( मौखिक )
राज्य उपभोक्ता विवाद प्रतितोष आयोग, उ0प्र0 लखनऊ।
परिवाद संख्या : 101/2023
राजीव कुमार पुत्र श्री डी0 आर0 वर्मा
बनाम्
मेसर्स अंसल प्रापर्टीज एण्ड इन्फ्रास्ट्रक्चर लिमिटेड
दिनांक : 11-12-2023
मा0 न्यायमूर्ति श्री अशोक कुमार, अध्यक्ष द्वारा उदघोषित निर्णय
प्रस्तुत परिवाद में उभयपक्ष के विद्धान अधिवक्तागण को सुनने के उपरान्त व परिवाद पत्र में उल्लिखित अनुतोषों को दृष्टिगत रखते हुए निर्विवादित रूप से विपक्षी द्वारा परिवादी को आवंटित भूखण्ड पर आने-जाने का रास्ता न बनाना, साथ ही उपरोक्त रास्ते पर एक बड़े पेड़ के कारण मार्ग अवरूद्ध होने व आस-पास के ग्रामवासियों द्वारा अवरोध उत्पन्न करने को दृष्टिगत रखते हुए सविस्तार आदेश पारित किया गया जिस आदेश का अनुपालन विपक्षी कम्पनी के विद्धान अधिवक्ता के साथ श्री विनय तिवारी प्रोजेक्ट मैनेजर को आदेशित किया गया, जिनके आश्वासन को दृष्टिगत रखते
हुए उन्हें समय प्रदान किया गया था। यद्धपि उपरोक्त प्रदान किये गये समय में व्यवधान/अवरोध एवं अपेक्षित आवागमन एवं निर्माण प्रक्रिया सुनिश्चित नहीं की गयी, परन्तु कुछ अवधि के पश्चात व्यवधान समाप्त कर दिये गये और पेड़ को विधि अनुसार हटाया गया है। मूल रूप से प्रस्तुत परिवाद में जो
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प्रार्थना/अनुतोष प्रदान किये जाने की प्रार्थना की गयी है वह काफी हद तक प्राप्त करा दी गयी है एवं भूखण्ड का कब्जा व पंजीकरण विलेख पत्र विपक्षी कम्पनी द्वारा परिवादी के पक्ष में सम्पादित कराया जा चुका है।
दौरान बहस आज परिवादी के विद्धान अधिवक्ता श्री श्वेतांक शर्मा द्वारा मौखिक रूप से कथन किया गया कि विपक्षी द्वारा परिवादी को आवंटित भूखण्ड के ले-आऊट प्लान में कुछ विसंगतियॉं करते हुए कार्य किया जा रहा है।
अत: मेरे विचार से चूंकि ले-आऊट प्लान के अनुसार भूखण्ड का कब्जा एवं पंजीकरण विक्रय विलेख सम्पादित किया जा चुका है तब किसी भी दशा में विपक्षी द्वारा किसी भी प्रकार की अनियमितता नहीं की जावेगी, न ही उपरोक्त प्रक्रिया ले-आऊट प्लान को बदलने की भविष्य में की जावेगी। यदि विपक्षी द्वारा भविष्य में किसी प्रकार की विसंगति अपनायी जाती है तो परिवादी नियमानुसार विधिक कार्यवाही करने हेतु पूर्णतया स्वतंत्र होगा।
सम्पूर्ण तथ्यों एवं परिस्थितियों को दृष्टिगत रखते हुए निर्विवादित रूप से आवंटित भूखण्ड का वास्तविक कब्जा एवं पंजीकरण विक्रय विलेख पत्र लगभग 11-12 वर्ष की अवधि के पश्चात विपक्षी द्वारा सुनिश्चित किया गया है और परिवादी द्वारा लगभग 45 लाख रूपया विपक्षी के पक्ष में जमा किया गया था, अत: न्यायहित में परिवादी को विपक्षी से रू0 5,00,000/-
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मानसिक कष्ट के मद में दिलाया जाना एवं वाद व्यय के मद में रू0 50,000/- दिलाया जाना न्यायोचित प्रतीत होता है। तदनुसार परिवाद आंशिक रूप से स्वीकार किये जाने योग्य है।
आदेश
परिवाद आंशिक रूप से स्वीकार करते हुए विपक्षी को आदेशित किया जाता है कि वह रू0 5,00,000/- की धनराशि मानसिक कष्ट के मद में एवं रू0 50,000/- की धनराशि वाद व्यय के मद में निर्णय से एक माह की अवधि में परिवादी को प्राप्त कराया जाना सुनिश्चित करें।
आशुलिपिक से अपेक्षा की जाती है कि वह इस निर्णय/आदेश को आयोग की वेबसाइट पर नियमानुसार यथाशीघ्र अपलोड कर दें।
(न्यायमूर्ति अशोक कुमार)
अध्यक्ष
प्रदीप मिश्रा, आशु0 कोर्ट नं0-1