राज्य उपभोक्ता विवाद प्रतितोष आयोग, उ0प्र0, लखनऊ
(मौखिक)
परिवाद सं0- 412/2016
1. Anand Prakash Tripathi aged about 60 Yrs, Son of Sri Purendra Nath Tripathi, Resident of Vill- Nunkhar, Post- Nunkhar, Dist. Deoria Presently Residing at House No. 53, Phase-II Hariom Nagar, Civil Lines Gorakhpur-273001.
2. Smt Garima Tripathi aged about 39 yrs, Daughter of Sri Anand Prakash Tripathi Resident of Vill- Nunkhar, Post- Nunkhar, Dist. Deoria Presently Residing at House No. 53, Phase-II Hariom Nagar, Civil Lines Gorakhpur-273001.
……..Complainants
Versus
1. M/s Ansal Properties & Infrastructure Ltd, Branch Office Situated at, First Floor, Y.M.C.A. Campus, 13, Rana Pratap Marg Lucknow, through its Managing Director.
2. M/s Ansal Properties & Infrastructure Ltd, Registered and Corporate Office Situated at 115 Ansal Bhawan, 16 Kasturba Gandhi Marg New Delhi, Through its Chairman.
…….Opposite Parties
समक्ष:-
माननीय श्री सुशील कुमार, सदस्य।
माननीय श्री विकास सक्सेना, सदस्य।
परिवादीगण की ओर से उपस्थित : श्री अम्बरीश कौशल श्रीवास्तव,
विद्वान अधिवक्ता।
विपक्षीगण की ओर से उपस्थित : श्री मानवेंद्र प्रताप सिंह,
विद्वान अधिवक्ता।
दिनांक:- 17.01.2023
माननीय श्री सुशील कुमार, सदस्य द्वारा उद्घोषित
निर्णय
1. यह परिवाद, परिवादीगण आनंद प्रकाश त्रिपाठी व एक अन्य द्वारा विपक्षीगण मै0 अंसल प्रापर्टीज एण्ड इंफ्रास्ट्रक्चर लि0 व एक अन्य के विरुद्ध आवंटित प्लाट 162 स्क्वायर मी0 का कब्जा प्राप्त करने के लिए, परिवादीगण द्वारा जमा राशि पर प्लाट पर कब्जा होने में कारित देरी की अवधि के दौरान 24 प्रतिशत ब्याज प्राप्त करने के लिए, सेवा में कमी के मद में 5,00,000/-रू0 तथा किराये पर रहने के कारण किराया राशि एवं वाद व्यय प्राप्त करने के लिए प्रस्तुत किया गया है।
2. हमने परिवादीगण के विद्वान अधिवक्ता श्री अम्बरीश कौशल श्रीवास्तव तथा विपक्षीगण के विद्वान अधिवक्ता श्री मानवेंद्र प्रताप सिंह को सुना तथा पत्रावली पर उपलब्ध अभिलेखों का सम्यक परिशीलन किया।
3. परिवाद की सुनवाई के दौरान परिवादीगण के पक्ष में विक्रय पत्र निष्पादित किया जा चुका है। परिवादीगण को कब्जा प्रदान किया जा चुका है। यह तथ्य स्वयं परिवादीगण के विद्वान अधिवक्ता द्वारा बहस के दौरान इस पीठ के समक्ष स्वीकार किया गया।
4. विपक्षीगण के विद्वान अधिवक्ता का यह तर्क है कि चूँकि परिवादीगण को आवंटित प्लाट का कब्जा प्राप्त हो चुका है। उसके पक्ष में विक्रय पत्र निष्पादित किया जा चुका है, अत: अब परिवादीगण तथा विपक्षीगण के मध्य उपभोक्ता के सम्बन्ध समाप्त हो चुके हैं। इसलिए अन्य किसी अनुतोष के लिए यह परिवाद संधारणीय नहीं है। विपक्षीगण के विद्वान अधिवक्ता द्वारा इस पीठ का ध्यान स्वयं इसी पीठ के सदस्यों द्वारा परिवाद सं0- 502/2017 लिली श्रीवास्तव बनाम अंसल प्रापर्टीजएण्ड इंफ्रास्ट्रक्चर लि0 में पारित निर्णय/आदेश दि0 20.10.2022 की ओर आकृष्ट किया गया है, जिसमें व्यवस्था दी गई है कि कब्जा प्राप्त करते समय तथा विक्रय पत्र निष्पादित करते समय यदि कोई आपत्ति नहीं की गई है तब नजीर टी0के0ए0 पदमनाभन बनाम अभियान सी0जी0एच0एस0 लिमिटेड में पारित निर्णय के अनुसार आवंटी तथा भवन निर्माता के मध्य उपभोक्ता के सम्बन्ध नहीं रहते। अत: प्रस्तुत केस में विचारणीय प्रश्न यह है कि क्या कब्जा प्राप्त करते समय विक्रय पत्र निष्पादित करते समय परिवादीगण द्वारा कोई आपत्ति की गई, इस प्रश्न का उत्तर नकारात्मक है? स्वयं परिवादीगण द्वारा विपक्षीगण को लिखित में पत्र दिया गया है जिसकी प्रति इस पीठ के अवलोकनार्थ प्रस्तुत की गई है जिसमें उल्लेख है कि परिवादीगण को यदि प्लाट सं0- ए0-3-98/12 का कब्जा दे दिया जाता है, विक्रय पत्र लिख दिया जाता है तब प्लाट सं0- ए0-1-241 के सम्बन्ध में दायर परिवाद वापस ले लिया जायेगा। इस प्रकार परिवादीगण तथा विपक्षीगण के मध्य एक नया अनुबंध हो चुका है। प्लाट सं0- ए0-1-241 के स्थान पर एक अन्य प्लाट परिवादीगण को दिया जा चुका है।
5. परिवाद के तथ्यों के अवलोकन से ज्ञात होता है कि दि0 16.11.2006 को परिवादीगण तथा विपक्षीगण के मध्य प्लाट सं0- ए0-1-241 सुशांत गोल्फ सिटी को विक्रय करने का करार हुआ था, परन्तु 06 वर्षों के इंतजार के बावजूद भी वह प्लाट का कब्जा नहीं दिया गया। इसलिए परिवाद प्रस्तुत किया गया था। अनुतोष में भी प्लाट सं0- ए0-1-241 का कब्जा मांगा गया था। इसी सम्बन्ध में अन्य अनुतोष की मांग की गई थी। इस प्लाट के बदले में दूसरा प्लाट प्राप्त कर लेने के बदले में यह परिवाद उद्देश्यविहीन हो चुका है। दोनों पक्षकारों के मध्य उपभोक्ता एवं सेवा प्रदाता के सम्बन्ध समाप्त हो चुके हैं। इसलिए परिवाद खारिज होने योग्य है।
आदेश
6. परिवाद खारिज किया जाता है।
उभयपक्ष अपना-अपना व्यय स्वयं वहन करेंगे।
आशुलिपिक से अपेक्षा की जाती है कि वह इस निर्णय एवं आदेश को आयोग की वेबसाइट पर नियमानुसार यथाशीघ्र अपलोड कर दें।
(विकास सक्सेना) (सुशील कुमार)
सदस्य सदस्य
शेर सिंह, आशु0, कोर्ट नं0- 2