Rajasthan

Kota

CC/190/2010

Ashok kumar mishra - Complainant(s)

Versus

M/S Abhishek Properties, Prop. - Opp.Party(s)

Anil Sharma

30 Jul 2015

ORDER

जिला उपभोक्ता विवाद प्रतितोष मंच, कोटा (राजस्थान)।
परिवाद संख्या:-190/2010
अशोक कुमार मिश्रा पुत्र स्वं. महावीर प्रसाद मिश्रा वर्ष जाति ब्राहमण निवासी 105/23-ए, जयहिन्द नगर, बारां रोड, कोटा।    -परिवादी

                    बनाम
मै0 अभिषेक प्रोपर्टीज, जरिये प्रोपराइटर/ स्वामी आकाश नगर स्पेशल, देवली अरब रोड, कोटा (राज.)                               -विपक्षी
समक्ष:-
भगवान दास     ः    अध्यक्ष    
महावीर तंवर     ः    सदस्य
हेमलता भार्गव    ः    सदस्य
    परिवाद अन्तर्गत धारा 12 उपभोक्ता संरक्षण अधिनियम 1986
उपस्थित:-

01.    श्री एस0पी0मिश्रा, अधिवक्ता, परिवादी की ओर से। 
02.    श्री दीपक मितल,  अधिवक्ता,  विपक्षी की ओर से। 

            निर्णय             दिनांक 30.07.2015
         

    परिवादी ने विपक्षी के विरूद्ध उपभोक्ता संरक्षण अधिनियम की धारा 12 के अन्तर्गत लिखित परिवाद प्रस्तुत कर संक्षेप में यह सेवा दोष बताया है कि परिवादी की माता श्रीमति प्रमीला मिश्रा ने विपक्षी फर्म की देवली अरब रोड कोटा में प्रस्तावित प्रीत विहार आवासीय कालोनी में भू खंड सं. 178 जिसे बाद में  भू खंड 139 में बदला गया पैमाईश 30ग50 त्र 1500 वर्गफुट खरीदने का करार किया, जिसके पेटे 31.06.06 को एक लाख रूपये, दिनांक 24.06.06 को पचास हजार रूपये, दिनांक 29.10.06 को पचास हजार रूपये जरिये रसीद अदा किये गये तथा भू खंड के स्वामित्व संबंधी दस्तावेज  निष्पादित करवाकर कब्जा देने का आश्वासन दिया। लेकिन परिवादी की माता के द्वारा बार-बार तकाजा करने पर भी भू खंड का कब्जा उनको नहीं दिया गया और दिनांक 29.09.08 को उनका निधन हो गया। परिवादी ने उक्त भू खंड के संबंध में विपक्षी से तकजा किया तब भी उसने भू खंड के दस्तावेज निष्पादित करके कब्जा नहीं दिया, जिससे उसे आर्थिक नुकसान के साथ-साथ मानसिक पीडा हुई है। 

    विपक्षी के जवाब का सार है कि उसका अभिषेक प्रोपर्टीज से कोई लेना-देना नहीं है। वह कमीशन एजेन्ट का कार्य करता है। प्रोपर्टी लेन-देन का काम नहीं करता है। उसने परिवादी की माॅ से न तो राशि ली और ना ही कोई रसीद दी। विपक्षी ने परिवादी की माॅ को कोई प्लाट नही दिया। उसका परिवादी या उसकी माॅ से कोई संव्यवहार भी नहीं हुआ। परिवाद अवधि-बाधित भी है। इस प्रकार परिवाद को खारिज करने का निवेदन किया है। 

    परिवादी ने साक्ष्य में अपने शपथ-पत्र के अलावा प्रीत बिहार- अभिषेक प्रोपर्टीज के कूपन नं. 139, रसीद दिनांक 31.06.06,24.07.06 एवं 29.10.06, मृतक प्रमाण-पत्र श्रीमति प्रमीला मिश्रा, परिवादी का निर्वाचन  परिचय पत्र, राशन कार्ड आदि दस्तावेज की प्रति प्रस्तुत की गई।

    विपक्षी ने साक्ष्य में अपना शपथ-पत्र पेश किया। अन्य कोई दस्तावेज प्रस्तुत नहीं किये।
     हमने दोनो पक्षों की बहस सुनी। पत्रावली का अवलोकन किया गया ।

     विपक्षी की यह आपत्ति है कि अभिषेक प्रोपर्टीज से उसका कोई लेना देना नहीं है। वह अभिषेक प्रोपर्टीज का प्रोपराईटर  भी नहीं है। केवल कमीशन एजेन्ट है। उसका यह केस नहीं है कि वह अभिषेक प्रोपर्टीज के लिये काम नहीं करता है। विपक्षीने मंच के जरिये नोटिस भेजने पर उसको प्राप्त किया है तथा उपस्थित होकर पैरवी हेतु श्री दीपक मितल अधिवक्ता को अधिकृत करते हुये उनसे वकालतनामा प्रस्तुत करवाया है, जिसमें अभिषेक प्रोपर्टीज जरिये प्रोपराईटर जगदीश अग्रवाल स्वयं को संबोधित किया है अर्थात् स्पष्ट स्वीकार करता है कि  अभिषेक प्रोपर्टीज का प्रोपराइटर वह स्वयं ही है। उसने मंच में परिवाद का जवाब भी प्रस्तुत किया है। परिवादी ने अभिषेक प्रोपर्टीज की ओर से प्रीत विहार देवली अरब रोड कोटा कूपन नं. 139 प्रस्तुत किया है जिस पर भी विपक्षी (जगदीश अग्रवाल) का नाम व हस्ताक्षर है। रकम अदायगी अभिषेक प्रोपर्टीज को रकम अदायगी की रसीद 31.10.07,24.07.06 व 29.10.06 प्रस्तुत की गई है। इसलिये हम पाते है कि विपक्षी जगदीश अग्रवाल का अभिषेक प्रोपर्टीज से संबंध है। उसका प्रोपराइटर है और वह उसके लिये काम करता है। 

    परिवाद के अनुसार अभिषेक प्रोपर्टीज की आवासीय योजना प्रीत विहार के भू खंड सं. 178 (परिवर्तित 139) परिवादी की माॅ श्रीमति प्रमीला मिश्रा ने विपक्षी से खरीदने का करार किया, जिसकी राशि किस्तों में अदा करनी थी तथा इस करार के पेटे तीन बार क्रमशः 31.06.06 को एक लाख रूपये, 24.07.06 को पचास हजार रूपये, 29.10.06 को पचास हजार रूपये कुल दो लाख रूपये साई पेटे एडवान्स जरिये रसीद अदा की गई। जिसकी पुष्टि हेतु रसीदे पेश की गई है। श्रीमति प्रमीला मिश्रा के भू खंड संख्या 139 साइज 30ग50 त्र 1500 वर्ग फुट की खरीद की दर 260/- रूपये प्रति वर्ग फुट है जिसके एडवांस राशि करार के पेटे तीन बार 31.06.06 को एक लाख रूपये, 24.07.06 को पचास हजार रूपये, 29.10.06 को पचास हजार रूपये कुल दो लाख रूपये अभिषेक प्रोपर्टीज की ओर से प्राप्त किये गये। उक्तानुसार भू खंड की कुल राशि 3,90,000/- रूपये होती है, सारी राशि की अदायगी  के बाबत् परिवादी की ओर से कोई प्रमाण पेश नहीं किया गया है। परिवाद में यह अंकित किया गया है कि भू खंड की राशि किस्तों में अदा करनी थी। लेकिन यह स्पष्ट नहीं किया है कि कुल कितनी किस्तो में, किस हिसाब से देनी थी? परिवादी के परिवाद व साक्ष्य  से यहीं स्पष्ट होता है कि उक्त भू खंड की 3 किस्ते विपक्षी को दी, पूरी राशि नहीं दी गई, इस पर विवाद की स्थिति नहीं है कि श्रीमति प्रमीला मिश्रा की मृत्यु हो चुकी है तथा परिवादी उसका पुत्र होने के नाते विधिक उतराधिकारी है। 

    जहाॅ तक परिवाद अवधि-बाधित होने की आपत्ति है? हम पाते है कि इस आपत्ति में सार नहीं है। क्यांेकि भू खंड की किस्तों में राशि ली गई थी तथा जब तक उसका कब्जा नहीं दिया जाता वादकारण निरन्तर जारी है। 

    जैसा की उल्लेखित किया गया है कि परिवादी द्वारा उक्त भू खंड के पेटे विपक्षी फर्म को कुल 3,90,000/- रूपये के पेटे कुल दो लाख रूपये ही अदा किये गये है। उसने भू खंड के पेटे शेष राशि अदा नहीं की है अर्थात् बाकी राशि अदा नही करके परिवादी की ओर से भी करार की पालना के संबंध में चूक की गई है। ऐसी स्थिति में  विधि की दृष्टि से  वह भू खंड के पेटे पूरी राशि अदा नहीं करने के कारण विपक्षी से भू खंड का कब्जा पाने का अधिकारी नही है। लेकिन विपक्षी को अदा की गई राशि तथा उस पर विधि अनुसार ब्याज, विपक्षी से पाने का अधिकारी है। विपक्षी द्वारा राशि नही लौटा कर निश्चित रूप से सेवा दोष किया गया है। 

                     आदेश

    अतः विपक्षी को निर्देश दिये जाते है कि परिवादी की माॅ श्रीमति प्रमीला मिश्रा से भू खंड के पेटे प्राप्त की गई कुल राशि दो लाख रूपये उसके विधिक अधिकारी परिवादी को परिवाद प्रस्तुत करने की दिनांक 04.06.10 से अदायगी तक 9 प्रतिशत वार्षिक साधारण ब्याज सहित एवं मानसिक संताप की भरपाई की राशि 25,000/- रूपये अक्षरे पच्चीस हजार रूपये, परिवाद के व्यय की भरपाई की राशि 2,000/- रूपये अक्षरे दो हजार रूपये अधिकतम एक माह के अंदर अदा करे। 

 (महावीर तंवर)                 (हेमलता भार्गव)                (भगवान दास)  
  सदस्य                        सदस्य                       अध्यक्ष
 
     निर्णय आज दिनंाक 30.07.2015 को लिखाया जाकर खुले मंच में सुनाया गया। 
                                     
  सदस्य                     सदस्या                         अध्यक्ष
           

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