राज्य उपभोक्ता विवाद प्रतितोष आयोग, उ0प्र0, लखनऊ
(मौखिक)
परिवाद संख्या-11/2021
विजय शंकर सिंह पुत्र राम लखन सिंह
बनाम
मै0 अंसल हाउसिंग लिमिटेड व 11 अन्य
समक्ष:-
1. माननीय न्यायमूर्ति श्री अशोक कुमार, अध्यक्ष।
2. माननीय श्री विकास सक्सेना, सदस्य।
3. माननीय श्रीमती सुधा उपाध्याय, सदस्य।
परिवादी की ओर से उपस्थित : श्री शैलेन्द्र सिंह के कनिष्ठ
सहायक श्री प्रशान्त तिवारी,
विद्वान अधिवक्ता।
विपक्षीगण की ओर से उपस्थित : श्री मुजीब एफेण्डी,
विद्वान अधिवक्ता।
दिनांक: 16.05.2023
माननीय न्यायमूर्ति श्री अशोक कुमार, अध्यक्ष द्वारा उदघोषित
निर्णय
परिवादी की ओर से उपस्थित विद्वान अधिवक्ता श्री शैलेन्द्र सिंह के कनिष्ठ सहायक अधिवक्ता श्री प्रशान्त तिवारी एवं विपक्षीगण की ओर से उपस्थित विद्वान अधिवक्ता श्री मुजीब एफेण्डी को सुना गया।
प्रस्तुत परिवाद परिवादी विजय शंकर सिंह द्वारा विपक्षीगण मै0 अंसल हाउसिंग लिमिटेड व 11 अन्य के विरूद्ध इस न्यायालय के सम्मुख निम्न प्रार्थना के साथ योजित किया गया:-
i. To direct the opposite parties to execute sale deed in Favour of the Complainant on the Earliest.
ii. To direct the opposite parties to pay Rs. 10,00,000/- (Ten Lacs) for Physical and mental harassment.
iii. To direct the opposite parties to pay Rs. 30,000/- (Thirty Thousnad) towards cost of the case.
iv. Any other relief which this Hon’ble Court deems fit and proper for the proper adjudication of the case.
v. Allow this appeal with substantial costs to the Appellant.
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विगत 02 वर्षों से उभय पक्ष के विद्वान अधिवक्तागण को अनेकों पूर्व तिथियों पर सुना गया। निर्विवादित रूप से विपक्षी कम्पनी द्वारा प्रस्तावित योजना में परिवादी द्वारा एक भूखण्ड संख्या- एन-162, आशियाना कालोनी, कानपुर रोड, लखनऊ में बुक कराया गया, जिसकी कुल कीमत विपक्षी कम्पनी द्वारा 16,50,000/-रू0 (सोलह लाख पचास हजार रूपये) निर्धारित की गयी। उपरोक्त धनराशि के विरूद्ध परिवादी द्वारा विपक्षी कम्पनी में 10,00,000/-रू0 (दस लाख रूपये) दिनांक 08.10.2014 को जमा कराये गये। तदोपरान्त बाकी की धनराशि परिवादी द्वारा विपक्षी कम्पनी के पक्ष में दिनांक 26.04.2018 को 1,50,000/-रू0 (एक लाख पचास हजार रूपये) एवं दिनांक 08.09.2020 को 4,50,000/-रू0 (चार लाख पचास हजार रूपये) एवं दिनांक 21.09.2020 को 50,000/-रू0 (पचास हजार रूपये) जमा करायी गयी अर्थात् परिवादी द्वारा विपक्षी कम्पनी में कुल धनराशि 16,50,000/-रू0 (सोलह लाख पचास हजार रूपये) जमा करायी गयी। प्रथम किश्त 10,00,000/-रू0 (दस लाख रूपये) जमा करने के पश्चात् परिवादी को विपक्षी कम्पनी द्वारा उपरोक्त भूखण्ड संख्या– एन-162 का वास्तविक कब्जा प्रदान किया गया, जो निर्विवादित रूप से परिवादी के पास आज दिनांक तक यथावत् है।
चूँकि विपक्षी कम्पनी द्वारा परिवादी से सम्पूर्ण मूल देय धनराशि जमा कराये जाने के उपरान्त भी परिवादी के पक्ष में पंजीकरण प्रक्रिया अर्थात् रजिस्टर्ड सेल डीड का सम्पादन नहीं किया जा रहा था, अतएव यह परिवाद इस न्यायालय के सम्मुख योजित किया गया।
निर्विवादित रूप से सम्पूर्ण मूल देय धनराशि परिवादी द्वारा जमा करायी गयी है और परिवादी की तरह अन्य क्रेताओं के पक्ष में विपक्षी कम्पनी द्वारा सेल डीड वर्ष 2014 में ही सम्पादित किये
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जाने का उल्लेख विगत दिनांक 12.04.2023 को परिवादी के विद्वान अधिवक्ता द्वारा किया गया। तदोपरान्त इस न्यायालय द्वारा निम्न आदेश दिनांक 12.04.2023 को पारित किया गया:-
''दिनांक 12-04-2023
वाद पुकारा गया।
परिवादी की ओर से विद्वान अधिवक्ता के सहायक अधिवक्ता श्री प्रशांत तिवारी उपस्थित आए। विपक्षी की ओर से विद्वान अधिवक्ता श्री मुजीब एफएनडी उपस्थित आए। विपक्षी की ओर से डब्ल्यू0एस0 दाखिल किया गया जिसकी प्रति परिवादी के विद्वान अधिवक्ता को प्राप्त करायी गयी है।
इस न्यायालय द्वारा नियुक्त एडवोकेट कमिश्नर सुश्री पूजा त्रिपाठी एवं सुश्री झनक भवनानी द्वारा एडवोकेट कमिश्नर रिपोर्ट सचित्र न्यायालय के सम्मुख प्रस्तुत किया गया जिसकी एक प्रति विपक्षी के विद्वान अधिवक्ता को प्राप्त करायी गयी। विवादित भूखण्ड के आस-पास/निकट के अन्य भूखण्डों पर निर्माण किया जा चुका है जैसा कि रंगीन फोटो चित्र के परिशीलन से सुनिश्चित होता है। तदनुसार विपक्षी की ओर से उपस्थित विद्वान अधिवक्ता द्वारा विवादित भूखण्ड को कब और किन लोगों को बिक्रित किया गया है तथा कब उपरोक्त भूखण्ड का पंजीकरण किया गया है, के संबंध में विस्तृत जानकारी सशपथ पत्र मय छायाचित्र के दो सप्ताह की अवधि में कार्यालय में प्रस्तुत किया जावे।
तदनुसार प्रस्तुत परिवाद को अंतिम रूप से निर्णीत किये जाने हेतु दिनांक 16-05-2023 की तिथि निश्चित की जाती है। तब तक उपरोक्त भूखण्ड की यथा स्थिति बरकरार रखी जावेगी।''
उक्त आदेश के अनुपालन में विपक्षी कम्पनी के विद्वान अधिवक्ता श्री मुजीब एफेण्डी द्वारा अन्य भूखण्ड क्रेताओं के पक्ष में सम्पादित की गयी रजिस्टर्ड सेल डीड की छायाप्रतियॉं प्रस्तुत की, जिनके परिशीलन से यह स्पष्ट पाया गया कि अन्य भूखण्ड क्रेताओं के पक्ष में वर्ष 2014 में ही विपक्षी कम्पनी द्वारा पंजीकरण प्रक्रिया सम्पादित की गयी है तथा उन्हें कब्जा भी प्राप्त कराया जा चुका है।
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विपक्षी कम्पनी की ओर से उपस्थित विद्वान अधिवक्ता श्री मुजीब एफेण्डी द्वारा इस न्यायालय के सम्मुख यह तथ्य उल्लिखित किया गया कि अन्य भूखण्ड क्रेताओं से परिवादी के द्वारा प्राप्त किये गये भूखण्ड में समानता नहीं है क्योंकि निर्विवादित रूप से परिवादी द्वारा सम्पूर्ण देय मूल धनराशि एकमुश्त जमा नहीं करायी गयी, जबकि यह सही है कि परिवादी को भूखण्ड का वास्तविक कब्जा प्राप्त कराया गया था।
विपक्षी कम्पनी की ओर से उपस्थित विद्वान अधिवक्ता द्वारा तदनुसार कथन किया गया कि परिवादी द्वारा विलम्ब से जमा करायी गयी धनराशि 6,50,000/-रू0 (छ: लाख पचास हजार रूपये) अर्थात् 4 – 7 वर्ष की विलम्ब अवधि को दृष्टिगत रखते हुए विपक्षी कम्पनी उपरोक्त धनराशि पर ब्याज पाने की अधिकारी है।
समस्त तथ्यों को दृष्टिगत रखने के उपरान्त न्यायहित में प्रस्तुत परिवाद निम्न आदेश के अनुसार अन्तिम रूप से निस्तारित किया जाता है अर्थात् यह कि परिवादी द्वारा विपक्षी कम्पनी के पक्ष में एक डिमाण्ड ड्राफ्ट 5,00,000/-रू0 (पॉच लाख रूपये) का 01 सप्ताह की अवधि में तैयार कराकर उपरोक्त डिमाण्ड ड्राफ्ट की छायाप्रति विपक्षी कम्पनी को प्राप्त करायी जावेगी, साथ ही विपक्षी कम्पनी द्वारा बतायी गयी धनराशि का ई-स्टाम्प क्रय करके उसकी छायाप्रति भी विपक्षी कम्पनी को उपरोक्त डिमाण्ड ड्राफ्ट की छायाप्रति के साथ प्राप्त करायी जावेगी, जिसके अनुसार विपक्षी कम्पनी द्वारा पंजीकरण की प्रक्रिया हर दशा में दिनांक 30.05.2023 तक सुनिश्चित की जावेगी। जिस दिन विपक्षी कम्पनी द्वारा पंजीकरण की विधिक सम्पूर्ण प्रक्रिया सुनिश्चित करते हुए पंजीकरण प्रपत्र परिवादी को हस्तांतरित किये जावेंगे तब परिवादी द्वारा उपरोक्त डिमाण्ड ड्राफ्ट की मूल प्रति विपक्षी कम्पनी को
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हस्तांतरित की जावेगी।
तदनुसार प्रस्तुत परिवाद अन्तिम रूप से निस्तारित किया जाता है।
आशुलिपिक से अपेक्षा की जाती है कि वह इस निर्णय/आदेश को आयोग की वेबसाइट पर नियमानुसार यथाशीघ्र अपलोड कर दें।
(न्यायमूर्ति अशोक कुमार) (विकास सक्सेना) (सुधा उपाध्याय)
अध्यक्ष सदस्य सदस्य
जितेन्द्र आशु0
कोर्ट नं0-1