Final Order / Judgement | (मौखिक) राज्य उपभोक्ता विवाद प्रतितोष आयोग, उ0प्र0, लखनऊ। परिवाद सं0 :-165/2017 - Smt. Bina Srivastava aged about 62 years w/o of Sri Virendra Kumar Srivastava, resident of 25, Old Charuchandrapuri, Jal Nigam Colony (near D.I.G residence), Bilandpur, Dist-Gorakhpur-273001 presently residing at Plot no A. 83 II, Buddh Vihar Part A, Phase II, Taramandal Area (opposite G.D.A. office/behing Ganesh Marbles) Gorakhpur-273017
- Abhinav Srivastava aged about 30 years, son of Virendra Kumar Srivastava, resident of 25, old Charuchandrapuri Jal Nigam Colony (near D.I.G residence), Bilandpur, Dist-Gorakhpur-273001 presently residing at Plot no A. 83 II, Buddh Vihar Part A, Phase II, Taramandal Area (opposite G.D.A. office/behing Ganesh Marbles) Gorakhpur-273017
- Complainants
Versus - M/S Ansal Properties & Infrastrure Ltd, Branch Office situated at, First Floor, Y.M.C.A. Campus, 13 Rana Pratap Marg Lucknow, through its Managing Director.
- M/S Ansal Properties & Infrastructure Ltd, registered and Corporate office situated at 115 Ansal Bhawan, 16 Kasturba Gandhi Marg New Delhi, through its chairman.
- Opp. Parties
समक्ष - मा0 श्री सुशील कुमार, सदस्य
- मा0 श्री विकास सक्सेना, सदस्य
उपस्थिति: परिवादीगण की ओर विद्धान अधिवक्ता :- श्री अम्बरीश कौशल श्रीवास्तव विपक्षीगण की ओर से विद्वान अधिवक्ता:- सुश्री ऋतिका सिंह दिनांक:-18.10.2022 माननीय श्री विकास सक्सेना, सदस्य द्वारा उदघोषित निर्णय - यह परिवाद विपक्षी भवन निर्माता कम्पनी के विरूद्ध परिवादी द्वारा उन्हें आवंटित आवास का कब्जा प्राप्त करने के लिए उनके द्वारा जमा राशि पर 24 प्रतिशत ब्याज प्राप्त करने के लिए, प्रतिकर के रूप में अंकन 5,00,000/- रूपये, विपक्षी द्वारा अनुचित व्यापार प्रणाली अपनाये जाने के कारण अंकन 5,00,000/- रूपये का प्रतिकर प्राप्त करने के लिए तथा 2014 के पश्चात करार के अनुसार देय किराया राशि प्राप्त करने के लिए, मानसिक प्रताड़ना के मद में उत्पीड़नात्मक क्षतिपूर्ति प्राप्त करने के लिए प्रस्तुत किया गया है।
- परिवाद के तथ्यों के अनुसार विपक्षी भवन निर्माता कम्पनी द्वारा परिवादियों को एक भवन आवंटित किया। इस भवन का आवंटन पत्र पत्रावली पर दस्तावेज सं0 18 के रूप में मौजूद है, जिसके अवलोकन से जाहिर होता है कि भवन का कुल मूल्य 52,27,000/- रूपये है। इसके पश्चात द्वारा एक पत्र लिखा गया, जिसकी प्रति पत्रावली पर दस्तावेज सं0 19 है, जिसमें उल्लेख किया गया है कि विपक्षी द्वारा अक्टूबर 2012 में एक भवन आवंटित किया गया था, लेकिन मौके पर जाकर देखा गया कि वहां पर कोई निर्माण नहीं है, जबकि 03 वर्ष की अवधि व्यतीत हो चुकी है। परिवादीगण द्वारा 01.04.2016 को इसी आशय का पत्र लिखा गया, परंतु विपक्षी भवन निर्माता कम्पनी द्वारा भवन तैयार नहीं किया गया जबकि परिवादीगण द्वारा कुल 16,16,560/- रूपये जमा कराये जा चुके हैं इसलिए उपरोक्त वर्णित अनुतोष के साथ परिवाद प्रस्तुत किया गया।
3. इस परिवाद पत्र के समर्थन में शपथ पत्र तथा उपरोक्त वर्णित दस्तावेज प्रस्तुत किये गये, साथ ही धनराशि जमा करने की रसीदें भी प्रस्तुत की गयी, जिनके अवलोकन से जाहिर होता है कि परिवादीगण द्वारा कुल 16,16,560/- रूपये जमा किये गये हैं। विपक्षी द्वारा इस कथन को स्वीकार किया गया है कि परिवादियों को यूनिट सं0 3525-O-J/06/0126/FF Palm Floor आवंटित किया गया है, परंतु परिवादीगण द्वारा केवल 05 किश्तों की अदायगी की गयी, जो केवल भूमि की कीमत मात्र है और अग्रिम किश्त जमा नहीं की है, इसलिए अंतिम किश्त जमा करने के समय यानि कि वर्ष 2013 में वाद कारण उत्पन्न हुआ, जबकि यह परिवाद 2017 में प्रस्तुत किया गया है यानि इस लिखित कथन में कहीं पर भी यह उल्लेख नहीं किया गया है कि भवन निर्माता कम्पनी द्वारा करार के अनुसार निर्धारित अवधि में भवन निर्माण करना परिवादीगण को कब्जा प्राप्त करने का प्रस्ताव दिया गया है। इस प्रकार लिखित कथन में परिवादीगण द्वारा लगाये गये आरोपों को अप्रत्यक्ष रूप से स्वीकार किया गया है कि मौके पर कोई निर्माण कार्य नहीं किया गया है और परिवादीगण को आवंटित भवन का कब्जा देने के लिए तत्पर नहीं है। - यद्यपि परिवाद पत्र में आवंटित फ्लैट का कब्जा प्राप्त करने का अनुरोध किया गया है, चूंकि मौके पर कोई फ्लैट तैयार नहीं है इसलिए कब्जा प्रदान करने का आदेश दिया जाना संभव नहीं है। अत: स्वयं परिवादी के विद्धान अधिवक्ता का भी यह तर्क रहा है कि उन्हें उनके द्वारा जमा राशि ब्याज सहित तथा अन्य आनुषंगिक अनुतोषों के साथ वापस करने का आदेश प्रदान किया जाये। यहां यह स्पष्ट किया जाता है कि यद्यपि परिवाद पत्र में जमा राशि वापस करने का प्रत्यक्ष अनुरोध नहीं किया गया है चूंकि यूनिट निर्माण होकर तैयार नहीं है ऐसी स्थिति में केवल धन वापसी का आदेश दिया जाना ही उचित प्रतीत होता है।
- चूंकि परिवादीगण द्वारा वर्ष 2012 से 2013 तक उपरोक्त वर्णित राशि विपक्षी के यहां जमा करायी गयी है, एक लम्बी अवधि व्यतीत हो चुकी है। बाजार में किसी भी फ्लैट की कीमत अत्यधिक ऊंचे दरों पर बढ़ चुकी है, इसलिए परिवादीगण को जो मानसिक प्रताड़ना कारित हुई उस मद में अंकन 5,00,000/- रूपये की राशि प्रदान किया जाना भी समुचित है, चूंकि परिवादीगण द्वारा भी समय पर किश्तें अदा नहीं की गयी, यद्यपि इसका कारण यह रहा है कि विपक्षी द्वारा भवन का निर्माण नहीं किया गया इसलिए प्रतिमाह का किराया अदा करने का आदेश उचित नहीं है। परिवाद व्यय के रूप में अंकन 25,000/- रूपये प्राप्त करने के लिए अधिकृत है।
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- इस प्रकार स्वीकार किया जाता है कि:-
- विपक्षीगण को आदेशित किया जाता है कि परिवादीगण द्वारा जमा राशि अंकन 16,16,560/- रूपये 03 माह के अंदर 09 प्रतिशत की दर से ब्याज सहित अदा करें।
- विपक्षीगण को आदेशित किया जाता है कि वह परिवादीगण को कारित मानसिक प्रताड़ना के मद में अंकन 5,00,000/- रूपये अदा करे।
- विपक्षीगण को आदेशित किया जाता है कि वह परिवादीगण को अंकन 25,000/- रू0 परिवाद व्यय के रूप में अदा करें।
उपरोक्त समस्त धनराशि का भुगतान 03 माह के अंदर किया जाये तब प्रथम मद के अलावा (ख) एवं (ग) में वर्णित अनुतोषों वाली राशि पर कोई ब्याज देय नहीं होगा, परंतु यदि 03 माह के अंदर भुगतान नहीं किया जाता है तब इन दोनों राशि पर भी 09 प्रतिशत प्रतिवर्ष की दर से ब्याज देय होगा। आशुलिपिक से अपेक्षा की जाती है कि वह इस निर्णय/आदेश को आयोग की वेबसाइट पर नियमानुसार यथाशीघ्र अपलोड कर दें। (विकास सक्सेना)(सुशील कुमार) सदस्य सदस्य संदीप आशु0 कोर्ट 2 | |