Uttar Pradesh

StateCommission

A/246/2016

N.I.CO. - Complainant(s)

Versus

M/S Adarsh Hardware & Plywppd Furniture House Smt. Kanchan Lata Singh - Opp.Party(s)

Ashish Kumar srivastva

05 Feb 2021

ORDER

STATE CONSUMER DISPUTES REDRESSAL COMMISSION, UP
C-1 Vikrant Khand 1 (Near Shaheed Path), Gomti Nagar Lucknow-226010
 
First Appeal No. A/246/2016
( Date of Filing : 09 Feb 2016 )
(Arisen out of Order Dated 21/11/2016 in Case No. C/103/2012 of District Sultanpur)
 
1. N.I.CO.
Lucknow
...........Appellant(s)
Versus
1. M/S Adarsh Hardware & Plywppd Furniture House Smt. Kanchan Lata Singh
C.M.M. Nagar
...........Respondent(s)
 
BEFORE: 
 HON'BLE MR. Gobardhan Yadav PRESIDING MEMBER
 HON'BLE MR. Rajendra Singh JUDICIAL MEMBER
 
PRESENT:
 
Dated : 05 Feb 2021
Final Order / Judgement

राज्‍य उपभोक्‍ता विवाद प्रतितोष आयोग, उ0प्र0, लखनऊ।

(सुरक्षित)                                                                                  

अपील संख्‍या:-246/2016

(जिला उपभोक्‍ता आयोग, अमेठी द्धारा परिवाद सं0-82/2014 में पारित निर्णय/आदेश दिनांक 21.11.2015 के विरूद्ध)

नेशनल इंश्‍योरेंस कम्‍पनी लिमिटेड, ब्रांच आफिस, अमेठी द्वारा रीजनल आफिस, 43 जीवन भवन, हजरतगंज, लखनऊ द्वारा रीजनल मैनेजर।

                                              ........... अपीलार्थी/विपक्षी

बनाम         

1- मेसर्स आदर्श हार्डवेयर एण्‍ड प्‍लाईवुड फर्नीचर हाऊस, ब्‍लाक रोड बाजार, मुसाफिरखाना, सिटी व जिला सी.एस.एम. नगर द्वारा प्रोपराइटर श्रीमती कंचनलता सिंह पत्‍नी श्री संजय सिंह

       …….. प्रत्‍यर्थी/परिवादी

2- बैंक ऑफ इण्डिया ब्रांच आफिस मुसाफिरखाना, जिला छत्रपति साहू जी महाराज नगर, द्वारा ब्रांच मैनेजर।

3- अशोक कुमार अग्रवाल, चार्टर्ड एकाउण्‍टेंट (सर्वेयर एण्‍ड लॉस असेसर) बाल आर्शीवाद, निकट लायंस राजधानी विद्यालय, त्रिवेणी नगर, तृतीय सीतापुर रोड़, लखनऊ।

       …….. प्रत्‍यर्थीगण/विपक्षीगण

समक्ष :-

मा0 न्‍यायमूर्ति श्री अशोक कुमार, अध्‍यक्ष

मा0 श्री गोवर्धन यादव, सदस्‍य

मा0 श्री राजेन्‍द्र सिंह, सदस्‍य                   

अपीलार्थी के अधिवक्‍ता             :- श्री आशीष कुमार श्रीवास्‍तव

प्रत्‍यर्थी/परिवादी के अधिवक्‍ता  :- श्री टी0एच0 नकवी

दिनांक :-12-02-2021

मा0 न्‍यायमूर्ति श्री अशोक कुमार, अध्‍यक्ष द्वारा उदघोषित

निर्णय    

प्रस्‍तुत अपील, अपीलार्थी नेशनल इंश्‍योरेंस कम्‍पनी लिमिटेड, ब्रांच आफिस अमेठी, रीजनल ऑफिस, 43 जीवन भवन हजरतगंज, लखनऊ के रीजनल

-2-

मैनेजर द्वारा परिवाद सं0-103/2012 सुल्‍तानपुर, 82/14 अमेठी, श्रीमती कंचनलता सिंह बनाम शाखा प्रबन्‍धक नेशनल इंश्‍योरेस कम्‍पनी लिमिटेड व दो अन्‍य में जिला उपभोक्‍ता विवाद प्रतितोष आयोग, अमेठी द्वारा पारित निर्णय/आदेश दिनांक 21.11.2015 के विरूद्ध प्रस्‍तुत की गई ।

जिला उपभोक्‍ता आयोग, अमेठी द्वारा पारित निर्णय दिनांक 21.11.2015 द्वारा परिवादिनी श्रीमती कंचनलता सिंह पत्‍नी संजय सिंह प्रो0 आर्दश हार्डवेयर एण्‍ड प्‍लाईवुड फर्नीचर हाऊस, ब्‍लाक रोड बाजार, मुसाफिरखाना, तहसील मुसाफिर खाना जनपद सी.एस.एम. नगर का परिवाद आंशिक रूप से स्‍वीकार किया गया एवं विपक्षी सं0-1 शाखा प्रबन्‍धक, नेशनल इंश्‍योरेंस कम्‍पनी लिमिटेड, गीता भवन, गोलाघाट सुल्‍तानपुर को निर्देशित किया गया कि वे एक माह में परिवादिनी की बीमित फर्नीचर व हार्डवेयर की दुकान, जिसमें सार्ट सर्किट की वजह से क्षति हुई को 4,00,000.00 रू0 एवं उस धनराशि पर वाद दायर करने की तिथि से 06 प्रतिशत वार्षिक ब्‍याज सहित व शारीरिक/मानसिक क्षति के लिए 5,000.00 रू0 वाद व्‍यय 2,000.00 रू0 परिवादिनी को अदा करे।

उपरोक्‍त निर्णय/आदेश दिनांकित 21.11.2015 को इस आयोग द्वारा आदेश दिनांक 25.02.2016 के निम्‍न स्‍थगन आदेश द्वारा अंतिम निर्णय तक स्‍थगित किया गया:-

"After hearing of learned Counsel for the appellant, we are of this view that the impugned order shall be kept in abeyance till further orders subject to deposit of entire decretal amount minus Rs. 25,000/- (which has been deposited with this Commission as

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statutory deposit) by the appellant before the District Consumer Forum which shall be kept in F.D.R. by the District Consumer Forum to be renewed as and when required by the District Consumer Forum."

अपीलार्थी एंव प्रत्‍यर्थी के विद्वान अधिवक्‍तागण को सुनने के पश्‍चात एवं प्रपत्रों के सम्‍यक परि‍शीलनोंपरांत तथा तथ्‍यों का सम्‍यक परीक्षण करने पर यह दृष्‍टगत हुआ कि प्रत्‍यर्थी द्वारा वर्ष-2010 में फर्नीचर एवं हार्डवेयर व्‍यवसाय का चयन किया और अपने घर की कार्यशील पूंजी लगभग रू0 5,00,000.00 (पॉच लाख) लगाकर सुल्‍तानपुर लखनऊ राजमार्ग पर स्थित बाजार ब्‍लाक रोड मुसाफिरखाना में अपना शोरूम मेसर्स आदर्श हार्डवेयर एण्‍ड प्‍लाईवुड फर्नीचर हाउस के नाम से स्‍थापित किया और फर्नीचर निर्माण हेतु कारखाना अलग-अलग स्‍थानो पर स्‍थापित किया, फर्नीचर कारखानो पर तैयार होकर विक्रय हेतु शोरूम में रखा जाने लगा और व्‍यवसाय प्रारम्‍भ हो गया। परिवादिनी ने उक्‍त व्‍यवसाय के विस्‍तार हेतु वित्‍तीय सहायता के लिये मुसाफिरखाना स्थित बैंक ऑफ इण्डिया से सर्म्‍पक किया। बैंक जो विपक्षी सं0-3 है, के फील्‍ड आफिसर ने प्रार्थिनी के कारखाना में वित्‍तीय स्थिति देखते हुए मु0 5,00,000.00 रू0 कैश क्रेडिट लिमिट देना मंजूर किया। उक्‍त 5,00,000.00 रू0 की वित्‍तीय सहायता से प्रार्थिनी का रोजगार अच्‍छी तरह से चल रहा था और प्रार्थिनी का रोजगार दिन प्रतिदिन उन्‍नति करता रहा, लेन देन की स्थिति कैश क्रेडिट एकाउट सं0-783230110000029 मेसर्स आदर्श हाडवेयर एण्‍ड प्‍लाईवुड फनीचर हाऊस के बैंक स्‍टेटमेंट दिनांकित 10.5.2012 जो 04.11.2010 से 10.5.2012 तक जारी किया गया है। प्रार्थिनी ने अपने शोरूम का बीमा विपक्षी सं0-1 से पूर्वकी भॉति

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14.10.2011 को करवाया जो दिनांक 14.10.2011 से 13.10.2012 तक प्रभावी था। विदित रहे कि उक्‍त बीमा पालिसी में विपक्षी द्वारा 8,00,000.00 रू0 की क्षतिपूर्ति हेतु 3463.00 रू0 का प्रीमियम लिया गया, जिसमें आग लगनेका जोखिम शामिल रहा। दिनांक 14.10.2011 को कम्‍पनी के अधिकारी द्वारा विधिवत शोरूम का स्‍टाक एवं कारखाने का कच्‍चा माल लकड़ी इत्‍यादि एवं प्रार्थिनी का बैंक एकाउंट की स्थिति देखकर ही 8,00,000.00 रू0 की क्षतिपूर्ति हेतु पालिसी जारी किया। दुर्भाग्‍यवश वादिनी के फर्नीचर के शोरूम में दिनांक 29.11.2011/30.11.2011 की रात्रि में लगभग 1.00बजे बिजली की शार्ट सर्किट के वजह से आग लग गयी और शोरूम में रखा समस्‍त फर्नीचर व हार्डवेयर जल कर राख हो गये। अगल बगल के लोगों ने आग को किसी तरह फायर बिग्रेड की मदद से शोरूम का ताला तोडकर बुझायी और प्रार्थिनी के घर आग लगने की सूचना दी, तब प्रार्थिनी ने अपने पति के साथ शोरूम पर आकर घटना को देखा तब तक आग बुझ चुकी थी और शोरूम में रखा समस्‍त फर्नीचर व अन्‍य सामान जलकर राख हो गया था। तब प्रार्थिनी ने घटना की सूचना थाना प्रभारी निरीक्षक कोतवाली मुसाफिरखाना जनपद सी.एस.एम. नगर को दी। तत्‍पश्‍चात फायर बिग्रेड के अधिकारी ने पुन: घटना का निरीक्षण किया सुबह 30.11.2011 को बैंक खुलने पर घटना की सूचना वित्‍तपोषक बैंक को दी गयी, बैंक ने अपने माध्‍यम से दिनांक 30.11.2011 को ही जरिए पत्रांक सूचना आवश्‍यक कार्यवाही हेतु विपक्षी सं0-1 बीमा कम्‍पनी को दी, पत्रांक द्वारा बैंक आफ इण्डिया शाखा मुसाफिरखाना इसके अतिरिक्‍त बैंक अधिकारियों ने स्‍वयं घटना स्‍थल का मुआयना किया एवं बाद में विपक्षी सं0-1 द्वारा नियुक्‍त सर्वेयर जो उक्‍त वाद में विपक्षी सं0-2 है के साथ भी बैंक अधिकारियों ने दिनांक

 

-5-

01.12.2011 व 03.12.2011 को घटना स्‍थल का मुआयना किया और नुकसान की जानकारी विधिवत बीमा कम्‍पनी के सर्वेयर को दी, बाद में सर्वेयर जॉच करने के उपरांत पत्रांक जरिये दिनांक 08.12.2011 कुछ अन्‍य तथ्‍यों की जानकारी बैंक से मॉगी गयी, जिसका जबाब बैंक विपक्षी सं0-3 बैंक के माध्‍यम से पंजीकृत पत्रांक 12.12.2011 द्वारा दिया गया। पत्रांक द्वारा सर्वेयर दिनांक 8.12.2011 व 12.12.2011 द्वारा बैंक आफ इण्डिया एवं प्रार्थिनी द्वारा प्रेषित जबाब, विपक्षी सं0-2 जो पेशे से सर्वेयर है निहायत चालाक व भ्रष्‍ट व्‍यक्ति है उसने वादिनी के पति को धोखा देते हुए विधि विरूद्ध तरीके से वास्‍तविक क्षतिपूर्ति दिलाने का झॉसा देकर अपने पक्ष में स्‍टेटमेंट लिखवा लिया और अधिक क्‍लेम दिलाने के नाम पर उसने प्रार्थिनी व उसके पति से कुछ सादे कागज व छपे फार्म पर भी हस्‍ताक्षर करा लिये और बाद में उसने प्रार्थिनी के पति से उक्‍त प्रकरण में वास्‍तविक क्षतिपूर्ति दिलाने हेतु मु0 25,000.00 रू0 घूस की मॉग की और न दिये जाने पर परिणाम भुगतने की धमकी दी और कहा कि पैसा न देने पर तुम्‍हे एक पैसा भी क्‍लेम नहीं मिलेगा, जिसके सम्‍बन्‍ध में प्रार्थिनी द्वारा उक्‍त सर्वेयर के आचरण एवं व्‍यवहार के सम्‍बन्‍ध में एवं प्रार्थिनी के पति द्वारा बीमा कम्‍पनी और विपक्षी बैंक को व्‍यक्तिगत रूप से अवगत कराया गया। वादिनी ने घूस 25,000.00 रू0 देने में असमर्थता जतायी और सर्वेयर द्वारा धोखे से लिये गये स्‍टेटमेंट एवं सादे कागज पर लिये गये हस्‍ताक्षर के विषय में भी अवगत कराया गया जिसको आधार बनाकर सर्वेयर द्वारा 25,000.00 रू0 घूस लेने की मॉग कर रहा था। परिवादिनी के शिकायत पर विपक्षी सं0-1 ने सर्वेयर से बात करने की बात कह कर चल दिया और न सर्वेयर के विरूद्ध कार्यवाही की और न ही कोई दूसरा

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सर्वेयर नियुक्‍त किया। सर्वेयर ने पुन: अनावश्‍यक रूप से वदनियती से केवल हैरान व परेशान करने के लिये पत्रांक दिनांक 22.12.2011 प्रेषित किया, जिसका जबाब उसे वादिनी के पति पत्रांक 30.12.2011 द्वारा दिया गया, विपक्षी सं0-2 ने दिनांक 30.12.2011 के वादिनी के पत्रांक से असंतुष्‍ट होकर गलत व फर्जी आधार पर केवल वादिनी की क्षतिपूर्ति धनराशि हड़पकरने की नियत से विपक्षी संख्‍या-1 को फायदा पहुचाने के ‍लिए जरिए पत्रांक 03.01.2012 जारी किया और उसने अनावश्‍यक आरोप विपक्षी सं0-3 पर लगाये और अपने दिनांक 03.01.2012 के पत्रांक जवाब का वगैर इंतजार किये दुर्भावना पूर्ण तरीके से दूसरे ही दिन दिनांक 04.01.2012 को गलत व फर्जी रूप से जॉच रिपोर्ट तैयार की गयी जो पक्षपात पूर्ण थी। विपक्षी संख्‍या-1 को सौंप दी। विपक्षी सं0-1 दिनांक 04.01.2012 से दिनांक 03.02.2012 तक लगभग 30 दिन वह रिपोर्ट दबाये रखा और क्षतिपूर्ति के सम्‍बन्‍ध में इधर उधर की बाते करता रहा और बाद में दिनांक 03.02.2012 के पत्रांक से उसने उक्‍त सर्वेयर की रिपोर्ट पर आपत्ति हेतु बैंक के माध्‍यम से उक्‍त स्‍टेटमेंट रिपोर्ट की जानकारी हुई, जिसमें सर्वेयर द्वारा केवल 47,160.00 रू0 आंकलित है, जिसके सम्‍बन्‍ध में स्‍टेटमेंट रिपोर्ट देखकर ही उसकी सत्‍यता जॉची जा सकती है, सर्वेयर ने बैंक में वादिनी द्वारा प्रस्‍तुत माह सितम्‍बर अक्‍टूबर व नवम्‍बर अथवा पूर्व में प्रेषित मासिक स्‍टाक रिपोर्ट को बैंक अधिकारियों द्वारा मासिक स्‍टाक रिपोर्ट के किये गये सत्‍यापन, आख्‍या एवं क्षतिपूर्ति के सम्‍बन्‍ध में बैंक की आख्‍या व बैंक का लेन देने जो पूर्व के वर्षो से 5,00,000.00 रू0 के आस पास रहा है एवं पॉच लाख की पूंजी बाजार में चलित है, का आंकलन नहीं किया और समस्‍त व्‍यवसायिक तथ्‍यो को नजर अंदाज किया और केवल अपनी

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घूस की रकम न पाने के कारण परिवादिनी को सबक सिखाने के लिये 47,160.00 रू0 की क्षतिपूर्ति रिपोर्ट प्रस्‍तुत की। परिवादिनी द्वारा पत्रांक दिनांक 05.02.2012 उक्‍त रिपोर्ट खारिज करके बीमा कम्‍पनी से दूसरे सर्वेयर नियुक्‍त करके वास्‍तविक क्षतिपूर्ति दिलाये जाने की मॉग की, लेकिन विपक्षी सं0-1 जो एक सरकारी बीमा कम्‍पनी का जिम्‍मेदार अधिकारी है, निहायत ही पक्षपात रूप से अपने भ्रष्‍ट सर्वेयर का संरक्षण किया और उक्‍त सर्वेयर के रिपोर्ट को आधार बनाकर 47,160.00 रू0 भुगतान करने पर ही कायम रहा है। परिवादिनी के पत्रांक दिनांक 05.02.2012 एवं बैंक पत्रांक दिनांक 07.02.2012 एवं सर्वेयर रिपोर्ट के असेसमेंट रिपोर्ट प्रस्‍तुत करने एवं पूर्व में सर्वेयर के विषय में दी गयी शिकायत को नजर अंदाज करते हुए दूसरे निष्‍पक्ष सर्वेयर की नियुक्ति की मॉग को ठुकरा दिया और पुन: अनावश्‍यक रूप से जरिये पत्रांक दिनांक 22.02.2012 प्रार्थिनी वबैंक से रिपोर्ट पर बिन्‍दुवार आपत्ति प्रस्‍तुत करने को कहा। कानूनन सर्वेयर की पूर्व शिकायत व पत्रांक दिनांक 05.02.2012 एवं 07.12.2012 उसे दूसरा निष्‍पक्ष सर्वेयर नियुक्ति करना चाहिए था ऐसा न करके विपक्षी सं0-1 ने अपने उक्‍त भ्रष्‍ट सर्वेयर का बचाव किया और क्षतिपूर्ति धनराशि हड़प करने की नियत से पत्रांक दिनांक 22.02.2012 जारी किया।

बीमा कम्‍पनी के पत्रांक 22.02.2012 के अनुक्रम में बैंक द्वारा जरिए पत्रांक दिनांक 27.02.2012 स्‍पष्‍टीकरण दिया गया और वादिनी द्वारा भी जरिये पत्रांक दिनांक 10.3.2012 बिन्‍दुवार आपत्ति प्रस्‍तुत करते हुए क्षतिपूर्ति के सम्‍बन्‍ध में पुन: सर्वेयर से सर्वे कराने की मॉग की गई है। विपक्षी सं0-1 ने बैंक के पत्रांक दिनांक 27.02.2012 एवं वादिनी के पत्रांक दिनांक 10.3.2012

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एवं पूर्व के पत्रांक दिनांक 05.02.2012/07.02.2012 एवं व्‍यक्तिगत शिकायत के बावजूद दूसरे सर्वेयर की नियुक्ति नहीं की और प्रार्थिनी की क्षति जो लगभग 5,00,000.00 रू0 की है, जो कि पूर्व माह के बैंक स्‍टेटमेंट से साबित है, किन्‍तु विपक्षी सं0-1 किसी भी सूरत में निष्‍पक्ष जॉच कराकर वास्‍तविक क्षतिपूर्ति का भुगतान करने को तैयार नहीं है, जिसके लिये वादिनी ने प्रथम सप्‍ताह मई 2012 में विपक्षी सं0-1 से मिलकर वास्‍तविक क्षतिपूर्ति भुगतान का अनुरोध किया, जिसे उन्‍होंने अंतिम रूप से अस्‍वीकार कर दिया जो  स्‍पष्‍ट रूप से विपक्षी सं0-1 व 2 के पार्टपर भयंकर रूप से लापरवाही व सेवा में कमी है, उक्‍त प्रकरण पर unfair trade practice adopt कर रहा है, परिवादिनी एक सफल व्‍यवसायी है उसकी लगभग 10,00000.00 रू0 की पूंजी व्‍यवसाय में लगी है, विपक्षी सं0-3 से कोई परेशानी नहीं है, बैंक स्‍टेटमेंट दिनांक 10.5.2012 के अनुसार उसके ऋण खाते में 5,37,267.00 रू0 का ऋण बकाया है और उक्‍त वित्‍तीय वर्ष में एकाउन्‍ट का बैंलेस 5,00,000.00 रू0 के आस पास रहा। परिवादिनी ने विपक्षी सं0-1 से मु0 4,97,000.00 रू0 क्षतिपूर्ति की मॉग की, इसके अतिरिक्‍त विपक्षी सं0-1 व 2 शारीरिक मा‍नसिक क्षति के लिए 1,00,000.00 रू0 दिलाये जाना आवश्‍यक है। 

विद्धान जिला उपभोक्‍ता विवाद प्रतितोष आयोग, अमेठी द्वारा अपीलार्थी नेशनल इंश्‍योरेंस कम्‍पनी लिमिटेड, जो कि जिला उपभोक्‍ता विवाद प्रतितोष आयोग, अमेठी के सम्‍मुख विपक्षी सं0-1 था, के द्वारा कथन किया गया है जो निम्‍नवत है:- "सम्‍पूर्ण अभिकथन परिवादिनी के साक्ष्‍य पर अधारित है, विपक्षी सं0-1 को व्‍यक्तिगत जानकारी न होने के कारण इंकार हैं। बीमा कम्‍पनी द्वारा बीमा दिया गया है, अन्‍य कथन परिवादिनी के साक्ष्‍य पर अधारित है।

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परिवादिनी के मूल दस्‍तावेजीय साक्ष्‍य पर अधारित है, फोटो कापी दस्‍तावेज साक्ष्‍य में ग्राह्य नहीं है। परिवादिनी के क्‍लेम की सूचना के बाद अविलम्‍ब ग्राहक सेवा में बिना किसी कमी के घटना में हुई हानि का निर्धारण करने के लिए श्री अशोक कुमार अग्रवाल चार्टर्ड एकाउन्‍टेंट की बीमा कम्‍पनी जॉच का कार्य सौपा। श्री अशोक कुमार अग्रवाल ने परिवादिनी के दुकान की गहन जॉच किया मौके पर गये और लिखित बयान लिया जो संलग्‍न किये गये, और सर्वेयर ने परिवादिनी के क्षतिपूर्ति का जो निर्धारण किया उसका तार्किक विश्‍लेषण अपनी रिपोर्ट में किया है, सर्वेयर रिपोर्ट की छायाप्रति अवलोकनार्थ जवाब दावा के साथ प्रस्‍तुत की जा रही है। घटना की पूरी जॉच करके प्रत्‍येक बिन्‍दु की गहन जॉच करके सर्वेयर आख्‍या जो प्रस्‍तुत है, के आधार पर परिवादिनी को कुल 47,160.00 रू0 की ही क्षतिपूर्ति होती है। हानि का निर्धारण वैधानिक तरीके से करने पर बिना किसी भेदभाव के मु0 47,160.00 रू0 फार्म बी-17 शाखा प्रबन्‍धक बैंक आफ इण्डिया मुसाफिरखाना जिला सुल्‍तानपुर को दिनांक 02.5.2012 के पत्र के साथ क्षतिपूर्ति को निर्धारित करने के संक्षिप्‍त विवरण प्रेषित किया गया। इस प्रकार विपक्षी बीमा कम्‍पनी द्वारा अपने स्‍तर से ग्राहक सेवा में कमी नहीं की गयी है, परिवादिनी के अनुसार मुहमांगी धनराशि न देना ग्राहक सेवा में कमी नहीं ओर न ही इस आधार पर परिवादिनी का वाद अन्‍तर्गत धारा-12 उपभोक्‍ता संरक्षण अधिनियम संधारणीय है। जहॉ तक क्षतिपूर्ति के निर्धारण की बात है वह यहकि दिनांक 21.12.2011 के अपने ही प्रेषित पत्र स्‍वयं बीमाधारक ने यह अभिकथन किया है कि वह कोई भी कैश बुक, रोकड़ आदि का रख रखाव नहीं करता है, इसलिए वह उपलब्‍ध नहीं करा सकता है और इसके पूर्व प्रेषित पत्र दिनांक 03.12.2011 में स्‍पष्‍ट

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रूप से यह लिखा गया है कि वह स्‍टाक रजिस्‍टर नहीं बनाते हैं, किन्‍तु बैंक आवश्‍यकतानुसार प्रत्‍येक माह के प्रथम सप्‍ताह में विवरण बनाकर दे देते है यह स्‍टाक स्‍टेटमेंट फैक्‍ट्री व शोरूम दोनों जगह के स्‍टाक को मिलाकर दिया जाता है जिसमें करीब आधा-आधा माल रखता है, इसलिए बैंक स्‍टेटमेंट के आधार पर क्षतिपूर्ति का निर्धारण सम्‍भव नहीं था यह तो केवल फाइनेंस को जस्‍टीफाई करने के लिए फाइनेंस से ज्‍यादा कीमत को हर माह दाखिल कर दी जाती थी। बीमाधारक ने अपने पत्र में उल्लिखित किया कि माल कच्‍चे पर्चे पर खरीदा व बेचा जाता है जिससे वास्‍तविक स्‍टाक का कोई सही विवरण उपलब्‍ध हो पाना सम्‍भव नहीं है, इसलिए सर्वेयर द्वारा मौके पर उपलब्‍ध समान की हुई पूर्ण व आंशिक क्षति की कीमत का अवलोकन के बाद क्षति का निर्धारण किया गया है, जो कि एकदम उचित एवं सही है। इन्‍ही तथ्‍यों को पत्रावली में परिवादिनी द्वारा उपलब्‍ध कराये गये एवं सर्वेयर की आख्‍या के आधार पर मु0 47,160.00 रू0 क्षतिपूर्ति निर्धारित करके शाखा प्रबन्‍धक बैंक आफ इण्डिया मुसाफिरखाना को बी-17 भरकर प्रेषित की गयी इसके बावजूद भी परिवादिनी ने अधिक क्षतिपूर्ति पाने की लालच में तरह तरह के आरोप लगाते हुए झूठा परिवाद दायर किया जो संधारणीय नहीं है। परिवादिनी का परिवाद अन्‍तर्गत धारा-12 उपभोक्‍ता संरक्षण अधिनियम बीमा कम्‍पनी की ओर से कोई डिफेन्‍स सर्विस न होने के कारण खारिज होने योग्‍य है। 

जिला उपभोक्‍ता विवाद प्रतितोष आयोग, अमेठी द्वारा विपक्षी सं0-1, 2 व 3 को नोटिस जारी किया गया, जिसके परिपेक्ष्‍य में विपक्षी सं0-1 द्वारा अपना जवाब दाखिल किया गया, परन्‍तु विपक्षी सं0-2 व 3 को अनेक अवसर प्रदान करने के उपरांत भी न तो उनके द्वारा कोई जवाब दाखिल किया गया

-11-

और न ही लिखित कथन ही प्रस्‍तुत किया गया। जिला उपभोक्‍ता विवाद प्रतितोष आयोग, अमेठी द्वारा पत्रावली का सम्‍यक अवलोकन किया गया एवं विपक्षी/प्रत्‍यर्थी द्वारा प्रस्‍तुत समस्‍त साक्ष्‍यों एवं शपथपत्र व मूल कागजात अर्थात बैलेंस शीट, स्‍टाक स्‍टेटमेंट, एकाउण्‍ट बैलेंस, बिल हार्डवेयर एवं प्‍लाईवुड की मूल कापी एवं थाना प्रभारी मुसाफिरखाना को दिये गये प्रार्थना पत्र की फोटोकापी के साथ-साथ सर्वेयर के सम्‍मुख प्रत्‍यर्थी द्वारा प्रस्‍तुत शपथपत्र व सर्वे रिपोर्ट इत्‍यादि का परीक्षण किया गया तथा कागजातों, साक्ष्‍यों गवाहों एवं सम्‍पूर्ण पत्रावली को परीक्षित कर यह निष्‍कर्ष लिया गया कि अपीलार्थी बीमा कम्‍पनी द्वारा प्रत्‍यर्थी द्वारा प्रार्थित प्रार्थना कि अपीलार्थी बीमा कम्‍पनी द्वारा दूसरा सर्वेयर नियुक्‍त किया जावे की उपेक्षा कर न सिर्फ घोर लापरवाही व पक्षपात पूर्ण कृत्‍य किया गया वरन उपभोक्‍ता ग्राहक की सेवा में कमी की गई।

उपरोक्‍त समस्‍त तथ्‍यों को दृष्टिगत रखते हुए एवं जिला उपभोक्‍ता विवाद प्रतितोष आयोग, अमेठी द्वारा पारित निर्णय/आदेश के परिशीलनोंपरान्‍त हम यह पाते हैं कि जिला उपभोक्‍ता विवाद प्रतितोष आयोग, अमेठी द्वारा पारित निर्णय/आदेश पूर्णत: विधि अनुकूल है एवं उसमें हस्‍तक्षेप की कोई आवश्‍यकता नहीं है। अपील निरस्‍त किये जाने योग्‍य है।

आदेश

अपील निरस्‍त की जाती है।

अपील में उभय पक्ष अपना-अपना वाद व्‍यय स्‍वयं बहन करेंगे।

 

     (राजेन्‍द्र सिंह)    (गोवर्धन यादव)    (न्‍यायमूर्ति अशोक कुमार)             

        सदस्‍य          सदस्‍य                अध्‍यक्ष     

 

हरीश आशु.,

कोर्ट सं0-1

 
 
[HON'BLE MR. Gobardhan Yadav]
PRESIDING MEMBER
 
 
[HON'BLE MR. Rajendra Singh]
JUDICIAL MEMBER
 

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