राज्य उपभोक्ता विवाद प्रतितोष आयोग, उ0प्र0, लखनऊ।
(मौखिक)
अपील संख्या:-30/2022
यूनाइटेड इण्डिया इंश्योरेंस कम्पनी लिमिटेड द्वारा ब्रांच मैनेजर, ब्रांच कोड 081102 निकट श्री कृष्ण पाण्डेय इण्टर कालेज, स्टेशन रोड बस्ती वर्तमान में मैनेजर, रीजनल ऑफिस, यूनाइटेड इण्डिया इं0कं0लि0 द्वितीय तल कपूरथला बाग काम्प्लैक्स, अलीगंज, लखनऊ।
............अपीलार्थी/विपक्षी
बनाम
मैसर्स एडवांस बाइक केयर सेंटर निकट ओवरब्रिज बड़ेबन चौराहा बस्ती द्वारा प्रोपराइटर सुशील कुमार श्रीवास्तव व एक अन्य
............प्रत्यर्थी/परिवादी
समक्ष :-
मा0 न्यायमूर्ति श्री अशोक कुमार, अध्यक्ष
अपीलार्थी के अधिवक्ता : श्री अंचल मिश्रा
प्रत्यर्थीगण के अधिवक्ता : श्री उमेश कुमार शर्मा
दिनांक :- 29.8.2024
मा0 न्यायमूर्ति श्री अशोक कुमार, अध्यक्ष द्वारा उदघोषित
निर्णय
प्रस्तुत अपील, अपीलार्थी/बीमा कम्पनी की ओर से इस आयोग के सम्मुख धारा-41 उपभोक्ता संरक्षण अधिनियम, 2019 के अन्तर्गत जिला उपभोक्ता विवाद प्रतितोष आयोग, बस्ती द्वारा परिवाद सं0-152/2018 में पारित एकपक्षीय निर्णय/आदेश दिनांक 09.8.2021 के विरूद्ध योजित की गई है।
विद्वान जिला उपभोक्ता आयोग ने परिवादी के अभिकथन एवं उपलब्ध साक्ष्य पर विस्तार से विचार करने के उपरांत परिवाद को एकपक्षीय रूप से निर्णीत करते हुए निम्न आदेश पारित किया है:-
'' प्रस्तुत परिवाद, परिवादी के पक्ष में तथा विपक्षी के विरूद्ध एकपक्षीय निर्णीत किया जाता है।
विपक्षी को निर्देश दिया जाता है कि इस निर्णय के पारित होने के 60 दिन के अन्दर परिवादी को बीमा अवधि में हुई अग्नि दुघर्टना से क्षति की धनराशि मु० 12,82,401.00 रु० (बारह लाख बयासी हजार चार सौ
-2-
एक रूपये) का भुगतान परिवादी को करे।
विपक्षी को यह भी निर्देश दिया जाता है कि परिवादी को हुए मानसिक व शारीरिक पीड़ा हेतु क्षतिपूर्ति मु० 2000.00 रू० (दो हजार रूपये) एवं वाद व्यय हेतु मु० 1000.00 रु० (एक हजार रूपये) उक्त अवधि के अन्तर्गत परिवादी को भुगतान करे।''
जिला उपभोक्ता आयोग के प्रश्नगत निर्णय/आदेश से क्षुब्ध होकर अपीलार्थी/बीमा कम्पनी की ओर से प्रस्तुत अपील योजित की गई है।
संक्षेप में वाद के तथ्य इस प्रकार है कि प्रत्यर्थी/परिवादी का मोटर साइकिल सर्विस करने का प्रतिष्ठान है जिसमे उससे संबन्धित अनेकों सामान उक्त प्रष्ठिान में रखा जाता है जो बडेबन ओबर ब्रिज के बगल स्थित बिल्डिंग के बेसमेन्ट में स्थापित है। प्रत्यर्थी/परिवादी ने अपने प्रतिष्ठान का बीमा यूनाइटेड इण्डिया इंश्योरेन्स कम्पनी से कराया था जिसकी वैधता दिनांक 24.01.2017 से दिनांक 23.01.2018 तक प्रभावी थी, जिसकी पालिसी सं0-081102111 6पी114208970 है, जो अग्नि एवं अन्य प्रकार से हुई दुर्घटना के क्षति का रिस्क कवर करती है।
प्रत्यर्थी/परिवादी का कथन है कि उसके प्रतिष्ठान में दिनांक 21.4.2017 की रात्रि में शार्ट सर्किट के कारण आग लग गयी जिसकी सूचना परिवादी सं0-2 को होने के पश्चात तत्काल प्रतिष्ठान पहुंचा तो पाया कि फायर ब्रिगेड के अथक प्रयास के पश्चात आग पर काबू पाया गया परन्तु तब तक प्रतिष्ठान में रखा सारा सामान जल कर राख हो गया जिससे प्रत्यर्थी/परिवादी के जले हुए सामानों की कीमत मु0 12,82,401.00 रू0 की क्षति हुई थी। प्रत्यर्थी/परिवादी की सूचना पर अपीलार्थी/विपक्षी के सर्वेयर द्वारा अग्नि से हुई हुए क्षति के आंकलन हेतु सर्वे किया गया जिसमें अपीलार्थी/विपक्षी के सर्वेयर द्वारा कुल क्षति का आंकलन मु0 2,04,830.00 रु0 किया गया जिस पर प्रत्यर्थी/परिवादी द्वारा आपत्ति की गयी परन्तु अपीलार्थी/विपक्षी द्वारा बीमा पालिसी की
-3-
शर्तों का पालन नहीं किया जा रहा है तथा बीमा क्षतिपूर्ति के दावा क्लेम देने से मना कर दिया गया। प्रत्यर्थी/परिवादी को बीमा क्लेम की धनराशि न मिलने के कारण प्रत्यर्थी/परिवादी को प्रतिष्ठान बन्द करना पडा जिसके कारण प्रत्यर्थी/परिवादी को काफी मानसिक व शारीरिक पीडा का सामना करना पड रहा है अत्एव क्षुब्ध होकर परिवाद जिला उपभोक्ता आयोग के सम्मुख प्रस्तुत किया गया।
जिला उपभोक्ता आयोग के समक्ष अपीलार्थी/विपक्षी बीमा कम्पनी की ओर से कोई उपस्थित नहीं हुआ और न ही कोई प्रतिवाद पत्र प्रस्तुत किया गया अत्एव जिला उपभोक्ता आयोग द्वारा अपीलार्थी/विपक्षी के विरूद्ध परिवाद की कार्यवाही एकपक्षीय रूप से अग्रसारित की गई।
मेरे द्वारा उभय पक्ष की ओर से उपस्थित विद्वान अधिवक्ता द्व्य को सुना गया तथा प्रश्नगत निर्णय/आदेश व पत्रावली पर उपलब्ध समस्त प्रपत्रों का अवलोकन किया गया।
दौरान बहस अपीलार्थी बीमा कम्पनी के अधिवक्ता द्वारा इस न्यायालय का ध्यान बीमा कम्पनी द्वारा जारी बीमा पालिसी की ओर आकर्षित किया, जिसमें निर्विवादित रूप से बीमित वस्तुओं में प्लॉट व मशीनरी, फर्नीचर व अन्य कन्टेंट स्टॉक्स इत्यादि उल्लिखित है जिसमें कुल स्टॉक्स की बीमित धनराशि रू0 14,16,600.00 उल्लिखित है, कुल प्रीमियम रू0 3,640.66 पैसे उल्लिखित किया गया है। आग लगने की घटना के सम्बन्ध में सर्वे रिपोर्ट दिनांक 20.9.2017 की ओर बीमा कम्पनी के विद्वान अधिवक्ता द्वारा इस न्यायालय का ध्यान आकर्षित किया, जिसमें कुल खरीदे हुए स्टॉक का विवरण विस्तृत रूप से उल्लिखित पाया गया। सम्पूर्ण स्टॉक की खरीदारी दिनांक 03.01.2017 को की गई व कुल स्टॉक क्रय धनराशि रू0 12,38,109.00 उल्लिखित की गई। बीमा कम्पनी के अधिवक्ता द्वारा विशेष रूप से इस तथ्य का उल्लेख किया कि कुल क्रय की गई वस्तुओं के विरूद्ध परिवादी/बीमित द्वारा रू0
-4-
9,80,704.00 की खरीदारी नकद में की गई तथा यह भी तथ्य उल्लिखित किया गया कि कुल खरीदारी के विरूद्ध NEFT के माध्यम से मात्र रू0 4,30,000.00 का भुगतान विभिन्न विक्रेताओं को किया गया, जिनसे कि माल खरीदा गया था। विद्वान अधिवक्ता द्वारा तद्नुसार कथन किया गया समस्त तथ्यों को उल्लिखित करने के उपरांत सर्वेयर द्वारा रू0 2,43,830.00 की हानि आंकलित की गई, जिसे बिना किसी आधार के जिला उपभोक्ता आयोग द्वारा अनुचित रूप से प्रत्यर्थी/परिवादी के कथन को पूर्ण रूप से सही मानते हुए रू0 12,82,401.00 सुनिश्चित किया।
प्रत्यर्थी/परिवादी के विद्वान अधिवक्ता द्वारा उपरोक्त वस्तुओं के क्रय किये जाने के सम्बन्ध में क्रय किये जाने की प्रक्रिया अर्थात नकद खरीद व बैंक के माध्यम से खरीद के संबंध में कोई विवाद नहीं किया गया। मात्र यह कथन किया कि प्रत्यर्थी/क्रेता द्वारा अपने परिचितों एवं रिश्तेदारों से नकद धनराशि प्राप्त कर वस्तुओं को क्रय किया गया, अन्यथा किसी प्रकार का कोई समुचित उत्तर प्रत्यर्थी/परिवादी के अधिवक्ता द्वारा नहीं दिया जा सका।
मेरे द्वारा उभय पक्ष के विद्वान अधिवक्तागण के कथनों को सुना गया तथा विद्वान जिला उपभोक्ता आयोग द्वारा पारित प्रश्नगत निर्णय/आदेश एवं पत्रावली पर उपलब्ध समस्त अभिलेखों के परिशीलनोंपरांत यह पाया गया कि व्यापारिक प्रक्रिया का साधारण नियम कुछ वस्तुओं को नकद में भी क्रय किये जाने की प्रक्रिया व्यापारियों के मध्य की जाती है, को ध्यान में रखते हुए व बैंक के माध्यम से रू0 4,30,000.00 के भुगतान को दृष्टिगत रखते हुए मेरे विचार से विद्वान जिला उपभोक्ता आयोग द्वारा पारित प्रश्नगत आदेश में जो अग्नि दुघर्टना से हुई क्षति के भुगतान हेतु रू0 12,82,401.00 की देयता अपीलार्थी/बीमा कम्पनी के विरूद्ध निर्धारित की गई है, वह वाद के सम्पूर्ण तथ्यों एवं परिस्थितियों तथा अपीलार्थी के विद्वान अधिवक्ता के कथन को दृष्टिगत
-5-
रखते हुए अधिक प्रतीत हो रही है, तद्नुसार अपीलार्थी/बीमा कम्पनी के विरूद्ध अग्नि दुर्घटना से हुई क्षति की धनराशि रू0 12,82,401.00 (बारह लाख बयासी हजार चार सौ एक रू0) के स्थान पर रू0 6,50,000.00 (छ: लाख पचास हजार रू0) प्रत्यर्थी/परिवादी को दिलाया जाना मेरे विचार से न्यायोचित प्रतीत होता है, तद्नुसार प्रस्तुत अपील आंशिक रूप से स्वीकार की जाती है। निर्णय/आदेश का शेष भाग यथावत कायम रहेगा।
अपीलार्थी को आदेशित किया जाता है कि वह उपरोक्त आदेश का अनुपालन 45 दिन की अवधि में किया जाना सुनिश्चित करें। अंतरिम आदेश यदि कोई पारित हो, तो उसे समाप्त किया जाता है।
प्रस्तुत अपील को योजित करते समय यदि कोई धनराशि अपीलार्थी द्वारा जमा की गयी हो, तो उक्त जमा धनराशि मय अर्जित ब्याज सहित सम्बन्धित जिला उपभोक्ता आयोग को यथाशीघ्र विधि के अनुसार निस्तारण हेतु प्रेषित की जाए।
आशुलिपिक/वैयक्तिक सहायक से अपेक्षा की जाती है कि वह इस निर्णय/आदेश को आयोग की वेबसाइट पर नियमानुसार यथाशीघ्र अपलोड कर दें।
(न्यायमूर्ति अशोक कुमार)
अध्यक्ष
हरीश सिंह
वैयक्तिक सहायक ग्रेड-2.,
कोर्ट नं0-1