सुरक्षित
राज्य उपभोक्ता विवाद प्रतितोष आयोग, उ0प्र0, लखनऊ।
परिवाद संख्या- 328/2017
Mr. Subodh Kumar Pandey son of Mr. Tripurari Pandey, Resident of Sector-6, Plot -40, Flat No. A-2/20, Hahnemann Enclave, Dwarka New Delhi-110075.
परिवादी
बनाम
- M/s Amrapali Dream Valley Private Limited, registered office 307,3rd floor, Nipun Towers, Plot No. 15, Community Centre, Karkardooma, Delhi-110092, through its Managing Director.
- Amrapali Dream Valley Private Limited, Corporate office-C-56/40, Sector-62, Noida, Near FORTIS HOSPITAL, through its Managing Director.
- Amrapali Dream Valley Private Limited, Site office-GH-09, Sictor-Techzone, IV, Greater Noida, through its Managing Director.
विपक्षीगण
समक्ष:-
माननीय न्यायमूर्ति श्री अख्तर हुसैन खान, अध्यक्ष।
परिवादी की ओर से उपस्थित : विद्वान अधिवक्ता, श्री नवीन कुमार तिवारी
विपक्षीगण की ओर से उपस्थित : कोई उपस्थित नहीं।
दिनांक- 05-11-2018
माननीय न्यायमूर्ति श्री अख्तर हुसैन खान, अध्यक्ष द्वारा उदघोषित
निर्णय
वर्तमान परिवाद, परिवादी श्री सुबोध कुमार पाण्डेय ने विपक्षीगण, मै0 आम्रपाली ड्रीमवैली प्राइवेट लिमिटेड, रजिस्टर्ड आफिस दिल्ली द्वारा मैनेजिंग डायरेक्टर, आम्रपाली ड्रीमवैली प्राइवेट लिमिटेड, कारपोरेट
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आफिस नोएडा द्वारा मैनेजिंग डायरेक्टर एवं आम्रपाली ड्रीमवैली प्राइवेट लिमिटेड, साइट आफिस ग्रेटर नोएडा द्वारा मैनेजिंग डायरेक्टर के विरूद्ध धारा 17 उपभोक्ता संरक्षण अधिनियम के अन्तर्गत आयोग के समक्ष प्रस्तुत किया है और निम्न अनुतोष चाहा है:-
- The opposite parties be directed to refund the deposit amount of Rs. 20,69,512/- to the complainant.
- The opposite parties to pay Rs. Two Lacs for mental pain and suffering to the complainant.
- The opposite parties to pay Rs. 1,00,000/- for cost of the case.
- The interest accruing in light of the present facts & circumstances of the case, as the Hon’ble Commission may deem fit & proper.
And any other relief as deemed fit and proper in the circumstances of the case, may also be granted to the complainant.
परिवाद पत्र के अनुसार परिवादी का कथन है कि उसने विपक्षीगण के विज्ञापन से प्रभावित होकर आम्रपाली ड्रीमवैली प्राइवेट लिमिटेड, योजना में दिनांक 02-05-2010 को 2,89,325/- रू० जमा कर फ्लैट की बुकिंग कराया जिसके आधार पर विपक्षीगण ने उसे यूनिट नं० F 12-206 टाइप 3B3 TS मै0 आम्रपाली ड्रीमवैली ।। आवंटित किया और आवंटन पत्र दिनांक
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04-06-2011 को जारी किया जिसके अनुसार आवंटित यूनिट का सुपर एरिया 1715 स्वायरफिट था और मूल्य 28,76,950/-रू० था। तदोपरान्त आवंटन पत्र
के अनुसार परिवादी ने 14,38,475/- रू० का भुगतान विपक्षीगण को दिनांक 24-03-2014 को किया और उसके बाद पुन: 1,50,000/- रू० का भुगतान दिनांक 17-08-2015 को किया। पुन: 1,47,764/- रू० का भुगतान दिनांक 17-08-2015 को किया। इस प्रकार उसने अब तक कुल धनराशि 20,69,512/-रू० विपक्षीगण के यहॉं जमा किया है जो कुल मूल्य का 80 प्रतिशत है।
परिवाद पत्र के अनुसार परिवादी का कथन है कि प्रोविजनल एलाटमेंट लेटर दिनांक 04-06-2011 के अनुसार निर्माण कार्य दिनांक 04-07-2014 तक 36 महीन में पूरा किया जाना था परन्तु परिवाद प्रस्तुत किये जाने तक निर्माण कार्य शुरू ही नहीं किया गया है। जबकि परिवादी ने फ्लैट के मूल्य की 60 प्रतिशत से अधिक धनराशि जमा कर दी है।
परिवाद पत्र के अनुसार परिवादी का कथन है कि फ्लैट के निर्माण मूल्य का 80 प्रतिशत फ्लैट का निर्माण शुरू किये बिना विपक्षीगण ने प्राप्त किया है और उसके बाद छ: साल बीतने के बाद भी उसने निर्माण कार्य प्रारम्भ नहीं किया है। इस प्रकार विपक्षीगण ने सेवा में कमी की है और अनुचित व्यापार पद्धति अपनायी है। अत: विवश होकर परिवादी ने परिवाद प्रस्तुत कर उपरोक्त प्रकार से अनुतोष चाहा है।
विपक्षीगण को नोटिस रजिस्टर्ड डाक से भेजी गयी है जो अदम तामील वापस नहीं आयी है। अत: आदेश दिनांक 26-03-2018 के द्वारा उन पर नोटिस का तामीला पर्याप्त माना गया है फिर भी वे उपस्थित नहीं हुए हैं और
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लिखित कथन प्रस्तुत कर परिवाद का विरोध नहीं किया है। अत: उनके विरूद्ध परिवाद की कार्यवाही एकपक्षीय रूप से की गयी है।
परिवादी सुबोध कुमार पाण्डेय ने परिवाद पत्र के कथन के समर्थन में अपना शपथ-पत्र प्रस्तुत किया है।
परिवाद की अंतिम सुनवाई के समय परिवादी की ओर से विद्वान अधिवक्ता श्री नवीन कुमार तिवारी उपस्थित आए हैं। विपक्षीगण की ओर से नोटिस तामीला के बाद भी कोई उपस्थित नहीं हुआ है।
मैंने परिवादी के विद्वान अधिवक्ता के तर्क को सुना है और पत्रावली का अवलोकन किया है।
परिवाद पत्र के अनुसार वायर एग्रीमेंट दिनांक 06-04-2011 प्रस्तुत किया है जिसके अनुसार परिवादी को विपक्षीगण ने परिवाद पत्र में उल्लिखित उपरोक्त फ्लैट का आवंटन किया है जिसका कुल मूल्य 30,72,550/- रू० है जिसमें परिवादी ने एलाटमेंट लेटर जारी करने के पहले ही 2,89,325/- रू० जमा किया है। इस वायर एग्रीमेंट के क्लाज 19 के अनुसार परियोजना शुरू करने की तिथि दिनांक 01-05-2011 मानी जाएगी और निर्माण न्यू की खुदाई शुरू से 30 महीने के अन्दर पूरा किया जाएगा जिसमें 6 महीने की बढ़ोत्तरी की जा सकती है। निर्माण की यह अवधि फोर्स मैन्योर परिस्थितियों के अधीन है।
परिवाद पत्र के साथ परिवादी ने रसीद 1 अक्टूबर 2012 प्रस्तुत किया है जिसके अनुसार 1,94,005/- रू० विपक्षीगण को अदा किया है। परिवाद पत्र के साथ रसीद दिनांक 30 जून 2014, 17, अगस्त 2015, और 17 अगस्त
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2015 परिवादी ने प्रस्तुत किया है जिसके द्वारा क्रमश: 2,85,055/- रू०, 1,50,000/-रू०, 147,764/- रू० विपक्षीगण के यहॉ परिवादी ने जमा किया है।
परिवादी की ओर से विपक्षीगण के डिमाण्ड लेटर दिनांक 24-03-2014 की प्रति प्रस्तुत की गयी है जिसके अनुसार दिनांक 24-03-2014 तक परिवादी ने पहले ही 11,61,964/-रू० का भुगतान विपक्षीगण को किया है। इस प्रकार परिवादी कुल 17,44,783/- रू० का भुगतान विपक्षीगण को कर चुका है। परन्तु अब तक विपक्षीगण ने निर्माण कार्य शुरू नहीं किया है। अत: निश्चित रूप से विपक्षीगण ने परिवादी को फ्लैट आवंटन की प्रश्गनत सेवा में कमी की है और अनुचित व्यापार पद्धति अपनायी है। वायर एग्रीमेट दिनांक 04-06-2011 को निष्पादित किया गया है और सात साल से अधिक का समय बीत चुका है। अत: सम्पूर्ण तथ्यों और परिस्थितियों पर विचार करते हुए मैं इस मत का हॅूं कि परिवादी द्वारा जमा धनराशि ब्याज सहित वापस करने हेतु विपक्षीगण को आदेशित किया जाना आवश्यक है। प्रभात वर्मा व एक अन्य बनाम यूनीटेक लिमिटेड व एक अन्य ।।। (2016) सी०पी०जे० 635 (एन०सी) के वाद में दिये गये निर्णय को दृष्टिगत रखते हुए ब्याज 18 प्रतिशत वार्षिक की दर से दिया जाना उचित है। परिवादी को 10,000/- रू० वाद व्यय भी दिया जाना उचित है।
परिवादी द्वारा जमा धनराशि जमा की तिथि से अदायगी की तिथि तक 18 प्रतिशत वार्षिक की दर से ब्याज सहित वापस किये जाने हेतु विपक्षीगण को आदेशित किया जा रहा है। ऐसी स्थिति में परिवादी को और कोई अनुतोष प्रदान करना उचित नहीं प्रतीत होता है।
उपरोक्त निष्कर्ष के आधार पर परिवाद आंशिक रूप से स्वीकार किया जाता है और विपक्षीगण को आदेशित किया जाता है कि परिवादी की जमा
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धनराशि 17,44,783/- रू० जमा की तिथि से अदायगी की तिथि तक 18 प्रतिशत वार्षिक की दर से ब्याज सहित परिवादी को दो माह के अन्दर वापस करें अन्यथा विधि के अनुसार वसूली करने हेतु परिवादी स्वतंत्र होगा।
विपक्षीगण, परिवादी को 10,000/- रू० वाद व्यय भी प्रदान करेंगे।
(न्यायमूर्ति अख्तर हुसैन खान)
अध्यक्ष
कृष्णा, आशु0
कोर्ट नं01