राज्य उपभोक्ता विवाद प्रतितोष आयोग, उ0प्र0, लखनऊ।
(मौखिक)
परिवाद संख्या:-246/2019
विश्व नारायण सिंह पुत्र प्रेम नारायण सिंह, निवासी मोहल्ला लच्छीपुर, बरगदवा चौराहा, पोस्ट मोहारीपुर, गोरखपुर-273007
........... परिवादी
बनाम
1- मैसर्स अंसल प्रापर्टीज एण्ड इन्फ्रास्ट्रक्चर लिमिटेड, ब्रांच आफिस प्रथम तल, वाई.एम.सी.ए. कैंपस, 13 राना प्रताप मार्ग लखनऊ द्वारा मैनेजिंग डायरेक्टर।
2- मैसर्स अंसल प्रापर्टीज एण्ड इन्फ्रास्ट्रक्चर लिमिटेड, रजिस्टर्ड एण्ड कॉरपोरेट आफिस 115 अंसल भवन, 16 कस्तूरबा गॉधी मार्ग, नई दिल्ली द्वारा चेयरमैन।
…….. विपक्षीगण।
समक्ष :-
मा0 न्यायमूर्ति श्री अशोक कुमार, अध्यक्ष
परिवादी के अधिवक्ता : श्री अम्बरीश कौशल
विपक्षीगण के अधिवक्ता : श्री आसिफ अनीस
दिनांक 30-8-2022
मा0 न्यायमूर्ति श्री अशोक कुमार, अध्यक्ष द्वारा उदघोषित
निर्णय
परिवादी विश्व नारायन सिंह द्वारा प्रस्तुत परिवाद विपक्षी मैसर्स अंसल प्रापर्टीज एण्ड इन्फ्रास्ट्रक्चर लिमिटेड व एक अन्य के विरूद्ध धारा-17 उपभोक्ता संरक्षण अधिनियम, 1986 के अन्तर्गत इस न्यायालय के सम्मुख वर्ष-2019 में प्रस्तुत किया गया।
संक्षेप में वाद के तथ्य इस प्रकार है कि परिवादी द्वारा विपक्षी कम्पनी से एक समझौता करते हुए विपक्षी कम्पनी द्वारा प्रस्तावित ''पैराडाइज डायमण्ड'' सुशांत गोल्फ सिटी की योजना में एक फ्लैट आरक्षित किये जाने हेतु सम्पर्क किया। तद्नुसार पक्षकारों के मध्य हुए समझौते के अनुसार परिवादी द्वारा प्रारम्भिक धनराशि रू0 5,34,786.00 जो कि आवंटित फ्लैट का आंशिक
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भुगतान था, जमा किया, तदोपरांत पक्षकारों के मध्य दिनांक 13.4.2022 को एक समझौता पत्र सम्पादित हुआ, जिसमें कुल धनराशि रू0 14,88,000.00 अंकित की गई तथा आवंटित फ्लैट का सुपर एरिया 960 वर्गफुट अंकित किया गया एवं आवंटित फ्लैट का कब्जा 36 माह की अवधि में प्राप्त किए जाने हेतु समय निर्धारित किया गया।
समझौता पत्र के अनुसार आवंटी को यद्यपि अन्य मद की धनराशि समयावधि में जमा करनी थी तथा विपक्षी कम्पनी को आवंटित फ्लैट का कब्जा वर्ष-2014 अर्थात 36 माह की अवधि में प्राप्त कराया जाना था, परन्तु विपक्षी द्वारा आवंटित फ्लैट का निर्माण पूर्ण न किये जाने तथा कम्पलीशन सर्टीफिकेट व ऑकोपेशन सटीफिकेट उपलब्ध न होने के कारण कब्जा उपरोक्त समयावधि में प्राप्त नहीं कराया जा सका। अंततोगत्वा पॉच वर्ष की अवधि व्यतीत होने के पश्चात प्रस्तुत परिवाद इस न्यायालय के सम्मुख योजित किया गया, जिसमें जमा धनराशि पर 12 प्रतिशत वार्षिक ब्याज की गणना करते हुए सम्पूर्ण धनराशि जमा की तिथि से भुगतान की तिथि तक वापस दिलाये जाने हेतु तथा रू0 5,00,000.00 हर्जाना विपक्षी कम्पनी द्वारा सेवा में कमी के कारण दिये जाने, साथ ही मानसिक प्रताड़ना व वाद व्यय के मद में धनराशि दिलाये जाने की प्रार्थना की गई।
दौरान लम्बन अपेक्षित प्रपत्रों एवं शपथपत्र परिवादी के विद्वान अधिवक्ता श्री अम्बरीश कौशल द्वारा प्रस्तुत किये जाने थे, जो अधिवक्ता श्री अम्बरीश कौशल के कथनानुसार उनके द्वारा यद्यपि तैयार किये गये हैं, परन्तु परिवादी द्वारा न तो उपरोक्त अपेक्षित/आदेशित शपथपत्र व प्रपत्रों पर हस्ताक्षर ही किये गये है, न ही सम्पर्क किया जा रहा है। यद्यपि अधिवक्ता द्वारा अनेकों बार उनसे उपरोक्त सम्बन्ध में सम्पर्क किया गया।
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विपक्षी कम्पनी की ओर से विद्वान अधिवक्ता श्री आसिफ अनीस द्वारा अवगत कराया गया कि उनको प्राप्त दिशा-निर्देश के अनुसार परिवादी द्वारा सम्पूर्ण जमा धनराशि जिस पर ब्याज की गणना करते हुए कुल धनराशि 8,78,369.00 रू0 प्राप्त करायी जा चुकी है, जिसमें मूल जमा धनराशि के अलावा ब्याज की गणना करते हुए रू0 3,57,569.00 ब्याज प्राप्त कराया गया है, जिसका हस्तांतरण परिवादी के दिशा-निर्देशों के अनुसार ऋषिता अपार्टमेंट, जहॉ पर सम्भवत: परिवादी द्वारा फ्लैट प्राप्त किया गया है, को हस्तांतरित किया गया। चूंकि परिवादी के अधिवक्ता से परिवादी द्वारा कोई दिशा-निर्देश अथवा सम्पर्क नहीं किया गया, अत्एव प्रस्तुत परिवाद को लम्बित रखने का कोई उचित औचित्य प्रतीत नहीं होता है तथा विपक्षी के विद्वान अधिवक्ता के कथन में बल पाते हुए प्रस्तुत परिवाद को अंतिम रूप से निस्तारित किया जाता है।
आशुलिपिक से अपेक्षा की जाती है कि वह इस आदेश को आयोग की बेवसाइट पर नियमानुसार यथाशीघ्र अपलोड कर दें।
(न्यायमूर्ति अशोक कुमार)
अध्यक्ष
हरीश आशु.,
कोर्ट नं0-1