
प्रश्नगत अपील विगत 05 वर्षो से अधिक समय से लम्बित है। लगभग 20 तिथियों पर विभिन्न कारणों से अपील स्थगित की जाती रही है। अधिकतम तिथियों पर अपीलार्थी के अधिवक्ता अनुपस्थित पाये गये। आज पुन: अपील सूचीबद्ध है। उभय पक्ष के विद्धान अधिवक्तागण अनुपस्थित है।
प्रस्तुत अपील, अपीलार्थी श्रीमती लता बंसल द्वारा इस आयोग के सम्मुख धारा-15 उपभोक्ता संरक्षण अधिनियम, 1986 के अन्तर्गत जिला उपभोक्ता विवाद प्रतितोष आयोग, गौतमबुद्ध नगर द्वारा परिवाद सं0-575/2016 में पारित निर्णय/आदेश दिनांक 25.09.2019 के विरूद्ध योजित की गई है।
संक्षेप में वाद के तथ्य इस प्रकार है कि विपक्षी संख्या-01 भवन निर्माण का कार्य करते है तथा विपक्षी संख्या-02 विपक्षी संख्या-01 का अधिकृत प्रतिनिधि है। परिवादिनी द्धारा विपक्षी संख्या-01 द्धारा संचालित परियोजना में रूचि ली गई।
परिवादिनी ने सुपर एरिया 1995 वर्गफीट अपार्टमेन्ट संख्या-201 टावर-7 लोटस एरीन प्लाट नं0- एस सी 01/ए2 स्पोर्टस सिटी सेक्टर-79 नोयडा जिसका मूल्य रू0 80,38,875/- था उसे बुकिंग आई. डी. 410788 पर बुक कराया। विपक्षी ने परिवादिनी को 36 माह में भवन तैयार कर अध्यासन देने की बात कही थी।
परिवादिनी ने विभिन्न तिथियों पर विपक्षी के यहां कुल रू0 12,50,000/- की धनराशि जमा किया। कम्पनी द्धारा उक्त परियोजना में कोई कार्य शुरू न कराये जाने के कारण तथा बीमारी से परिवादिनी की आर्थिक स्थिति खराब होने के कारण परिवादिनी ने दिनांक 23.03.2016 को विपक्षी से आवंटित फ्लैट को निरस्त करने तथा धनराशि वापस करने का प्रार्थना पत्र दिया परन्तु उसका आवंटन निरस्त नहीं किया गया। विपक्षी के कर्मचारियों से मिलने पर उनके द्धारा परिवादिनी की जमा धनराशि को वापस न कर बकाया धनराशि जमा करने हेतु कहा गया जिससे क्षुब्ध होकर प्रस्तुत परिवाद योजित किया गया।
विपक्षी ने प्रतिवाद-पत्र प्रस्तुत करते हुए कहा है कि परिवादिनी द्धारा परिवाद बिना वाद कारण के प्रस्तुत किया गया है। पक्षकारों के मध्य उपभोक्ता का विवाद नहीं है। विपक्षीगण द्धारा कोई सेवा में कमी नहीं की गई है।
विद्वान जिला उपभोक्ता आयोग ने उभय पक्ष के अभिकथन एवं उपलब्ध साक्ष्य पर विस्तार से विचार करने के उपरांत परिवादिनी द्धारा विपक्षी के विरूद्ध योजित परिवाद एतद्द्धारा निरस्त किया गया।
जिला आयोग के सम्मुख उभय पक्षों के द्धारा प्रस्तुत तथ्य एवं विरूद्ध तथ्य का उल्लेख विद्धान जिला आयोग द्धारा सविस्तार किया गया एवं यह पाया गया कि परिवादिनी द्धारा आवंटन पत्र के विरूद्ध जमा की जाने वाली धनराशि के भुगतान में अति विलम्ब किया गया जिस सम्बन्ध में अपीलार्थी/परिवादिनी द्धारा यह तथ्य उल्लिखित किया गया कि विलम्ब का कारण परिवादिनी को कैन्सर बीमारी का होना है न कि अन्यथा। जिला आयोग के सम्मुख उपरोक्त कैन्सर बीमारी के सम्बन्ध में कोई साक्ष्य प्रस्तुत न किये जाने का उल्लेख विद्धान जिला आयोग द्धारा किया गया है। विद्धान जिला आयोग द्धारा यह तथ्य उल्लिखित करते हुये परिवाद निरस्त किया गया कि वास्तव में परिवादिनी को आवंटित फ्लैट का कब्जा आवंटन तिथि से 36 माह की अवधि अप्रैल 2017 तक प्राप्त कराया जाना था जिस तिथि से पूर्व ही परिवादिनी द्धारा यह परिवाद योजित किया गया।
उपरोक्त तथ्यों को दृष्टिगत रखते हुये जिला आयोग द्धारा परिवाद अपोषणीय पाया गया तद्नुसार विद्धान जिला आयोग द्धारा परिवाद निरस्त किया गया।
विद्धान जिला उपभोक्ता आयोग द्धारा पारित निर्णय एवं आदेश का परिशीलन व परीक्षण करने के उपरान्त मैं इस मत का हॅू कि विद्धान जिला उपभोक्ता आयोग द्धारा समस्त तथ्यों का सम्यक अवलोकन/परिशीलन व परीक्षण करने के उपरान्त विधि अनुसार निर्णय एवं आदेश पारित किया है जिसमे किसी प्रकार के हस्तक्षेप की आवश्यकता नहीं है।
तद्नुसार प्रस्तुत अपील निरस्त किये जाने है।
आदेश
प्रस्तुत अपील निरस्त की जाती है। जिला आयोग द्वारा पारित प्रश्नगत निर्णय एवं आदेश की पुष्टि की जाती है।
अपील व्यय उभय पक्ष अपना अपना स्वयं वहन करेगें।
इस निर्णय की प्रमाणित प्रति नियमानुसार पक्षकारों को उपलब्ध करायी जाए।
आशुलिपिक/वैयक्तिक सहायक से अपेक्षा की जाती है कि वह इस आदेश को आयोग की वेबसाइट पर नियमानुसार यथाशीघ्र अपलोड कर दें।
(न्यायमूर्ति अशोक कुमार)
अध्यक्ष
रंजीत, पी.ए.
कोर्ट नं.-01