Uttar Pradesh

StateCommission

A/2014/916

Idea cellular - Complainant(s)

Versus

M/S Anshika Telecom - Opp.Party(s)

Sanjeev Singh & Shuchita Singh

17 Apr 2018

ORDER

STATE CONSUMER DISPUTES REDRESSAL COMMISSION, UP
C-1 Vikrant Khand 1 (Near Shaheed Path), Gomti Nagar Lucknow-226010
 
First Appeal No. A/2014/916
( Date of Filing : 05 May 2014 )
(Arisen out of Order Dated in Case No. of District State Commission)
 
1. Idea cellular
-
...........Appellant(s)
Versus
1. M/S Anshika Telecom
-
...........Respondent(s)
 
BEFORE: 
 HON'BLE MR. Udai Shanker Awasthi PRESIDING MEMBER
 HON'BLE MR. Gobardhan Yadav MEMBER
 
For the Appellant:
For the Respondent:
Dated : 17 Apr 2018
Final Order / Judgement

राज्‍य उपभोक्‍ता विवाद प्रतितोष आयोग, उ0प्र0, लखनऊ।

सुरक्षित

अपील सं0-९१६/२०१४

(जिला मंच, फतेहपुर द्वारा परिवाद सं0-५०/२०१३ में पारित प्रश्‍नगत निर्णय एवं आदेश दिनांक ०७-०३-२०१४ के विरूद्ध)

१. आईडिया सेल्‍यूलर लि0, स्‍वेता टावर-३, दी माल, परेड, कानपुर नगर द्वारा मैनेजर।

२. आईडिया सेल्‍यूलर लि0, प्‍लाट नं0-ई १०७, ट्रान्‍सपोर्ट नगर, फेस-२, लखनऊ द्वारा मैनेजर।

३. आईडिया सेल्‍यूलर लि0, ब्रान्‍च आफिस रामा श्‍यामा मैरिज हॉल, सिविल लाइन्‍स, फतेहपुर, द्वारा ब्रान्‍च मैनेजर।

                                            ........... अपीलार्थीगण/विपक्षीगण।

बनाम

मै0 आंशिका टेलीकॉम द्वारा प्रौपराइटर्स :-

१. विष्‍णु कुमार गुप्‍ता पुत्र श्री राम शंकर गुप्‍ता निवासी दिलाबलपुर, बकेवर, जिला फतेहपुर।

२. विनीत कुमार गुप्‍ता पुत्र स्‍व0 रवीन्‍द्र गुप्‍ता निवासी ३०५, देवीगंज, फतेहपुर।

                                            ............  प्रत्‍यर्थीगण/परिवादीगण।                                     

समक्ष:-

१-  मा0 श्री उदय शंकर अवस्‍थी, पीठासीन सदस्‍य।

२-  मा0 श्री गोवर्द्धन यादव, सदस्‍य।

अपीलार्थीगण की ओर से उपस्थित  : श्रीमती सुचिता सिंह विद्वान अधिवक्‍ता।

प्रत्‍यर्थीगण की ओर से उपस्थित    : श्री रवि कुमार रावत विद्वान अधिवक्‍ता।

 

दिनांक :- २८-०५-२०१८.

 

मा0 श्री उदय शंकर अवस्‍थी, पीठासीन सदस्‍य द्वारा उदघोषित

 

निर्णय

प्रस्‍तुत अपील, जिला मंच, फतेहपुर द्वारा परिवाद सं0-५०/२०१३ में पारित प्रश्‍नगत निर्णय एवं आदेश दिनांक ०७-०३-२०१४ के विरूद्ध योजित की गयी है।

संक्षेप में तथ्‍य इस प्रकार हैं कि प्रत्‍यर्थीगण/परिवादीगण के कथनानुसार परिवादीगण पढ़े-लि‍खे बेरोजगार व्‍यक्ति हैं। अपने जीविकोपार्जन तथा परिवार के पालन हेतु उन्‍होंने अपीलार्थीगण से सम्‍पर्क किया तथा अपीलार्थीगण के निर्देश पर १०,०००/- रू० अग्रिम धनराशि प्रतिभू के रूप में अपीलार्थीगण के आश्‍वासन पर उन्‍होंने जमा किए कि वे उन्‍हें उक्‍त स्‍वरोजगार हेतु स्‍थापित आंशिका टेलीकाम को उपकरण विक्रय कर     देंगे जिसकी अग्रिम धनराशि उन्‍हें ड्राफ्ट/चेक द्वारा अग्रिम के रूप में जमा करनी पड़ेगी।

 

 

-२-

प्रत्‍यर्थीगण के पास बेरोजगार होने के कारण स्‍वरोजगार स्‍कीम के तहत कोई अन्‍य विकल्‍प नहीं था, अपने व अपने परिवार के जीविकोपार्जन हेतु अपीलार्थीगण की शर्तों को स्‍वीकार करते हुए १०,०००/- रू० बैंक ड्राफ्ट नं0-५२३४०९ दिनांक २७-०२-२०१२ स्‍टेट बैंक आफ इण्डिया शाखा बकेवर अपीलार्थी सं0-२ को दिया। उनके द्वारा यह आश्‍वासन दिया गया कि वह परिवादीगण की डिमाण्‍ड के अनुसार परिवादीगण को आवश्‍यक उपकरण की प्रथम किश्‍त भिजवा देंगे। अपीलार्थी सं0-२ ने यह भी आश्‍वासन दिया कि उपकरणों की आपूर्ति अपीलार्थी सं0-१ के माध्‍यम से करवाई जायेगी। परिवादीगण ने अपीलार्थी सं0-१ को ४०,०००/- रू० का बैंक ड्राफ्ट सं0-५२३४०८ दिनांक २७-०२-२०१२ उपकरणों के मूल्‍य के रूप में अदा किया। अपीलार्थीगण द्वारा कहा गया कि उपकरण शीघ्र ही परिवादी को उनके कार्य स्‍थल पर पहुँच जायेंगे। परिवादी को एक माह बीतने के बाद भी जब उपकरण नहीं मिले तब उन्‍होंने अपीलार्थीगण से सम्‍पर्क किया। अपीलार्थी द्वारा द्वारा सूचित किया गया कि उपकरण के मूल्‍य बढ़ गये हैं, ३०,०००/- रू० और जमा कर दें तो उपकरण की सप्‍लाई किया जाना सम्‍भव हो पायेगा। मजबूर होकर परिवादीगण ने ३०,०००/- रू० अपीलार्थी सं0-१ को दिया तथा परिवादीगण द्वारा यह अनुरोध किया गया कि शीघ्रतम शीघ्र उपकरण उपलब्‍ध करा दिए जायें अन्‍यथा वे आर्थिक संकट में हो जायेंगे और स्‍वरोजगार योजना के तहत उनकी योजना विफल हो जायेगी। अपीलार्थी सं0-१ ने २६,९७४/- रू० के उपकरण भेजे और शेष उपकरण भेजने का आश्‍वासन दिया तथा साथ ही यह भी निर्देश दिया कि कुछ नये उपकरण उपलब्‍ध हैं, जिसके लिए २५,०००/- रू० का बैंक ड्राफ्ट भेज दें तो आधुनिकतम नई तकनीक से पूर्ण उपकरण शीघ्र ही भिजवा दिए जायेंगे। परिवादीगण ने अपीलार्थीगण के निर्देश पर २५,०००/- रू० का बैंक ड्राफ्ट सं0-८१९६०२ दिनांक ०९-०८-२०१२ अपीलार्थीगण को भेजा। २५,०००/- रू० के ड्राफ्ट के बदले कुछ उपकरण भेज दिए किन्‍तु पिछली शेष धनराशि के उपकरण नहीं भेजे। परिवादीगण के कथनानुसार अपीलार्थीगण के पास प्रतिभू की धनराशि सहित ५३,०२५/- रू० जमा है जिसका सामान नहीं दिया गया और न ही रूपया वापस किया गया। अपीलार्थीगण को अधिवक्‍ता के माध्‍यम से नोटिस भेजी गई किन्‍तु अपीलार्थीगण ने नोटिस के बाबजूद कोई पैसा या उपकरण नहीं भेजा। अपीलार्थीगण के विरूद्ध पुलिस में

 

-३-

भी शिकायत की गई किन्‍तु कोई कार्यवाही नहीं हुई। अत: अपीलार्थीगण से ५३,०२५/- रू० तथा उस पर ०२ प्रतिशत मासिक ब्‍याज दिलाए जाने हेतु परिवाद जिला मंच के समक्ष योजित किया गया।

अपीलार्थीगण के कथनानुसार परिवादीगण टेलीकाम का कार्य करने हेतु डीलर बनने आये थे और उन्‍होंने इसके लिए प्रतिभूति राशि के रूप में ड्राफ्ट सं0-५२३४०९ द्वारा १०,०००/- रू० जमा किए। अपीलार्थीगण का कथन है कि कम्‍पनी अभिलेखों के अनुसार परिवादीगण ने ड्राफ्ट सं0-५२३४२८ दिनांक २३-०३-२०१२ द्वारा ३०,०००/- रू० तथा ड्राफ्ट सं0-९८६२१४ दिनांकित ०९-०८-२०१२ द्वारा २५,०००/- रू० जमा किये। इसके अलावा कोई ड्राफ्ट प्राप्‍त प्राप्‍त नहीं हुआ। अपीलार्थीगण के कथनानुसार दिनांक २७-०२-२०१४ को ड्राफ्ट सं0-५२३४०८ द्वारा उनके किसी अन्‍य डिस्‍ट्रीब्‍यूटर का ४०,०००/- रू० उन्‍हें प्राप्‍त हुआ और उसे एवज में उतने ही रूपये का माल डिस्‍ट्रीब्‍यूटर को दिया गया। परिवादीगण ने अपीलार्थी को कभी भी ३०,०००/- नकद नहीं दिए। अपीलार्थीगण द्वारा डीलरों या डिस्‍ट्रीब्‍यूटरों से कभी नकद धनराशि प्राप्‍त नहीं की जाती।

विद्वान जिला मंच ने प्रश्‍नगत निर्णय द्वारा परिवादीगण का परिवाद आंशिक रूप से स्‍वीकार करते हुए अपीलार्थीगण को निर्देशित किया कि वे परिवादीगण को उनके द्वारा जमा की गई प्रतिभूति की धनराशि १०,०००/- रू० देंगे। शेष धनराशि ४३,०२५/- रू० पर दायरे की तिथि से अन्तिम अदायगी की तिथि तक ०९ प्रतिशत वार्षिक ब्‍याज के साथ निर्णय की तिथि से ३० दिन के अन्‍दर भुगतान करें तथा आर्थिक व मानसिक कष्‍ट की क्षतिपूर्ति के रूप में अपीलार्थीगण, परिवादीगण को १५,०००/- रू० एवं परिवाद व्‍यय के रूप में ५,०००/- रू० भी अदा करें।   

इस निर्णय से क्षुब्‍ध होकर यह अपील योजित की गयी।

हमने अपीलार्थीगण की ओर से विद्वान अधिवक्‍ता श्रीमती सुचिता सिंह तथा प्रत्‍यर्थीगण के विद्वान अधिवक्‍ता श्री रवि कुमार रावत के तर्क सुने तथा पत्रावली का अवलोकन किया।

अपीलार्थीगण की ओर से विद्वान अधिवक्‍ता द्वारा यह तर्क प्रस्‍तुत किया गया कि प्रश्‍नगत परिवाद उपभोक्‍ता मंच द्वारा पोषणीय नहीं था। प्रत्‍यर्थीगण/परिवादीगण   ने अपीलार्थी कम्‍पनी से टेलीकॉम उत्‍पाद की बिक्री हेतु इकरारनामा किया था। परिवाद के

-४-

अभिकथनों में स्‍वयं परिवादीगण ने यह स्‍वीकार किया है कि इस प्रयोजन हेतु १०,०००/- रू० प्रतिभूति के रूप में धनराशि उन्‍होंने अपीलार्थी कम्‍पनी में जमा की थी तथा अपीलार्थी कम्‍पनी द्वारा निर्मित उत्‍पाद बिक्री हेतु आपूर्ति करने के लिए समय-समय पर धनराशि अदा की थी। इस प्रकार स्‍वीकृत रूप से प्रत्‍यर्थीगण/परिवादीगण ने अपीलार्थी कम्‍पनी से उत्‍पाद अन्‍य ग्राहकों को विक्रय हेतु क्रय किया था। ऐसी परिस्थिति में उपभोक्‍ता संरक्षण अधिनियम की धारा-२(१)(डी) के अन्‍तर्गत वर्णित उपभोक्‍ता की परिभाषा के अन्‍तर्गत प्रत्‍यर्थीगण/परिवादीगण उपभोक्‍ता नहीं माने जा सकते। अत: विवाद के निस्‍तारण का क्षेत्राधिकार उपभोक्‍ता मंच को प्राप्‍त होना नहीं माना जा सकता।

अपीलार्थीगण की ओर से यह तर्क भी प्रस्‍तुत किया गया कि ४०,०००/- रू० का विवादित बैंक ड्राफ्ट परिवादीगण से अपीलार्थी को प्राप्‍त नहीं हुआ। यह बैंक ड्राफ्ट सोनाली पी0सी0ओ0 फतेहपुर द्वारा प्राप्‍त कराया गया। बैंक ड्राफ्ट की पुष्‍त पर सोनाली पी0सी0ओ0 फतेहपुर की मुहर अंकित थी तथा क्रय किए जाने वाले उपकरणों का विवरण भी अंकित था। अपीलार्थी ने इस बैंक ड्राफ्ट की धनराशि के सापेक्ष माल की आपूर्ति सोनाली पी0सी0ओ0 को कर दी थी। विद्वान जिला मंच ने ४०,०००/- रू० का बैंक ड्राफ्ट प्रत्‍यर्थीगण/परिवादीगण द्वारा अपीलार्थी को निर्गत किया जाना प्रश्‍नगत निर्णय में माना है। प्रश्‍नगत निर्णय के अवलोकन से यह विदित होता है कि अपीलार्थी को १०,०००/- रू० प्रतिभूति की अदायगी स्‍टेट बैंक आफ इण्डिया शाखा बकेवर द्वारा दिनांक २७-०२-२०१२ को तैयार किए गये बैंक ड्राफ्ट सं0-५२३४०९ द्वारा की गई।

जहॉं तक ४०,०००/- रू० के विवादित बैंक ड्राफ्ट का प्रश्‍न है यह तथ्‍य निर्विवाद है कि यह बैंक ड्राफ्ट भी दिनांक २७-०२-२०१२ को ही स्‍टेट बैंक आफ इण्डिया शाखा बकेवर द्वारा तैयार किया गया तथा बैंक ड्राफ्ट का नम्‍बर ५२३४०८ था अर्थात् यह बैंक ड्राफ्ट १०,०००/- रू० के बैंक ड्राफ्ट के ठीक पहले का था। परिवादीगण ने जिला मंच के समक्ष इस सन्‍दर्भ में साक्ष्‍य प्रेषित की कि ४०,०००/- रू० का उपरोक्‍त बैंक ड्राफ्ट तैयार किए जाने हेतु आवेदन उनके द्वारा प्रस्‍तुत किया गया। ऐसी परिस्थिति में ४०,०००/- रू० का यह बैंक ड्राफ्ट परिवादीगण द्वारा ही तैयार कराया जाना माना जायेगा। स्‍वाभाविक रूप से यह बैंक ड्राफ्ट परिवादीगण द्वारा ही अपीलार्थी कम्‍पनी को निर्गत किया गया होगा।

 

-५-

इस बैंक ड्राफ्ट की पुष्‍त पर सोनाली पी0सी0ओ0 की मुहर किस प्रकार अंकित की गई यह अपीलार्थीगण ही स्‍पष्‍ट कर सकते हैं। परिवादीगण द्वारा यह बैंक ड्राफ्ट अपने द्वारा प्रस्‍तुत किया जाना अभिकथित किए जाने के उपरान्‍त अपीलार्थीगण से यह अपेक्षित था कि इस सन्‍दर्भ में सोनाली पी0सी0ओ0 अथवा अपने अधिष्‍ठान में कार्यरत कर्मचारियों से जांच कराई जाती किन्‍तु सम्‍भवत: ऐसी कोई जांच अपीलार्थीगण द्वारा नहीं कराई गई। हमारे विचार से विद्वान जिला मंच का यह निष्‍कर्ष कि ४०,०००/- रू० की यह धनराशि प्रत्‍यर्थीगण/परिवादीगण द्वारा अपीलार्थी कम्‍पनी को अदा की गई, त्रुटिपूर्ण नहीं है किन्‍तु अपीलार्थीगण के इस तर्क में बल है कि प्रत्‍यर्थीगण/परिवादीगण का उपभोक्‍ता संरक्षण अधिनियम के अन्‍तर्गत उपभोक्‍ता होना प्रमाणित नहीं है।

यह तथ्‍य निर्विवाद है कि प्रत्‍यर्थीगण/परिवादीगण ने अपीलार्थी कम्‍पनी से टेलीकॉम उत्‍पाद विक्रय करने हेतु संविदा की तथा इस प्रयोजन हेतु १०,०००/- रू० अग्रिम प्रतिभू के रूप में अपीलार्थी कम्‍पनी में जमा किए तथा टेलीकॉम उत्‍पाद विक्रय करने हेतु अपीलार्थी कम्‍पनी को धनराशि अदा की तथा निर्विवाद रूप से कुछ उपकरण क्रय किए।

उपभोक्‍ता संरक्षण अधिनियम १९८६ की धारा-२(१)(घ) में उपभोक्‍ता को निम्‍नवत् परिभाषित किया गया है :-

 ‘’ २(१)(घ)(i)- ऐसे किसी प्रतिफल के लिए जिसका संदाय कर दिया गया है या वचन दिया गया है या भागत: संदाय किया गया और भागत: वचन दिया गया है, या किसी आस्‍थगित संदाय की पद्धति के अधीन किसी माल का क्रय करता है, इसके अन्‍तर्गत ऐसे किसी व्‍यक्ति से भिन्‍न ऐसे माल का कोई प्रयोगकर्ता भी है ऐसे प्रतिफल के लिए जिसका संदाय किया गया है या वचन दिया गया है या भागत: संदाय किया गया है या भागत: वचन दिया गया है या आस्‍थगित संदाय की पद्धति के अधीन माल क्रय करता है जब ऐसा प्रयोग ऐसे व्‍यक्ति के अनुमोदन से किया जाता है, लेकिन इसके अन्‍तर्गत कोई ऐसा व्‍यक्ति नहीं है जो ऐसे माल को पुन: विक्रय या किसी वाणिज्यिक प्रयोजन के लिए अभिप्राप्‍त करता है। ‘’

उपरोक्‍त परिभाषा के अन्‍तर्गत पुन: विक्रय हेतु क्रय करने वाला व्‍यक्ति

 

-६-

उपभोक्‍ता नहीं माना जायेगा। पुन: विक्रय के सन्‍दर्भ में स्‍वरोजगार हेतु क्रय किया जाना महत्‍वहीन होगा। जिला मंच के समक्ष अपीलार्थीगण द्वारा प्रेषित किए गये प्रतिवाद पत्र जिसकी फोटोप्रति अपील के साथ अपीलार्थीगण द्वारा दाखिल की गई है, के अवलोकन से यह विदित होता है कि क्षेत्राधिकार के प्रश्‍न पर आपत्ति विशिष्‍ट रूप से अपीलार्थीगण द्वारा प्रेषित की गई किन्‍तु विद्वान जिला मंच ने इस प्रश्‍न को निर्णीत न करते हुए प्रश्‍नगत निर्णय पारित किया है।

उपरोक्‍त तथ्‍यों के आलोक में हमारे विचार से प्रत्‍यर्थीगण/परिवादीगण उपभोक्‍ता संरक्षण अधिनियम के अन्‍तर्गत उपभोक्‍ता न होने के कारण प्रश्‍नगत परिवाद की सुनवाई का क्षेत्राधिकार जिला मंच को प्राप्‍त नहीं था। प्रश्‍नगत निर्णय क्षे‍त्राधिकार के अभाव में पारित होने के कारण अपास्‍त किए जाने योग्‍य है। अपील तद्नुसार स्‍वीकार किए जाने योग्‍य है।       

आदेश

      अपील स्‍वीकार की जाती है। जिला मंच, फतेहपुर द्वारा परिवाद सं0-५०/२०१३ में पारित प्रश्‍नगत निर्णय एवं आदेश दिनांक ०७-०३-२०१४ क्षेत्राधिकार के अभाव में पारित हाने के कारण अपास्‍त किया जाता है। प्रत्‍यर्थीगण/परिवादीगण सक्षम न्‍यायालय के समक्ष वाद प्रस्‍तुत करने हेतु स्‍वतन्‍त्र होंगे।  

      इस अपील का व्‍यय-भार उभय पक्ष अपना-अपना स्‍वयं वहन करेंगे।

      उभय पक्ष को इस निर्णय की प्रमाणित प्रति नियमानुसार उपलब्‍ध करायी जाय।

 

                                    

                                                (उदय शंकर अवस्‍थी)

                                                  पीठासीन सदस्‍य

 

 

                                                  (गोवर्द्धन यादव)

                                                      सदस्‍य

 

 

प्रमोद कुमार,

वैय0सहा0ग्रेड-१,

कोर्ट नं.-५.  

 

 

 

 

 

 

 

 
 
[HON'BLE MR. Udai Shanker Awasthi]
PRESIDING MEMBER
 
[HON'BLE MR. Gobardhan Yadav]
MEMBER

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