राज्य उपभोक्ता विवाद प्रतितोष आयोग, उ0प्र0, लखनऊ
अपील संख्या-87/2021
(मौखिक)
(जिला उपभोक्ता आयोग-प्रथम, लखनऊ द्वारा परिवाद संख्या 719/2020 में पारित आदेश दिनांक 22.12.2020 के विरूद्ध)
1. ब्रांच मैनेजर,
केनरा एच0एस0बी0सी0 ओरियन्टल बैंक ऑफ कामर्स लाइफ इंश्योरेंस कम्पनी लिमिटेड,
तृतीय तल, केनरा बैंक
रीजनल आफिस, अपोजिट फन पब्लिक
बिहाइन्ड आर0बी0आई0 एण्ड नाबार्ड, विपिन खण्ड
गोमती नगर, लखनऊ-226010
उत्तर प्रदेश
2. जनरल मैनेजर,
केनरा एच0एस0बी0सी0 ओरियन्टल बैंक ऑफ कामर्स लाइफ इंश्योरेंस कम्पनी लिमिटेड
द्वितीय तल, ऑरचिड बिजनेस पार्क, सेक्टर 48
सोहना रोड, गुरुग्राम-122018
हरियाणा
...................अपीलार्थीगण/विपक्षी सं01 व 2
बनाम
1. श्रीमती मनीषा सक्सेना
पत्नी स्व0 श्री अनुज सक्सेना
हाउस नं0 डी 506
सेक्टर डी, एल0डी0ए0 कालोनी
कानपुर रोड, लखनऊ
उत्तर प्रदेश-226012
2. ब्रांच मैनेजर, पंजाब नेशनल बैंक
अरलियर नोन एज ओरियन्टल बैंक ऑफ कामर्स
39, चन्द्रलोक कालोनी, अलीगंज
-2-
लखनऊ-226020, उत्तर प्रदेश
................प्रत्यर्थीगण/परिवादिनी एवं विपक्षी सं03
समक्ष:-
1. माननीय न्यायमूर्ति श्री अशोक कुमार, अध्यक्ष।
2. माननीय श्री गोवर्धन यादव, सदस्य।
3. माननीय श्री राजेन्द्र सिंह, सदस्य।
अपीलार्थीगण की ओर से उपस्थित : श्री अंग्रेज नाथ शुक्ला,
विद्वान अधिवक्ता।
प्रत्यर्थी सं01 की ओर से उपस्थित : श्री अनुराग हेनरी,
विद्वान अधिवक्ता।
प्रत्यर्थी सं02 की ओर से उपस्थित : कोई नहीं।
दिनांक: 10.02.2021
माननीय न्यायमूर्ति श्री अशोक कुमार, अध्यक्ष द्वारा उदघोषित
निर्णय
प्रस्तुत अपील जिला उपभोक्ता विवाद प्रतितोष आयोग-प्रथम, लखनऊ द्वारा परिवाद संख्या-719/2020 श्रीमती मनीषा सक्सेना बनाम ब्रांच मैनेजर केनरा एच0एस0बी0सी0 ओरियन्टल बैंक ऑफ कामर्स लाइफ इंश्योरेंस कम्पनी लिमिटेड व दो अन्य में पारित निर्णय/आदेश दिनांक 22.12.2020 के विरूद्ध अपीलार्थीगण/विपक्षी संख्या-01 व 02 बीमा कम्पनी द्वारा प्रस्तुत की गयी है।
विद्वान जिला उपभोक्ता आयोग द्वारा उपरोक्त आदेश दिनांक 22.12.2020 के द्वारा प्रत्यर्थी संख्या-1/परिवादिनी का परिवाद आंशिक रूप से स्वीकार किया गया तथा अपीलार्थीगण/विपक्षी संख्या-01 एवं 02 को यह निर्देश दिया गया कि वे सुरक्षित बीमा की शेष धनराशि को विपक्षी संख्या-3 को 45 दिनों के अन्दर भुगतान करें। साथ ही साथ प्रत्यर्थी संख्या-1/परिवादिनी को जो मानसिक, शारीरिक एवं आर्थिक कष्ट
-3-
हुआ उस हेतु उसे रू0 50,000/- (पचास हजार रूपया मात्र) तथा रू0 20,000/- (बीस हजार रूपया मात्र) वाद व्यय के रूप में भी 45 दिन के अन्दर अदा किया जावे।
वाद के तथ्य इस प्रकार हैं कि प्रत्यर्थी संख्या-1/परिवादिनी श्रीमती मनीषा सक्सेना द्वारा विपक्षीगण (वर्तमान अपील में अपीलार्थीगण) बीमा कम्पनी से सुरक्षित ऋण की धनराशि को विपक्षी संख्या-3 को भुगतान करने, रू0 5,00,000/- क्षतिपूर्ति देने एवं रू0 1,00,000/- वाद व्यय दिलाये जाने की प्रार्थना की गयी। परिवादिनी (प्रत्यर्थी संख्या-1) उपभोक्ता संरक्षण अधिनियम 2019 के अन्तर्गत एक उपभोक्ता है। परिवादिनी का कथन है कि विपक्षी संख्या-01 एवं 02 पंजीकृत बीमा कम्पनी है जो गुड़गॉंव में स्थापित है और लखनऊ में व्यक्तिगत कार्यालय है। परिवादिनी का कथन है कि उसके पति श्री अनुज सक्सेना ओरियन्टल बैंक ऑफ कामर्स के उपभोक्ता थे और वर्ष 2012 में जब ऋण के लिये आवेदन दिया तो बैंक ने रू0 20,00,000/- (बीस लाख रूपया मात्र) का होम लोन स्वीकृत किया जिसके सापेक्ष उनके पति के द्वारा नियमित रूप से ई0एम0आई0 का भुगतान किया गया। परिवादिनी का कथन है कि उनके पति की आर्थिक स्थिति एवं आई0टी0आर0 के दृष्टिगत उक्त लोन को आई0सी0आई0सी0आई0 बैंक ने वर्ष 2014 में अपने हाथ में लेकर रू0 61,00,000/- (इकसठ लाख रूपया मात्र) का लोन उनके पति के लिये स्वीकृत किया। उक्त लोन को पुन: ओरियन्टल बैंक ऑफ कामर्स ने हाथ में लेकर दिनांक 08.09.2017 को रू0 53,90,000/- (तिरपन लाख नब्बे हजार रूपया मात्र) का स्वीकृत किया जो केनरा एच0एस0बी0सी0
-4-
ओरियन्टल बैंक ऑफ कामर्स लाईफ इन्श्योरेंस से एकमुश्त किस्त रू0 73,431.97/- (तिहत्तर हजार चार सौ इकतिस रूपया सत्तानबे पैसे) से सुरक्षित होगा। परिवादिनी का कथन है कि केनरा एच0एस0बी0सी0 ओरियन्टल बैंक ऑफ कामर्स लाइफ बीमा कम्पनी ने सुरक्षित मास्टर पालिसी No GP000147 दिनांक 23.10.2017 उसके पति श्री अनुज सक्सेना के नाम जारी किया जिसका ऋण खाता संख्या-008876016001754 था और जिसका ब्याज 12 प्रतिशत और एकल प्रीमियम के आधार पर 53,90,000/- (तिरपन लाख नब्बे हजार रूपया मात्र) का लोन स्वीकृत किया गया। उक्त पालिसी 10 वर्ष के लिये दिनांक 19.10.2017 से 19.10.2027 तक वैध थी, जिसमें परिवादिनी नामिनी थी। परिवादिनी का कथन है कि उक्त केनरा एच0एस0बी0सी0 ओरियन्टल बैंक ऑफ कामर्स लाइफ बीमा कम्पनी लिमिटेड ने 120 माह का ग्रुप मास्टर पालिसी धारक No GP000147 दिनांक 23.10.2017 जारी किया। परिवादिनी का कथन है कि उक्त पालिसी जारी करते समय उसके पति ने सभी तथ्यों को उजागर कर दिया था जिसके आधार पर कम्पनी के कर्मचारी द्वारा पालिसी के फार्मों को भरा गया था। पालिसी के जारी होते समय परिवादिनी के पति स्वस्थ थे और उनकी जानकारी में किसी पुरानी बीमारी से ग्रस्त नहीं थे और उनके पति पालिसी की शर्तों के अनुसार पालिसी जारी होने के पॉंच साल पूर्व से किसी बीमारी के कारण किसी अस्पताल में भर्ती नहीं हुए थे। परिवादिनी के पति एक स्वस्थ्य व्यक्ति थे और किसी पुरानी बीमारी से ग्रस्त नहीं थे और एक योग्य वास्तुकार थे और भारत सरकार को लगातार कई वर्ष तक आई0टी0आर0
-5-
के माध्यम से टैक्स भरा करते थे। परिवादिनी का कथन है कि उसके पति ने एक मीटिंग में 20 दिसम्बर, 2018 को मुम्बई जाने के लिये हवाई यात्रा का टिकट लिया, परन्तु दिनांक 19.12.2018 को ''न्यूरो की समस्या’’ के कारण बीमार हो गये और सहारा अस्पताल, लखनऊ में भर्ती हुए जहॉं विशेषज्ञ चिकित्सक से इलाज हुआ, परन्तु उनकी स्थिति दिन-प्रतिदिन बिगड़ती रही और दिनांक 21.12.2018 को उनकी मृत्यु हो गयी और अस्पताल द्वारा जारी मृत्यु प्रमाण पत्र में तीन दिन की बीमारी में HYPERTENSIVE INTRAVENTICULAR BLEED, DM WITH HT+CAD+CKD+CAD (POST PTCA) की वजह से दिल की धड़कन रूकने के कारण मृत्यु दर्शायी गयी। पति की मृत्यु के बाद परिवादिनी द्वारा केनरा एच0एस0बी0सी0ओरियंटल बैंक ऑफ कामर्स के यहॉं बीमा दावा प्रस्तुत किया गया, जो परिवादिनी के पति वर्ष 2012 से उक्त बीमारी से ग्रस्त होने के आधार पर दिनांक 30.03.2019 के आदेश से अस्वीकार कर दिया गया। इस संबंध में परिवादिनी का कथन है कि मृत्यु प्रमाण पत्र में वर्ष 2012 से इस तरह की बीमारी से ग्रस्त होने का एवं अस्पताल में भर्ती होने के पूर्व से विशिष्ट अवलोकन नहीं किया है। परिवादिनी का कथन है कि उनके पति ने बीमा कम्पनी को सही जानकारी दी थी और बीमा कम्पनी द्वारा बिना विशिष्ट सबूत के बीमा दावा को मना कर दिया और लोन खाता में एक मुश्त किस्त का रू0 75431.97/- (पचहत्तर हजार चार सौ इकतिस रूपया सत्तानबे पैसे मात्र) वापस कर दिया जो गैरकानूनी और मनमाने ढंग से किया गया है और विपक्षीगण द्वारा बीमा के निर्गमन के समय किये गये वादे का उल्लंघन
-6-
है क्योंकि विपक्षीगण द्वारा बीमा निर्गमन के समय मृत्यु के बाद लोन की सुरक्षा का आश्वासन दिया गया था। परिवादिनी का कथन है कि परिवादिनी के पति की मृत्यु के बाद विपक्षीगण के द्वारा बीमा में दिये गये आश्वासन को नहीं निभाया गया और बीमा की सुरक्षा प्रदान नहीं की गयी क्योंकि परिवादिनी के पति की मृत्यु के बाद बीमा दावा की धनराशि नहीं दिया जो विश्वासघात एवं धोखा की श्रेणी में आता है। परिवादिनी का कथन है कि विपक्षीगण द्वारा बीमा क्लेम न दिये जाने के कारण वह गृह लोन की किस्त विपक्षी संख्या-03 को जमा नहीं कर पा रही है। फलस्वरूप विपक्षी संख्या-3 के द्वारा बंधक सम्पत्ति जब्त करने संबंधी सख्त कार्यवाही की धमकी दी जा रही है। परिवादिनी का कथन है कि विपक्षी संख्या-01 एवं 02 द्वारा बीमा सुरक्षा प्रदान नहीं किया गया जिसका आश्वासन दिया गया था, जबकि वे गृह लोन की सम्पूर्ण धनराशि को देने हेतु उत्तरदायी हैं। परिवादिनी का कथन है कि विपक्षी संख्या-01 एवं 02 के उक्त कृत्य के कारण मानसिक कष्ट हो रहा है और उपरोक्त परिस्थिति में न्यायहित में विपक्षी संख्या-01 एवं 02 को निर्देशित किया जाये कि होम लोन की सम्पूर्ण राशि जो उनके द्वारा सुरक्षित की गयी थी को विपक्षी संख्या-03 को भुगतान करें। विपक्षी संख्या-03 को कुल रू0 52,65,126.99/- (बावन लाख पैंसठ हजार एक सौ छब्बीस रूपये निन्यानबे मात्र) देय है साथ ही साथ रू0 2000/- (दो हजार रूपया मात्र) कोर्ट फीस देय है। परिवादिनी द्वारा अपने कथन के समर्थन में प्रमाण पत्र एवं आदेशों की कापी संलग्न कर गृह लोन की सम्पूर्ण धनराशि के साथ मानसिक उत्पीड़न एवं कष्ट के लिये रू0 5,00,000/- (पॉंच लाख
-7-
रूपया मात्र) क्षतिपूर्ति के रूप में एवं रू0 1,00,000/- (एक लाख रूपया मात्र) वाद व्यय के लिये मांग की है।
विपक्षी संख्या-01 एवं 02 द्वारा उत्तर पत्र प्रस्तुत करते हुए परिवाद पत्र के समस्त कथनों से इन्कार किया एवं दुर्भावनापूर्ण बताते हुए परिवाद खारिज किये जाने की प्रार्थना की। विपक्षी संख्या-01 एवं 02 का कथन है कि परिवादिनी द्वारा बीमा में सेवा की कमी का जो आरोप लगाया है वह किसी दस्तावेजी प्रमाण के बिना है। परिवादिनी की शिकायत उपभोक्ता विवाद की श्रेणी में नहीं आती है, क्योंकि इसमें कोई अनुचित व्यापार व्यवहार नहीं हुआ है। विपक्षीगण का कथन है कि ओ0बी0सी0 से रू0 53,90,000/- (तिरपन लाख नब्बे हजार रूपया मात्र) के होम लोन को सुरक्षित करने के लिये परिवादिनी के पति जो मृतक जीवन आश्वासन (डी0एल0ए0) के रूप में विपक्षीगण से सम्पर्क कर पालिसी दिनांक 17.10.2017 को प्राप्त किया ग्रुप सिक्योर के रूप में थी जिसका नम्बर 610003417 था। विपक्षी संख्या-01 एवं 02 का कथन है कि डी0एल0ए0 द्वारा सहमति देते हुए फार्म पर हस्ताक्षर किया और घोषणा और प्राधिकरण पर सहमति देते हुए हस्ताक्षर किया। विपक्षी संख्या-01 एवं 02 का कथन है कि डी0एल0ए0 के द्वारा चिकित्सा इतिहास में कोई बीमारी, जिसके लिये वो इलाज करा रहे हो, के बारे में नहीं बताया था और इसी के आधार पर विपक्षीगण द्वारा बीमा पालिसी नम्बर जीपी 0000147-0098600 डी0एल0ए0 को जारी किया जो दिनांक 19.10.2017 से प्रारम्भ हआ था। पालिसी के अन्तर्गत परिवादिनी नामिनी है और एकल रू0 75431.97/- के आधार पर सुनिश्चित राशि
-8-
रू0 53,90,000/- 10 साल के लिये था। विपक्षी संख्या-01 एवं 02 परिवादिनी से मृत्यु दावा दिनांक 31.12.2018 को प्राप्त हुआ जो डी0एल0ए0 की दिल की धड़कन रूकने से दिनांक 21.12.2018 को मृत्यु दर्शाया गया प्राप्त हुआ। विपक्षी संख्या-01 एवं 02 ने मृत्यु दावा प्राप्त होने के बाद उसके मूल्यांकन में लिये NECON MINAR-F-NOOR CONSULTANTS LTD को दावा का परीक्षण एवं जांच के लिये सम्बद्ध किया।
जिला उपभोक्ता आयोग के समक्ष विपक्षीगण बीमा कम्पनी द्वारा अपने अभिकर्ता द्वारा जांच करवायी गयी एवं उक्त जांच रिपोर्ट में उल्लेख किया है कि डी0एल0ए0 HTN CORONARY ARTARY DISEASE (CAD) POST PTCA, बीमा प्रस्ताव हस्ताक्षर के पूर्व से ग्रस्त था और उसके समर्थन में सहारा हास्पिटल की चिकित्सा रिपोर्ट दिनांकित 19.12.2018 दिया है। विपक्षीगण का जांच रिपोर्ट संलग्न कर कथन है कि डी0सी0ए0 ने उक्त बीमारी को बीमा प्रस्ताव के समय चिकित्सा इतिहास को छिपाया था और गलत सूचना दी थी।
अपीलार्थीगण के विद्वान अधिवक्ता का कथन है कि चूँकि डी0एल0ए0 द्वारा गलत सूचना दी गयी एवं बीमाधारक द्वारा पूर्व की बीमारी को छिपाया गया अतएव बीमा अनुबन्ध अमान्य हो गया तथा उसे एकमुश्त बीमा किस्त रू0 75431.97 (पचहत्तर हजार चार सौ इकतिस रूपया सत्तानबे पैसे मात्र) को ओ0बी0सी0 के लोन खाता में वापस कर दिया गया।
विद्वान जिला उपभोक्ता आयोग द्वारा समस्त तथ्यों का विस्तृत
-9-
रूप से संज्ञान लेते हुए एवं दोनों पक्षों के विद्वान अधिवक्ताओं का कथन दृष्टिगत रखते हुए तथा साक्ष्यों का परिशीलन करने के उपरान्त जो निर्णय/आदेश दिया गया है, उसमें किसी प्रकार के हस्तक्षेप की कोई आवश्यकता इस न्याय पीठ को प्रतीत नहीं होती है और न ही अपीलार्थीगण बीमा कम्पनी के अधिवक्ता द्वारा पीठ द्वारा पूछे गये प्रश्नों का समुचित उत्तर एवं साक्ष्य ही दिया गया है।
सभी तथ्यों को दृष्टिगत रखते हुए प्रस्तुत अपील खारिज की जाती है। जिला उपभोक्ता विवाद प्रतितोष आयोग-प्रथम, लखनऊ द्वारा परिवाद संख्या-719/2020 श्रीमती मनीषा सक्सेना बनाम ब्रांच मैनेजर केनरा एच0एस0बी0सी0 ओरियन्टल बैंक ऑफ कामर्स लाइफ इंश्योरेंस कम्पनी लिमिटेड व दो अन्य में पारित निर्णय/आदेश दिनांक 22.12.2020 का समर्थन किया जाता है।
अपीलार्थीगण को 30 दिन के अन्दर जिला उपभोक्ता आयोग के आदेश का अनुपालन सुनिश्चित करने हेतु निर्देशित किया जाता है। देरी से आदेश के अनुपालन को दृष्टिगत रखते हुए अपीलार्थीगण द्वारा प्रत्यर्थी संख्या-1/परिवादिनी को जिला उपभोक्ता आयोग द्वारा आदेशित धनराशि पर 06 प्रतिशत वार्षिक की दर से ब्याज परिवाद प्रस्तुत करने की तिथि से अदायगी की तिथि तक देय होगा।
(राजेन्द्र सिंह) (गोवर्धन यादव) (न्यायमूर्ति अशोक कुमार)
सदस्य सदस्य अध्यक्ष
जितेन्द्र आशु0
कोर्ट नं0-1