राज्य उपभोक्ता विवाद प्रतितोष आयोग, उ0प्र0, लखनऊ।
(सुरक्षित)
परिवाद संख्या:-367/2017
Mr. Arun Kumar Tiwari, S/o Sri Parashuram Tiwari, R/o MIG-68 D, PKT-6 Mayur Vihar, Phase-3, New Delhi-110096
........... Complainant
Versus
1- M/s Amrapali Leisure Valley Private Limited, registered office 307, 3rd Floor, Nipun Towers, Plot No. 15, Community Centre, Karkardooma, Delhi-110092, through its Managing Director.
2- Amrapali Leisure Valley Private Limited, Corporate office: C-56/40, Sector-62, Noida, near FORTIS Hospital, through its Managing Director.
3- Amrapali Adarsh Awas Yojana, Site office-GH 02, Sector-Techzone, IV, Greator Noida, through its Managing Director.
……..…. Opp. Parties
समक्ष :-
माननीय न्यायमूर्ति श्री अख्तर हुसैन खान, अध्यक्ष
परिवादी की ओर से उपस्थित : श्री नवीन कुमार तिवारी
विपक्षीगण की ओर से उपस्थित : कोई नहीं।
दिनांक : 07-01-2019
मा0 न्यायमूर्ति श्री अख्तर हुसैन खान, अध्यक्ष द्वारा उदघोषित
निर्णय
परिवादी अरूण कुमार तिवारी ने यह परिवाद विपक्षीगण मैसर्स आम्रपाली लेसर वैली प्राइवेट लिमिटेड रजिस्टर्ड आफिस, आम्रपाली लेसर वैली प्राइवेट लिमिटेड, कॉर्पोरेट आफिस और आम्रपाली आदर्श आवास योजना के विरूद्ध धारा-17 उपभोक्ता संरक्षण अधिनियम, 1986 के अन्तर्गत राज्य आयोग के समक्ष प्रस्तुत किया है और निम्न अनुतोष चाहा है:-
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1- The Opposite parties be directed to refund the deposit amount of Rs. 5,82,021/-(Rupees Five Lac Eighty Two Thousand and Twenty One only) to the complainant.
2- The opposite parties to pay Rs. 3,00,000/- (Three Lacs) for mental pain and suffering to the complainant.
3- The opposite parties to pay Rs. 3,00,000/- (Three Lacs) for cost of the case.
4- The interest accruing in light of the present facts & circumstances of the case, as the Hon’ble Commission may deem fit & proper.
परिवाद पत्र के अनुसार परिवादी का कथन है कि विपक्षीगण के विज्ञापन को पढ़कर उसने विपक्षीगण की आम्रपाली आदर्श आवास योजना ग्रेटर नोएडा में अपने पुत्र के लिए एक फ्लैट दिनांक 29.02.2016 को बुक किया और 1,00,000.00 रू0 और 12,595.00 रू0 की धनराशि जमा किया तब विपक्षीगण ने उसे यूनिट नं0- H 2-2102 Type 3B+2T (1300 Sq. Ft.) दिनांक 21.3.2016 को 32,37,000.00 रू0 मूल्य पर आवंटित किया। उसके बाद परिवादी ने दिनांक 25.3.2016 को 2,00,000.00 रू0. जमा किया और पुन: 2,69,426.00 रू0 जमा किया। इस प्रकार परिवादी ने कुल 5,82,021.00 रू0 विपक्षीगण के यहॉ जमा किया।
परिवाद पत्र के अनुसार प्रोविजनल एलॉटमेंट लेटर दिनांक 21.3.2016 के अनुसार कब्जा 36 महीने में दिया जाना था, परन्तु परिवादी से उपरोक्त धनराशि प्राप्त करने के बाद विपक्षीगण ने
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निर्माण कार्य शुरू नहीं किया है। अत: परिवादी ने जमा धनराशि ब्याज सहित वापस मॉगा है और क्षतिपूर्ति एवं वाद व्यय मॉगा है।
विपक्षीगण को नोटिस रजिस्टर्ड डाक से प्रेषित की गयी है। जिसमें विपक्षी सं0-3 की नोटिस इंकारी की प्रविष्ट से वापस आयी है और विपक्षीगण सं0-1 व 2 की नोटिस अदम तामील वापस नहीं आयी है। अत: 30 दिन की अवधि समाप्त होने पर तामीला पर्याप्त माना गया है।
विपक्षीगण तामीला पर्याप्त माने जाने के बाद भी उपस्थित नहीं हुए है और न ही लिखित कथन प्रस्तुत किया है। अत: परिवाद की कार्यवाही उनके विरूद्ध एक पक्षीय रूप से की गई है।
परिवाद पत्र के कथन के समर्थन में परिवादी ने शपथपत्र प्रस्तुत किया है।
परिवादी की ओर से विद्वान अधिवक्ता श्री नवीन कुमार तिवारी उपस्थित हुए है।
मैंने परिवादी के विद्वान अधिवक्ता के तर्क को सुना है और पत्रावली का अवलोकन किया है।
परिवाद पत्र के साथ परिवादी ने आवंटन पत्र दिनांक 21.3.2016 की प्रति प्रस्तुत की गयी है। परिवादी ने अपने शपथपत्र के साथ 1,00,000.00 रू0 के चेक दिनांक 29.02.2016, 12,595.00 रू0 के चेक दिनांक 29.02.2016 और 2,00,000.00 रू0 के चेक दिनांक 25.3.2016 की फोटो प्रतियॉ प्रस्तुत की है।
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परिवादी ने रू0 2,70,426.00 रू0 जमा करने की रसीद दिनांक 28.7.2016 की प्रति भी प्रस्तुत किया है।
परिवाद पत्र एवं परिवादी के शपथपत्र का खण्डन विपक्षीगण द्वारा नहीं किया गया है। अत: परिवाद पत्र एवं परिवादी के शपथपत्र और परिवादी द्वारा प्रस्तुत अभिलेखों पर विश्वास न करने का कोई कारण नहीं है।
परिवाद पत्र एवं परिवादी के शपथपत्र और उसके द्वारा प्रस्तुत अभिलेखों से स्पष्ट है कि परिवादी को प्रश्नगत फ्लैट विपक्षीगण ने दिनांक 21.3.2016 को आवंटित किया है, जिसके सम्बन्ध में परिवादी ने कुल 5,82,021.00 रू0 विपक्षीगण के यहॉ जमा किया है, परन्तु अब तक विपक्षीगण ने निर्माण कार्य प्रारम्भ नहीं किया है। अत: परिवादी की जमा धनराशि ब्याज सहित विपक्षीगण से वापस दिलाया जाना उचित है।
माननीय सर्वोच्च न्यायालय द्वारा के0ए0 नागमणि बनाम हाउसिंग कमिश्नर, कर्नाटका हाउसिंग बोर्ड III (2016) CPJ 16 (SC) में दिये गये निर्णय को दृष्टिगत रखते हुए परिवादी द्वारा जमा धनराशि जमा की तिथि से 18 प्रतिशत वार्षिक की दर से ब्याज सहित परिवादी को विपक्षीगण से वापस दिलाया जाना उचित है।
परिवादी को विपक्षीगण से 10,000.00 रू0 वाद व्यय दिलाया जाना भी उचित है।
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परिवादी को प्रदान की जाने वाली उपरोक्त अनुतोष को दृष्टिगत रखते हुए मैं इस मत का हॅू कि परिवादी द्वारा याचित अन्य अनुतोष को प्रदान किये जाने की आवश्यकता नहीं है।
उपरोक्त निष्कर्ष के आधार पर परिवाद एकपक्षीय रूप से विपक्षीगण के विरूद्ध आंशिक रूप से स्वीकार किया जाता है और विपक्षीगण को आदेशित किया जाता है कि वे परिवादी की जमा धनराशि 5,82,021.00 रू0 जमा की तिथि से अदायगी की तिथि तक 18 प्रतिशत वार्षिक ब्याज के साथ उन्हें वापस करे। साथ ही 10,000.00 रू0 वाद व्यय भी परिवादी को दे।
दो मास के अन्दर भुगतान न होने पर परिवादी विधि के अनुसार निष्पादन की कार्यवाही करने हेतु स्वतंत्र होंगे।
(न्यायमूर्ति अख्तर हुसैन खान)
अध्यक्ष
हरीश आशु.,
कोर्ट सं0-1