सुरक्षित
राज्य उपभोक्ता विवाद प्रतितोष आयोग, उ0प्र0, लखनऊ।
परिवाद संख्या 63/2017
Er. R.P. Varshney, 1/691, Vishal Khand, Gomati Nagar, Lucknow pin Code 226010, Self employed Mob.No. 7007999282.
Complainant.
बनाम
M/s Ansal Properties and infrastructure Ltd.,
Doing the work of real estate.
(A Company incorporated under the companies Act.1956)
- Registered Office at 115, Ansal Bhavan, 16, Kasturba Gandhi Marg, New Delhi, 110001 and
- Branch/Local booking office where this property was booked, first Floor Y.M.C.A. Campus, 13, Rana Pratap Marg, Lucknow through at authorized signatories Developer/Company.
Opposite Party.
समक्ष:-
माननीय न्यायमूर्ति श्री अख्तर हुसैन खान, अध्यक्ष।
माननीय श्री महेश चन्द, सदस्य
परिवादी की ओर से उपस्थित : व्यक्तिगत रूप से उपस्थित।
विपक्षीगण की ओर से उपस्थित : विद्वान अधिवक्ता श्री विकास कुमार वर्मा
दिनांक: 20-06-2018
माननीय न्यायमूर्ति श्री अख्तर हुसैन खान, अध्यक्ष द्वारा उदघोषित
निर्णय
परिवादी इंजीनियर आर०पी० वार्ष्णेय ने यह परिवाद विपक्षीगण, रजिस्टर्ड आफिस एट 115 अंसल भवन, और ब्रांच/लोकल बुकिंग आफिस फर्स्ट फ्लोर, 13 राणा प्रताप मार्ग, लखनऊ द्वारा अर्थराइज्ड सिग्नेचरी डेवलोपर/कम्पनी के विरूद्ध धारा 17 उपभोक्ता संरक्षण अधिनियम के अन्तर्गत आयोग के समक्ष प्रस्तुत किया है और निम्न अनुतोष चाहा है:-
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a. To provide and intimate the fix date of completion of the following stages-
i. Completion of internal plumbering/wiring works.
ii. Completion of flooring and tiles.
iii. fixing of shutters of doors and windows.
b. To provide the fix date of rectification of the defects as communicated vide my letter dated 08.04.2016 and 10.01.2017 The photographs of the substandard works has been submitted to the opposite party on 08.04.2016 and 10.01.2017 respectively, for perusal.
c. To provide the fix date of withdraw of call notices dated 26.10.2015, 25.02.2016 and 10.06.2016.
d. To provide the fix date of possession of my flat along with the all amenities.
e. To pay an amount of Rs. 3,54,165/- on my behalf to the company as unfair trade practices has been adopted by the company and tried to cheat.
f. To Pay Rs. Five Lacks to me for the inordinate delay in possession and giving the mischievous date of possession and false promises.
g. To pay Rs. Three Lakhs for harassment as describe in the complaint.
h. To Pay Rs. Four Lakhs to me for the Deficiency in service.
i. To pay Rs. 18% interest over the amount from the date of deposit up to the possession.
j. To do not take any interest for the delay in payment from myself in the due course of time and not to take the payment for EDC,ECC and FCC as mention over the proposed price list.
k. To pay me Rs. Two Lakhs for the mental agony by the opposite party.
l. Hon’ble Commission may see the judgment of N.C.R.D.C. dated 17.08.2015 Annexed at Sl.No.13 page No. 45 in which the agreement terms decided as unfair for the similar case hence I Prey to the commission to issue the order so as this agreements terms decided as unfair.
m. Hon’ble Commission may peruse the Hon’ble Supreme Court Decisions of October 22, 2016 annexed at Sl. No. 26 page No. 57 to 61 through which the various decisions giving up in favor of consumer.
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n. Direct the opposite party not to cancle my booking till the case remain under decision with the Courts.
o.To pay an amount of Rs.15,000/- per month payable with effect from september 2013 till physical delivery of possession with all amenities.
p. To pay the difference in the cost of escalation which shall be incurred at the time of the executions of the registered sale deed.
q.To direct the opposite party to restrained to make any fresh fiscal demand for handing over the flat.
r.To postponed the payment of balance intallments till date of possession.
s. This Hon’ble commission may graciously be pleased to award separate compensation and damages to the complainant for the loss inconvenience coused by the opposite party.
t. To pay the appropriate punitive/exemplary damages on account of mental agony, harassment and puma underwant to me complainant.
u. Not to charge any service tax in pursuance of finance Act. 2010.
v. To Direct the Developer to pay an amount Rs. 2,50,000/- towards the cost of depreciation of structure because it remain stand still and left abandoned for 3 years or more.
w. To pay a sum of Rs. 25,000/- towards the cost of the case.
x. Any other penalty which this Hon’ble Commission may deem fit and proper in the circumstances of the case may also be passed.
परिवाद पत्र के अनुसार परिवादी का कथन है कि उसने विपक्षीगण के यहॉं दिनांक 12-08-2010 को एक फ्लैट की बुकिंग कराया जिसका कब्जा 36 माह के अन्दर दिया जाना चाहिए था परन्तु 72 माह बीतने के बाद भी फ्लैट का निर्माण पूरा नहीं हुआ और उसे कब्जा नहीं दिया गया। परिवाद पत्र के अनुसार विपक्षीगण उसके साथ हुये करार का आदर नहीं कर रहे है और नियत समय के अन्दर कब्जा नहीं दिया है।
परिवाद पत्र के अनुसार परिवादी का कथन है कि फ्लैट का कुल मूल्य 22,74,650/- रू० था जिसमें उसने विपक्षीगण को 18,71,234/- रूपये दिनांक
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16-02-2015 तक अदा किया है। परिवाद पत्र के अनुसार परिवादी का कथन है कि विपक्षीगण उससे EDC, ECC और FCC की मांग कर रहे हैं जबकि तयशुदा प्रश्नगत धनराशि 22,74,650/- में इन मदों की धनराशि भी शामिल थी।
परिवाद पत्र के अनुसार विपक्षीगण ने करार पत्र के अनुसार नियत समय में फ्लैट का निर्माण कार्य पूरा कर कब्जा 72 माह बीतने के बाद भी नहीं दिया है। अत: विवश होकर परिवादी ने परिवाद आयोग के समक्ष प्रस्तुत किया है।
विपक्षीगण की ओर से लिखित कथन प्रस्तुत किया गया है जिसमें उन्होंने स्वीकार किया है कि परिवादी ने उनके Santushti Enclave में टावर ए के छठे तल पर फ्लैट नं० 3 बुक कराया है जिसका एरिया 1350 स्वायर फिट है जिसका 1675/- रू० प्रति वर्ग फिट की दर से बेसिक सेल प्राइस 22,74,650/- रू० है। इस फ्लैट का निर्माण विपक्षीगण द्वारा सुशान्त गोल्फ सिटी में किया जाना था। लिखित कथन में विपक्षीगण ने स्वीकार किया है कि दिनांक 13-08-2010 को पक्षों के बीचे वायर एग्रीमेंट निष्पादित किया गया है जिसमें सम्पूर्ण शर्तो का उल्लेख है।
लिखित कथन में विपक्षीगण ने कहा है कि परिवादी को इंस्टालमेंट लिंक प्लान के अन्तर्गत भुगताना करना था और उसने कुल 18,71,234/- रू० का भुगतान दिनांक 16-02-2015 तक किया है। उसके जिम्मा चार लाख तीन हजार चार सौ रूपये की धनराशि अवशेष है, परन्तु उसने उसका भुगतान नहीं किया है। निर्माण में विलम्ब का यह भी एक कारण है।
लिखित कथन में विपक्षीगण ने कहा है कि परिवादी ने डिमाण्ड नोटिस भेजने के बाद भी अवशेष धनराशि का भुगतान नहीं किया है। लिखित कथन में विपक्षीगण ने कहा है कि उन्होंने परिवादी को कब्जा 2016 में देने का वचन दिया था परन्तु सरकार द्वारा करेन्सी नीति में परिवर्तन करने के कारण
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विपक्षीगण का काफी नुकसान हुआ है जिससे निर्माण कार्य में विलम्ब हुआ है। निर्माण कार्य 2017 में पूरा कर परिवादी को कब्जा दे दिया जाएगा।
परिवाद पत्र के समर्थन में परिवादी की ओर से शपथपत्र प्रस्तुत किया गया है लेकिन शपथपत्र विधिवत कमिशनर से स्त्यापित नहीं है।
विपक्षीगण की ओर से कोई शपथपत्र प्रस्तुत नहीं किया गया है।
परिवाद की सुनवाई के समय परिवादी व्यक्तिगत रूप से उपस्थित आए हैं और विपक्षीगण की ओर से विद्वान अधिवक्ता श्री विकास कुमार वर्मा उपस्थित आए हैं।
हमने उभय पक्ष के तर्क को सुना है और पत्रावली का अवलोकन किया है।
उभय पक्ष को यह स्वीकार है कि विपक्षीगण की Santushti Enclave योजना जो सुशान्त गोल्फ सिटी लखनऊ में प्रस्तावित है, में प्रश्नगत फ्लैट विपक्षीगण से परिवादी ने क्रय किया है जिसका मूल्य 22,74,650/- रू० है जिसमें से दिनांक 16-02-2015 तक परिवादी ने 18,71,234/- रूपये का भुगतान किया है। यह तथ्य भी निर्विवाद है कि फ्लैट का निर्माण पूरा नहीं हुआ है और फ्लैट कब्जा के अन्तरण हेतु तैयार नहीं है। दिनांक 27-03-2018 को सुनवाई के दौरान विपक्षीगण के विद्वान अधिवक्ता ने कथन किया कि 18 महीने के अन्दर विपक्षीगण द्वारा निर्माण कार्य पूरा कर परिवादी को कब्जा दिया जाएगा परन्तु परिवादी इस पर सहमत नहीं हैं। परिवादी ने कथन किया कि यदि विपक्षीगण निर्माण कार्य पूरा कर कब्जा परिवादी को अन्तरित करें और अवशेष धनराशि बिना किसी ब्याज के परिवादी से प्राप्त करें तथा जो ब्याज लिया है उसे वापस किया जाए तब परिवादी इस पर सहमत हो सकते हैं,
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परन्तु विपक्षीगण के विद्वान अधिवक्ता परिवादी की इस शर्त पर सहमत नहीं हैं।
हमने उभय पक्ष के कथन पर विचार किया है।
उभय पक्ष के अभिकथन एवं सम्पूर्ण तथ्यों, साक्ष्यों व परिस्थितियों पर विचार कर हम इस मत के हैं कि विपक्षीगण फ्लैट का निर्माण इस निर्णय की तिथि से तीन माह के अन्दर पूरा करें और अवशेष धनराशि 4,03,400/- रू० (चार लाख तीन हजार चार सौ रूपये) बिना किसी ब्याज के परिवादी से प्राप्त कर फ्लैट का कब्जा उसे तीन माह के अन्दर प्रदान करें तथा आवश्यक विलेख निष्पादित करें। यदि इस तीन माह में विपक्षीगण परिवादी को फ्लैट का निर्माण पूरा कर कब्जा देने में विफल होते हैं तो तीन माह की अवधि समाप्त होने के बाद की तिथि से फ्लैट का निर्माण पूरा कर फ्लैट का कब्जा परिवादी को दिये जाने की तिथि तक वे परिवादी को उसकी जमा धनराशि पर 09 प्रतिशत वार्षिक की दर से ब्याज कब्जा अन्तरण में विलम्ब हेतु क्षतिपूर्ति के रूप में प्रदान करें।
उपरोक्त निष्कर्ष के आधार पर परिवाद आंशिक रूप से स्वीकार किया जाता है और विपक्षीगण को आदेशित किया जाता है कि वे परिवादी को फ्लैट का निर्माण इस निर्णय की तिथि से तीन महीना के अन्दर पूरा कर अवशेष धनराशि 4,03,400/- रू० (चार लाख तीन हजार चार सौ रूपये) बिना किसी ब्याज के परिवादी से प्राप्त कर परिवादी को फ्लैट का कब्जा इस निर्णय की तिथि से तीन महीना के अन्दार प्रदान करें और आवश्यक विलेख निष्पादित करें। यदि तीन माह की उपरोक्त अवधि में विपक्षीगण, परिवादी को कब्जा देने में विफल रहते हैं तो वे परिवादी की जमा धनराशि पर 09 प्रतिशत वार्षिक की दर से ब्याज तीन माह की अवधि पूरी होने के बाद की तिथि से फ्लैट का
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कब्जा परिवादी को दिये जाने की तिथि तक कब्जा विलम्ब हेतु क्षतिपूर्ति के रूप में परिवादी को अदा करेंगे।
क्षतिपूर्ति की यह धनराशि परिवादी के जिम्मा अवशेष धनराशि में समायोजित की जा सकती है।
विपक्षीगण परिवादी को 5000/- रू० वाद व्यय भी देंगे।
(न्यायमूर्ति अख्तर हुसैन खान) (महेश चन्द)
अध्यक्ष सदस्य
कृष्णा, आशु0
कोर्ट नं01