राज्य उपभोक्ता विवाद प्रतितोष आयोग, उ0प्र0, लखनऊ
परिवाद संख्या-348/2016
(सुरक्षित)
1. Vaibhav Kumar aged about 33 years son of
Sri Shishir Kumar resident of 13/72 Indira Nagar
Lucknow presently residing at 133 Air Lines
Apartment Plot No.5 Sector 23 Dwarika New Delhi
Pin Code No.110077.
2. Smt. Sudha Shishir aged about 64 years wife of
Sri Shishir Kumar resident of 13/72 Indira Nagar
Lucknow.
....................परिवादीगण
बनाम
M/S. Amrapali Zodiac Developers Pvt. Ltd. through its managing Director corporate office C-56/40 Sector 62 Noida Dstt. Gautambudhnagar U.P.
...................विपक्षी
समक्ष:-
माननीय न्यायमूर्ति श्री अख्तर हुसैन खान, अध्यक्ष।
परिवादीगण की ओर से उपस्थित : श्री दिनेश चन्द्र शुक्ला,
विद्वान अधिवक्ता।
विपक्षी की ओर से उपस्थित : कोई नहीं।
दिनांक: 19-02-2018
मा0 न्यायमूर्ति श्री अख्तर हुसैन खान, अध्यक्ष द्वारा उदघोषित
निर्णय
परिवादीगण वैभव कुमार और श्रीमती सुधा शिशिर ने यह परिवाद विपक्षी मै0 आम्रपाली जोडियाक डेवलपर्स प्रा0लि0 के विरूद्ध धारा-17 उपभोक्ता संरक्षण अधिनियम 1986 के अन्तर्गत राज्य आयोग के समक्ष प्रस्तुत किया है और निम्न अनुतोष चाहा है:-
(i) allow the consumer complaint by directing the opposite party M/S. Amrapali Zodiac Developers
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Pvt.Ltd. Noida Gautambudh nagar U.P. to return the deposited amount Rs. Fifty Nine Lacs eighty seven thousands three hundred thirty five/- (59,87,335/-) along with 18% interest from the date of deposit of money metinoned in the Annexure No.2 of the complaint, clearance of cheque starting from 14.12.2012 to 28.02.2013, till final payment of the principal money along eith interest.
(ii) in alternate direct the opposite party to pay the rental amont agreed in the terms and conditions laid in agreement at the rate of 10/- per sq. feet, which come Rs.13250/- per month (total super area of the flat is 1325 Sq.feet) from June 2014 till the date of completion of the project, and adjust the same before actual date of completion of the project and possession of the flat in question. the opposite party may also be directed to return the surplus amount of money to the consumer/complainant with immediate effect.
(iii) direct the opposite party M/S. Amropali Zodiac Developers Pvt. Ltd. Gautambudhnagar to pay loss incurred due to mental agony Rs.200,000/-and loss
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incurred due to expenses incurred in travelling up to company’s office several times, and in litigation amounted Rs.110,000/-.
(iv) any other order or direction which this Hon’ble Commission, may deem fit and proper in the circumstances of the case may also be passed.
परिवाद पत्र के अनुसार परिवादीगण का कथन है कि उन्हें अपने वृद्ध माता-पिता की उचित देख-रेख हेतु आवास की आवश्यकता थी। अत: उन्होंने दिनांक 11.01.2013 को विपक्षी मै0 आम्रपाली जोडियाक डेवलपर्स प्रा0लि0 के साथ फ्लैट बायर एग्रीमेंट विपक्षी कम्पनी द्वारा 06 महीना में फ्लैट देने का आश्वासन दिए जाने पर निष्पादित किया, जिसके अनुसार विपक्षी की यूनिट नं0 बी 1403 में चौदहवें तल पर बी टाईप 3बी+2टी (1325) सुपर एरिया 1325 वर्ग फीट कवर्ड पार्किंग के साथ फ्लैट का 61,13,550/-रू0 मूल्य में बिक्रय करार विपक्षी ने किया। उपरोक्त धनराशि के अतिरिक्त 51,500/-रू0 अतिरिक्त चार्ज कब्जा हस्तांतरण के समय दिया जाना था। इस प्रकार आवंटित फ्लैट का कुल मूल्य 61,65,050/-रू0 था, जिसके लिए परिवादीगण ने भुगतान विभिन्न तिथियों पर विपक्षी को किया और कुल धनराशि 59,87,335/-रू0 20 फरवरी 2013 तक तयशुदा पेमेंट प्लान के अनुसार टॉप फ्लोर की कास्टिंग तक अदा किया। इस धनराशि में विपक्षी ने उनसे 1,74,084/-रू0 की अतिरिक्त धनराशि
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सर्विस टैक्स के रूप में वसूला है और उसके अतिरिक्त 5379/-रू0 का और सर्विस टैक्स लिया है।
परिवाद पत्र के अनुसार परिवादीगण का कथन है कि उन्होंने उपरोक्त धनराशि का भुगतान विपक्षी को 06 महीने के अन्दर फ्लैट पाने के लिए किया था, परन्तु विपक्षी 06 महीने के अन्दर फ्लैट उपलब्ध नहीं करा सका है। अत: परिवादीगण को किराए का फ्लैट लेना पड़ा, जिसके लिए 23,000/-रू0 प्रति मास उन्हें किराया देना पड़ रहा है।
परिवाद पत्र के अनुसार परिवादीगण का कथन है कि विपक्षी ने उपरोक्त धनराशि उनसे प्राप्त करने के बाद भी आवंटित फ्लैट का निर्माण कार्य पूरा नहीं किया है और निर्माणाधीन फ्लैट की स्थिति वही कायम रही जो वर्ष 2013 में थी। परिवाद पत्र के अनुसार परिवादीगण ने विपक्षी से फ्लैट का निर्माण तयशुदा समय में पूरा करने का जब अनुरोध किया था तब विपक्षी ने पत्र दिनांक 14.12.2013 के द्वारा उन्हें सूचित किया था कि दिसम्बर 2013 या उसके बाद अधिकतम 06 महीने के अन्दर उन्हें कब्जा दे दिया जाएगा, परन्तु कथित समय पर फिर भी परिवादीगण को कब्जा नहीं दिया गया है।
परिवाद पत्र के अनुसार परिवादीगण का कथन है कि बायर एग्रीमेंट दिनांकित 11.01.2013 के प्रस्तर 27(डी) के अनुसार कब्जा हस्तांतरण में विलम्ब के कारण परिवादीगण 10/-रू0 प्रति वर्ग फीट की दर से आवंटित फ्लैट के क्षेत्रफल 1325 वर्ग फीट पर
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13,250/-रू0 प्रति माह जुलाई 2014 से कब्जा हस्तांतरण की तिथि तक क्षतिपूर्ति पाने के अधिकारी हैं, जो करीब 3,71,000/-रू0 होता है और अन्तिम पेमेंट की धनराशि में समायोजित किए जाने योग्य है। फिर भी विपक्षी ने अवैधानिक ढंग से पत्र दिनांक 21.09.2016 के द्वारा 3,74,684/-रू0 की मांग एलाटमेंट लेटर की शर्तों के विपरीत परिवादीगण से की है। अत: परिवादीगण ने विपक्षी को दिनांक 23.12.2014 को विधिक नोटिस भेजा। तदोपरान्त विपक्षी ने पत्र दिनांक 16.09.2016 परिवादीगण को प्रेषित किया और अवशेष धनराशि 3,74,684/-रू0 का भुगतान 29 दिन के अन्दर करके कब्जा प्राप्त करने की सूचना दी तथा यह भी कहा कि ऐसा करने में असफल रहने पर अवशेष धनराशि पर ब्याज देय होगा। उसके बाद पुन: विपक्षी ने 21 सितम्बर 2016 को परिवादीगण को नोटिस भेजा और कब्जा प्राप्त करने हेतु उपरोक्त धनराशि की मांग की।
परिवाद पत्र के अनुसार परिवादीगण का कथन है कि अन्तिम भुगतान परियोजना पूर्ण होने पर ही किया जाना है। अत: विपक्षी ने जो 3,74,684/-रू0 की मांग उनसे की है वह बायर एग्रीमेंट के करार के विरूद्ध है। परिवाद पत्र के अनुसार विपक्षी ने उनसे उपरोक्त धनराशि की मांग निर्माण कार्य पूरा हुए बिना व कम्प्लीशन सर्टिफिकेट सक्षम अधिकारी से प्राप्त किए बिना की है। अत: परिवादीगण ने विपक्षी की उपरोक्त नोटिस दिनांक 21 सितम्बर 2016 के जवाब में नोटिस
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दिनांक 29 सितम्बर 2016 विपक्षी को प्रेषित किया और उनसे अनुरोध किया कि वह नोटिस वापस ले तथा विलम्ब से कब्जा देने के लिए करार पत्र के अनुसार भुगतान करे। फ्लैट का निर्माण जून 2014 तक होना था। अत: बायर एग्रीमेंट के अनुसार 13,250/-रू0 प्रति माह की दर से भुगतान करे और अन्तिम पेमेन्ट की धनराशि में समायोजित करे, परन्तु विपक्षी ने कोई सुनवाई नहीं की। अत: विवश होकर परिवादीगण ने परिवाद आयोग के समक्ष प्रस्तुत किया है।
विपक्षी की ओर से लिखित कथन प्रस्तुत किया गया है, जिसमें परिवादीगण से बायर एग्रीमेंट दिनांक 11.01.2013 प्रश्नगत फ्लैट के सम्बन्ध में निष्पादित किया जाना और परिवादीगण द्वारा कथित धनराशि प्राप्त किया जाना स्वीकार किया गया है।
लिखित कथन में विपक्षी की ओर से कहा गया है कि बायर एग्रीमेंट के प्रस्तर 27(ए) में यह प्राविधान है कि विपक्षी करार पत्र की तिथि से निर्माण कार्य 30 महीने के अन्दर पूरा करेगा, जिसमें 06 महीना और लग सकता है, परन्तु बायर एग्रीमेंट का यह करार फोर्स मेजर कंडीशन के अधीन है।
लिखित कथन में विपक्षी की ओर से कहा गया है कि फ्लैट के निर्माण में विलम्ब माननीय उच्च न्यायालय इलाहाबाद के समक्ष प्रस्तुत रिट याचिकाओं में माननीय उच्च न्यायालय द्वारा पारित आदेश एवं माननीय राष्ट्रीय ग्रीन ट्रिब्यूनल के आदेश के कारण हुआ है, जिसके लिए विपक्षी उत्तरदायी नहीं है। निर्माण
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में विलम्ब का यह कारण विपक्षी के नियंत्रण से बाहर है। अत: बायर एग्रीमेंट के प्रस्तर 27(ए) के अनुसार परिवादीगण विलम्ब हेतु कोई प्रतिकर विपक्षी से पाने के अधिकारी नहीं हैं।
लिखित कथन में विपक्षी की ओर से कहा गया है कि वह परिवादीगण को आवंटित फ्लैट का कब्जा आवश्यक औपचारिकतायें पूरी करने पर पोजेशन लेटर दिनांक 21.09.2016 के अनुसार एन0ओ0सी0 प्रस्तुत करने पर देने को तैयार हैं।
परिवादीगण की ओर से अपने कथन के समर्थन में श्रीमती सुधा शिशिर का शपथ पत्र प्रस्तुत किया गया है।
विपक्षी की ओर से साक्ष्य में शपथ पत्र नहीं प्रस्तुत किया गया है।
परिवाद की सुनवाई के समय परिवादीगण की ओर से विद्वान अधिवक्ता श्री दिनेश चन्द्र शुक्ला उपस्थित आए हैं। विपक्षी की ओर से कोई उपस्थित नहीं हुआ है।
मैंने परिवादीगण के विद्वान अधिवक्ता के तर्क को सुना है और पत्रावली का अवलोकन किया है।
एलाटमेन्ट कम फ्लैट बायर एग्रीमेन्ट दिनांक 11.01.2013 उभय पक्ष को स्वीकार है। फ्लैट बायर एग्रीमेन्ट के प्रस्तर 27 (a) के अनुसार विपक्षी डेवलपर को टावर की फाउन्डेशन रखे जाने की तिथि से 30 मास में निर्माण पूरा करना था, जिसमें 06 मास का और समय लग सकता था। इस प्रकार विपक्षी को फाउन्डेशन रखने की तिथि से अधिकतम तीन साल के अन्दर निर्माण कार्य पूरा
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करना था। विपक्षी ने परिवादीगण से पेमेन्ट शिड्यूल के अनुसार on casting of basement roof/ground floor की किस्त का भुगतान दिनांक 01.02.2013 को 458516/-रू0 प्राप्त किया है। अत: फ्लैट बायर करार के प्रस्तर 27 (a) के अनुसार निर्माण कार्य 31 जनवरी 2016 तक पूरा होना था, परन्तु परिवादीगण को आवंटित फ्लैट का निर्माण कार्य अभी पूरा नहीं हुआ है जैसा कि परिवाद पत्र एवं परिवादिनी सुधा शिशिर के शपथ पत्र के कथन एवं परिवादीगण द्वारा प्रस्तुत फोटोग्राफ से स्पष्ट है। फ्लैट का निर्माण कार्य पूरा हो गया है यह विपक्षी ने दर्शित नहीं किया है। विपक्षी ने कोई Completion Certificate नहीं प्रस्तुत किया है। अत: यह मानने हेतु उचित आधार है कि फ्लैट का निर्माण कार्य अभी पूरा नहीं है।
पेमेन्ट शिड्यूल के अनुसार 59,87,335/-रू0 का भुगतान परिवादीगण ने विपक्षी को दिनांक 20 फरवरी 2013 तक किया है। पेमन्ट प्लान के अनुसार अब अन्तिम किस्त 3,57,178/-रू0 कब्जा अन्तरण की सूचना के समय देय है। कब्जा अन्तरण की सूचना निर्माण कार्य पूरा होने पर ही दी जा सकती है। अत: निर्माण कार्य पूरा किए बिना विपक्षी ने जो परिवादीगण से अन्तिम किस्त के भुगतान की मांग की है वह उचित नहीं है और फ्लैट बायर एग्रीमेन्ट के विरूद्ध है।
परिवाद पत्र की धारा-8 में परिवादीगण ने कहा है कि परिवादीगण ने विपक्षी से फ्लैट का निर्माण तयशुदा समय में
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पूरा करने का जब अनुरोध किया तो विपक्षी ने पत्र दिनांक 14.12.2013 के द्वारा उन्हें सूचित किया था कि दिसम्बर 2013 या उसके बाद अधिकतम 06 महीने के अन्दर उन्हें कब्जा दे दिया जाएगा। परिवाद पत्र की धारा-8 के उपरोक्त कथन से विपक्षी ने लिखित कथन में इन्कार नहीं किया है और कहा है कि यह साक्ष्य का विषय है। परिवादीगण ने परिवाद पत्र का संलग्नक-3 विपक्षी का उपरोक्त पत्र दिनांक 14.12.2013 प्रस्तुत किया है, जिसके द्वारा परिवादी वैभव कुमार को विपक्षी ने सूचित किया है कि प्रश्नगत फ्लैट का कब्जा दिसम्बर 2013 + 6 महीने में दिया जाएगा, परन्तु उपरोक्त विवेचना से यह स्पष्ट है कि अब तक फ्लैट का निर्माण कार्य पूरा कर परिवादीगण को फ्लैट का कब्जा नहीं दिया गया है। इस पत्र दिनांकित 14.12.2013 में दिसम्बर 2013 या उसके बाद 06 महीने के अन्दर कब्जा परिवादीगण को देने का उल्लेख है, परन्तु फ्लैट बायर करार के प्रस्तर 27 (a) में निर्माण कार्य पूरा करने की अवधि टावर की बुनियाद रखे जाने की तिथि से 30 महीना, जिसमें 06 महीने की बढ़ोत्तरी की जा सकती है, निश्चित है और करार पत्र के प्रस्तर 27 (d) में उल्लेख है कि यदि फ्लैट के निर्माण में फोर्स मेज्योर कण्डीशन से भिन्न कारण से विलम्ब होता है तो डेवलपर अर्थात् विपक्षी 10/-रू0 प्रति वर्ग फीट की दर से फ्लैट के सुपर एरिया पर प्रति मास विलम्ब हेतु क्षतिपूर्ति एलाटी को प्रदान करेगा। विपक्षी के उपरोक्त पत्र दिनांकित 14.12.2013 और फ्लैट बायर करार के
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प्रस्तर 27 (a) और प्रस्तर 27 (d) पर विचार करने से यह स्पष्ट है कि करार के प्रस्तर 27 (a) में उल्लिखित अवधि में निर्माण पूरा न होने की दशा में प्रस्तर 27 (d) के अनुसार उपरोक्त क्षतिपूर्ति देय है।
विपक्षी की ओर से कहा गया है कि फ्लैट के निर्माण में विलम्ब माननीय उच्च न्यायालय और माननीय राष्ट्रीय ग्रीन ट्रिब्यूनल द्वारा पारित आदेश के कारण हुआ है, जिस पर विपक्षी का कोई नियंत्रण नहीं है। अत: ऐसी स्थिति में फ्लैट बायर करार के प्रस्तर 27 (d) के अनुसार परिवादीगण क्षतिपूर्ति पाने के अधिकारी नहीं हैं।
विपक्षी की ओर से लिखित कथन के साथ रिट याचिका संख्या-60602 सन् 2012 उमेश आदि बनाम स्टेट आफ यू0पी0 आदि में माननीय उच्च न्यायालय इलाहाबाद द्वारा पारित आदेश दिनांक 22.11.2012 और दिनांक 11.12.2013 की प्रतियॉं संलग्न की गयी हैं, जिससे यह स्पष्ट है कि उपरोक्त रिट याचिका में माननीय उच्च न्यायालय ने दिनांक 22.11.2012 को स्थगन आदेश पारित किया है और रिट याचिका को दिनांक 11.12.2013 को अन्तिम रूप से निस्तारित कर दिया है। अत: माननीय उच्च न्यायालय द्वारा पारित अन्तरिम आदेश दिनांक 22.11.2012 आदेश दिनांक 11.12.2013 के आधार पर समाप्त हो चुका है। अत: दिसम्बर 2013 के बाद विपक्षी द्वारा प्रश्नगत फ्लैट के निर्माण में जो विलम्ब हुआ है, उसका कारण माननीय उच्च
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न्यायालय इलाहाबाद द्वारा पारित स्थगन आदेश नहीं कहा जा सकता है।
विपक्षी की ओर से लिखित कथन के साथ माननीय सर्वोच्च न्यायालय द्वारा सिविल अपील नं0 17991 सन् 2013 न्यू ओखला इण्ड. डेव. अथॉरिटी व अन्य बनाम विक्रान्त कुमार तोंगर आदि में पारित आदेश दिनांक 14.06.2013 की प्रति संलग्न की गयी है, जिससे यह स्पष्ट है कि माननीय सर्वोच्च न्यायालय ने आदेश दिनांक 14.06.2013 के द्वारा माननीय राष्ट्रीय ग्रीन ट्रिब्यूनल के आदेश पर जो रोक लगायी थी उसे माननीय राष्ट्रीय ग्रीन ट्रिब्यूनल के अन्तिम आदेश तक प्रभावी किया है। अत: ऐसी स्थिति में माननीय राष्ट्रीय ग्रीन ट्रिब्यूनल द्वारा पारित आदेश को जो विपक्षी ने निर्माण में विलम्ब का कारण बताया है वह उचित नहीं है। अत: सम्पूर्ण तथ्यों एवं साक्ष्यों पर विचार करने के उपरान्त यह मानने हेतु उचित आधार दिखता है कि विपक्षी ने परिवादीगण को आवंटित फ्लैट के निर्माण में जो इतना विलम्ब किया है उसका कारण फोर्स मेज्योर नहीं वरन् विपक्षी की अपनी कमी है।
उपरोक्त विवेचना के आधार पर फ्लैट बायर करार के प्रस्तर 27 (a) और प्रस्तर 27 (d) को दृष्टिगत रखते हुए मैं इस मत का हूँ कि परिवादीगण द्वारा विपक्षी को on casting of basement roof/ground floor की किस्त की भुगतान की तिथि दिनांक 01.02.2013 से 36 महीने के अन्दर निर्माण कार्य पूरा कर
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परिवादीगण को कब्जा विपक्षी को हस्तांतरित करना आवश्यक था, परन्तु उन्होंने निर्माण कार्य पूरा कर परिवादीगण को कब्जा हस्तांतरित नहीं किया है और जो कब्जा प्राप्त करने की सूचना देते हुए अन्तिम किस्त के भुगतान की मांग की है वह उचित नहीं है क्योंकि निर्माण कार्य अभी पूरा नहीं हुआ है। निर्माण कार्य पूरा होने के बाद परिवादीगण को कब्जा प्राप्त करने की नोटिस और पेमेन्ट प्लान के अनुसार अन्तिम किस्त का भुगतान करने की नोटिस दी जा सकती है।
उपरोक्त सम्पूर्ण तथ्यों पर विचार करते हुए यह आवश्यक प्रतीत होता है कि दिनांक 01.02.2016 से परिवादीगण को फ्लैट बायर करार के प्रस्तर 27 (d) के अनुसार आवंटित फ्लैट के क्षेत्रफल 1325 वर्ग फीट पर 10/-रू0 प्रति वर्ग फीट के हिसाब से 13250/-रू0 प्रति मास की दर से परिवादीगण को विलम्ब हेतु क्षतिपूर्ति दिलायी जाए और इसके साथ ही विपक्षी को यह आदेशित किया जाए कि वह 06 मास के अन्दर निर्माण कार्य पूरा कर परिवादीगण को आवंटित फ्लैट का कब्जा प्रदान करे और विक्रय पत्र निष्पादित करे और यदि 06 मास में विपक्षी निर्माण कार्य पूरा कर कब्जा परिवादीगण को अन्तरित करने में असफल रहता है तब वह परिवादीगण द्वारा जमा धनराशि 59,87,335/-रू0 18 प्रतिशत वार्षिक ब्याज सहित परिवादीगण को वापस करे।
उपरोक्त निष्कर्ष के आधार पर परिवाद आंशिक रूप से स्वीकार किए जाने योग्य है।
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आदेश
परिवाद आंशिक रूप से स्वीकार किया जाता है और विपक्षी को आदेशित किया जाता है कि वह दिनांक 01.02.2016 से फ्लैट बायर करार के प्रस्तर 27 (d) के अनुसार आवंटित फ्लैट के क्षेत्रफल 1325 वर्ग फीट पर 10/-रू0 प्रति वर्ग फीट की दर से 13250/-रू0 मासिक क्षतिपूर्ति परिवादीगण को आवंटित फ्लैट का कब्जा हस्तगत करने की तिथि तक अदा करे और 06 मास के अन्दर परिवादीगण को आवंटित फ्लैट का निर्माण कार्य पूरा कर उन्हें कब्जा हस्तगत करें तथा विक्रय पत्र निष्पादित करें।
यदि इस अवधि में विपक्षी फ्लैट का निर्माण कार्य पूरा कर कब्जा परिवादीगण को हस्तगत करने में असफल रहता है तो विपक्षी परिवादी द्वारा जमा सम्पूर्ण धनराशि 59,87,335/-रू0 परिवादीगण को 18 प्रतिशत वार्षिक ब्याज के साथ उपरोक्त धनराशि जमा करने की तिथि से अदायगी की तिथि तक अदा करे।
फ्लैट बायर करार के प्रस्तर 27 (d) के अनुसार परिवादीगण को स्वीकार की गयी उपरोक्त क्षतिपूर्ति की धनराशि परिवादीगण द्वारा पेमेन्ट प्लान के अनुसार कब्जा अन्तरण के समय देय अन्तिम किस्त 3,57,178/-रू0 एवं परिवादीगण द्वारा देय अन्य खर्चों में समायोजित की जाएगी और उसके बाद यदि कोई धनराशि अवशेष बचती है तो परिवादीगण को अदा की जाएगी। यदि उक्त धनराशि उपरोक्त अन्तिम किस्त 3,57,178/-रू0 एवं परिवादीगण द्वारा देय अन्य खर्चों में समायोजित करने के बाद विपक्षी की कोई
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धनराशि शेष बचती है तो विपक्षी परिवादीगण से उक्त धनराशि कब्जा अन्तरण के पूर्व प्राप्त करने का अधिकारी होगा।
विपक्षी परिवादीगण को 10,000/-रू0 वाद व्यय भी अदा करेगा।
(न्यायमूर्ति अख्तर हुसैन खान)
अध्यक्ष
जितेन्द्र आशु0
कोर्ट नं0-1