Uttar Pradesh

StateCommission

CC/31/2015

Ratnesh Divewadi - Complainant(s)

Versus

M/S Ansal Properties - Opp.Party(s)

T.H. Naqvi

12 Jul 2021

ORDER

STATE CONSUMER DISPUTES REDRESSAL COMMISSION, UP
C-1 Vikrant Khand 1 (Near Shaheed Path), Gomti Nagar Lucknow-226010
 
Complaint Case No. CC/31/2015
( Date of Filing : 11 Feb 2015 )
 
1. Ratnesh Divewadi
Sultanpur
...........Complainant(s)
Versus
1. M/S Ansal Properties
New Delhi
............Opp.Party(s)
 
BEFORE: 
 HON'BLE MR. JUSTICE ASHOK KUMAR PRESIDENT
 HON'BLE MR. SUSHIL KUMAR JUDICIAL MEMBER
 
PRESENT:
 
Dated : 12 Jul 2021
Final Order / Judgement

(सुरक्षित)

राज्‍य उपभोक्‍ता विवाद प्रतितोष आयोग, उ0प्र0, लखनऊ

परिवाद संख्‍या-31/2015

रत्‍नेश द्विवेदी पुत्र श्री राजेन्‍द्र कुमार द्विवेदी, निवासी-1595/1, नविपुर, केयर आफ-बची निवास, लोहरामऊ रोड, सुलतानपुर।

 परिवादी

                                               बनाम        

1. चेयरमेन कम मैनेजिंग डायरेक्‍टर, मै0 अंसल प्रोपर्टीज एण्‍ड इन्‍फ्रास्‍ट्रक्‍चर लि0, 115, अंसल भवन, के.जी. मार्ग, नई दिल्‍ली।

2. ब्रांच हेड, मै0 अंसल प्रोपर्टीज एण्‍ड इन्‍फ्रास्‍ट्रक्‍चर लि0, फर्स्‍ट फ्लोर, वाईएमसीए कैम्‍पस, 13 राणा प्रताप मार्ग, लखनऊ।

                                                   विपक्षीगण

समक्ष:-                                                   

1. माननीय न्‍यायमूर्ति श्री अशोक कुमार, अध्‍यक्ष

2. माननीय श्री सुशील कुमार, सदस्‍य।

परिवादी की ओर से उपस्थित    : श्री टी0एच0 नकवी, विद्वान अधिवक्‍ता।

विपक्षीगण की ओर से उपस्थित : श्री अनुराग सिंह एवं श्री शुभम त्रिपाठी,

                                                 विद्वान अधिवक्‍तागण।

दिनांक:  22.07.2021 

माननीय श्री सुशील कुमार, सदस्‍य द्वारा उदघोषित

निर्णय

1.         यह  परिवाद, विपक्षीगण के विरूद्ध फ्लैट नम्‍बर-E/04/06 स्थित पैराडाइज डायमण्‍ड 1 का कब्‍जा सुपुर्द करने का आदेश प्राप्‍त करने के लिए, इसी योजना में पुरानी दरों पर दूसरा फ्लैट आवंटित करने के लिए, अंकन 60,000/- रूपये 18 प्रतिशत ब्‍याज सहित प्राप्‍त करने के लिए तथा अंकन 10,00,000/- रूपये मानसिक खिन्‍नता एवं प्रताड़ना के कारण क्षतिपूर्ति के लिए प्रस्‍तुत किया गया है।

2.         परिवाद के तथ्‍य संक्षेप में इस प्रकार हैं कि परिवादी ने सुशान्‍त गोल्‍फ सिटी में पैराडाइज डायमण्‍ड के टावर ई में फ्लोर नम्‍बर 4 पर फ्लैट नम्‍बर 6 1000 स्‍क्‍वायर फिट का बुक कराया था, जिसका आधार मूल्‍य अंकन 1475/- रूपये प्रति स्‍क्‍वायर फिट था। इस प्रकार फ्लैट की कुल कीमत अंकन 14,75,000/- रूपये थी, जिसका भुगतान निर्माण लिंक प्‍लान के अन्‍तर्गत किया जाना था। दिनांक 20.11.2009 को करार निष्‍पादित हुआ। परिवाद प्रस्‍तुत करने की तिथि तक परिवादी ने अंकन 04,05,633/- रूपये जमा कर दिया। विपक्षीगण ने नवम्‍बर 2012 तक कब्‍जा सुपुर्द करने का आश्‍वासन दिया। परिवादी ने एचडीएफसी बैंक से अंकन 2,20,000/- रूपये का ऋण प्राप्‍त किया, परन्‍तु कब्‍जा प्रदान नहीं किया गया। कई बार अनुरोध किया गया। अंतत: एचडीएफसी बैंक में ऋण खाता बन्‍द कर दिया गया। विपक्षी संख्‍या-2 द्वारा दूरभाष पर की गई वार्ता के अनुसार यह जानकारी दी गई कि परिवादी को नई यूनिट संख्‍या PG2 आवंटित कर दी गई और इसके बाद दिनांक 08.10.2013 को Email द्वारा सूचित किया गया कि परिवादी को G/10/02 नामक फ्लैट आवंटित किया गया है। इस प्रकार विपक्षीगण प्रत्‍येक बार एक भिन्‍न दृष्टिकोण अपना रहे हैं, इसलिए उनके द्वारा सेवा में कमी कारित की गई है। तदनुसार परिवाद उपरोक्‍त वर्णित अनुतोष के साथ प्रस्‍तुत किया गया है।

3.         लिखित कथन में आपत्‍ति‍ की गई है कि परिवादी उपभोक्‍ता नही है, बल्कि व्‍यापारी है। लिखित कथन में योजना के प्रारम्‍भ की प्रक्रिया का उल्‍लेख किया गया है, जिसका उल्‍लेख इस निर्णय में किया जाना आवश्‍यक नहीं है, क्‍योंकि लिखित कथन में किया गया यह उल्‍लेख अनावश्‍यक है। फ्लैट आवंटन न होने के संबंध में यह उल्‍लेख किया गया है कि जिस गांव (बरौना) की भूमि पर योजना प्रारम्‍भ की गई थी वहां पर विवाद उत्‍पन्‍न हो गया। इस प्रकार विपक्षीगण द्वारा माननीय उच्‍च न्‍यायालय इलाहाबाद के समक्ष रिट याचिका संख्‍या-5448/2011 प्रस्‍तुत की गई, जिसमें यह निर्देश दिया गया कि आवास विकास परिषद के समक्ष लम्बित प्रत्‍यावेदन का निस्‍तारण किया जाए, परन्‍तु विवाद का निस्‍तारण नहीं हो सका। अत: स्‍पष्‍ट है कि विपक्षीगण ने आवंटी को भ्रमित नहीं किया है। परिवाद पत्र में वर्णित फ्लैट आवंटित करना स्‍वीकार किया गया, परन्‍तु पुन: उत्‍तर प्रदेश सरकार तथा आवास विकास परिषद के साथ विभिन्‍न प्रकृति के विवादों की चर्चा विस्‍तृत रूप से लिखित कथन में की है। इन सब चर्चाओं का निष्‍कर्ष यह है कि परिवादी को आवंटित फ्लैट कभी भी पूर्ण करके नहीं दिया जा सका।

4.         परिवादी की ओर से विद्वान अधिवक्‍ता श्री टी0एच0 नकवी तथा विपक्षीगण की ओर से विद्वान अधिवक्‍तागण श्री अभिनव सिंह एवं श्री शुभम त्रिपाठी की बहस सुनी गई तथा पत्रावली का अवलोकन किया गया।

5.         स्‍वंय लिखित कथन में वर्णित तथ्‍यों से स्‍पष्‍ट हो जाता है कि परिवादी को जो फ्लैट आवंटित किया गया, वह फ्लैट कभी भी निर्मित करके परिवादी को सुपुर्द नहीं किया गया। वर्ष 2009-10 में फ्लैट की योजना सार्वजनिक की गई, परन्‍तु परिवाद प्रस्‍तुत करने की तिथि तक और जैसा कि बहस के दौरान ज्ञात हुआ कि आज तक भी योजना पूर्ण नहीं की गई। लिखित बहस में भी स्‍वीकार किया गया है कि योजना का परित्‍याग किया जा चुका है और कम्‍पनी केवल ब्‍याज के बिना जमा धनराशि वापस करने के लिए उत्‍तरदायी है। विपक्षीगण कम्‍पनी के विद्वान अधिवक्‍ता का यह तर्क समुचित प्रतीत नहीं होता है कि केवल जमा की गई धनराशि ब्‍याज के बिना वापस लौटाने का आदेश पारित किया जाना च‍ाहिए। चूंकि परिवादी द्वारा अपने वेतन से बचत तथा ऋण प्राप्‍त करने के पश्‍चात भुगतान किया गया तथा उसके द्वारा ऋण की अदायगी ब्‍याज सहित की जा रही है। अत: परिवादी भी उसके द्वारा जमा की गई धनराशि ब्‍याज सहित वापस प्राप्‍त करने के लिए अधिकृत है साथ ही परिवादी को मानसिक प्रताड़ना तथा क्षुब्‍धता कारित हुई, के मद में भी परिवादी प्रतिकर प्राप्‍त करने के लिए अधिकृत है। यद्यपि प्रतिकर अंकन 10,00,000/- रूपये मांगा गया है, जो अत्‍यधिक है। चूंकि परिवादी द्वारा केवल 04,05,633/- रूपये जमा किए गए हैं, इसलिए प्रतिकर की राशि निश्चित रूप से इस राशि से अधिक नहीं हो सकती, इसलिए मानसिक प्रताड़ना की मद में प्रतिकर राशि परिवादी द्वारा जमा की गई राशि से अधिक नहीं हो सकती। मानसिक प्रताड़ना की मद में केवल जमा की गई राशि के 1/4 यानि अंकन 1,00,000/- रूपये (एक लाख) का प्रतिकर दिलाया जाना उचित है। परिवाद तदनुसार आंशिक रूप से स्‍वीकार किए जाने योग्‍य है।

आदेश

6.         प्रस्‍तुत परिवाद इस सीमा तक स्‍वीकार किया जाता है कि विपक्षीगण परिवादी द्वारा जमा की गई धनराशि 09 प्रतिशत वार्षिक ब्‍याज सहित (जमा करने की तिथि से अदायगी की तिथि तक) तीन माह के अन्‍दर वापस करें।

           विपक्षीगण को निर्देशित किया जाता है कि वह परिवादी को एक लाख रूपये मानसिक प्रताड़ना की मद में उपरोक्‍त अवधि के अन्‍दर अदा करे।

           विपक्षीगण को यह भी निर्देशित किया जाता है कि वह अंकन 5,000/- रूपये परिवाद खर्च के रूप में परिवादी को अदा करे। इस समस्‍त धनराशि पर भी 09 प्रतिशत प्रतिवर्ष की दर से परिवाद प्रस्‍तुत करने की तिथि से अंतिम भुगतान की तिथि तक ब्‍याज देय होगा।

आशुलिपिक से अपेक्षा की जाती है कि वह इस आदेश को आयोग की वेबसाइट पर नियमानुसार यथाशीघ्र अपलोड कर दे।

 

 

                     

     (न्‍यायमूर्ति अशोक कुमार)                         (सुशील कुमार)

               अध्‍यक्ष                                    सदस्‍य

 

 

 

 लक्ष्‍मन, आशु0,

    कोर्ट-1

 
 
[HON'BLE MR. JUSTICE ASHOK KUMAR]
PRESIDENT
 
 
[HON'BLE MR. SUSHIL KUMAR]
JUDICIAL MEMBER
 

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