राज्य उपभोक्ता विवाद प्रतितोष आयोग, उ0प्र0, लखनऊ।
सुरक्षित
परिवाद सं0-३०४/२०१८
सौम्या सिंह पुत्र श्री प्रदीप सिंह निवासी फ्लैट नं0-टी १/९०१, अर्निया सिगनेचर अपार्टमेण्ट, राम गंगा विहार, फेस-२, मुरादाबाद, यू0पी0-२४४००१.
................... परिवादिनी।
बनाम
मै0 अंसल प्रौपर्टीज एण्ड इन्फ्रास्टक्चर लि0, प्रथम तल, वाई0एम0सी0ए0 बिल्डिंग, १३, राणा प्रताप मार्ग, लखनऊ-२२६००१, द्वारा मैनेजिंग डायरेक्टर।
.................... विपक्षी।
समक्ष:-
१.मा0 श्री उदय शंकर अवस्थी, पीठासीन सदस्य ।
२.मा0 श्री गोवर्द्धन यादव, सदस्य।
परिवादिनी की ओर से उपस्थित :- श्री नवीन कुमार तिवारी विद्वान अधिवक्ता।
विपक्षी की ओर से उपस्थित :- कोई नहीं।
दिनांक : ०७-०१-२०२०.
मा0 श्री उदय शंकर अवस्थी, पीठासीन सदस्य द्वारा उदघोषित
निर्णय
प्रस्तुत परिवाद, परिवादिनी द्वारा जमा की गई धनराशि की मय ब्याज वापसी एवं क्षतिपूर्ति की अदायगी हेतु योजित किया है।
संक्षेप में तथ्य इस प्रकार हैं कि परिवादिनी के कथनानुसार परिवादिनी ने विपक्षी की सुशान्त गोल्फ सिटी योजना के अन्तर्गत प्लाट नं0-०१७३, सैक्टर-पी, पॉकेट-०२, क्षेत्रफल ३२४.३६ वर्ग मीटर की बुकिंग दिनांक ३०-०६-२०११ को कराई। इसका मूल्य ३८,३४,७४०/- रू० निर्धारित किया गया। इस सन्दर्भ में परिवादिनी को आबंटन पत्र जारी किया गया। उपरोक्त आबंटन पत्र के अनुसार परिवादिनी ने विपक्षी को कुल १९,१७,३७०/- रू० का भुगतान किया। परिवादिनी को आबंटित इस प्लाट पर परिवादिनी के आवास हेतु निर्माण किया जाना था तथा पक्षकारों के मध्य निष्पादित इकरारनामा के क्लाज-१७ के अन्तर्गत निर्धारित समय सीमा में निर्माण कार्य पूर्ण होना था। परिवादिनी द्वारा कुल विक्रय मूल्य के आधे से अधिक धनराशि विपक्षी को भुगतान किए जाने के बाबजूद
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विपक्षी द्वारा निर्माण कार्य नहीं किया गया और न ही परिवादिनी को कब्जा प्रादान किया गया। मात्र परिवादिनी द्वारा जमा की गई धनराशि विपक्षी द्वारा उपयोग किया गया। अत: जमा की गई धनराशि १९,१७,३४०/- रू० की मय ब्याज वापसी एवं ०५.०० लाख रू० मानसिक क्षतिपूर्ति एवं ०५.०० लाख रू० शारीरिक प्रताड़ना के लिए क्षतिपूर्ति के रूप में तथा ३५,०००/- रू० वाद व्यय के रूप में दिलाए जाने के अनुतोष के साथ प्रस्तुत परिवाद योजित किया गया।
विपक्षी द्वारा प्रतिवाद पत्र प्रस्तुत किया गया। विपक्षी के कथनानुसार परिवादिनी ने असत्य कथनों के आधार पर परिवाद योजित किया। परिवादिनी ने प्रश्नगत योजना के अन्तर्गत जारी किए गये पेमेण्ट प्लान के अन्तर्गत मात्र कुछ किश्तों का ही भुगतान किया किन्तु भूमि के विकास हेतु शेष किश्तों का भुगतान नहीं किया। विपक्षी का दायित्व परिवादिनी द्वारा सभी किश्तों का निर्धारित समय पर भुगतान किए जाने पर ही माना जा सकता है। स्वयं परिवादिनी द्वारा शेष किश्तों का भुगतान न किए जाने के कारण प्रश्नगत भूमि के विकास में विलम्ब हुआ जिसके लिए स्वयं परिवादिनी दोषी है। विपक्षी द्वारा सेवा में कोई कमी नहीं की गई।
अपने अभिकथनों के समर्थन में परिवादिनी ने अपना शपथ पत्र दिनांकित ०५-०९-२०१८ प्रस्तुत किया जिसके द्वारा परिवाद के अभिकथनों की पुष्टि की गई। इसके अतिरिक्त परिवादिनी ने प्रश्नगत सम्पत्ति के सन्दर्भ में निष्पादित प्लाट बायर्स एग्रीमेण्ट की फोटोप्रति दाखिल की तथा इसके अतिरिक्त परिवादिनी ने विपक्षी को १९,१७,३७०/- रू० के भुगतान को प्रमाणित करने हेतु कस्टुमर लेजर दिनांकित २४-०४-२०१२ की फोटोप्रति दाखिल की।
विपक्षी द्वारा प्रतिवाद पत्र के अतिरिक्त अन्य कोई साक्ष्य प्रस्तुत नहीं की गई।
हमने परिवादिनी के विद्वान अधिवक्ता श्री नवीन कुमार तिवारी के तर्क सुने तथा अभिलेखों का अवलोकन किया। विपक्षी की ओर से तर्क प्रस्तुत करने हेतु कोई उपस्थित नहीं हुआ।
परिवादिनी द्वारा प्रस्तुत किए गये प्लाट बायर्स एग्रीमेण्ट की फोटोप्रति तथा
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कस्टुमर लेजर की फोटोप्रति के अवलोकन से यह विदित होता है कि परिवादिनी के पक्ष में प्रश्नगत सम्पत्ति आबंटित की गई तथा उसका मूल्य ३८,३४,७४०/- रू० निर्धारित किया गया। इस धनराशि में से परिवादिनी द्वारा कुल १९,१७,३७०/- रू० का भुगतान किया गया। परिवाद के साथ परिवादिनी ने प्रश्नगत सम्पत्ति के सम्बन्ध में विपक्षी द्वारा जारी किए गये पेमेण्ट प्लान की प्रति प्रस्तुत की है। साथ ही परिवादिनी द्वारा कि गये भुगतान से सम्बन्धित विपक्षी द्वारा जारी किए गये कस्टुमर लेजर की फोटोप्रति भी प्रस्तुत की है जिसके अवलोकन से यह विदित होता है कि परिवादिनी ने प्रश्नगत सम्पत्ति के सन्दर्भ में जारी किए गये पेमेण्ट प्लान के अनुसार क्रमश: ७,६६,९४८/- रू०, ३,८३,४७४/- रू०, ३,८३,४७४/- रू० एवं ३,८३,४७४/- रू० कुल १९,१७,३७०/- रू० का भुगतान किया। इस प्रकार यह स्पष्ट है कि प्रश्नगत सम्पत्ति के सन्दर्भ में यद्यपि परिवादिनी द्वारा देय समस्त किश्तों का भुगतान नहीं किया गया किन्तु इस आधार पर यह नहीं माना जा सकता कि परिवादिनी द्वारा किश्तों का भुगतान न किए जाने के कारण प्रश्नगत भूमि का विकास न हो सके। पक्षकारों के मध्य निष्पादित इकरारनामे में ऐसी कोई शर्त नहीं है कि परिवादिनी द्वारा समस्त किश्तों का भुगतान किए जाने के बाद ही प्रश्नगत भूमि का विकास प्रारम्भ किया जायेगा। परिवादिनी द्वारा प्रस्तुत किए गये पेमेण्ट प्लान के अवलोकन से यह विदित होता है कि परिवादिनी द्वारा ३,८३,४७४/- रू० की अग्रिम किश्त की अदायगी सम्बन्धित प्लाट के सामने सड़क निर्माण पर की जायेगी। विपक्षी द्वारा प्रश्नगत प्लाट के सन्दर्भ में किए गये विकास कार्य से सम्बन्धित कोई साक्ष्य प्रस्तुत नहीं की गई। परिवादिनी द्वारा अन्तिम किश्त का भुगतान दिनांक ३०-१२-२०११ को किया गया जबकि परिवाद वर्ष २०१८ में योजित किया गया किन्तु विपक्षी द्वारा प्रश्नगत भूमि के सम्बन्ध में किए गये कथित विकास के सम्बन्ध में कोई साक्ष्य प्रस्तुत नहीं की गई। ऐसी परिस्थिति में निश्चित रूप से विपक्षी द्वारा सेवा में त्रुटि कारित की गई। तद्नुसार परिवादिनी को उसके द्वारा जमा की गई धनराशि मय ब्याज वापस दिलाया जाना न्यायोचित होगा।
मामले के तथ्यों एवं परिस्थितियों के आलोक में हमारे विचार से परिवादिनी को
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जमा की गई धनराशि पर धनराशि जमा किए जाने की तिथि से सम्पूर्ण धनराशि की अदायगी तक ०९ प्रतिशत वार्षिक साधारण ब्याज दिलाया जाना न्यायोचित होगा तथा १०,०००/- रू० वाद व्यय के रूप में दिलाया जाना न्यायोचित होगा। क्योंकि परिवादिनी द्वारा जमा की गई धनराशि मय ब्याज वापस दिलायी जा रही है, अत: क्षतिपूर्ति के रूप में अतिरिक्त धनराशि दिलाए जाने का कोई औचित्य नहीं होगा। परिवाद तद्नुसार आंशिक रूप से स्वीकार किए जाने योग्य है।
आदेश
परिवाद आंशिक रूप से स्वीकार किया जाता है। विपक्षी को निर्देशित किया जाता है कि परिवादिनी द्वारा जमा की गई धनराशि, निर्णय की प्रति प्राप्त किए जाने की तिथि से ३० दिन के अन्दर परिवादिनी को मय ब्याज भुगतान करे। इस धनराशि पर धनराशि जमा किए जाने की तिथि से सम्पूर्ण धनराशि की अदायगी तक परिवादिनी विपक्षी से ०९ प्रतिशत वार्षिक साधारण ब्याज भी प्राप्त करने की अधिकारिणी होगी। इसके अतिरिक्त निर्धारित अवधि में विपक्षी परिवादिनी को १०,०००/- रू० परिवाद व्यय के रूप में अदा करें।
उभय पक्ष को इस निर्णय की प्रमाणित प्रति नियमानुसार उपलब्ध करायी जाय।
(उदय शंकर अवस्थी) (गोवर्द्धन यादव)
पीठासीन सदस्य सदस्य
प्रमोद कुमार,
वैय0सहा0ग्रेड-१,
कोर्ट-१.