सुरक्षित
राज्य उपभोक्ता विवाद प्रतितोष आयोग, उ0प्र0, लखनऊ।
परिवाद संख्या- 303/2018
सुचिता सिंह पत्नी श्री प्रदीप सिंह, निवासी- फ्लैट नं० टी 1/901, अर्निया सिग्नेचर अपार्टमेंट, राम गंगा विहार, फेस ।।, मुरादाबाद, यू०पी० 244001.
परिवादिनी
बनाम
1- मै0 अंसल प्रापर्टीज एण्ड इंफ्रास्ट्रक्चर लि0, साइट आफिस अमर शहीद पथ, सुल्तानपुर रोड, सुशांत गोल्फ सिटी, लखनऊ- 226030, द्वारा मैनेजिंग डायरेक्टर।
2- मै0 अभीष्ट डेवलपर्स एण्ड बिल्डर्स प्रा0 लि0, सेकेण्ड फ्लोर, जय हिन्द कामार्शियल सेन्टर, बी०एन० रोड, लखनऊ- 226001 द्वारा प्रमोटर।
विपक्षीगण
समक्ष:-
माननीय न्यायमूर्ति श्री अख्तर हुसैन खान, अध्यक्ष।
परिवादिनी की ओर से उपस्थित : विद्वान अधिवक्ता, श्री नवीन कुमार तिवारी
विपक्षी सं०1 की ओर से उपस्थित :विद्वान अधिवक्ता श्री मानवेन्द्र प्रताप सिंह
विपक्षी सं० 2 की ओर से : कोई उपस्थित नहीं।
दिनांक- 05-07-2019
माननीय न्यायमूर्ति श्री अख्तर हुसैन खान, अध्यक्ष द्वारा उदघोषित
निर्णय
वर्तमान परिवाद, परिवादिनी श्रीमती सुचिता सिंह ने विपक्षीगण मै0 अंसल प्रापर्टीज एण्ड इंफ्रास्ट्रक्चर लि0, व मै0 अभीष्ट डेवलपर्स एण्ड बिल्डर्स प्रा0 लि0, के विरूद्ध धारा-17 उपभोक्ता संरक्षण अधिनियम के अन्तर्गत आयोग के समक्ष प्रस्तुत किया है और निम्न अनुतोष चाहा है:-
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A-To direct the opposite party to refund Rs. 9,63,589/- to complainant along with 18% interest from the date of respective deposit of amount.
B- To direct the opposite party to make the payment of Rs. 5,00,000/- compensation for mental agony.
C- To direct the opposite party to make the payment of Rs. 5,00,000/- compensation towards physical harassment.
D- To direct the respondent to pay Rs. 35,000/- for cost of the case.
E- Any other relief which this Hon’ble Court deems fit and proper in the interest of justice.
परिवाद पत्र के अनुसार परिवादिनी का कथन है कि उसने विपक्षीगण की "Celebrity Meadows" परियोजना प्लाट नं० 2 ग्रुप हाउसिंग काम्पलेक्स Hi-Tech टाउनशिप सुशांत गोल्फ सिटी, लखनऊ सेक्टर-1 में 3 B.H.K Flat दिनांक 29-11-2010 को बुक किया जिसका सुपर एरिया 1970 Sq .Feet था और टोटल बेसिक सेल प्राइस 20,40,920/-रू० था। एलाटमेंट लेटर के अनुसार परिवादिनी ने परिवाद पत्र की धारा-7 में अंकित विवरण के अनुसार दिनांक 29-11-2010 से दिनांक 16-01-2014 तक की अवधि में 9,63,589/- रू० का भुगतान किया।
परिवाद पत्र के अनुसार परिवादिनी का कथन है कि सेलर बायर एग्रीमेंट/एलाटमेंट लेटर में अंकित है कि प्रमोटर बिल्डिंग प्लान के सैक्शन की तिथि से 36 महीने के अन्दर एलाटी को कब्जा देने का प्रयास करेगा। परिवाद पत्र के अनुसार परिवादिनी ने आवंटित फ्लैट के बेसिक सेल प्राइस की 50 प्रतिशत से अधिक धनराशि जमा कर दिया है परन्तु विपक्षीगण, परिवादिनी को कब्जा देने में असफल रहे हैं। इस प्रकार विपक्षीगण ने सेवा में घोर कमी की है और अनुचित व्यापार पद्धति अपनायी है। अत: परिवादिनी ने परिवाद विपक्षीगण के विरूद्ध प्रस्तुत कर उपरोक्त अनुतोष चाहा है।
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विपक्षी संख्या-1 की ओर से लिखित कथन प्रस्तुत कर परिवाद का विरोध किया गया है। विपक्षी संख्या-2 को रजिस्टर्ड डाक से नोटिस भेजी गयी है जो अदम तामील वापस नहीं आयी है। अत: उस पर नोटिस का तामीला पर्याप्त माना गया है फिर भी विपक्षी संख्या-2 की ओर से कोई उपस्थित नहीं हुआ है और न ही लिखित कथन प्रस्तुत किया गया है।
विपक्षी संख्या-1 ने अपने लिखित कथन में कहा है कि सुशांत गोल्फ सिटी हाई-टेक टाउनशिप, सुल्तानपुर रोड पर उ०प्र० सरकार की हाई-टेक टाउनशिप पालिसी के अनुसार निर्मित की जा रही है। परिवादिनी ने टर्म और कंडीशन को पढ़ने के बाद आवेदन पत्र एलाटमेंट हेतु दिया था। टर्म और कंडीशन एलाटमेंट लेटर पर भी अंकित हैं।
लिखित कथन में विपक्षी संख्या-1 की ओर से कहा गया है कि परिवादिनी इन्वेस्टर है उसने लाभ अर्जित करने हेतु धन रियल स्टेट के बिजनेस में लगाया है। अत: वह उपभोक्ता संरक्षण अधिनियम के अन्तर्गत उपभोक्ता नहीं है।
लिखित कथन में विपक्षी संख्या-1 ने कहा है कि परिवादिनी ने परिवाद में वास्तविक तथ्यों को छिपाया है। मै0 अंसल API लखनऊ का "Celebrity Meadows" परियोजना टावर/फ्लैट कंस्ट्रक्सन्स के निर्माण से कोई सम्बन्ध नहीं है। विपक्षी API लखनऊ का कार्य केवल रोड, सीवर लाइन आदि का विकास कार्य करना है। फ्लैट का निर्माण मै0 अभीष्ट डेवलपर्स एण्ड बिल्डर्स प्रा0लि0 द्वारा किया जाना है।
परिवादिनी ने परिवाद पत्र के कथन के समर्थन में अपना शपथ-पत्र संलग्नकों सहित प्रस्तुत किया है। विपक्षी संख्या-1 की ओर से लिखित कथन
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के समर्थन में श्री आशीष सिंह, अर्थराइज्ड सिग्नेचरी का शपथ-पत्र प्रस्तुत किया गया है।
परिवाद-पत्र की अंतिम सुनवाई के समय परिवादिनी की ओर से विद्वान अधिवक्ता श्री नवीन कुमार तिवारी और विपक्षी संख्या-1 की ओर से विद्वान अधिवक्ता श्री मानवेन्द्र प्रताप सिंह उपस्थित आए हैं।
मैंने उभय पक्ष के विद्वान अधिवक्तागण के तर्क को सुना है और पत्रावली का अवलोकन किया है।
एलाटमेंट लेटर परिवाद पत्र का संलग्नक 1 है जिससे स्पष्ट है कि यह एलाटमेंट लेटर मै0 अभीष्ट डेवलपर्स एण्ड बिल्डर्स प्रा0लि0 ने परिवादिनी श्रीमती सुचिता सिंह के नाम से जारी किया है।
परिवाद पत्र का संलग्नक-3 परिवादिनी द्वारा अदा की गयी धनराशि 1,84,790/-रू० की रसीद दिनांक 16-01-2014 है। इसके साथ ही परिवादिनी ने परिवाद पत्र के साथ रसीद दिनांक 13-05-2011, दिनांक 13-04-2011, दिनांक 23-03-2011, दिनांक- 08-02-2011 और दिनांक 29-11-2010 भी प्रस्तुत किया है जिसके द्वारा परिवादिनी ने क्रमश: 1,84,635/-रू०, 1,86,438/-रू०, 1,53,863/-रू०, 1,53,863/-रू०, और 1,00,000/-रू० जमा किया है। यह सभी रसीदें विपक्षी संख्या-2 मै0 अभीष्ट डेवलपर्स एण्ड बिल्डर्स प्रा0लि0 द्वारा जारी की गयी हैं। अत: यह स्पष्ट है कि परिवादिनी को प्रश्नगत फ्लैट का आवंटन विपक्षी संख्या-2 द्वारा ही किया गया है और उसने ही परिवादिनी से परिवाद पत्र की धारा-7 में अंकित धनराशि प्राप्त की है। परिवादिनी को प्रश्नगत फ्लैट के आवंटन में विपक्षी संख्या-1 की कोई भूमिका नहीं दिखती है न ही प्रमाणित
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होती है और न ही परिवाद पत्र में परिवादिनी ने विपक्षी संख्या-1 की भूमिका के सम्बन्ध में कोई स्पष्ट कथन किया है।
आवंटन पत्र में प्लान सैंक्शन होने की तिथि से 36 महीने के अन्दर कब्जा आफर दिये जाने का प्रयास किया जाएगा, उल्लिखित है परन्तु अब तक परिवादिनी को निमार्ण कार्य पूरा कर कब्जा नहीं दिया गया है। एलाटमेंट लेटर दिनांक 19-11-2010 को जारी किया गया है और परिवादिनी ने 29-11-2010 से दिनांक 16-01-2014 तक की अवधि में कुल 9,63,589/- रू० का भुगतान विपक्षी संख्या-2 के यहॉं जमा किया है परन्तु विपक्षी संख्या-2 ने फ्लैट का निर्माण कर अब तक फ्लैट के कब्जे का आफर परिवादिनी को नहीं दिया है और न ही फ्लैट का निर्माण पूरा होने की कोई सम्भावना बतायी गयी है।
अत: सम्पूर्ण तथ्यों और परिस्थितियों पर विचार करते हुए यह उचित प्रतीत होता है कि परिवादिनी की जमा धनराशि विपक्षी संख्या-2 से उसे ब्याज के साथ वापस दिलायी जाए।
माननीय सर्वोच्च न्यायालय द्वारा के०ए० नागमणि बनाम हाउसिंग कमिश्नर, कर्नाटका हाउसिंग बोर्ड ।।। (2016) सी०पी०जे० 16 (SC) के वाद में पारित निर्णय को दृष्टिगत रखते हुए सम्पूर्ण तथ्यों और परिस्थितियों पर विचार करते हुए परिवादिनी की जमा धनराशि 9,63,589/- रू० पर 18 प्रतिशत वार्षिक की दर से ब्याज दिलाया जाना उचित है।
परिवादिनी को 10,000/-रू० वाद व्यय भी दिलाया जाना उचित है।
परिवादिनी को दी जाने वाली उपरोक्त अनुतोष को दृष्टिगत रखते हुए परिवादिनी द्वारा याचित अन्य अनुतोष प्रदान किया जाना उचित नहीं प्रतीत होता है।
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उपरोक्त निष्कर्ष के आधार पर परिवाद आंशिक रूप से स्वीकार किया जाता है और विपक्षी संख्या- 2 मै0 अभीष्ट डेवलपर्स एण्ड बिल्डर्स प्रा0लि0 को आदेशित किया जाता है कि वह परिवादिनी की जमा धनराशि 9,63,589/- रू० जमा की तिथि से अदायगी की तिथि तक 18 प्रतिशत वार्षिक की दर से ब्याज सहित परिवादिनी को वापस करें। इसके साथ ही वह परिवादिनी को 10,000/-रू० वाद व्यय भी अदा करें।
परिवादिनी द्वारा प्रस्तुत परिवाद विपक्षी संख्या-1 के विरूद्ध निरस्त किया जाता है।
(न्यायमूर्ति अख्तर हुसैन खान)
अध्यक्ष
कृष्णा, आशु0
कोर्ट नं01