सुरक्षित
राज्य उपभोक्ता विवाद प्रतितोष आयोग, उ0प्र0, लखनऊ।
परिवाद संख्या- 377/2017
Mrs. Arun Kumar Tiwari Son of Sri Parashuram Tiwari, Resident of MIG-68, PKT-6 Mayur Vihar, Phase-3 New Delhi-110096..
परिवादी
बनाम
- M/s Amrapali Dream Valley Private Limited, registered office 307,3rd floor, Nipun Towers, Plot No. 15, Community Centre, Karkardooma, Delhi-110092, through its Managing Director.
- Amrapali Dream Valley Private Limited, Corporate office-C-56/40, Sector-62, Noida, Near FORTIS HOSPITAL, through its Managing Director.
- Amrapali Dream Valley Private Limited, Site office-GH-09, Sector-Techzone, IV, Greater Noida, through its Managing Director.
विपक्षीगण
समक्ष:-
माननीय न्यायमूर्ति श्री अख्तर हुसैन खान, अध्यक्ष।
परिवादी की ओर से उपस्थित : विद्वान अधिवक्ता, श्री नवीन कुमार तिवारी
विपक्षीगण की ओर से उपस्थित : कोई उपस्थित नहीं।
दिनांक- 18-03-2019
माननीय न्यायमूर्ति श्री अख्तर हुसैन खान, अध्यक्ष द्वारा उदघोषित
निर्णय
वर्तमान परिवाद, परिवादी श्री अरूण कुमार तिवारी ने विपक्षीगण, मै0 आम्रपाली ड्रीमवैली प्राइवेट लिमिटेड, रजिस्टर्ड आफिस दिल्ली द्वारा मैनेजिंग डायरेक्टर, आम्रपाली ड्रीमवैली प्राइवेट लिमिटेड, कारपोरेट आफिस नोएडा द्वारा मैनेजिंग डायरेक्टर एवं आम्रपाली ड्रीमवैली प्राइवेट
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लिमिटेड, साइट आफिस ग्रेटर नोएडा द्वारा मैनेजिंग डायरेक्टर के विरूद्ध धारा 17 उपभोक्ता संरक्षण अधिनियम के अन्तर्गत आयोग के समक्ष प्रस्तुत किया है और निम्न अनुतोष चाहा है:-
- The opposite parties be directed to refund the deposit amount of Rs. 9,64,954/- to the complainant alongwith 18% interest from the date of execution of allotment letter dated 28.05.2011.
- The opposite parties to pay Rs. 5,00,000/- for mental pain and suffering to the complainant.
- The opposite parties to pay Rs. 5,00,000/- for cost of the case.
And any other relief as deemed fit and proper in the circumstances of the case, may also be granted to the complainant.
परिवाद पत्र के अनुसार परिवादी का कथन है कि उसने विपक्षीगण के विज्ञापन से प्रभावित होकर उसकी आम्रपाली ड्रीमवैली प्राइवेट लिमिटेड, ग्रेटर नोएडा, गौतमबुद्ध नगर, योजना में दिनांक 31-03-2010 को अपनी पुत्री के लिए एक फ्लैट की बुकिंग कराया और बुकिंग के समय एक लाख रूपया जमा किया। तब विपक्षीगण ने उसे यूनिट नं० A1 -0210 टाइप 1 BHK (585 Sq. ft) II Floor, मै0 आम्रपाली ड्रीमवैली ।। आवंटित किया और एलाटमेंट लेटर दिनांक 28-05-2011 को जारी किया। एलाटमेंट लेटर के अनुसार उपरोक्त फ्लैट का बेसिक सेल प्राइस 10,47,060/-रू० था। परिवाद पत्र के अनुसार परिवादी ने उपरोक्त बुकिंग धनराशि 1,00,000/-रू० दिनांक 01-04-2010 को
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जमा किया। उसके बाद परिवादी ने 1,02,078/-रू० दिनांक 13-11-2011 को, 1,00,000/-रू०, दिनांक 12-10-2012 को 1,20,353/-रू०, दिनांक 06-11-2012 को 1,07,941/-रू०, दिनांक 09-10-2013 को 1,09,404/-रू०, दिनांक 20-09-2014 को अदा किया। उसके बाद पुन: परिवादी ने 1,08,192/-रू० दिनांक 15-04-2015 को एवं 94,706/-रू० 08-12-2015 को जमा किया। उसके बाद पुन: परिवादी ने विपक्षीगण को 1,22,282/-रू० दिनांक 29-03-2016 को दिया। इस प्रकार उसने विपक्षीगण को कुल 9,64,954/-रू० दिया है जो आवंटित फ्लैट के मूल्य के 95 प्रतिशत से अधिक है।
परिवाद पत्र के अनुसार परिवादी का कथन है कि प्रोविजनल एलाटमेंट लेटर दिनांक 28-05-2011 में उल्लिखित है कि निर्माण कार्य दिनांक 28-05-2014 तक प्रोविजनल एलाटमेंट लेटर की तिथि से 30 महीने के अन्दर पूरा कर लिया जाएगा। परन्तु परिवाद पत्र प्रस्तुत किये जाने तक निर्माण कार्य प्रारम्भ नहीं किया गया जबकि परिवादी ने फ्लैट की 95 प्रतिशत धनराशि का भुगतान कर दिया है। परिवाद पत्र के अनुसार परिवादी का कथन है कि 6 साल से अधिक समय बीतने के बाद भी निर्माण कार्य प्रभावी ढंग से नहीं किया जा रहा है। अत: विवश होकर परिवादी ने परिवाद विपक्षीगण के विरूद्ध प्रस्तुत किया है और उपरोक्त अनुतोष चाहा है।
विपक्षीगण को नोटिस रजिस्टर्ड डाक से भेजी गयी है जिसमें विपक्षीगण संख्या– 1 और 2 की नोटिस अदम तामील वापस नहीं आयी है, जबकि विपक्षी
संख्या-3 की नोटिस इन्कार की प्रविष्टि के साथ वापस आयी है। अत: विपक्षीगण पर नोटिस का तामीला पर्याप्त माना गया है, फिर भी विपक्षीगण
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उपस्थित नहीं हुए हैं और न ही लिखित कथन प्रस्तुत किया है। अत: विपक्षीगण के विरूद्ध परिवाद की कार्यवाही एकपक्षीय रूप से की गयी है।
परिवादी ने परिवाद पत्र के कथन के समर्थन में अपना शपथ-पत्र प्रस्तुत किया है। परिवाद पत्र के साथ परिवादी ने एलाटमेंट लेटर कम बायर एग्रीमेंट दिनांक 28-05-2011 और विपक्षीगण को भुगतान की गयी धनराशि की रसीद दिनांक 02 अप्रैल 2016, दिनांक 22 अप्रैल 2016, दिनांक 27 सितम्बर 2014, दिनांक 15 नवम्बर 2013, दिनांक 08 नवम्बर 2012, दिनांक 12 अक्टूबर 2012 एवं दिनांक 13 नवम्बर 2011 प्रस्तुत किया है।
परिवाद की अंतिम सुनवाई के समय परिवादी की ओर से विद्वान अधिवक्ता श्री नवीन कुमार तिवारी उपस्थित आए हैं। विपक्षीगण की ओर से नोटिस तामीला के बाद भी कोई उपस्थित नहीं हुआ है। परिवाद की कार्यवाही एकपक्षीय रूप से विपक्षीगण के विरूद्ध की गयी है।
मैंने परिवादी के विद्वान अधिवक्ता को सुना है और पत्रावली का अवलोकन किया है।
परिवाद पत्र के कथन एवं परिवादी के शपथ-पत्र व परिवादी द्वारा प्रस्तुत एलाटमेंट लेटर दिनांक 28-05-2011 से स्पष्ट है कि विपक्षीगण ने परिवादी को प्रश्नगत फ्लैट 1,00,000/-रू० की बुकिंग धनराशि प्राप्त कर आवंटित किया है। फ्लैट की कुल धनराशि 11,22,660/-रू० एलाटमेंट लेटर में अंकित है जिसमें बुकिंग एमाउण्ट की धनराशि 1,00,000/-रू० घटाकर अवशेष धनराशि 10,22,660/- रू० अंकित है। परिवादी ने कुल 9,64,954/-रू० की धनराशि जमा करने की रसीद प्रस्तुत किया है और परिवाद पत्र के कथन का शपथ-पत्र प्रस्तुत कर समर्थन किया है।
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विपक्षीगण की ओर से परिवाद पत्र एवं परिवादी के शपथ-पत्र का खण्डन लिखित कथन या प्रति-शपथ-पत्र प्रस्तुत कर नहीं किया गया है। अत: परिवाद
पत्र एवं परिवादी द्वारा प्रस्तुत शपथ-पत्र के कथन पर विश्वास न करने का कोई कारण नहीं है।
उपरोक्त विवेचेना के आधार पर यह मानने हेतु उचित और युक्तिसंगत आधार है कि विपक्षीगण ने परिवादी को एलाटमेंट लेटर दिनांक 28-05-2011 को जारी करने के सात वर्ष बाद भी निर्माण कार्य पूरा कर आवंटित फ्लैट पर कब्जा परिवादी को नहीं दिया है जबकि परिवादी 9,64,954/-रू० की धनराशि का भुगतान विपक्षीगण को कर चुका है। इतनी लम्बी अवधि बीतने के बाद भी विपक्षीगण फ्लैट का निर्माण पूरा नहीं कर सके हैं। अत: विपक्षीगण से परिवादी को उसकी जमा धनराशि ब्याज सहित वापस दिलाया जाना उचित प्रतीत होता है। मा0 राष्ट्रीय आयोग द्वारा प्रभात वर्मा व एक अन्य बनाम यूनीटेक लि0 व एक अन्य ।।। (2016) सी.पी.जे.635 एन.सी. के वाद में दिये गये निर्णय को दृष्टिगत रखते हुए ब्याज दर 18 प्रतिशत वार्षिक निर्धारित किया जाना उचित है। चूंकि परिवादी को उसकी जमा धनराशि 18 प्रतिशत वार्षिक की दर से ब्याज सहित वापस दिलायी जा रही है, अत: परिवादी द्वारा याचित अन्य अनुतोष प्रदान किये जाने हेतु उचित आधार नहीं दिखता है। परन्तु परिवादी को 10,000/-रू० वाद व्यय दिलाया जाना उचित प्रतीत होता है।
उपरोक्त निष्कर्ष के आधार पर परिवाद स्वीकार किया जाता है और विपक्षीगण को आदेशित किया जाता है कि वे परिवादी की जमा धनराशि 9,64,954/-रू० धनराशि जमा करने की तिथि से अदायगी की तिथि
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तक 18 प्रतिशत वार्षिक ब्याज के साथ परिवादी को वापस करें। इसके साथ ही विपक्षीगण, परिवादी को 10,000/-रू० वाद व्यय भी अदा करें।
(न्यायमूर्ति अख्तर हुसैन खान)
अध्यक्ष
कृष्णा, आशु0 कोर्ट-1