Uttar Pradesh

StateCommission

A/316/2017

Vivek Kumar Sharma - Complainant(s)

Versus

M/S Ansal Housing - Opp.Party(s)

R K Mishra

24 Oct 2019

ORDER

STATE CONSUMER DISPUTES REDRESSAL COMMISSION, UP
C-1 Vikrant Khand 1 (Near Shaheed Path), Gomti Nagar Lucknow-226010
 
First Appeal No. A/316/2017
( Date of Filing : 14 Feb 2017 )
(Arisen out of Order Dated 12/01/2017 in Case No. C/49/2014 of District Ghaziabad)
 
1. Vivek Kumar Sharma
S/O Sri Satyadev Sharma Niwasi Makan No. 1643 Sector 55 Ballabhgarh Faridabad Hariyana
...........Appellant(s)
Versus
1. M/S Ansal Housing
Office Registered and Head Office 15 U.G.F. Nidrprakash 21 Barakhambha Road New Delhi
...........Respondent(s)
 
BEFORE: 
 HON'BLE MR. JUSTICE AKHTAR HUSAIN KHAN PRESIDENT
 
For the Appellant:
For the Respondent:
Dated : 24 Oct 2019
Final Order / Judgement

(सुरक्षित)

राज्‍य उपभोक्‍ता विवाद प्रतितोष आयोग, उ0प्र0 लखनऊ।

अपील संख्‍या : 316 /2017

(जिला उपभोक्‍ता फोरम, गाजियाबाद द्वारा परिवाद संख्‍या-49/2014 में पारित निर्णय एवं आदेश दिनांक 12-01-2017 के विरूद्ध)

विवेक कुमार शर्मा पुत्र श्री सत्‍यदेव शर्मा निवासी मकान नम्‍बर-1643 सेक्‍टर-55, बल्‍लभगढ़, फरीदाबाद, हरियाणा।      .....अपीलार्थी/परिवादी

बनाम्

मैसर्स अंसल हाऊसिंग एण्‍ड कन्‍स्‍ट्रेक्‍शन लि0 कार्यालय रजिस्‍टर्ड एण्‍ड हेल आफिस 15 यू0जी0एफ0, इन्‍द्रप्रकाश 21 बाराखम्‍भा रोड, नई दिल्‍ली-110001                              .....प्रत्‍यर्थी/विपक्षी

समक्ष  :-

1- मा0 न्‍यायमूर्ति श्री अख्‍तर हुसैन खान,  अध्‍यक्ष ।

उपस्थिति :

अपीलार्थी  की ओर से उपस्थित-   श्री आर0 के0 मिश्रा।

प्रत्‍यर्थी की ओर से उपस्थित-      सुश्री नेहा सिंह।

दिनांक :   29-11-2019

मा0 न्‍यायमूर्ति श्री अख्‍तर हुसैन खान, अध्‍यक्ष द्वारा उद्घोषित निर्णय

         परिवाद संख्‍या-49/2014 विवेक कुमार शर्मा बनाम् मैसर्स अंसल हाऊसिंग एण्‍ड कन्‍सट्रक्‍शन लि0 में जिला उपभोक्‍ता फोरम, गाजियाबाद द्वारा पारित निर्णय और आदेश दिनां‍क 12-01-2017 के विरूद्ध यह अपील धारा-15 उपभोक्‍ता संरक्षण अधिनियम के अन्‍तर्गत इस आयोग के समक्ष प्रस्‍तुत की गयी है।

 

 

-2-

        जिला फोरम ने आक्षेपित निर्णय और आदेश के द्वारा परिवाद निरस्‍त कर दिया है जिससे क्षुब्‍ध होकर परिवाद के परिवादी विवेक कुमार शर्मा ने यह अपील प्रस्‍तुत की गयी है।

        अपील की सुनवाई के समय अपीलार्थी की ओर से विद्धान अधिवक्‍ता श्री आर0 के0 मिश्रा उपस्थित आए है। प्रत्‍यर्थी की ओर से विद्धान अधिवक्‍ता श्रीमती सुचिता सिंह की सहयोगी सुश्री नेहा सिंह उपस्थित आयीं है।

        मैंने उभयपक्ष के विद्धान अधिवक्‍तागण के तर्क को सुना है और आक्षेपित निर्णय व आदेश तथा पत्रावली का अवलोकन किया है।

         अपील के निर्णय हेतु संक्षिप्‍त सुसंगत तथ्‍य इस प्रकार है कि अपीलार्थी/परिवादी ने परिवाद जिला फोरम के समक्ष प्रत्‍यर्थी/विपक्षी के विरूद्ध इस कथन के साथ प्रस्‍तुत किया है कि उसने विपक्षी की चिरंजीवी बिहार प्‍लाजा चिरंजीव बिहार परियोजना में दिनांक 20-12-1997 को रू0 20,000/-जमा कर एक यूनिट संख्‍या-जी0एफ0-108 बुक करायी जिसका बेसिक मूल्‍य 2,75,000/-रू0 था। अपीलार्थी/परिवादी ने यूनिट हेतु समस्‍त देय धनराशि रू0 3,45,438/-रू0 का भुगतान अंतिम रूप से प्रत्‍यर्थी/विपक्षी को कर दिया फिर भी उसके हक में बैनामा नहीं किया गया और विपक्षी द्वारा यह कहा जा रहा है कि सनराईज स्‍टेट मैनेजमेंट सर्विस प्रा0लि0 से एन0ओ0सी0 लाईये। इसके साथ ही विपक्षी द्वारा उससे अन्‍य नाजायज धनराशि की भी मांग की जा रही है। अत: अपीलार्थी/परिवादी ने परिवाद जिला फोरम के समक्ष प्रस्‍तुत कर आवंटित यूनिट का कब्‍जा दिलाये जाने व रजिस्‍ट्री कराये जाने का अनुतोष चाहा है। साथ ही मानसिक और शारीरिक कष्‍ट हेतु रू0 1,00,000/-क्षतिपूर्ति और वाद व्‍यय भी मांगा है।

         जिला फोरम के समक्ष प्रत्‍यर्थी/विपक्षी ने लिखित कथन प्रस्‍तुत किया है और कहा है कि प्रश्‍नगत यूनिट एक कामर्शियल यूनिट है अत:

 

 

-3-

अपीलार्थी/परिवादी उपभोक्‍ता संरक्षण अधिनियम के अन्‍तर्गत उपभोक्‍ता नहीं है और परिवाद ग्राह्य नहीं है। लिखित कथन में प्रत्‍यर्थी/विपक्षी की ओर से यह भी कहा गया है कि परिवाद कालबाधित है।

         जिला फोरम ने उभयपक्ष के अभिकथन पर विचार करते हुए यह माना है कि प्रश्‍नगत यूनिट कामर्शियल यूनिट है और अपीलार्थी/परिवादी उपभोक्‍ता संरक्षण अधिनियम-1986 के अन्‍तर्गत उपभोक्‍ता नहीं है। इसके साथ ही जिला फोरम ने माना है कि परिवाद कालबाधित है। अत: जिला फोरम ने परिवाद निरस्‍त कर दिया है1

         अपीलार्थी के विद्धान अधिवक्‍ता का तर्क है कि जिला फोरम द्वारा पारित आदेश तथ्‍य और विधि के विरूद्ध है। अपीलार्थी/परिवादी ने प्रत्‍यर्थी/विपक्षी के यहॉं प्रश्‍नगत यूनिट हेतु धनराशि जमा किया है इस बात से विपक्षी ने इंकार नहीं किया है। प्रत्‍यर्थी/विपक्षी ने अपीलार्थी/परिवादी के प्रश्‍नगत यूनिट के आवंटन से भी इंकार नहीं किया है। आवंटित यूनिट पर परिवादी को कब्‍जा नहीं दिया गया है और न ही उसका आवंटन निरस्‍त किया गया है अत: परिवाद कदापि कालबाधित नहीं है।

    अपीलार्थी/परिवादी के विद्धान अधिवक्‍ता का तर्क है कि अपीलार्थी/परिवादी उपभोक्‍ता संरक्षण अधिनियम के अन्‍तर्गत उपभोक्‍ता है। और परिवाद उपभोक्‍ता संरक्षण अधिनियम के अन्‍तर्गत ग्राह्य है।

    प्रत्‍यर्थी की विद्धान अधिवक्‍ता  का तर्क है कि जिला फोरम का आदेश उचित है।

    मैंने उभयपक्ष के तर्क पर विचार किया है।

    अपील की पत्रावली में परिवादी द्वारा विपक्षी को प्रेषित नोटिस दिनांक 23-09-2013 की प्रति संलग्‍न की गयी है जिससे स्‍पष्‍ट है कि अपीलार्थी/परिवादी ने जो यूनिट बुक करायी है वह दुकान है।  परिवाद पत्र में अपीलार्थी/परिवादी ने यह कथन नहीं किया है कि वह एक बेरोजगार है और उसने प्रत्‍यर्थी/विपक्षी की प्रश्‍नगत कामर्शियल यूनिट की बुकिंग स्‍वरोजगार से जीविकोपार्जन हेतु की है। अत: उपभोक्‍ता संरक्षण अधिनियम

 

4

की धारा-2(1)(डी) के स्‍पष्‍टीकरण का लाभ अपीलार्थी/परिवादी को नहीं मिल सकता है। प्रश्‍नगत यूनिट वाणिज्यिक है और दुकान है अत: यह मानने हेतु उचित आधार है कि अपीलार्थी/परिवादी ने यह यूनिट वाणिज्यिक उद्देश्‍य से बुक की है अत: वह धारा-2(1)(डी) उपभोक्‍ता संरक्षण अधिनियम के अन्‍तर्गत उपभोक्‍ता नहीं है और प्रश्‍नगत परिवाद उपभोक्‍ता संरक्षण अधिनियम के अन्‍तर्गत ग्राह्य नहीं है। अत: जिला फोरम ने अपीलार्थी/परिवादी को उपभोक्‍ता संरक्षण अधिनियम के अन्‍तर्गत उपभोक्‍ता न मानते हुए जो परिवाद निरस्‍त किया है वह उचित है, परन्‍तु जिला फोरम ने जो परिवाद में कालबाधा के संबंध में जो निष्‍कर्ष अंकित किया है वह उचित नहीं है।  उपभोक्‍ता संरक्षण अधिनियम के अन्‍तर्गत परिवाद ग्राह्य न होने पर जिला फोरम द्वारा गुणदोष के आधार पर निष्‍कर्ष अंकित किया जाना उचित नहीं है।

         उपरोक्‍त निष्‍कर्ष के आधार पर अपील इस छूट के साथ निरस्‍त की जाती है कि अपीलार्थी/परिवादी विधि के अनुसार सक्षम न्‍यायालय या अधिकारी के समक्ष कार्यवाही करने हेतु स्‍वतंत्र है।

         अपील में उभयपक्ष अपना-अपना वाद व्‍यय स्‍वयं वहन करेंगे।

   

(न्‍यायमूर्ति अख्‍तर हुसैन खान)

   अध्‍यक्ष

प्रदीप मिश्रा, आशु0

कोर्ट नं0-1

 

 

 

 

 

 

 

 

 
 
[HON'BLE MR. JUSTICE AKHTAR HUSAIN KHAN]
PRESIDENT
 

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